आंबेडकर के 'पेरियारीकरण' को रोकने के लिए तमिलनाडु में हिंदू संगठन ने गज़ब फॉर्मूला निकाला!
पुण्यतिथि के दिन तमिलनाडु में आंबेडकर की तस्वीर का भगवाकरण किया गया है. इंटरनेट पर जो तस्वीर वायरल हुई है उसमें आंबेडकर भगवा रंग में रंगे नजर आ रहे हैं वहीं उनके माथे पर टीका और भभूत लगी है. जिस हिंदूवादी संगठन ने ये कारनामा किया है उसने आंबेडकर राष्ट्रीय नेता बताया है.
-
Total Shares
6 दिसंबर दिन जो समर्पित है भारतीय संविधान के निर्माता बाबासाहब आंबेडकर को. ये दिन उनकी पुण्यतिथि के रूप में जाना जाता है. हर साल इस दिन देश के लाखों लोग अपने अपने तरीके से आंबेडकर को याद करते हैं. संगोष्ठियां होती हैं. विमर्श होता है और बताया जाता है कि क्यों आंबेडकर देश और संविधान के लिहाज से बहुत जरूरी हैं. तमाम राज्यों और शहरों की तरह आंबेडकर अपनी पुण्यतिथि के दिन तमिलनाडु में भी याद किये गए लेकिन बवाल हो गया है. होता भी क्यों न आंबेडकर का भगवाकरण जो हुआ है. मामले में दिलचस्प ये रहा कि, वो संगठन जिसने आंबेडकर के साथ ये सुलूक किया. उसका ये कहना है कि चूंकि आंबेडकर एक राष्ट्रीय नेता हैं. इसलिए लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से ऐसा किया गया है.
हिंदूवादी संगठन द्वारा आंबेडकर को भगवा किये जाने ने दलित विचारकों को बेचैन कर
जिक्र तमिलनाडु से आई आंबेडकर की विवादित फोटो का हुआ है तो बताते चलें कि तस्वीर में आंबेडकर भगवा रंग में रंगे नजर आ रहे हैं वहीं उनके माथे पर टीका और भभूत लगी है. फोटो ने तमिलनाडु में जहां एक तरफ राजनीतिक सरगर्मियां तेज की हैं. तो वहीं तमाम दलित विचारक और चिंतक भी आंबेडकर के इस रूप को देखकर हैरान हो गए हैं.
मामले की जब जांच हुई तो पता चला कि ये सारा किया धरा तमिलनाडु से जुड़े हिंदू राइट विंग ग्रुप हिंदू मक्कल काची का किया हुआ है.
Tamil Nadu | A poster showing BR Ambedkar in saffron clothes purportedly put by Indu Makkal Katchi on Ambedkar's death anniversary in Kumbakonam"Ambedkar is a national leader," says Indu Makkal Katchi founder Arjun Sampath. pic.twitter.com/meqLtlrhsF
— ANI (@ANI) December 6, 2022
विदुथलाई चिरुथिगल काची के नेता और सांसद तोलकाप्पियन थिरुमावलवन ने आंबेडकर की इस तस्वीर को एक बड़े मुद्दे की तरह पेश किया है और कहा है कि हिंदूवादी संगठन ने भगवाकरण करके आंबेडकर को नीचा दिखाने का प्रयास किया है.
#சனாதன சங்கத்துவ வர்ணாஸ்ரம பாகுபாடுகளை- பார்ப்பனீய மனுஸ்மிருதி மேலாதிக்கத்தை- தன் இறுதிமூச்சு வரையில் மூர்க்கமாக எதிர்த்து 10இலட்சம் பேருடன் இந்து மதத்திலிருந்து வெளியேறி மதவெறியர்களின் பல்லைப் பிடுங்கிய புரட்சியாளர் அம்பேத்கர் அவர்களை இழிவுபடுத்தும் மதவாத மனநோயாளிகளை மிக (1/2).. pic.twitter.com/PINQVC4hlx
— Thol. Thirumavalavan (@thirumaofficial) December 6, 2022
फोटो को ट्वीट करते हुए थिरुमावलवन ने लिखा है कि भले ही इस तस्वीर के जरिये आंबेडकर का भगवाकरण किया गया हो लेकिन ये आंबेडकर ही थे जिन्होंने सदैव विष्णु या ब्रह्मा की पूजा का विरोध किया और इससे इंकार किया. अपने ट्वीट में थिरुमावलवन ने ये भी मांग की कि जिन धार्मिक कट्टरपंथियों ने भीमराव आंबेडकर जैसी हस्ती के साथ ऐसा घिनौना मजाक किया उसपर तुरंत एक्शन लिया जाना और गिरफ्तार किया जाना चाहिए.
