लोहड़ी पर चीफ जस्टिस को कोई न्यू ईयर का कार्ड देने जाए तो कैसा लगेगा?
कोई कब किसे नए साल की शुभकामनाएं दे, इस पर सवाल नहीं उठाया जा सकता, लेकिन प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव का मुख्य न्यायाधीश को विवादों के बीच कार्ड देने जाना स्वाभाविक कैसे समझा जाए?
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सुप्रीम कोर्ट के चार जजों की प्रेस कांफ्रेंस के बाद हर तरफ हड़कंप मचा हुआ है. ऊपर से लेकर नीचे तक हर कोई अलग अलग तरीके से रिएक्ट कर रहा है. नेताओं के अपने पक्ष हैं - और कानून से लेकर अलग अलग फील्ड के विशेषज्ञों की अपनी अपनी दलील. राजनीतिक गतिविधियां भी काफी बढ़ गयी हैं.
सीपीआई नेता डी. राजा की जस्टिस चेलमेश्वर से मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा को मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के घर के पास देखे जाने की भी खूब चर्चा है. ऐसे वाकयों पर किसी को आश्चर्य हो न हो विवाद होने पर सफाई में जो बातें बतायी जा रही हैं वो काफी दिलचस्प है.
मौका लोहड़ी का मौका और...
जजों की प्रेस कांफ्रेंस के एक दिन बाद सोशल मीडिया पर नृपेंद्र मिश्रा का नाम ट्रेंड करने लगा. दरअसल, प्रधानमंत्री मोदी के प्रिंसिपल सेक्रेट्री मिश्रा को चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के घर के बार कार में बैठे देखा गया. जैसे ही समाचार एजेंसी ANI ने जब ये तस्वीर ट्विटर पर शेयर की तरह तरह के कयास लगाए जाने लगे.
Principal Secretary to PM, Nripendra Misra, seen outside Chief Justice of India Dipak Misra’s residence in Delhi. pic.twitter.com/5C2PVvO36T
— ANI (@ANI) January 13, 2018
जनता की अदालत में जजों के आने के मामले को लेकर केंद्र सरकार की ओर से साफ किया गया था कि वो इस मामले में दखल नहीं देगी. केंद्र सरकार का कहना रहा कि ज्युडिशियरी को खुद ही इस मामले को सुलझाना चाहिए. कानून राज्य मंत्री पीपी चौधरी ने कहा कि हमारी न्याय व्यवस्था को दुनिया भर में सम्मान के साथ देखा जाता है. उनका कहना था कि ये स्वतंत्र है और अपने मामले खुद सुलझा सकता है.
मंत्री के इस बयान के बार मान कर चला जा रहा था कि सरकार इस विवाद से खुद को अलग रखना चाहती है. अच्छी बात है, न्यायपालिका के लिए भी और सरकार के लिए भी. सबसे अच्छी बात तो ये लोकतंत्र के लिए है.
लेकिन जैसे ही मुख्य न्यायाधीश के घर के बाहर नृपेंद्र मिश्रा की कार में बैठी तस्वीर सामने आयी लोगों के कान खड़े हो गए. आखिर क्या वजह हो सकती है? एक तरफ तो सरकार कह रही है कि वो न्यायपालिका के मामले में दखल नहीं देगी और दूसरी तरफ प्रधानमंत्री मोदी के प्रधान सचिव चीफ जस्टिस के घर के बाहर कार में बैठे देखे जाते हैं?
खत्म तो नहीं हुआ विवाद...
अगर किसी को इस बात पर आश्चर्य हुआ हो तो अलग बात है, लेकिन इस बारे में जो बताया गया वो कहीं ज्यादा दिलचस्प है. नृपेंद्र मिश्रा का कहना है कि ऑफिस जाते समय वो चीफ जस्टिस के आवास के गेट पर नए साल का ग्रीटिंग कार्ड देने के लिए रुके थे.
वैसे तो इसमें कोई बात नहीं. हर किसी की अपनी व्यस्तता होती है और नए साल में तो जब भी जिसे मौका मिलता है शुभकामनाएं देता है. देर से ज्यादा दिलचस्प बात ये है कि एक जनवरी से 13 तारीख आ गयी - फिर तो नए साल के साथ साथ लोहड़ी की भी बधाई बनती है.
Aadhaar wishes you a happy and prosperous Lohri. #HappyLohri pic.twitter.com/9VqDair2FD
— Aadhaar (@UIDAI) January 13, 2018
Hearty wishes to everyone on the auspicious occasion of #Lohri. May this festival bring joy & happiness to you and your family.#HappyLohri to everyone! pic.twitter.com/6a8r0uIrTM
— Manohar Lal (@mlkhattar) January 13, 2018
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक नृपेंद्र मिश्रा की कार को चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के घर के बाहर करीब पांच मिनट तक खड़े देखा गया. खबर है कि मिश्रा का एक सहायक मुख्य न्यायधीश के कैंप ऑफिस गया और तुरंत ही वापस आ गया. इसके बाद नृपेंद्र मिश्रा की कार वहां से रवाना हो गई.
As PM’s Principal Secretary, Nripendra Misra visits CJI’s residence at 5, Krishna Menon Marg; PM must answer the reason for sending this special messenger to Chief Justice of India.
— Randeep S Surjewala (@rssurjewala) January 13, 2018
अभी विवाद खत्म हुआ तो नहीं लगता
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल को मालूम नहीं कैसे लग रहा था कि न्यायपालिका का ये ऐतिहासिक विवाद एक ही दिन में खत्म हो जाएगा. वेणुगोपाल ने कहा था कि सभी जजों के साथ मिल कर मामले को सुलझा लिया जाएगा - लेकिन जस्टिस चेलामेश्वर और चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की मुलाकात का कोई सीन नजर नहीं आया. एक खास बात और भी थी कि सवाल खड़े करने वाले चार जजों में से तीन दिल्ली से बाहर गए हुए बताए जाते हैं. जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद अटॉर्नी जनरल ने चीफ जस्टिस मिश्रा से मुलाकात की थी. वेणुगोपाल का कहना रहा कि कि मुख्य न्यायाधीश ने वादा किया है कि वो मीडिया में कुछ नहीं बोलेंगे. जस्टिस जे चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एमबी लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ ने मीडिया के सामने साथ आकर लोकतंत्र के खतरे में होने की आशंका जतायी थी.
चारों में से एक जस्टिस जोसेफ केरल में हैं और अपने पैतृक आवास पर उन्होंने कुछ मलयाली टीवी चैनलों से बातचीत में उम्मीद जतायी कि मामले को सुलझा लिया जाएगा. उन्होंने कहा - हम न्याय और न्यायपालिका के हित में खड़े हुए हैं और इससे ज्यादा मुझे कुछ नहीं कहना. अपने कदम से उन्होंने न्यायपालिका में पारदर्शिता आने की भी उम्मीद जतायी. जस्टिस जोसेफ ने इस बात से इंकार किया कि जनता के अदालत में आने के उनके फैसले से शीर्ष अदालत के अनुशासन भंग हुआ है.
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