UPInvestorsSummit : हर बार की तरह यूपी के दिन तो अच्छे आए, लेकिन सिर्फ कागजों पर!
उत्तर प्रदेश में बड़े निवेश को आकर्षित करने के लिए उत्तर प्रदेश इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया जा रहा है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या इसके बाद उत्तर प्रदेश से बेरोजगारी वाकई दूर होगी या फिर ये समिट फाइलों में उलझ कर रह जाएगा.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा इन तीनों के लिए ही 21 फरवरी 2018 एक यादगार दिन रहेगा. इसकी वजह है, उत्तर प्रदेश में चल रही इन्वेस्टर्स समिट. इस समिट के मद्देनजर प्रधानमंत्री मोदी से लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ तक की यही राय है कि इसके बाद यूपी निवेश का एक बहुत बड़ा गढ़ बनने वाला है और राज्य में नौकरियों की अपार संभावनाएं रहेंगी. राज्य सरकार को उम्मीद है कि इन्वेस्टर समिट के जरिए उत्तर प्रदेश में 4 लाख करोड़ रुपए का निवेश होगा. सरकार द्वारा इसमें 1045 एमओयू पर दस्तखत किए गए हैं.
बताया जा रहा है कि इस समिट से उत्तर प्रदेश के लिए विकास के बंद दरवाजे खुलेंगे
बात अगर इस "महफ़िल" में लोगों की शिरकत की हो तो इसमें जापान, नीदरलैंड और मॉरीशस समेत 7 देश भी कंट्री पार्टनर के रूप में हिस्सा ले रहे हैं. साथ ही दो दिवसीय यूपी इन्वेस्टर्स समिट के दौरान 30 सत्रों का आयोजन किया गया. पहले सत्र को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संबोधित किया. उसके बाद रिलायंस इंडस्ट्रीज के मालिक मुकेश अंबानी का संबोधन हुआ. सत्र में उत्तर प्रदेश को मजबूत बनाने के लिहाज से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अपनी बात रखी. मुकेश अंबानी के अलावा आदित्य विक्रम बिड़ला समूह के अध्यक्ष कुमार मंगलम बिड़ला, अडानी समूह के अध्यक्ष गौतम अडानी के साथ महिंद्रा ग्रुप के अध्यक्ष आनंद महिंद्रा, टाटा संस के चेयरमैन एन.चंद्रशेखरन ने भी सत्र की शोभा बढ़ाई.
यूपी की इस इन्वेस्टर्स समिट में 7 अन्य देश हिस्सा ले रहे हैं
इनके अलावा टोरेंट समूह के सुधीर मेहता, कैडिला हल्थकेयर के अध्यक्ष पंकज पटेल, अरविंद मिल्स के एक्जेक्यूटिव डायरेक्टर कुलीन लालभाई, जेएसडब्ल्यू ग्रूप के चेयरमैन सज्जन जिंदल, एस्सेल समूह के अध्यक्ष सुभाष चंद्रा, जीएमआर समूह के अध्यक्ष जीएमआर राव सहित जानी-मानी हस्तियां भी इसमें शामिल हुईं और उत्तर प्रदेश को विकसित करने की बात की.
यानी पहली नजर में यूपी की इस इन्वेस्टर्स समिट को देखकर कोई भी सरकार के प्रयास पर लट्टू हो जाएगा, और तारीफों के पुल बांध देगा. उत्तर प्रदेश के लखनऊ में आज हो रही, और देश के बाक़ी हिस्सों में हो चुकीं इन इन्वेस्टर्स समिटों का यदि अवलोकन करा जाए तो मिलता है कि यहां भी वही बात लागू होती है कि "कथनी और करनी में एक भारी अंतर होता है." दिल्ली, आगरा, मुंबई, इंदौर आप किसी भी समिट को उठाकर देख लीजिये. बात शीशे की तरह साफ हो जाएगी कि जिस सरकार ने भी उन समिटों का आयोजन कराया, बातें तो खूब की मगर एक लम्बे समय बाद स्थिति जस की तस बनी हुई है और उन स्थानों के युवा आज भी बेरोजगारी की मार सह रहे हैं.
माना जा रहा है कि प्रदेश के विकास के लिए सीएम योगी की तरफ से उठाया गया ये एक बड़ा कदम है
प्रायः हम यही सुनते हैं कि फलां सरकार ने इतने करोड़ के निवेश की बात की. इतने एमओयू साइन किये. मगर डेटा की दृष्टि से जब इन पर गौर करा जाए तो मिलता है कि अब तक इसका नतीजा सिफर ही निकला है. चूंकि बात उत्तर प्रदेश के सन्दर्भ में हो रही है. वो उत्तर प्रदेश जहां की राजधानी में हो रही इस समिट के विषय में प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि यूपी में विकास की आपार संभावनाएं हैं. सीएम योगी ने यूपी को निराशा से निकाला है और यूपी में परिवर्तन दिखने लगा है. पीएम मोदी ने ये भी कहा है कि यूपी में बुनियाद तैयार हो चुकी है, जिस पर नए उत्तर प्रदेश की भव्य और दिव्य इमारत का निर्माण होगा.
