New

होम -> सियासत

 |  5-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 18 अक्टूबर, 2019 10:00 PM
विकास कुमार
विकास कुमार
  @100001236399554
  • Total Shares

सुप्रीम कोर्ट अयोध्या में राम जन्मभूमि मामले पर जल्द ही फैसला देने वाला है. लोगों की चिंता हिंदू-मुस्लिम समभाव को कायम रखने की थी. उसी के बीच हिंदू समाज पार्टी के नेता कमलेश तिवारी की हत्या की खबर ने माहौल गरमाने का काम किया है.

सुप्रीम कोर्ट से अयोध्या मामले पर आने वाले फैसले से पहले उत्तर प्रदेश में हुई एक घटना से सनसनी फैल गयी है. राजधानी लखनऊ में हिंदू समाज पार्टी के नेता कमलेश तिवारी की दिनदहाड़े हत्या कर दी गयी. लखनऊ के खुर्शीद बाग स्थित हिंदू समाज पार्टी कार्यालय में शुक्रवार को दो युवक कमलेश से मिलने पहुंचे. वे मिठाई के डिब्बे में चाकू और तमंचा लेकर आए थे. बदमाशों ने उनके गले को पहले चाकू से रेता, फिर गोली मारकर फरार हो गए. उन्हें ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. पुलिस टीम सेलफोन की डिटेल खंगालने के साथ ही सर्विलांस की मदद से आरोपियों की तलाश में जुटी हुई है. लेकिन इस घटना की खबर सोशल मीडिया पर फैलने के बाद यूपी ही नहीं, देशभर में महौल तनाव में हो गया.

kamlesh tiwariहिंदू समाज पार्टी के नेता कमलेश तिवारी की दिनदहाड़े हत्या कर दी गयी

कमलेश तिवारी कौन?

कमलेश तिवारी का असली नाम लक्ष्मी कान्त है. वे सीतापुर के रहने वाले थे. 1997 में उन्होंने सीतापुर में मुस्लिम भारत छोड़ो आंदोलन चलाया था. जिसको लेकर उनकी गिरफ्तारी भी हुई थी. जेल से छूटने के बाद वो हिंदू महासभा में शामिल हो गए थे. उसके बाद वो हिंदू महासभा के कार्यकारी अध्यक्ष भी बने. उनकी पत्नी किरण भी हिन्दू महासभा के लिए काम करती हैं. फिलहाल वो लखनऊ में रह रहे थे. 2017 में विधानसभा चुनाव से पहले कमलेश तिवारी ने हिंदू समाज पार्टी का गठन किया था. जिसका समर्थन प्रवीण तोगड़िया ने भी किया था. कमलेश अयोध्या में राम मंदिर के लिए आंदोलन भी चला रहे थे.

कमलेश के दुश्मन बन गए मुस्लिम

कमलेश तब सुर्खियों में आए थे जब उन्होंने दिसंबर, 2015 में पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ विवादित बयान दिया था. जिसको लेकर काफी हंगामा हुआ. उनके बयान के बाद मुस्लिम समुदाय काफी गुस्से में आ गया था. उनके खिलाफ देवबंद, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, लखनऊ सहित देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन हुआ था. पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के कालियाचक में भी बड़ा बवाल हुआ था. जनवरी 2016 में करीब 2.5 लाख मुसलमानों ने उग्र रैली निकाली और आगजनी की गई. पुलिस थाने पर हमला हुआ. BSF की एक गाड़ी को भी आग के हवाले कर दिया. यात्रियों से भरी बस पर भी पथराव किया गया. दंगाई कमलेश तिवारी की मौत मांग रहे थे.

कमलेश तिवारी की मौत को लेकर फतवे जारी हुए. बिजनौर के जामा मस्जिद के इमाम मौलाना अनवरुल हक और मुफ्ती नईम कासमी ने कमलेश तिवारी का सिर काटने वाले को 51 लाख रुपए का इनाम देने का एलान किया. यही मौलाना अनवरुल खुद एक महिला से रेप करते हुए रंगे हाथ पकड़ा भी गया.

