संन्यास ले चुके गौतम गंभीर भाजपा में होंगे शामिल, ये बातें तो इसी ओर इशारा कर रही हैं!
जब भी कोई क्रिकेटर संन्यास लेता है तो सबसे पहले कयास इस बात के लगते हैं कि वह कोच बनेगा या कमेंट्री करेगा, लेकिन गौतम गंभीर के मामले में ऐसा नहीं है. गौतम अपने अगले पड़ाव को लेकर पहले से ही 'गंभीर' हैं.
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टीम इंडिया के सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर ने क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से संन्यास ले लिया है. बाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने भारत को दो वर्ल्ड कप दिलाने में अहम भूमिका निभाई. इंटरनेशनल क्रिकेट में 10,000 से भी अधिक रन बनाए और टीम को कई अहम मौकों पर जीत दिलाई. 2007 में पाकिस्तान से टी20 के फाइनल में तो उन्होंने भारत की 'नाक' बचाने जैसा काम किया था. यूं तो जब भी कोई क्रिकेटर संन्यास लेता है तो सबसे पहले कयास इस बात के लगते हैं कि वह कोच बनेगा या कमेंट्री करेगा, लेकिन गंभीर के मामले में ऐसा नहीं है. गंभीर को लेकर लोग ये लगभग तय मान रहे हैं कि वह राजनीति में आएंगे. खैर, उनके पुराने बयानों और ट्वीट को देखकर ये अंदाजा लगाना कोई मुश्किल काम नहीं है. लेकिन अगर गौतम गंभीर राजनीति में उतरे तो वह किस पार्टी में जाएंगे? ये जानने के लिए उनके ट्वीट के पैटर्न और दिल्ली की राजनीति के इतिहास पर नजर डालना जरूरी है...
2014 में तो अरुण जेटली के पक्ष में चुनाव प्रचार के लिए गौतम गंभीर अमृतसर तक चले गए थे.
आम आदमी पार्टी तो बिल्कुल नहीं
दिल्ली में रहने वाले गौतम गंभीर दिल्ली के प्रदूषण को लेकर गौतम गंभीर आम आदमी पार्टी पर हमेशा ही हमला करते रहते हैं. उनके ट्वीट करने के अंदाज से ये तो साफ होता है कि वह किसी भी हालत में आम आदमी पार्टी में शामिल नहीं होंगे. देखा जाए तो उनके ट्वीट में आम आदमी पार्टी के लिए एक गुस्सा साफ दिखाई देता है.
छँटा धुआँ, निकला Muffler में लिपटा fraud! So @ArvindKejriwal @BJP4India Who’ll pay this fine? Of course me, the taxpayer. I wish I had the option of saying that my tax is not for Delhi CM’s callousness.Air pollution:NGT slaps Rs 25 crore fine on Delhi govt https://t.co/bpRxT4hqkH
— Gautam Gambhir (@GautamGambhir) December 3, 2018
“दर्दे दिल, दर्दे जिगर दिल्ली में जगाया AAP ने, पहले तो यहाँ Oxygen था, Oxygen भगाया AAP ने.” @ArvindKejriwal @AamAadmiParty our generations are going up in smoke like your false promises. U had 1 full year to tame dengue &pollution, sadly you couldn’t control either. Wake up!!! pic.twitter.com/xePi5mubO5
— Gautam Gambhir (@GautamGambhir) October 31, 2018
कांग्रेस में जाना भी मुश्किल ही लगता है
मैच फिक्सिंग के आरोप लगने के बाद मोहम्मद अजहरुद्दीन के खेलने पर पाबंदी लगा दी गई थी. इसके बाद उन्होंने कांग्रेस का दामन थामा और यूपी के मुरादाबाद से चुनाव जीते भी. महीने भर पहले ही ईडेन गार्डन स्टेडियम में मोहम्मद अजहरुद्दीन को घंटी बजाने की अनुमति देने को लेकर भी गंभीर नाराज दिखे. उन्होंने ट्वीट किया- 'आज भले ही भारत ईडन गार्डन्स स्टेडियम में हुए मैच जीत गया हो, लेकिन मुझे दुख है कि बीसीसीआई, सीओए और सीएबी हार गए हैं. ऐसा लग रहा है कि भ्रष्टाचार को किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं करने की नीति रविवार को छुट्टी पर चली गई थी. मैं जानता हूं कि उन्हें (अजहरुद्दीन को) एचसीए का चुनाव लड़ने की इजाजत दी गई थी, लेकिन यह तो सदमा पहुंचाने वाला है. घंटी बज रही है, उम्मीद करता हूं कि शक्तियां सुन रही होंगी.' जिसे गंभीर भ्रष्ट कह रहे हैं, भला गंभीर उस पार्टी में कैसे जाएंगे, जहां वो (अजहरुद्दीन) पहले से हों.
