राजीव गांधी की 5 गलतियां, जो राहुल गांधी की लड़ाई कमजोर करती हैं
हाल ही में राजीव गांधी को भ्रष्टाचारी नंबर-1 कहने के साथ ही पीएम मोदी ने उनकी एक-एक गलतियों को गिनाना शुरू कर दिया है. भाजपा अब कांग्रेस को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती है.
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लोकसभा चुनाव के 5 चरणों का मतदान हो चुका है और 2 बाकी हैं. जैसे-जैसे नतीजों का दिन नजदीक आ रहा है और चुनाव बीतते जा रहे हैं, वैसे-वैसे राजनीतिक पार्टियां एक दूसरे पर और तीखे हमले कर रही हैं. जहां एक ओर पीएम मोदी ने कांग्रेस पर हमला करते हुए राजीव गांधी के नाम पर चुनाव लड़ने का चैलेंज दिया, वहीं दूसरी ओर, राहुल गांधी ने भी पीएम मोदी को डिबेट करने का लिए चैलेंज दिया है. शाम के समय #RahulKaChallenge तो ट्विटर पर सबसे ऊपर ट्रेंड भी करने लगा.
हाल ही में राजीव गांधी को भ्रष्टाचारी नंबर-1 कहने के साथ ही पीएम मोदी ने उनकी एक-एक गलतियों को गिनाना शुरू कर दिया है. भाजपा अब कांग्रेस को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती है. यही वजह है कि अब पीएम मोदी ने न सिर्फ राहुल गांधी और उनके परिवार को लोगों का नाम लेकर कांग्रेस पर हमला बोल रहे हैं, बल्कि अब इस दुनिया में नहीं रहे राजीव गांधी को भी आड़े हाथों लेना शुरू कर दिया है. राजीव गांधी ने अपने समय में जो गलतियां की हैं, वह अब राहुल गांधी की लड़ाई को कमजोर बना रही हैं. पीएम मोदी ने सिख दंगों से लेकर भोपाल गैस कांड तक, हर बात का जिक्र किया.
जो गलतियां राजीव गांधी ने की थीं, उनका खामियाजा राहुल गांधी के साथ-साथ पूरी कांग्रेस भुगत रही है.
राहुल गांधी ने जो चैलेंज दिया है, उसका बाकायदा वीडियो बनाया गया है. देखिए वो वीडियो.
Tell me, who hides behind sneaky lies and falsehoods? The one who has no courage to face the truth!Unfortunately for the nation, the Prime Chowkidaar has now been hiding for 5 years, but too bad for him the truth has caught up!#RahulKaChallengepic.twitter.com/Utlqg2NloS
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) May 8, 2019
इससे पहले पीएम मोदी ने चैलेंज किया था का राहुल गांधी बोफोर्स मामलों में नाम आने वाले पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नाम पर चुनाव लड़कर दिखाएं. ये भी कहा कि दिल्ली और पंजाब के उनके नाम पर लड़ कर दिखाएं, जहां निर्दोष सिखों को मार दिया गया, भोपाल में लड़ें, जहां उन्होंने गैसकांड के गुनहगार की भागने में मदद की.
My open challenge to Congress.Fight elections in the name of the former PM associated with Bofors in:Delhi and Punjab, where innocent Sikhs were butchered in his reign.Bhopal, where he helped Warren Anderson flee after the infamous Gas Tragedy.Challenge accepted? pic.twitter.com/CstT0VyITd
— Chowkidar Narendra Modi (@narendramodi) May 6, 2019
चैलेंज तो दोनों ही पार्टियों ने एक दूसरे को कर दिया है, लेकिन राजीव गांधी की 5 गलतियों की वजह से राहुल गांधी की लड़ाई कुछ कमजोर पड़ सकती है.