बढते हंगामे के बीच पुलिस ने कमलेश को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था. उस समय अखिलेश यादव की सरकार ने उनके खिलाफ रासुका (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) भी लगाया था. हालांकि, सितंबर 2016 में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने उनपर लगे रासुका को हटा दिया था. वो फिलहाल जमातन पर रिहा चल रहे थे.

suspects in cctv footage दो युवक कमलेश से मिलने पहुंचे थे जिन्हें सीसीटीवी में देखा गया, इन्‍हें ही हत्‍यारा माना जा रहा है.

विवाद की शुरुआत कहां से हुई

विवाद की शुरुआत आजम खान के RSS से जुड़े एक आपत्तिजनक बयान से हुई थी. नवंबर 2015 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने समलैंगिकों के एक परेड की समर्थन किया था. इसी से जुड़े एक सवाल के जवाब में आजम खान ने कहा था कि, 'ये विचारधारा RSS में होती है. जरूरी नहीं कि सारे लोग उन्हीं की विचारधारा के हो जाएं. उनको समय ही नहीं मिलता है कि वे लोग अपना परिवार बनाएं, इसी कारण से आरएसएस के लोग समलैंगिकता पर राजी रहते हैं. इसीलिए वो शादी नहीं करते हैं.'  

आजम खान के इसी बयान पर पलटवार करते हुए कमलेश तिवारी ने एक प्रेस नोट जारी किया था. जिसमें उन्होंने पैगंबर मुहम्मद पर विवादित बातें कही थीं. उन्होंने मस्जिदों और मदरसों पर समलैंगिकता को बढ़ावा देने का आरोप लगया था और कहा था कि इसे आजम खान जैसे लोग संरक्षण देते हैं. हालांकि, हंगामे के बाद उन्होंने ने पूरे मामले को मीडिया द्वारा गलत तरीके से व्याख्या करने की बात कही थी.

दो दिन पहले ही किया था प्रदर्शन

कमलेश तिवारी ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल में हिन्दुओं की हत्या को लेकर लखनऊ के अटल चौराहे पर प्रदर्शन किया था. साथ ही सूबे की योगी आदित्यनाथ सरकार पर निशाना साधा था. कमलेश तिवारी ने आरोप लगाया था कि देश में बीजेपी ही एक ऐसी पार्टी है जो अपने कार्यकताओं की मौत पर भी चुप्पी साधे हुए है. उन्होंने मांग की थी कि पश्चिम बंगाल की सरकार को तत्काल बर्खास्त किया जाना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा था कि पश्चिम बंगाल में पुलिस हिन्दुओं को मार रही है. मोदी सरकार में हमारे लिए इससे अच्छे दिन नहीं आ सकते.

कमलेश तिवारी जब बंगाल में RSS कार्यकर्ता की हत्या पर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे तो उन्होंने सोचा भी नहीं होगा कि कोई उनकी भी हत्या करने की ताक में बैठा है. और प्रदर्शन के ठीक दो दिन बाद ही उनकी भी हत्या हो गई. उन्होंने हाल ही में अपने ट्विटर प्रोफाइल पर लिखा था, 'अजर हूं. अमर हूं, क्योंकि मैं सनातन हूं.'

ये भी पढ़ें-

तीन सनसनी जो बता रही हैं कि रामलला आएंगे नहीं, आ रहे हैं!

सावरकर हीरो या विलेन? तय करने से पहले पढ़ लीजिए...

पंजाब से कश्मीरियों के लिए सहानुभूति पहुंची, रिटर्न गिफ्ट में सिख कारोबारी का कत्ल!

#हिंदू, #नेता, #हत्या, Kamlesh Tiwari, Kamlesh Tiwari Murder, Hindu Leader Murder

लेखक

विकास कुमार विकास कुमार @100001236399554

लेखक आजतक में पत्रकार हैं

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय