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Updated: 29 मार्च, 2019 06:50 PM
श्रुति दीक्षित
श्रुति दीक्षित
  @shruti.dixit.31
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जब से पाकिस्तान में इमरान खान सरकार आई है तब से ही चीन और पाकिस्तान के नए रिश्तों की बात जोर-शोर से मीडिया की सुर्खियां बनी हुई हैं. पाक और चीन की ये दोस्ती कभी मसूद अजहर को बचा लेती है, तो कभी ये दोस्त यूएन में भारत को ही गलत साबित करने में लगे रहते हैं. ये दो दोस्त अब जय और वीरू की तरह हो गए हैं जहां एक की गलती दूसरे को दिखती ही नहीं है. तभी तो शायद इमरान खान ये नहीं जानते की उनके जिगरी दोस्त चीन में मुसलमानों के साथ क्या हो रहा है.

इमरान खान ने हाल ही में फाइनेंशियल टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में कहा है कि उन्हें ये जानकारी ही नहीं है कि चीन उइगर (Uyghur) मुसलमानों पर किस तरह से जुल्म ढा रहा है या कैसे चीन द्वारा उन्हें एंटी-इस्लामिक कैंप में भेजा जा रहा है क्योंकि उन्हें लगता है कि इस्लाम एक तरह की मानसिक बीमारी है.

 नसरफ का उत्तर बताता है कि पाकिस्तानी चीन के मामले में आंखें क्यों बंद कर लेते हैं.)इमरान खान को पता ही नहीं है कि चीन में उइगर मुसलमानों के साथ क्या हो रहा है.

चीन उइगर मुसलमानों के साथ क्या कर रहा है इसकी जानकारी 2018 में सामने आई थी. हज़ारों उइगर मुसलमानों को चीन के indoctrination camps (प्रशिक्षण कैंप) में भेज दिया जा रहा था और उनका कसूर सिर्फ इतना था कि वो मुसलमान थे. जहां पूरी दुनिया के मुसलमानों के लिए पाकिस्तान का दिल पसीजता है और खास तौर पर भारत के मुसलमानों की चिंता में पाकिस्तानी मंत्री दिन रात परेशान रहते हैं उसी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री अपने पड़ोसी चीन में मुसलमानों पर हो रहे अत्याचार के बारे में कुछ नहीं जानते.

भारत और पाकिस्तान के रिश्तों और चीन के उइगर मुसलमानों के बारे में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री की राय क्या है इसके बारे में ये वीडियो थोड़ा प्रकाश डालेगा.

ये पाकिस्तान का दोस्ती निभाने का तरीका है या फिर ये पाकिस्तान की मजबूरी है ये समझ नहीं आता. पर फिर भी इमरान खान इस बात को नजरअंदाज करने का रिस्क उठा सकते हैं. उनके इंटरव्यू से ऐसा लगता है कि वो नहीं चाहते कि चीन के खिलाफ कुछ भी बोलकर अपने लिए मुसीबत मोल लें.

भारत के मुसलमानों की बहुत चिंता पर बाकी कहीं नहीं-

अभी कुछ दिन पहले ही सुषमा स्वराज और पाकिस्तानी मंत्री चौधरी फवाद हुसैन के बीच ट्विटर में बहसबाज़ी हुई थी जिसमें चौधरी फवाद हुसैन की भारतीय मुसलमानों के लिए दरियादिली सामने आई थी. चौधरी फवाद हुसैन को अपने देश में मौजूद हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों की जानकारी हो न हो भारतीय सीमा के पार बैठे मुसलमानों की चिंता जरूर है.

ये हाल पाकिस्तान के लगभग हर मंत्री, नेता का है जिन्हें लगता है कि सिर्फ भारत ही एक ऐसा देश है जहां मुसलमानों पर अत्याचार हो रहे हैं. जब्कि सच्चाई इससे बिलकुल परे है और भारत में अल्पसंख्यकों को समान अधिकार हैं. पर बाकी देशों में क्या हो रहा है ये पाकिस्तान नहीं जानता.

दो महीने में भी इमरान खान नहीं पता लगा पाए उइगर के बारे में?

इमरान खान का सिर्फ यही एक इंटरव्यू नहीं है जिसमें वो उइगर मुसलमानों के बारे में जानकारी नहीं दे पा रहे हैं. दो महीने पहले The Newsmakers के इंटरव्यू में भी उन्होंने इसी तरह की बातें कही थीं.

इस पूरे वीडियो में सब तरह की बातें हैं. इमरान खान दुनिया के अन्य मुसलमानों की चिंता भी कर रहे हैं. इसे 17 मिनट तक देखने के बाद सवाल आता है उइगर मुसलमानों का जिनके बारे में इमरान खान फिर यही कहते हैं कि उन्हें इसके बारे में कुछ नहीं पता और उन्हें तो यही लगता है कि चीन में सब सही है.

200 उइगर की पत्नियों को ले जाया गया कैंप, लेकिन इमरान खान को जानकारी नहीं-

इमरान खान ने उइगर मुसलमानों को लेकर पाकिस्तान में हुए विरोध प्रदर्शन के बारे में भी कुछ नहीं कहा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि पिछले साल दिसंबर तक चीन में 200 उइगर मुसलमानों की पत्नियां गायब हो गई थीं और चीन में उइगर मुसलमानों के अत्याचारों के खिलाफ जो विरोध प्रदर्शन हुआ वो पाकिस्तान में भी किया गया. पर पाकिस्तानी पीएम को इसके बारे में भी नहीं पता कि विरोध प्रदर्शन भी किस तरह का हुआ था.