India may have won today at Eden but I am sorry @bcci, CoA &CAB lost. Looks like the No Tolerance Policy against Corrupt takes a leave on Sundays! I know he was allowed to contest HCA polls but then this is shocking....The bell is ringing, hope the powers that be are listening. pic.twitter.com/0HKbp2Bs9r
— Gautam Gambhir (@GautamGambhir) November 4, 2018
भाजपा अच्छा विकल्प, विचारधारा से मेल खाता हुआ
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस को छोड़ दें तो दिल्ली में बड़ी पार्टी भाजपा ही बचती है. अब अगर गौतम गंभीर के पुराने ट्वीट के पैटर्न को ध्यान से देखें तो उनकी विचारधारा भाजपा से काफी मिलती-जुलती दिखाई देती है. हालांकि, वह अपने ट्वीट में भाजपा पर भी निशाना साधते हैं, लेकिन उनके खिलाफ आक्रामक नहीं होते. किसी पार्टी में न होने की वजह से और भारतीय टीम का हिस्सा होने के चलते गंभीर कुछ भी बोलने के पहले काफी सोचते थे. अब गौतम ने संन्यास ले लिया है, तो उनके गंभीर ट्वीट भी जरूर आएंगे, जिसमें वह खुलकर बोलेंगे. खुद स्वाति चतुर्वेदी ने भी ट्वीट कर के गौतम गंभीर से पूछा है कि वह भाजपा की लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ेंगे या राज्यसभा में आएंगे. चलिए एक नजर उनके कुछ ट्वीट पर डालते हैं, जो इशारा कर रहे हैं कि वह भाजपा में जा सकते हैं.
Welcome to the Bjp. RS or LS? https://t.co/9AY7987wD2
— Swati Chaturvedi (@bainjal) December 4, 2018
जिस तरह भाजपा नेशनल एंथम, कश्मीर और देशभक्ति की बातें करती है, कुछ वैसी ही बातें गौतम गंभीर भी करते दिखाई देते हैं. उनके ये कुछ ट्वीट देखकर आपको यकीन हो जाएगा.
Standin n waitin outsid a club:20 mins.Standin n waitin outsid favourite restaurant 30 mins.Standin for national anthem: 52 secs. Tough?
— Gautam Gambhir (@GautamGambhir) October 27, 2017
For every slap on my army's Jawan lay down at least a 100 jihadi lives. Whoever wants Azadi LEAVE NOW! Kashmir is ours. #kashmirbelongs2us
— Gautam Gambhir (@GautamGambhir) April 13, 2017
Anti-Indians hav forgotten dat our flag also stands 4: saffron - fire of our anger, white - shroud for jihadis, green - hatred 4 terror.
— Gautam Gambhir (@GautamGambhir) April 13, 2017
कश्मीर को लेकर उनका सोचना भी भाजपा जैसा ही है. भले ही उनके ट्वीट में उन्होंने भाजपा पर भी सवाल उठाया हो, लेकिन आक्रामकता भाजपा के लिए प्रति नहीं दिखेगी.
Mannan Wani’s death: We killed a terrorist and lost a radicalised talent. @OmarAbdullah @MehboobaMufti @INCIndia @BJP4India all should bow their heads in embarrassment that they left a young man drift from books to embrace bullet.
— Gautam Gambhir (@GautamGambhir) October 12, 2018
This man wouldn’t be able to find Manan’s home district on a map much less his village & yet he presumes to know what drives young men in Kashmir to pick up the gun. Mr Gambhir clearly knows less about Kashmir than I do about cricket & I know almost nothing. https://t.co/oZ8hc5VcgH
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) October 12, 2018
It’s been less than a week since I had two of my colleagues killed by terrorists, my party has lost 1000s of workers, both senior & junior since 1988. I don’t need a lecture in nationalism & sacrifice from someone who wouldn’t know sacrifice if it kicked him. https://t.co/iM14SarX5j
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) October 12, 2018
कश्मीर मुद्दे पर तो उन्होंने पाकिस्तानी क्रिकेटर शाहिद अफ्रीदी तक को नहीं बख्शा था.
