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Updated: 09 जून, 2017 08:41 PM
आलोक रंजन
आलोक रंजन
  @alok.ranjan.92754
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किसानों द्वारा जारी प्रदर्शन अब मालवा क्षेत्र के करीब सात जिलों तक फैल गया है. रुक-रुक कर हिंसक घटनाएं जारी हैं. मध्य प्रदेश के मंदसौर में पुलिस फायरिंग में 6 किसानों की मौत के बाद से जारी हिंसक विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है. शिवराज सिंह चौहान की सरकार सकते में है कि इस समस्या को काबू कैसे किया जाए. सब कुछ दाव पर लगा हुआ है. शिवराज के लिए अभी सबसे बड़ी चुनौती ये है कि इस समस्या से पार कैसे पाया जाए.

farmer protest, madhya pradeshसिर्ह मंदसौर ही नहीं, आसपास के इलाकों में भी फैल रही हैं हिंसा की लपटें

शिवराज सिंह चौहान को मध्य प्रदेश की कमान आरएसएस और बीजेपी के टॉप नेताओं के कहने पर ही दी गई थी. वे कुछ चुनिंदा नेताओं में हैं जिनकी लोकप्रियता पूरे मध्य प्रदेश में फैली हुई है. उनका नम्र व्यक्तित्व मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद के बिलकुल अनुकूल था और शायद इसीलिए उनको मध्य प्रदेश की बागडोर थमाई गयी थी.

पर सवाल ये है कि वर्तमान में चल रहे उग्र किसान आंदोलन रूपी इस तूफान का सामना वो कैसे करते हैं. कई समीक्षक तो ये कहने में भी चूक नहीं रहे हैं कि अगर इसका समाधान उन्होंने जल्दी और कारगर ढंग से नहीं निकाला तो उनकी कुर्सी भी जा सकती है. लेकिन प्रश्न ये भी है कि क्या बीजेपी इस महत्वपूर्ण समय में उनकी बलि दे सकती है. गुजरात में इसी साल विधानसभा के चुनाव होने हैं, मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव अगले साल यानी 2018 में होने वाले हैं तो लोकसभा चुनाव 2019 में होंगे.

Shivraj Singh Chauhan, Madhya Pradeshशिवराज सिंह चौहान के लिए भारी पड़ सकता है किसान आंदोलन

व्यापम घोटाला, अवैध रेत खनन समेत भ्रष्टाचार के कई मामले का दाग मध्य प्रदेश सरकार के मत्थे लग चुका है. और अब पुलिस फायरिंग में 6 किसानों की मौत का मामला शिवराज सिंह चौहान की कुशल प्रशासक वाली छवि को धूमिल कर रहा है. आखिर क्या कारण है कि इस ताजा किसान आंदोलन का केंद्र निमाड़-मालवा बेल्ट हैं, जिसे आरएसएस और बीजेपी का गढ़ माना जाता है. ये एक ऐसी घटना है जो न केवल मध्य प्रदेश के अन्य जिलों को भी चपेट में ले रही है बल्कि इसकी आग भारत के अन्य राज्यों तक भी फैलने को तैयार है.

विपक्ष के तेवर इस मसले को लेकर चरम पर हैं. जैसे-जैसे किसानों का बवाल बढ़ता जा रहा है वैसे-वैसे विपक्षी दलों ने भी इस मुद्दे को गर्माना शुरू कर दिया है. और नतीजा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. सरकार की सांसे अटकी हुई हैं. किसानों की व्यथागाथा का जायजा लेने के लिए कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने राहुल गांधी की अगुवाई में 8 जून को मंदसौर जाने की कोशिश की थी. वहीं आम आदमी पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल भी मंदसौर दौरे पर जा रहा है.

congress, farmers protest, madhya pradeshशिवाराज सिंह सरकार के खिलाफ कांग्रेस का प्रदर्शन

आज माहौल पूरी तरह गरम है. पिछले तीन चुनावों से शिवराज मध्य प्रदेश में एकतरफा जीत हासिल करते रहे हैं. लेकिन इस बार हालात पहले जैसे नहीं दिखाई दे रहे हैं. मंदसौर की घटना से फैली आग को अगर शिवराज सिंह चौहान जल्द नहीं रोक पाते हैं तो उनका सिंहासन भी हिल सकता है. बीजेपी के अंदर से ही विरोध के स्वर उभरने लगे हैं. प्रदेश के बीजेपी नेता बाबूलाल गौर ने तो यह तक कह दिया कि अगर शिवराज किसानों से बातचीत करते तो आंदोलन हिंसक न होता.

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आलोक रंजन आलोक रंजन @alok.ranjan.92754

लेखक आज तक में सीनियर प्रोड्यूसर हैं.

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