गोपाल कांडा ने इतने ही कांड किए हैं तो वह सिरसा से जीता कैसे?
गोपाल कांडा की सिरसा से चुनावी जीत बता रही है कि उसके वोटर उन विवादित बाबाओं के भक्त की तरह हैं, जिन्हें नेशनल मीडिया की लानत-मलानत से कोई फर्क नहीं पड़ता.
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नेशनल मीडिया की नजर में गोपाल कांडा ताजा-ताजा विलेन हैं. हरियाणा लोकहित पार्टी के अध्यक्ष कांडा की हैसियत एक निर्दलीय विधायक से ज्याादा नहीं है. लेकिन उसने सभी निर्दलीय विधायकों की अगुवाई करते हुए बीजेपी के समर्थन का दावा क्या किया, बवाल हो गया. गीतिका शर्मा सुसाइड कांड का प्रमुख आरोपी गोपाल कांडा निशाने पर था. असल में भद तो बीजेपी की पिट रही थी कि वह कांडा से समर्थन ले कैसे सकती है? क्या पार्टी ने सेंगरों और नित्यानंदों को प्रश्रय देने की कोई नीति बना ली है?
फिलहाल बीजेपी को एक तरफ रखते हैं, और कांडा पर कंसन्ट्रेट करते हैं. 2009 में अधर में अटकी हरियाणा की कांग्रेस को कांडा ने ही कंधा देकर भूपेंदर हुड्डा की सरकार बनवाई थी. बदले में हुड्डा के इस करीबी मंत्री ने अपना करोबार तो फैलाया ही, काले कारनामे भी. कांडा की गाड़ी में गैंगरेप की खबर आई. फिर स्कैंडल बना कांडा की एयरलाइन कंपनी में कार्यरत गीतिका शर्मा के सुसाइड से. कांडा पर यौन शोषण का आरोप लगाकर जान देने वाली गीतिका की मौत की गुत्थी सुलझी भी नहीं थी कि गीतिका की मां ने भी कांडा पर गंभीर आरोप लगाते हुए जान दे दी. कांडा की क्राइम हिस्ट्री इन दो सुसाइड के अलावा कई जालसाजी के कारनामों से भी सजी है.
गीतिका शर्मा सुसाइड कांड का प्रमुख आरोपी गोपाल कांडा ने बिना किसी शर्त के भाजपा को समर्थन देने की घोषणा की
...तो सवाल उठता है कांडा यदि इतना ही बड़ा गुनाहगार है तो वह चुनाव कैसे जीतता है?
गोपाल कांडा को दिल्ली की राजनीति में भले ही विलेन की तरह पेश किया गया हो, लेकिन सिरसा में कांडा ब्रदर्स का जलवा जरा दूजी तरह का है. गोपाल और गोविंद कांडा यहां किसी रॉबिनहुड की तरह हैं. इसकी कहानी शुरू होती है सिरसा के तारा बाबा की कुटिया से. वो आश्रम जहां कांडा के सभी कथित पाप हजारों भक्तों की नजर में बेमानी हो जाते हैं. माना जाता है कि गोपाल कांडा पर तारा बाबा की कृपा है. और कहा जाता है कि कांडा ही बाबा के उत्तराधिकारी हैं. यानी समझ लिया जाना चाहिए कि आश्रम आने वाले हजारों भक्तों के लिए कांडा की कीमत क्या होगी. याद कर लीजिए, बाबा राम रहीम भी सिरसा के ही हैं.
हर बड़े तीज त्यौहार पर कांडा परिवार तारा बाबा कुटिया में कई तरह के आयोजन करता है, जिसमें गरीबों का नि:शुल्क इलाज, मेडिकल चेकअप, हर आने जाने वाले के लिए मुफ्त 24 घंटे चलने वाला लंगर. इसके अलावा जगराते, भंडारे व अन्य कई धार्मिक आयोजन. सामाजिक कार्यों जैसे अनाथ आश्रम, वृद्ध आश्रम, गौशालाओं की मदद भी गोपाल कांडा की दयालु छवि मजबूत करते हैं. मानो कोई दानवीर.
लोगों को यह भी पता है कि कांडा परिवार के पास पैसा, गोवा में चलने वाले कैसीनो जैसे बिजनेस से आता है. जी हां, गोवा के आलीशान बिग डैडी कसीनो से आने वाली कई सौ करोड़ रु. की कमाई से थोड़ा अंश निकाल कर कांडा श्रद्धालुओं को साधते हैं, और बदले में उन्हें वोट मिलते हैं. जहां तक अपराधों की बात है तो कांडा पर कोई भी आरोप लोकल नहीं है. यानी वोटरों को ज्यादा सरोकार नहीं है. उन्हें यह पता है कि गोपाल कांडा का रसूख और रुतबा ही उनकी मदद करेगा. कोई आम चलता-फिरता नेता नहीं.
गोपाल कांडा ने 602 वोटों के अंतर से यह चुनाव जीता
लोगों की इस सोच का नतीजा भी देख लीजिए. सिरसा विधानसभा सीट पर 19 उम्मीदवार मैदान में थे. कुल 1.41 लाख वोट डाले गए. जिसमें गोपाल कांडा को 44,915 और निर्दलीय उम्मीदवार गोकुल सेतिया को 44,203 वोट मिले. गोपाल ने 602 वोटों के अंतर से यह चुनाव जीता. गोपाल कांडा के अपराधों को लेकर नैतिकता की बहस में उलझी बीजेपी और कांग्रेस का सिरसा में क्या हाल हुआ, जरा वो भी देख लीजिए. भाजपा उम्मीदवार को 30,000 और कांग्रेस उम्मीदवार को 10,000 ही वोट मिले. दोनों पार्टियों के वोटों को मिला भी लिया जाए, तो कांडा की लोकप्रियता ज्यादा मजबूत नजर आती है.
अपराधों की नजर से देखें तो 10 साल में कांडा ने एक पूरा 360 डिग्री चक्कर लगा लिया है. उसके जीवन में इतना कुछ घट गया है, जो किसी का भी सार्वजनिक जीवन खत्म करने के लिए काफी है. दो महिलाओं को आत्महत्या के लिए प्रेरित करने जैसे घृणित अपराध के आरोप में कांडा जेल जाता है. बाहर आता है. दोबारा अपनी राजनीति शुरू करता है, और फिर चुनाव जीत जाता है. तो इस दौरान भाजपा और कांग्रेस कहां रहती है? राजनीति में शुचिता सिर्फ अपराधी नेताओं को कोसने से ही नहीं आएगी. शुचिता वाली राजनीति करने से आएगी. भाजपा सांसद सुनीता दुग्गल कांडा को लेकर दिल्ली पहुंची हैं, तो मान लीजिए कि सिरसा में बीजेपी ने कांडा के आगे सरेंडर कर दिया है. कांडा आगे भी चुनाव जीतते रहेंगे. अगली बार पर्दे के आगे से ना सही, पर्दे के पीछे से ही पावर सेंटर बनने की क्षमता उनमें है ही.
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