अमरनाथ यात्रियों की ये वायरल तस्वीर कश्मीर का सच सामने ले आई
जहां एक ओर लोग इसका विरोध कर रहे हैं तो वहीं बहुत सारे लोगों ने एक अलग ही तस्वीर सामने रख दी. एक ट्विटर यूजर ने श्रीनगर में जगह-जगह लगे कूड़े के ढेर और उससे आने वाली बदबू का मुद्दा उठा दिया.
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अमरनाथ यात्रा पर गए श्रद्धालुओं की एक तस्वीर इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है, जिसमें वो डल झील के किनारे पेशाब करते नजर आ रहे हैं. यात्रियों द्वारा घाटी के लिए दिखाए गए इस तरह के रवैये पर कश्मीरी लोगों ने अपना दुख बयां किया है- श्रद्धालुओं ने झील के किनारे को खुला शौचालय बना दिया. ट्विटर और फेसबुक पर कश्मीरी लोगों ने इन श्रद्धालुओं का मजाक उड़ाते हुए कहा है कि इन लोगों को इतनी भी समझ नहीं है कि वह स्थानीय लोगों से यह पूछ सकें कि शौचालय कहां है.
एक कश्मीरी कारोबारी मोहम्मद अफाक सईद ने यात्रियों की इस हरकत पर लिखा है- पवित्र गुफा की ओर जाने से पहले कश्मीर की डल झील में लोगों ने अपवित्रता को निकाल दिया है. इतना ही नहीं, अफाक ने झील के पास एक नाली में शौच कर रही महिला पर भी निशाना साधा है. उन्होंने लिखा है- 'रुकिए...यहां एक अबला नारी भी है जो बस के पीछे अपना राष्ट्रवाद दिखा रही है.' 'कश्मीर वल्लाह' मैगजीन के फाउंडर-कम-एडिटर फहाद शाह ने ट्वीट किया है- कश्मीर आने वाले पर्यटक और यात्री स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर के साथ ये कर रहे हैं.
This is what so called tourists or Yatris from mainland India, who bring so called economy, do to #Kashmir, the so called heaven! pic.twitter.com/xnY4SFQ1ii
— Fahad Shah (@pzfahad) July 1, 2018
एक कश्मीरी स्कॉलर बशरत अली ने लिखा है- भारतीय पर्यटक दुनिया में लोकप्रिय कश्मीर की डल झील के किनारे घास निकालने वाली जगह पर पेशाब कर रहे हैं.
इस तस्वीर ने कश्मीरी लोगों और सोशल मीडिया पर बैठे लोगों को स्वच्छ भारत अभियान की कमियों की ओर इशारा करने का मौका दिया है. इस तस्वीर के जरिए इस बात पर बहस हो रही है कि सरकार ने भले ही खूब बढ़ा-चढ़ाकर स्वच्छ भारत अभियान की तस्वीर पेश की हो, लेकिन उन्होंने वह बेसिक सुविधाएं तक मुहैया नहीं कराई हैं, जिसका इस्तेमाल करके खुले में शौच पर लगाम लगाई जा सके.
एक डिजिटल न्यूज पेपर 'द सिटिजन' की फाउंडर और एडिटर-इन-चीफ सीमा मुस्तफा ने कहा है- 'सरकार की योजना का इतना बढ़ा-चढ़ाकर प्रचार और शौचालय की बेसिक सुविधाएं तक नहीं दी गई हैं. ये सच है कि खुले में शौच करना उत्तर भारत की बीमारू (BIMARU) बेल्ट का काम है, जिसे दक्षिण के लोग भी फॉलो नहीं करते हैं.'
एक कश्मीरी पंडित सामाजिक कार्यकर्ता संजय पर्व ने भी यात्रियों की इस हरकत की आलोचना की है. उन्होंने लिखा है- 'हम यात्रियों का दिल से स्वागत करते हैं- उन्हें हमारे प्राकृतिक स्रोतों को गंदा नहीं करना चाहिए. इस तरह की हरकत करने वाले यात्रियों की सभी को निंदा करनी चाहिए. आपकी ये हरकत अपमानजनक, शर्मनाक और दयनीय है. आपने अन्य यात्रियों के लिए भी शर्मिंदा होने वाला काम किया है.'
जहां एक ओर लोग इसका विरोध कर रहे हैं तो वहीं बहुत सारे लोगों ने एक अलग ही तस्वीर सामने रख दी. एक इंटरनेट यूजर ने लिखा- आपने एक अच्छा मुद्दा उठाया है. एक बार श्रीनगर शहर में घूमिए और देखिए कि कहां-कहां बदबू आ रही है. वहां हर तरफ कूड़े के ढेर हैं, जिसमें पेशाब और पॉटी भी है. यात्रियों के खिलाफ आवाज उठाना तो लाजमी है, लेकिन हम खुद की आलोचना करना कब सीखेंगे और अपनी जमीन को नुकसान होने से बचाएंगे?
घाटी के ही माजिद असलम वफाई ने ट्वीट करते हुए कहा है- कुछ श्रद्धालुओं ने डल झील के किनारे पेशाब कर दिया तो इसे लेकर इतना हो-हल्ला क्यों हो रहा है? हम लाखों लीटर सीवेज का पानी डल झील में डाल रहे हैं, लेकिन उस पर कोई कुछ नहीं बोल रहा है.
इस तस्वीर को ट्विटर पर डालते हुए बहुत सारे कश्मीरी लोगों ने जम्मू-कश्मीर के गवर्नर एनएनवोहरा और कुछ अन्य वरिष्ठ ब्यूरोक्रेट्स को टैग भी किया है. उन्होंने गुजारिश की है कि डल झील के किनारे को खुला शौचालय बनाने से रोकने के लिए जरूर कदम उठाए जाएं.
(AFFAN YESVI का यह लेख DailyO से लिया गया है)
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