सुहाना खान की बिकिनी आखिर इस्लाम को कैसे खतरे में डाल सकती है?
शाहरुख खान की बेटी सुहाना खान ने बिकिनी पहन ली तो आखिर इससे पूरा धर्म कैसे खतरे में पड़ गया? कैसे एक इंसान के द्वारा की गई किसी छोटी सी चीज़ से पूरे इस्लाम को नुकसान पहुंच सकता है?
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शाहरुख खान की बेटी सुहाना खान के बिकनी पहनने पर मुस्लिम कट्टरपंथी भड़क गए हैं. सुहाना यूरोप में छुट्टियां मना रही हैं, अपने परिवार के साथ. उन्होंने इसी बीच इंस्टाग्राम पर अपनी बिकिनी पहने हुए एक फोटो शेयर की है. ये कोई नई बात नहीं है जो ऐसा हो रहा है. ट्रोल करने वालों में अधिकतर मुस्लिम हैं और उनके कमेंट्स देखकर लग रहा है कि वो इस्लाम को बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं.
कुछ समय पहले आमिर खान भी इसी तरह से ट्रोल हुए थे. अपनी बेटी के साथ खेलने आमिर खान अपने परिवार के साथ अच्छा वक्त बिताने की कोशिश कर रहे थे कि एक तस्वीर उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दी. उस तस्वीर में आमिर की बेटी ईरा आमिर के ऊपर बैठी हुई थीं. महीना रमज़ान का चल रहा था और लोगों ने आमिर को लानत भेजनी शुरू कर दी. लोगों ने उन्हें भी जहन्नुम भेज दिया था.
सुहाना ने ये फोटो इंस्टाग्राम पर शेयर की थी.
कुछ कमेंट्स में सुहाना खान के लिए इतने अपशब्दों का इस्तेमाल किया गया है कि उन्हें लिखने वालों के बारे में सोचकर ही घिन आती है. कोई छोटे आबराम के सामने ऐसे कपड़े पहनने के लिे मना कर रहे हैं, तो कुछ सुहाना को चीप कह रहे हैं.
सुहाना पर किए गए कमेंट्स का स्क्रीनशॉट
ये उन कमेंट्स के कुछ हिस्से हैं जो सुहाना के लिए कहे गए हैं. सुहाना के लिए कही जाने वाली बातों में और भी बहुत कुछ है. पर सुहाना को गाली देने वालों को हर बात पर चिढ़ क्यों हो रही है. अक्सर ऐसे मामलों में लोग इस्लाम को बीच में ले आते हैं, लेकिन क्या इस्लाम का वजूद इतना छोटा है कि वो इन छोटी-छोटी चीज़ों से खतरे में पड़ जाए? मुस्लिम होने पर भी लानत भेजी जा रही है सुहाना खान को, लेकिन क्या सिर्फ बिकिनी पहनने के कारण वो मुस्लिम नहीं रहीं? या फिर उनके पिता उन्हें हर तरह की इजाजत देते हैं तो वो मुस्लिम नहीं रहे और वो जहन्नुम जाने वाले हैं?
आखिर धर्म के ये नुमाइंदे ये क्यों भूल जाते हैं कि जो वो कर रहे हैं वो भी तो इस्लाम के खिलाफ ही है. आखिर वो ये क्यों भूल जाते हैं कि किसी भी धर्म में किसी भी कारण से किसी और को गाली देना या उसके बारे में अपशब्द कहना नहीं सिखाया जाता. आखिर जो लोग कमेंट कर रहे हैं वो ये क्यों भूल जाते हैं कि ऐसा करने से वो खुद इस्लाम के खिलाफ जा रहे हैं.
एक बात समझ से परे है कि अगर कोई व्यक्ति कुछ कर रहा है तो उससे पूरा इस्लाम कैसे खतरे में पड़ सकता है? आखिर कैसे हर छोटी-बड़ी चीज़ पर लोग इस्लाम को बीच में ले आते हैं. जो कमेंट्स किए गए हैं वो न सिर्फ सुहाना खान को बल्कि कमेंट पढ़ने वाले हर इंसान को ओछे लगेंगे. अगर इतनी छोटी-छोटी चीज़ों से इस्लाम को खतरा हो रहा है और सुहाना खान को जहन्नुम में जाना चाहिए तब तो ऐसे कमेंट्स करने वालों को भी जाना चाहिए.
सुहाना खान को बुरी नजर से देखने वालों को भी जाना चाहिए और उनसे भी इस्लाम खतरे में पड़ जाएगा. दरअसल, इस्लाम को इस तरह से पेश करने वाले खुद इस्लाम खतरे में डाल सकते हैं.
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