வன்மையாகக் கண்டிக்கிறோம். சிவன், விஷ்ணு, பிரம்மா முதலிய கடவுள்களை வணங்கமாட்டேன் என உறுதிமொழியேற்ற புரட்சியாளர் அம்பேத்கருக்கு பட்டை-குங்குமமிட்டு காவி உடைபோட்டு அவரை அவமதித்துள்ள மதவாதப் பித்தர்களைக் கைதுசெய்ய வேண்டுமென தமிழக அரசுக்கு #விசிக சார்பில் வேண்டுகோள் விடுக்கிறோம். pic.twitter.com/ww2Ob2ppNu
— Thol. Thirumavalavan (@thirumaofficial) December 6, 2022
क्योंकि पुण्यतिथि के दिन इस विवाद का श्री गणेश हिंदू मक्कल काची ने किया था जब उनसे बात की गई तो उन्होंने ये कहकर दलित विचारकों को और परेशान कर दिया कि आंबेडकर भगवा प्रेमी थे.
On the death anniversary of Dr BR Ambedkar, a poster by Hindu Makkal Katchi in Tamilnadu.The poster tactically says "Let's celebrate the legacy of the saffron leader"We strongly condemned this! pic.twitter.com/SKjPUsvZgu
— Yuvraj Mohite (@mohiteyuvraj1) December 6, 2022
इस कथन के पीछे का लॉजिक देते हुए हिंदू मक्कल काची की तरफ से ये भी कहा गया कि आंबेडकर भगवा प्रेमी थे क्योंकि उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया था, जिसका प्रतीक भगवा है. सांसद थिरुमावलवन पर बड़ा हमला करते हुए संगठन का ये भी कहना है कि थिरुमावलवन और उन जैसे अन्य लोगों द्वारा आंबेडकर को पेरियाराइज करने की कोशिश लगातार हो रही है जिसे वो लोग कभी कामयाब नहीं होने देंगे.
ध्यान रहे कि अगर तमिलनाडु में आंबेडकर को लेकर राजनीति गरमाई है तो ये यूं ही बेवजह नहीं है. तमिलनाडु की राजनीति में कास्ट फैक्टर हमेशा ही एक प्रमुख मुद्दा रहा है और साथ ही पूर्व में तमाम मौके ऐसे भी आए हैं जब तमिलनाडु में दलितों और ऊंची जातियों के बीच संघर्ष देखा गया है.
ऐसे में अगर हिंदू मक्कल काची जैसा संगठन आंबेडकर को एक राष्ट्रीय नेता बता रहा है. तो हमें इस बात को समझना होगा कि इसका एकमात्र उद्देश्य हिंदू वोटर्स को संगठित करना है. हिंदू मक्कल काची समेत तमिलनाडु के तमाम दक्षिणपंथी संगठन अपने मकसद में कामयाब होते हैं या नहीं इसका जवाब तो वक़्त की गर्त में छिपा है. लेकिन जैसा मौजूदा माहौल है इतना तो साफ़ है कि आंबेडकर के नाम पर इस मुहीम को हिंदूवादी संगठन देश भर में ले जाएंगे.
भारतीय राजनीति में जैसी भूमिका आंबेडकर की रही है जितना ये विवाद बढ़ेगा उतना फायदा हिंदू वादी संगठनों को होगा.
ये भी पढ़ें -
गुजरात चुनाव में पीएम मोदी की लड़ाई कांग्रेस-आप से नहीं, 'मोदी' से थी, और उन्होंने टॉप किया!
अभी तो नतीजे भी नहीं आए, फिर ईवीएम और प्रशासन को दोषी क्यों ठहराने लग पड़े हैं अखिलेश यादव
2024 बाद की बात है - अभी तो गुजरात में मोदी बनाम केजरीवाल ही नजर आ रहा है
आपकी राय