जॉर्ज फर्नांडिस आज सक्रिय होते तो 'देश-द्रोही' कहे जाते
1967 से 2004 तक 9 लोकसभा चुनाव लड़ने वाले जॉर्ज फर्नांडिस आज होते तो उन्हें देश में विश्वास न होने का आरोप झेलना पड़ता और हो सकता था कि कोई उन पर चप्पल उछाल देता या मुंह पर कालिख मल देता.
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आज के दौर में जब सरकार-भक्ति ही देश-भक्ति बनती जा रही है तब जॉर्ज फर्नांडिस ने ये कदम उठाया होता तो देशद्रोही करार दिए जाते. जॉर्ज फर्नांडिस ने भारत सरकार के खिलाफ खुले आम अमेरिका की जासूसी संस्था सीआईए और फ्रांस सरकार से भारत सरकार के खिलाफ मदद मांगी थी. विकिलीक्स के दस्तावेजों के मुताबिक, आपातकालीन विरोधी आंदोलन के तहत, जॉर्ज फर्नांडिस सरकारी संस्थानों को डायनामाइट से उड़ाना चाहते थे. अमेरिका विरोध के बाद भी 1975 में जॉर्ज फर्नांडिस ने कहा था कि वे इसके लिए सीआई से भी धन लेने के लिए तैयार हैं. दिल्ली से प्रकाशित होने वाले अंग्रेजी दैनिक द हिन्दू ने यह खबर प्रकाशित की थी.
1967 से 2004 तक 9 लोकसभा चुनाव लड़ने वाले फर्नांडिस आज होते तो उन्हें देश में विश्वास न होने का आरोप झेलना पड़ता और हो सकता था कि कोई उन पर चप्पल उछाल देता या कालिख मल देता.
जॉर्ज फर्नांडिस का नाम कई विवादों में आया था
भारत सरकार के खिलाफ सीआईए से मदद मांगी
विकिलीक्स ने बाकायदा खुलासा किया था कि पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस ने अपातकाल के दौरान अमेरिकी खुफिया एजेंसी 'सीआईए' और फ्रांस सरकार से आर्थिक मदद मांगी थी. जॉर्ज फर्नांडिस उस समय भूमिगत थे और सरकार विरोधी आंदोलन चला रहे थे. अचरज की बात ये है कि इस दौर में सबसे ज्यादा देश भक्ति की बात करने वाली बीजेपी जॉर्ज फर्नांडिस की सबसे निकट सहयोगी रही है.
1975 में तात्कालिक प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जब आपातकाल लगाया तो इसके विरोध में सभी पार्टियों ने देशभर में आंदोलन छेड़ दिया. जॉर्ज फर्नांडिस उस समय मजदूर नेता के रूप में उभरे थे. वे अमेरिकी सम्राज्यवाद और विदेशी पूंजी के घोर विरोधी रहे. लेकिन उन्होंने ही गुप्त रूप से सीआईए से मदद मांगी. ये बात बाद में विकीलीक्स के ज़रिए खुलकर समाने आ गई.
केंद्र सरकार को गिराने के लिए फ्रांस से मांगी मदद
द हिन्दू के मुताबिक, आपातकाल के विरोध में जॉर्ज तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार को गिराने के लिए आंदोलन चला रहे थे. विकिलीक्स के दस्तावेजों के मुताबिक, इस सिलसिले में उन्होंने फ्रांस सरकार के लेबर अटैशे मैनफ्रेड तरलाक से मुलाकात की थी और उनसे आर्थिक मदद मांगी थी. फर्नांडिस ने शुरुआत में तरलाक के जरिए फ्रांस सरकार से मदद मांगी थी.
हालांकि फ्रांस ने मना कर दिया, इसके बाद उन्होंने तरलाक से कहा था कि वे सीआईए से इस बारे में बात करें. तब तरलाक ने उन्हें कहा था कि वे सीआईए में किसी को नहीं जानते.
