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Updated: 18 अक्टूबर, 2019 04:11 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
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आजम खान और जयाप्रदा के बीच की तल्खियां किसी से छिपी नहीं हैं. पिछले आम चुनावों में आजम खान ने जया प्रदा पर जिस तरह की ओछी टिप्पिणियां कीं उसके बाद आजम खान ने कम से कम महिलाओं की निगाहों में अपनी इज्जत मिट्टी में मिला ली. और जो थोड़ी बहुत बची थी, वो लोकसभा में पूरी हो गई जब तीन तलाक बिल पर चर्चा के दौरान उन्होंने बीजेपी सांसद रमा देवी पर टिप्पणी की थी. महिलाओं को लेकर उनकी अभद्रता को देखते हुए यही कहा जा सकता है कि आजम खान भले ही राजनीति करने की जगह बदल लें लेकिन अपनी फितरत नहीं बदल सकते. और ऐसे में जब वो पब्लिक के सामने आंसू बहाते हैं तो वो सिर्फ पानी नजर आता है, आप उन्हें 'घड़ियाली आंसू' भी कह सकते हैं.

jaya prada azam khanआजम खान के आंसुओं पर जया का बयान लाजिमी है

दरअसल आजम खान की पत्नी तजीन फातिमा को रामपुर से उपचुनाव के लिए सपा प्रत्याशी बनाया गया है. और आजकल आजम खान अपनी पत्नी को जिताने के लिए चुनावी सभाएं संबोधित कर रहे हैं. कहा जा रहा है कि रामपुर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए आजम खान भावुक हो गए. मीडिया में आजम खान के आंसुओं पर फोकस किया गया और जनता को आजम खान लाचार और दुखी नजर आए.

आजम खान के भाषण में 'इमोशन' होना, स्टाइल है !

लेकिन अगर आप आजम खान के भाषण सुनते हैं तो पाएंगे कि अपने भाषण में इमोशनल एंगल से बातें करना, खुद को मजबूर और पीड़ित दिखाना, उनका स्टाइल है और ऐसे में जब वो अपना चश्मा उतारकर आखों पर उंगलियां ले जाते हैं तो सामने बैठी जनता को यही गुमान हो ता है कि बंदा इमोशनल हो गया.

आजम खान रैली में बीजेपी पर निशाना साधकर अपने परिवार पर हुए मुकदमों पर दुख जाहिर कर रहे थे. वो बता रहे थे कि उनपर कितने जुल्म किए जा रहे हैं. बकरी चोरी तक के मुकदमा उन्हें लगता है कि जनता की सहानुभूति से उन्हें वोट मिल जाएंगे. वैसे देने वाले देंगे भी लेकिन ज्यादातर ऐसे हैं जिनपर उनके इस ढोंग का कोई फर्क नहीं पड़ता. क्योंकि आंसू बहाना आजम खान के लिए कोई नई बात नहीं है. इससे पहले भी आजम खान कई बार जनता के सामने रोते देखे गए हैं.

लेकिन किसी भी चुनाव में मायने सिर्फ जीत रखती है. जिसे पाने के लिए नेता महिलाओं पर भी कीचड़ उछालते हैं, अपशब्द कहते हैं और तो और फूटफूटकर रोते भी हैं. हैरानी होती है कि महिलाओं के लिए अश्लील टिप्पणी करने वाले लोग जब लोगों के सामने दो आंसू बहा देते हैं तो लोग उनके लिए कहते हैं कि 'आजम तुम संघर्ष करो हम तुम्हारे साथ हैं.'

आजम के आंसुओं से जया प्रदा तो क्या कोई महिला नहीं पिघलेगी

अब इसपर जया प्रदा आखिर चुप रहें भी तो कैसे. वो भले ही उत्तर भारतीयों की तरह हिंदी अच्छी तरह से न बोल पाती हों, लेकिन उन्होंने जो भी बोला उसमें राजनीति कम बल्कि गुस्सा ज्यादा नजर आ रहा था. स्वाभाविक भी था क्योंकि आजम खान ने आम चुनावों में न सिर्फ जयाप्रदा के अंडरवियर के रंग पर टिप्पणी की थी बल्कि उन्हें नाचने वाली तक कहा था. तो आजम के आंसुओं पर जया प्रदा का कहना है कि आजम खान के साथ जो भी हो रहा है वो उन महिलाओं के आंसुओं का श्राप है जो उनकी वजह से बहे हैं. जया प्रदा ने आजम पर तंज कसते हुए कहा, 'वह मुझे एक्ट्रेस कहते थे लेकिन अब वो क्या कर रहे हैं (एक्टिंग ही न ?) वो आंसू बहा बहाकर लोगों का दिल बहला रहे हैं.'

आजम खान के आंसुओं पर बाकी महिलाएं चाहे जो भी कहें लेकिन जया प्रदा से बेहतर और कोई नहीं बोल सकता था. निसंदेह किसी भी महिला ने पब्लिक में इतना अपमान नहीं सहा होगा जितना कि जयाप्रदा ने सहा है.

आजम ने जया प्रदा के लिए रैली में कहा था कि 'जिसे उंगली पकड़कर हम रामपुर में लेकर आए, उसने हमारे ऊपर क्या-क्या इल्जाम नहीं लगाए. क्या आप उसे वोट देंगे? आपने 10 साल जिनसे अपना प्रतिनिधित्व कराया, उसकी असलियत समझने में आपको 17 साल लगे, मैं 17 दिन में पहचान गया कि इनके नीचे का अंडरविअर खाकी रंग का है.' लोकसभा में तीन तलाक बिल पर चर्चा के दौरान सांसद आजम खान ने बीजेपी सांसद रमा देवी को कहा, ''मैं तो आपको इतना देखूं कि आप मुझसे कहें कि नजर हटा लो. मुझे तो आप इतनी अच्छी लगती हैं कि आपकी आंखों में आंखें डाले रहूं ये मेरा मन करता है.'' इस तरह का बदजुबान आदमी जब आंसू बहाता है तो उसपर भरोसा जरा कम ही होता है. वो पार्टी के पुरुषों को भले ही दुखी नजर आता हो लेकिन महिलाओं को सिर्फ एक अभिनेता ही दिखाई देता है. और अगर मान भी लें कि आजम के आंसू असली हैं तो एक बात और याद आती है- 'जैसी करनी, वैसी भरनी.'

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पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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