1. सिख दंगे: 'जब बड़ा पेड़ गिरता है, तो जमीन हिलती है'
राजीव गांधी ने देश के लिए क्या-क्या किया, इसकी चर्चा तो कांग्रेस गाहे-बगाहे करती ही रहती है, लेकिन राजीव गांधी का ही एक बयान कांग्रेस के गले की फांस भी बना हुआ है. जब 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या हुई, तो दिल्ली में सिख विरोधी दंगे शुरू हो गए. इंदिरा गांधी की हत्या के बाद ही राजीव गांधी ने राजनीति में कदम रखा. लेकिन एक नौसिखिये की तरह ऐसा बयान दिया, जो आज भी कांग्रेस के खिलाफ राजनीतिक पार्टियों के एक हथियार जैसा है. इंदिरा गांधी की मौत के बाद हुए दंगों पर राजीव गांधी ने बयान दिया था- 'जब भी कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती थोड़ी हिलती है.' तब तो राजीव गांधी के इस बयान पर तालियों की गड़गड़ाहट सुनाई दी थी, लेकिन अब वही तालियां कांग्रेस के लिए गालियां बन चुकी हैं.
2. भोपाल गैसकांड: वॉरेन एंडरसन की रिहाई में राजीव का रोल
भोपाल गैसकांड को कौन भूल सकता है. 3 दिसंबर 1984 को यूनियन कार्बाइड में 30 टन जहरीली मिथाइल आइसोसायनेट गैस का रिसाव हुआ. इस घटना में करीब 15000 लोग मारे गए. करीब 5 लाख लोग उस गैस से प्रभावित हुए और बहुत से लोग किडनी, फेफड़े और लिवर के रोगों से पीड़ित होकर मर गए. उस दौरान प्रधानमंत्री थे राजीव गांधी और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री थे अर्जुन सिंह. यूनियन कार्बाइड के मालिक वॉरेन एंडरसन जैसे ही मध्य प्रदेश आए, उन्हें गिरफ्तार किया गया, लेकिन चंद घंटों तक हाउस अरेस्ट में रखने के बाद उन्हें जमानत मिल गई. राजीव गांधी और अर्जुन सिंह ने वॉरेन एंडरसन को देश से भगाने में भी मदद की, जो दोबारा कभी भारत नहीं लौटे. अर्जुन सिंह ने अपनी किताब में इस बात का पूरा ब्यौरा भी दिया है कि तत्कालीन गृह मंत्री पीवी नरसिंहाराव ने किस तरह एंडरसन को छोड़ देने के लिए कहा था. हालांकि, कांग्रेस इन बातों को झूठा कहती रही है. लेकिन, यह भी सच ही है कि यूनियन कार्बाइड फैक्टरी का मालिक एंडरसन हरी एंबेसेडर कार में बैठकर एयरपोर्ट तक आया था. उस कार में तत्कालीन भोपाल कलेक्टर मोती सिंह भी बैठे थे. अब इतना वीआईपी ट्रीटमेंट क्या बिना किसी सरकारी अनुमति के दिया जा सकता है?
1984 में हरी एंबेसेडर कार में एंडरसन को भोपाल एयपोर्ट तक लाया गया, जहां से वह दिल्ली और फिर अमेरिका चला गया. कभी वापस न लौटने के लिए.
3. शाहबानो केस: मुस्लिम महिलाओं के दोषी
ये बात है 1986 की. मां इंदिरा गांधी की मौत के बाद राजीव गांधी राजनीतिक के दांव-पेंच सीख रहे थे. इसी बीच मध्य प्रदेश के इंदौर की शाह बानो का केस चर्चा में आया. शाह बानो के शौहर मशहूर वकील मोहम्मद अहमद खान ने 43 साल साथ रहने के बाद तीन तलाक दे दिया. शाह बानो पांच बच्चें के साथ घर से निकाल दी गईं. शादी के वक्त तय हुई मेहर की रकम तो अहम खान ने लौटा दी, लेकिन शाह बानो हर महीने गुजारा भत्ता चाहती थीं. उनके सामने कोर्ट जाने के अलावा कोई रास्ता नहीं था. कोर्ट ने फैसला शाह बानो के पक्ष में सुनाया और अहमद खान को 500 रुपए प्रति महीने गुजारा भत्ता देने का फैसला सुना दिया. शाह बानो की इस पहल ने बाकी मुस्लिम महिलाओं के लिए कोर्ट जाने का रास्ता खोल दिया, जिससे मुस्लिम समाज के पुरुष बेहद नाराज हुए.