चीन के इन शैक्षणिक कैंपों में बेहद खराब हालात है उइगर मुसलमानों के. एक रिपोर्ट में ये बताया गया है कि शिंजिएन की 11.5 प्रतिशत आबादी लगभग इन कैम्प में है. जून 2017 में पब्लिश किया गया एक पेपर जिसमें कम्युनिस्ट पार्टी स्कूल की रिपोर्ट थी उसमें कहा गया था कि 588 डिटेन हुए लोगों को ये भी नहीं पता था कि उनके साथ ये क्यों किया जा रहा है, लेकिन जाते वक्त 98.8 प्रतिशत लोगों को उनकी गलती के बारे में पता था. इन कैम्प में डॉक्टल, वकील, टीचर सभी थे. 80 साल के बिजनेसमैन से लेकर बच्चे को दूध पिलाती मां तक सभी कोई.

डिटेन हुए लोगों में एक उईघुर जाती का सॉकर प्लेयर भी शामिल था. जो सिर्फ 19 साल का था और चीन की यूथ सॉकर टीम का हिस्सा. रेडियो फ्री एशिया के पत्रकारों के परिवारों तक को कैद कर लिया गया था. इनमें से दो रिपोर्टर मूल निवासी अमेरिका के थे और उन्हें लगता है कि रेडियो फ्री एशिया के लिए रिपोर्टिंग के कारण ही उन्हें डिटेन किया गया.

चीनी मुसलमानों की पत्नियों के बारे में जब पड़ताल की गई तो सीधा सा जवाब मिला कि उन्हें शैक्षणिक कैंपों में भेज दिया गया है.

पाकिस्तानी उइगर भी शर्मसार है चीन की हरकरत पर-

Quora पर एक पाकिस्तानी उइगर मुसलमान द्वारा इस सवाल का जवाब दिया गया है कि क्या पाकिस्तानियों को उइगर के बारे में जानकारी नहीं है. नसरफ शेरजनली फिलहाल अजरबैजान में रहते हैं और वो पाकिस्तानी उइगर हैं जिन्हें चीन में चल रहे कत्लेआम के बारे में पाकिस्तान से बाहर आकर ही पता चला.

 नसरफ का उत्तर बताता है कि पाकिस्तानी चीन के मामले में आंखें क्यों बंद कर लेते हैं.) नसरफ का उत्तर बताता है कि पाकिस्तानी चीन के मामले में आंखें क्यों बंद कर लेते हैं.)

नसरफ कहते हैं कि उन्हें लगता था कि पाकिस्तान और चीन दोस्त हैं, लेकिन जब उन्होंने तुर्की भाषा सीखी और उस देश में रहकर हालात देखे तब पता चला कि चीन पाकिस्तान को सिर्फ एक नौकर की तरह देख रहा है. साथ ही, अपने देश में उइगर मुसलमानों की जान ले रहा है. ये बेहद गंभीर बात है कि पाकिस्तान एक तरफ तो तुर्की और दूसरी तरफ चीन के साथ मिलकर पाकिस्तान उइगर मुसलमानों के कत्लेआम की साजिश भी रच रहा है.

जैसे ही इमरान खान का ये स्टेटमेंट सामने आया वैसे ही कई पाकिस्तानियो ने इमरान खान को आड़े हाथों लेना शुरू कर दिया.

सोशल मीडिया पर इमरान खान के खिलाफ पाकिस्तानी ही आवाज़ उठाने लगे हैं.

ऐसा नहीं है कि उइगर मुसलमानों के साथ हो रही समस्याओं की बातें या चीनी डिटेंशन कैंप की बातें किसी भी देश से छुपी हुई हैं. खुद यूएन के साथ एक उइगर महिला ने चीन के डिटेंशन कैंप में अपने साथ हुई ज्यादती के बारे में बताया जहां उसका एक बच्चा इसी कैंप का शिकार बन गया था.

चीन ने इस बारे में कोई भी बयान देने से मना कर दिया है, लेकिन कुछ अफसरों के मुताबिक ये जरूरी है ताकि इस्लामिक एक्ट्रीमिज्म को खत्म किया जा सके. विद्रोही मुसलमानों ने हज़ारों को मारा है पिथले कुछ सालों में और चीन इसे एक खतरे के तौर पर ले रहा है. इसे शांति स्थापित करने का एक तरीका मान रहा है उस जगह जहां अधिकतर लोग हैन चाइनीज (Han Chinese) हैं.

ये प्रोग्राम उन लोगों की सामाजिक, राजनीतिक सोच और इस्लामिक धारणाओं को मिटाने के लिए बनाया गया है. और उन्हें एक अलग जीवन देने के लिए बनाया है. पिछले एक साल में इन कैम्प की संख्या काफी बढ़ी है. इनमें न ही कोई कानूनी कार्यवाही होती है और न ही कोई पेपरवर्क. जो लोग डिटेन किए जाते हैं उनके साथ अलग-अलग तरह का व्यवहार होता है. मुस्लिम होने के कारण उन्हें हिरासत में लिया जा रहा है और उन्हें धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया जा रहा है. उन्हें अपने धर्म और अपने लोगों के प्रति नफरत पैदा करने, चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को धन्यवाद देने और शी जिनपिंग की लंबी उम्र की कामना करना सिखाया जा रहा है.

यही बयान मिरगुल ने यूएन के सामने दिया था.

पूरी दुनिया जानती है कि चीन की सरकार इस बारे में बहुत संवेदनशील है कि उन्हें एंटी इस्लामिक सोच को बढ़ावा देना है, लेकिन इमरान खान चीन के इतने करीब होने के बाद भी उस बारे में किसी भी तरह का कोई बयान देने से बच रहे हैं. इसे नसमझी से ज्यादा मजबूरी ही कहा जाएगा.

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लेखक

श्रुति दीक्षित श्रुति दीक्षित @shruti.dixit.31

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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