जम्मू कश्मीर में चुनी हुई सरकार से बेहतर रिजल्ट दे रहे हैं राज्यपाल
जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन के चलते सबसे बड़ा फर्क जो ज़मीन पर दिख रहा है वह है आम लोगों का राज्यपाल शासन पर भरोसा. क्योंकि राज्यपाल शासन के साथ ही जम्मू कश्मीर में विकास के कामों में तेजी आने लगी है.
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जम्मू कश्मीर में पीडीपी भाजपा गठबंधन सरकार में 19 जून को भाजपा के समर्थन वापसी के साथ ही जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन शरू हो गया था. एक महीने से ज्यादा समय गुजर गया और घाटी में गवर्नर रूल के साथ ही हालात में बेहतरी दिखने लगी है.
जहां एक तरफ पत्थरबाज़ी की घटनाएं कम हो गई है वहीं कश्मीर में हड़ताल और प्रदर्शनों में भी कमी दिख रही है. जम्मू कश्मीर के राज्यपाल एनएन वोहरा ने दो दिन पहले ही एक खास मुलाकात के दौरान आजतक से कहा कि वह फिलहाल जम्मू कश्मीर में अपने प्रशासन के कामकाज से संतुष्ट हैं.
जम्मू कश्मीर के राजयपाल ने जब जम्मू कश्मीर की बागडोर संभाली, अमरनाथ यात्रा में कुछ ही दिन बचे थे और उनके लिए सब से बड़ा इम्तिहान अमरनाथ यात्रा को सफल तरीके से अंजाम तक पहुंचाना था, जिसमें फिलहाल वह सफल रहे, अभी तक अमरनाथ यात्रा का आधा समय बीत चुका है और 2.5 लाख श्रद्धालु अमरनाथ यात्रा कर चुके हैं.
राज्यपाल शासन के बाद जम्मू कश्मीर में पत्थरबाज़ी, हड़ताल और प्रदर्शनों में भी कमी दिख रही है
एनएन वोहरा मानते हैं कि इस साल अमरनाथ यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या कम रही लेकिन उसका कारण वह कश्मीर में हो रहे खराब मौसम को ही मान रहे हैं और यह हकीकत भी है. अभी तक चली 26 दिन की अमरनाथ यात्रा में 6 दिन मौसम के कारए यात्रा पूरी तरह बंद करनी पड़ी.
जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन के चलते सबसे बड़ा फर्क जो ज़मीन पर दिख रहा है वह है आम लोगों का राज्यपाल शासन पर भरोसा. क्योंकि राज्यपाल शासन के साथ ही जम्मू कश्मीर में विकास के कामों में तेजी आने लगी है.
राज्यपाल ने लोगों के साथ संपर्क साधने के लिए गवर्नर ग्रीवेंस सेल का गठन किया है जिसमें आम लोग अपनी शिकायत कर सकते हैं और उसकी निगरानी खुद राज्यपाल करते हैं. लोगों की शिकायत पर करवाई भी तेज़ी से होती है और इसका जवाब शिकायतकर्ता तक भी पहुंचता है.
जम्मू कश्मीर के राजयपाल किसी सोशल मीडिया पर नहीं थे लेकिन अब उन्होंने ट्विटर के जरिये भी लोगों के जोड़ना शुरू किया है, जम्मू कश्मीर में पहले भी कई सरकारी नियुक्तियों पर रह चुके राज्यपाल को अपने अनुभवों से भी फायदा मिल रहा है. और कई लोगों का यह कयास कि जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन के चलते हालात बेहतर हो सकते हैं फिलहाल सही साबित हो रहा है.
जम्मू कश्मीर के राजयपाल भले ही 76 साल की उम्र के हों लेकिन इस उम्र में भी वह जिस तरह एक युवा की तरह मेहनत करते हैं और हर मामले में अपनी निगरानी रखते हैं वह खासियत उन्हें और भी सफल बना रही है. शायद यही वजह है कि कई बार अपनी बढ़ती उम्र के चलते सरकार से रिटायरमेंट मांगने वाले जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल एनएन वोहरा पर एक बार फिर केंद्र सरकार भरोसा कर रही है.
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