UP mein buniyaad tayar ho chuki hai jis par naye Uttar Pradesh ki bhavya aur divya imaarat ka nirmaan hoga: PM Modi at #UPInvestorsSummit2018 in Lucknow pic.twitter.com/cojlB1hSOc
— ANI UP (@ANINewsUP) February 21, 2018
इन बड़ी बातों के बीच आइये आंकड़ों पर नजर डालते हैं. वो आंकड़े जो किसी भी व्यक्ति को हैरत में डालने के लिए काफी हैं. अप्रैल 11, 2017 को बिजनेस स्टैण्डर्ड में पीटीआई के हवाले से एक खबर छपी थी. इस खबर के अनुसार, बेरोजगारी के मामले में उत्तर प्रदेश ने सभी रिकॉर्ड तोड़ डाले थे और इस लिहाज से प्रदेश नंबर 1 था. पीटीआई ने अपनी उस खबर में केंद्रीय श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय की बात का जिक्र किया था. दत्तात्रेय ने लोक सभा में उत्तर प्रदेश के सन्दर्भ में कहा था कि उत्तर प्रदेश में बेरोजगारी का रेट शहरों में 6.5 प्रतिशत है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में ये दर 5.8 प्रतिशत है, जो बहुत अधिक है और एक गहरी चिंता का विषय है.
तो ऐसे में अगर कोई ये कहे कि यूपी इन्वेस्टर्स समिट के बाद उत्तर प्रदेश में नौकरियों की अपार संभावनाएं होंगी, प्रदेश के लड़के लड़कियां कमाने के लिए दिल्ली, मुंबई और बैंगलोर जैसे शहरों की तरफ पलायन नहीं करेंगे, यहां निवेशकों की बाढ़ आ जाएगी तो ये सब अभी कहना शायद जल्दबाजी की श्रेणी में रखा जाए.
"हम उत्तर प्रदेश सरकार को भरोसा दिलाते हैं कि प्रदेश में रोज़गार सजृन, कृषि, खाद्य प्रसंस्करण, कौशल विकास, जल प्रबंधन और प्राथमिक शिक्षा की दिशा में हम मिलकर काम करेंगे।" - श्रीमती शोभना कामनेनी, ईवीपी, अपोलो हस्पताल व प्रेजिडेंट, सीआईआई @FollowCII #UPInvestorsSummit @UPGovt
— UP Investors Summit (@InvestInUp) February 21, 2018
इस बीच राजधानी लखनऊ से एक बड़ी दिलचस्प खबर आ रही है. भले ही इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में निवेश और व्यापार को लेकर बड़ी-बड़ी बातें चल रही हों मगर इस इन्वेस्टर्स समिट पर कोई काला दाग न लगे और राज्य विशेषकर राजधानी की गरीबी किसी को न दिखे इसके लिए राज्य सरकार ने नगर निगम को निर्देशित किया है कि वो शहर भर में ठेले और खोमचे न लगने दे और यदि कोई दुकानदार ठेले व खोमचे लगाते पाया गया तो उसपर उचित कार्रवाई की जाए, उससे जुर्माना वसूला जाए और उसका ठेला या खोमचा जब्त कर लिया जाए.
इस समिट के मद्देनजर योगी सरकार का निर्देश है कि शहर की सड़कों पर ठेले न लगें
उत्तर प्रदेश में बड़े निवेशक जैसे टाटा, बिड़ला, अदाणी, जब आएंगे तब आएंगे मगर कुछ दिन बाद होली आ रही है और ऐसे में सरकार ने "गरीबी छुपाने" के नाम पर जो हथकंडा अपनाया है वो ये बताने के लिए काफी है कि अभी भी हमारे देश में आम आदमी के मद्देनजर विकास के सारे दावे झूठे और खोखले हैं.
अंत में हम अपनी बात खत्म करते हुए यही कहेंगे कि, जब तक प्रदेश का. खासतौर से प्रदेश के युवाओं का, कुछ हला भला नहीं होता. तब तक उत्तर प्रदेश की राजधानी में हो रही इस "इन्वेस्टर्स समिट" को क्यों न एक हाई प्रोफाइल गेट टुगेदर या फिर बड़ा इवेंट मान लिया जाए और दिल बहलाने का एक ख्याल मान कर इसे एन्जॉय किया जाए. ऐसा इसलिए क्योंकि जिस प्रदेश में आज भी 11 केवी की बिजली की लाइन को विकास माना जाता है वहां वर्चुअल विकास के ये बड़े-बड़े दावे जब तक कागजों से निकलकर सामने न आएं तब तक अच्छे दिनों की आस लगाना और कुछ कहना और समझना बेकार है.
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