जिद के कारण टूट गई सबसे बड़ी हड़ताल
1960 और 70 के दशक में मजदूर यूनियन के सबसे बड़े नेता की पहचान बन गई. बाद में इसी शख्स ने देश में सबसे बड़ी हड़ताल कर तहलका मचा दिया. बात 1974 की है, जब जॉर्ज फर्नांडिस ऑल इंडिया रेलवे मैन फेडरेशन के अध्यक्ष थे. उस दौरान उन्होंने रेलकर्मियों की मांगों को लेकर सबसे बड़ी हड़ताल कराई थी. उनकी मांगें पूरी नहीं की जा सकती थीं और जॉर्ज झुकने को तैयार नहीं हुए. श्रीपाद डांगे की सीपीआई की यूनियन एटक के हाथ से जॉर्ज ने आंदोलन बड़ी बड़ी मांगें करके अपने हाथ में ले लिया और जो सबसे बड़ी हड़ताल थी वो सबसे असफल हड़ताल भी बनी क्योंकि मज़दूरों की मांगें पूरी नहीं हो सकीं. जिससे 15 लाख से अधिक रेलकर्मियों के शामिल होने से मानो देश ही ठहर गया था. 30000 मज़दूर गिरफ्तार हुए लेकिन अति उत्साह में जॉर्ज ने हर समझौते से इनकार कर दिया. हारकर हड़ताल वापस लेनी पड़ी क्योंकि नेताओं में भी अलग अलग राय उभरकर आने लगी.
जॉर्ज ने रेलकर्मियों की मांगों को लेकर 1974 में सबसे बड़ी हड़ताल कराई थी
तहलका में फंसे
फर्नांडीजस एनडीए और बीजेपी के साथ गहरे जुड़े रहे. जब वो रक्षा मंत्री थे तो तहलका कांड हुआ. जॉर्ज फर्नीडीज़ की सहयोगी जया जेटली भी इस स्टिंग में दिखाई दीं. जॉर्ज रक्षा मंत्री थे और हथियार खरीदी पर आधारित स्टिंग ऑपरेशन के बाद जॉर्ज से जबरदस्ती रक्षामंत्री पद से इस्तीफा लिया गया.
बराक मिसाइल घोटाला
10 अक्टूबर 2016 को जॉर्ज फर्नांडिस के खिलाफ बाकायदा डिफेंस घोटाले की एफआईआर दर्ज हुई. जॉर्ज के साथ इस मामले में जया जेटली और और एडमिरल सुशील कुमार का भी नाम आया. इनके खिलाफ मुकदमा चला. ये खरीद सन 2000 में हुई थी. जॉर्ज ने बाद मे राष्ट्रपति बने अब्दुल कलाम का नाम भी आया. जॉर्ज ने कहा कि अब्दुल कलाम राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार थे और उन्होंने इस डील को हरी झंडी दी थी.
पोखरन धमाका
1998 में जॉर्ज फर्नांडिस के रक्षा मंत्री रहते ही पोखरन में परमाणु परीक्षण हुआ. 13 जनवरी को ये परीक्षण हआ और अगले ही दिन पाकिस्तान ने भी परीक्षण कर दिया. आरोप लगा कि भारत के पास पहले से ही सारी जानकारी थी लेकिन भारत ने पोखरण दो सिर्फ इसलिए किया ताकि पाकिस्तान को अपना धमाका करने का मौका मिल सके. हालांकि ये बयान भी दूसरे राजनीतिक बयानों की तरह नकार दिया गया.
ताबूत घोटाला
2002 में हुए ताबूत घोटाले में भी जॉर्ज फर्नांडिस पर आरोप लगे. ये ताबूत भी अमेरिका से खरीदे गए. आरोप लगा कि इन ताबूतों को लिए 13 गुना ज्यादा कीमत तय की गई. ये ताबूत सैनिकों के शव लाने ले जाने के लिए कारगिल युद्ध के बाद खरीदे गए थे.
जो भी हो जॉर्ज के व्यक्तित्व के ये पहलू जाने बगैर उन्हें याद करना अधूरा ही रहेगा. जॉर्ज जब भी याद किए जाएंगे इन विवादों के साथ ही याद किए जाएंगे.
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