किसान आंदोलनकारियों के शिविर में घिनौना गैंगरेप योगेंद्र यादव को भी घेरे में ले आया!
दिल्ली के टिकरी बॉर्डर जारी किसान आंदोलन में शामिल होने आई पश्चिम बंगाल की 25 वर्षीय युवती के साथ धरना स्थल पर गैंगरेप की बात सामने आई है. आरोप यह भी लगा है कि आंदोलन की अगुवाई कर रहे योगेंद्र यादव को इस बात का पता था, लेकिन उन्होंने पुलिस को सूचना नहीं दी.
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देश भले ही कोविड की दूसरी लहर का सामना कर रहा हो और कोरोना से हुई मौतों का अंबार लगा हो मगर तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली से सटे टीकरी, सिंघु, यूपी गेट और कुंडली बॉर्डर पर बैठे प्रदर्शनकारी किसानों को इससे कोई मतलब नहीं है. अब इसे केंद्र सरकार के खिलाफ एजेंडा कहें या फिर ज़िद, धरना बदस्तूर जारी है और इस धरने का सबसे शर्मनाक पहलू ये है कि इस धरने की आड़ में हर वो गलत काम हो रहा है जो हमारी आपकी कल्पना से भी परे है. दिल्ली के टिकरी बॉर्डर पर जारी किसान आंदोलन में शामिल होने आई पश्चिम बंगाल की 25 वर्षीय युवती के साथ धरना स्थल पर गैंगरेप की बात सामने आई है.
बताया जा रहा है कि जिस युवती का सामूहिक बलात्कार हुआ है. मामला तब खुला जब लड़की के पिता खुलकर सामने आए और उन्होंने मामले की प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उनकी बेटी का शव देने के बदले उन पर दबाव डाला गया कि वे लिख कर दें कि उनकी बेटी कोरोना से मरी है. मामला सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है और आनन फानन में हरकत में आई पुलिस ने किसान आंदोलन में शामिल 6 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है, जिनमें दो महिलाएं भी शामिल हैं. आरोपियों के खिलाफ IPC की धारा 365, 342, 354, 376 और 120 बी के तहत रेप, अपहरण, ब्लैकमेलिंग और बंधक बनाकर रखने का मामला दर्ज किया गया है. मामले में आए रोज ही सुर्खियों में रहने वाले किसान नेता योगेंद्र यादव के नाम का भी जिक्र हो रहा है. कहा जा रहा है कि जिस समय युवती के साथ दुराचार हो रहा था पल पल की खबर योगेंद्र यादव को थी मगर वो चुप्पी साधे रहे और इतने गंभीर मामलों की जानकारी उन्होंने पुलिस को नहीं दी.
किसान आंदोलन के नामपर जो टिकरी बॉर्डर पर युवती के साथ हुआ वो शर्मनाक है
घटना ने धरने और किसान नेता योगेंद्र यादव की नीयत पर सवाल खड़े कर दिए हैं और मिलता है कि धरना स्थल पर विरोध के नाम पर हर वो काम हो रहा है जिसकी इजाजत न तो कानून देता है और न ही हमारा संविधान. पीड़िता आर्टिस्ट और डिज़ाइनर थी और देश में चल रहे फार्मर प्रोटेस्ट का समर्थन करती थी. वहीं बात आरोपियों की हो 1 अप्रैल 2020 को बंगाल से पहुंचे आरोपी अनिल मालिक, अनूप सिंह चनौट, अंकुश सांगवान और कविता आर्या ने खुद को किसान सोशल आर्मी का सदस्य बताया था.
इनके साथ दो लोग जगदीश बराड़ और योगिता सुहाग भी थे जिसमें जगदीश ने अपने को कुश्ती किसान यूनियन का सदस्य और योगिता ने खुद को स्वतंत्र एक्टिविस्ट बताया था. सभी लोग संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले पब्लिक मीटिंग आयोजित करते थे. जो आरोपी उसके घर आए थे उन्होंने अपना परिचय ये कहकर दिया था कि वो लोग किसान सोशल आर्मी से जुड़े हैं.
क्या लिखा है एफआईआर में
पीड़िता के पिता ने बहादुरगढ़ थाने में आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है जिसमें लिखा गया है कि, वो और उनकी बेटी (पीड़िता) आरोपियों से श्रीसमपुर और चंदननगर में मिले. जहां पीड़िता इन लोगों की बातों से बहुत प्रभावित हुई और उसने प्रोटेस्ट में शामिल होने के लिए इन लोगों के साथ जाने की बात की. लड़की इन लोगों के साथ हावड़ा से दिल्ली के लिए रवाना हुई. लड़की के पिता के अनुसार ग्रुप में उन्हें अनिल सबसे सीनियर लगे इसलिए उन्होंने उनसे अनुरोध किया कि वो लड़की का ख्याल अपनी बहन की तरह रखें.
लड़की ने अपने पिता को बताया था कि ट्रेन में रात के समय जब सब सो रहे थे तो अनिल लड़की (पीड़िता) के पास आया था और उसका हाथ पकड़कर उसे किस करने लगा. जिसके बाद लड़की ने उसे दोबारा ऐसा न करने की चेतावनी दी. 11 अप्रैल को ये लोग दिल्ली पहुंचे जहां टिकरी बॉर्डर पहुंचने के बाद लड़की को अनिल मलिक, अनूप सिंह और अंकुर सांगवान के साथ टेंट शेयर करना पड़ा. लड़की ने अपने पिता से ये भी कहा था कि ये लोग उसपर दबाव बना रहे हैं और उसे लगातार ब्लैकमेल कर रहे हैं.