शाह बानो ने तीन तलाक के पास पति से गुजारा भत्ता लेने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
1985 के अंत में हुए उपचुनावों में कांग्रेस को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा. सलाहकारों ने इसकी वजह मुस्लिम मतदाताओं को कांग्रेस से दूर होना बताया. बस फिर क्या था, देखते ही देखते राजीव गांधी जैसे कम अनुभवी युवा का विश्वास डगमगा गया और उन्होंने इस फैसले को पलटने का मन बना लिया. 1985-86 में गृह सचिव रहे आरडी प्रधान की किताब 'वर्किंग विद राजीव गांधी' के अनुसार उन्होंने राजीव गांधी को ऐसे करने से रोका भी था. 25 फरवरी 1986 को राजीव गांधी की सरकार ने मुस्लिम महिला विधेयक पारित किया, जो विपक्ष के विरोध के बावजूद कानून बन गया. इसकी वजह से मुस्लिम महिलाओं को गुजारा-भत्ता के लिए कोर्ट जाने का अधिकार खत्म हो गया. तब तो धर्म की राजनीति कर के राजीव गांधी ने मुस्लिमों को खुश कर दिया था, लेकिन आज उनकी उस गलती का खामियाजा न सिर्फ मुस्लिम महिलाएं भुगत रही हैं, बल्कि कांग्रेस भी भुगत रही है. भाजपा तीन तलाक के मुद्दे पर मुस्लिम महिलाओं का साथ दे रही है और कांग्रेस पर इसके खिलाफ होने का आरोप भी मढ़ रही है, जो सच भी है.
4. भ्रष्टाचार की मेनस्ट्रीमिंग: 'एक रुपया देता हूं तो दस पैसा पहुंचता है'
राजीव गांधी ने करीब 30 साल पहले खरगोन में ऐसा बयान दिया था, जो आज भी कांग्रेस के लिए मुसीबतें पैदा कर रहा है. उन्होंने नवग्रह मैदान में 21 मिनट का भाषण दिया था, जिसमें कहा था कि 'दिल्ली से एक रुपया गांव के लिए भेजा जाता है तो गांव तक सिर्फ 10 पैसे ही पहुंचते हैं. 90 पैसे का भ्रष्टाचार हो जाता है. युवा देश का भविष्य है.' इसी से साफ हो जाता है 1989 के दौरान उनकी सरकार में कितना अधिक भ्रष्टाचार था. उन्होंने ये बात कह तो दी थी, लेकिन अब ये बात विरोधी पार्टियों का राजनीतिक हथियार है.
5. बोफोर्स दलाली मामला: बेगुनाही के बावजूद शंका बनी रही
24 मार्च 1986 को भारत सरकार और स्वीडन की हथियार निर्माण कंपनी एबी बोफोर्स के बीच 1,437 करोड़ रुपए की डील हुई. इसके तहत भारतीय थल सेना को 155 एमएम की 400 हवित्जर तोप सप्लाई की जानी थीं. साल भर बाद ही स्वीडिश रेडियो ने दावा किया कि कंपनी के सौदे के लिए भारत के राजनीतिज्ञों को करीब 60 करोड़ रुपए की घूस दी है. बस तभी से राजीव गांधी सरकार की इस मामले में भूमिका एक बिचौलिए के तौर पर देखी जाने लगी. मामले जांच भी हुई. 1989 में चुनाव हुए तो बोफोर्स की वजह से कांग्रेस हार गई.
इस मामले में इटली के ओत्तावियो क्वात्रोकी का नाम सामने आया था, जिस पर दलाली के जरिए घूस खाने के आरोप लगे. क्वात्रोकी तो उसके बाद विदेश भाग गया, लेकिन देश में रह रही कांग्रेस के माथे पर एक कलंक सा लगा गया. जांच में भी कोई दोषी नहीं पाया गया. नवंबर 2018 में सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की और इस केस की दोबारा जांच की मांग की, तो सुप्रीम कोर्ट ने ये कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि सीबीआई 13 साल की देरी से क्यों आई? खैर, भले ही राजीव गांधी या फिर कांग्रेस परिवार का कोई और सदस्य बोफोर्स मामले में दोषी साबित नहीं हुआ, लेकिन राजीव गांधी पर लगे आरोपों ने कांग्रेस को परेशानी में जरूर डाल दिया.
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