Appalling and worrisome situation ongoing in the Indian Occupied Kashmir.Innocents being shot down by oppressive regime to clamp voice of self determination & independence. Wonder where is the @UN & other int bodies & why aren't they making efforts to stop this bloodshed?
— Shahid Afridi (@SAfridiOfficial) April 3, 2018
Media called me for reaction on @SAfridiOfficial tweet on OUR Kashmir & @UN. What’s there to say? Afridi is only looking for @UN which in his retarded dictionary means “UNDER NINTEEN” his age bracket. Media can relax, @SAfridiOfficial is celebrating a dismissal off a no- ball!!!
— Gautam Gambhir (@GautamGambhir) April 3, 2018
दिल्ली से चुनाव लड़ेंगे गंभीर!
तो ये तो लगभग तय लग रहा है कि पश्चिमी दिल्ली के राजेंद्र नगर में रहने वाले गौतम गंभीर राजनीति में आ सकते हैं और भाजपा में शामिल हो सकते हैं. अब सवाल ये उठता है कि वो चुनाव कहां से लड़ सकते हैं? अगर दिल्ली की राजनीति के इतिहास पर नजर डाली जाए तो ये देखने को मिलता है कि दिल्ली को बदलाव पसंद है. बदलाव के लिए ही दिल्ली ने केजरीवाल को सत्ता थमा दी. भाजपा ने दिल्ली एमसीडी में सालों तक कोई खास काम नहीं किया, लेकिन जब भाजपा ने बदले हुए चेहरों पर नए वादों के साथ दोबारा चुनाव लड़ा तो दिल्ली ने उन्हें दोबारा सर आंखों पर बिठा लिया.
दिल्ली में बिजली, पानी, सड़कें... सारी मूलभूत सुविधाएं मौजूद हैं. यहां चुनाव लड़ने का सबसे बड़ा आधार है चेहरा. केजरीवाल का कार्यकाल भी आधे से अधिक बीत चुका है, लोग उनसे भी खुश नहीं दिख रहे हैं. यानी अगर कोई नया चेहरा सामने आता है, भले ही वह किसी भी पार्टी का हो, बशर्तें लोगों को पसंद हो, तो जीत ही जाएगा.
जल्द ही 2019 के लोकसभा चुनाव होने वाले हैं. दिल्ली में लोकसभा की सातों सीटों पर भाजपा का ही कब्जा है. अब अगर दोबारा भाजपा जीतना चाहती है तो वह बेशक इन सीटों पर नए चेहरों को कुछ नए वादों के साथ उतारेगी, जैसा दिल्ली की एमसीडी में किया था. ऐसे में अगर भाजपा के टिकट पर गौतम गंभीर 'पश्चिमी दिल्ली' लोकसभा सीट से चुनाव लड़ लें, तो उनके जीतने के चांस बहुत अधिक हैं. गंभीर को तो घर-घर जाकर हाथ जोड़कर वोट भी नहीं मांगने होंगे. जिस घर में जाकर वह ऑटोग्राफ दे दें और एक कप चाय भी पी लें, वहां तो घर के सारे लोग कमल के फूल वाला बटन ही दबाएंगे.
इसके अलावा, अगर गंभीर के अतीत पर नजर डालें तो ये देखने को मिलता है कि वह भाजपा नेताओं के लिए चुनाव प्रचार भी कर चुके हैं. 2014 में तो अरुण जेटली के पक्ष में चुनाव प्रचार के लिए वह अमृतसर तक चले गए थे. यूं तो दिल्ली की सियासत पर नजर रखने वाले विशेषज्ञ कुछ भी साफ-साफ कहने से बचते हुए यही कह रहे हैं कि अभी ये कहना जल्दबादी होगी कि गंभीर राजनीति में आएंगे या नहीं, लेकिन राजनीति के विकल्प को वह दरकिनार भी नहीं कर रहे हैं.
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