लड़की ने वीडियो बनाकर दिया था अपना स्टेटमेंट
अपने साथ हुई इस घटना ने लड़की को गहरा आघात पहुंचाया. 16 अप्रैल को पीड़िता ने अपने पिता को बताया कि उसने अपनी आपबीती योगिता और जगदीश से साझा की है और इसके बाद एक वीडियो स्टेटमेंट भी रिकॉर्ड किया है. बाद में यूरिन में खून आने के बाद योगिता ने पीड़िता को दूसरे टेंट में शिफ्ट कर दिया. एफआईआर में वकीलों से भी मुलाकात का जिक्र है. साथ ही ये भी तय हुआ था कि यौन शोषण का मामला संयुक्त किसान मोर्चा के अन्य नेताओं के सामने भी लाया जाएगा. मामले में पीड़िता के पिता को बार बार यही लग रहा था कि उनकी बेटी के साथ कुछ गलत हुआ है.
किसान नेता योगेंद्र यादव को थी मामले की जानकारी मगर उन्होंने साध ली चुप्पी
बताया जा रहा है कि 21 अप्रैल को लड़की की तबीयत खराब हुई और उसे बुखार और लूज मोशन शुरू हुए. 24 अप्रैल आते आते लड़की की स्थिति और गंभीर हो गयी इस बीच लड़की के पिता ने किसान नेता योगेंद्र यादव से बात की जिन्होंने लड़की को फोन किया और उसका हाल चाल जाना . मामले में कहा ये भी जा रहा है कि योगेंद्र यादव ने लड़की से बात तो की और चूंकि ये बात धरने को प्रभावित करती उन्होंने चुप्पी साधना ही बेहतर समझा.
मामला तमाम अनसुलझे सवालों से
पहले गैंगरेप फिर कोविड से हुई मौत के बाद मामला हमारे बीच आ चुका है. घटना के बाद ये कहना कहीं से भी अतिश्योक्ति नहीं है कि चाहे वो टिकरी हो या फिर सिंघु वहां केवल धरना नहीं हो रहा है. धरना स्थल पर ऐसी तमाम चीजें हो रही हैं जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में पहले लोकतंत्र फिर संविधान को कटघरे में खड़ा कर रही हैं. कुछ सवाल हैं जो इस मामले के बाद जगजाहिर हुए हैं. आगे कुछ बात करने से पहले उन सवालों पर नजर डालते हैं.
1- लड़की पढ़ी लिखी थी और सोशल मीडिया पर सक्रिय थी तो सबसे पहला सवाल जो नजर आता है वो ये कि जब ट्रेन में उसे किस किया गया तो वो वापस घर क्यों नहीं आई?
2- दूसरा सवाल ये कि कोई बाप ऐसे ही अपनी बेटी को धरने में जाने की इजाजत दे देगा वो भी तब जब उसकी बेटी जिसके साथ जा रही हो उसे वो जानता ही नहीं है?
3- तीसरा सवाल ये कि जब लड़की पहले ही ये देख चुकी थी कि वो जिसके भरोसे जा रही है उसकी नीयत नहीं ठीक है. ऐसे में लड़की का उसी आदमी के साथ उसके टेंट में रुकना.
4- मामले में लड़की का गैंगरेप हुआ है. तो जब उसके साथ ये सब हुआ इसकी जानकारी उसने धरने पर आई अन्य महिलाओं को क्यों नहीं दी? आखिर क्यों लड़की पुलिस के पास नहीं गयी?
5- पांचवा सवाल जो हमारे सामने आता है वो ये कि जब लड़की के पिता को इस बात का एहसास हुआ कि उनकी बेटी के साथ कुछ गलत हुआ है तो वो उसे बंगाल ले जाने क्यों नहीं आए ?
6- टिकरी बॉर्डर पर कोई एक दो लोग धरना नहीं दे रहे हैं वहां तमाम लोग हैं ऐसे में क्या किसी को इस बात की खबर नहीं लगी कि धरना स्थल पर ही हैवानियत का नंगा और घिनौना खेल चल रहा है?
7- सातवां और सबसे बड़ा सवाल जो हमारे सामने है वो ये कि जब किसान नेता योगेंद्र यादव को सारी बातों की जानकारी थी तो वो पीड़ित लड़की की मदद के लिए सामने क्यों नहीं आए? क्या योगेंद्र को ये महसूस हुआ कि बात अगर थाने पुलिस तक गई तो इससे न केवल धरना बल्कि उनकी खुद की राजनीति भी प्रभावित होगी?
जैसा कि हम बता चुके हैं मामला बेहद पेंचीदा है इसलिए वहां वास्तव में क्या हुआ इसका जवाब तो हमें आगे की जांच में ही पता चलेगा मगर जिस तरह लड़की कोविड से मरी है इतना तो तय है कि ये जगह कोविड के सुपर स्प्रेडर से भरी है. खुद कल्पना कीजिये कि ये सुपर स्प्रेडर अगर बाहर आए तो स्थिति कितनी और किस हद तक भयावह होगी. बाकी उपरोक्त मामला धरना स्थल पर बलात्कार का है तो साफ है कि चाहे वो सिंघु हो या टिकरी बॉर्डर यहां केंद्र सरकार को नीचा दिखाने के लिए हर वो जतन किया जा रहा है जो लोकतंत्र को शर्मिंदा करता है.
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