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Updated: 11 मई, 2018 10:21 PM
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शायद ही कोई रैली, सार्वजनिक सभा या रोड शो रहा हो जब भाषण का हिस्सा भ्रष्टाचार न रहा हो. फिर भी कर्नाटक चुनाव में भ्रष्टाचार मुद्दा नहीं बन सका.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुरू से ही सिद्धारमैया सरकार को '10 परसेंट' और 'सीधा-रुपैया' सरकार के रूप में संबोधित करते रहे. मोदी के ही '2+1 फॉर्मूला' के जवाब में सिद्धारमैया '2 रेड्डी और 1 येड्डी' कह कर पलटवार करते रहे. कर्नाटक से लेकर दिल्ली तक राहुल गांधी भी बार बार बताते रहे कि जब मोदी जी कहीं खड़े होते हैं तो उनके एक तरफ जेल जा चुके सीएम कैंडिडेट येदियुरप्पा होते हैं और दूसरी तरफ जेल से छूटे रेड्डी बंधु.

वोट देने में फायदा और फैसिलिटी देख रहे हैं लोग

यूपी चुनाव में बीजेपी की सरकार बनने की सबसे पहले भविष्यवाणी करने वाले इंडिया टुडे के कंसल्टिंग एडीटर राजदीप सरदेसाई का अनुमान है कि कर्नाटक में खंडित जनादेश आ सकता है. अपने कॉलम में राजदीप सरदेसाई कर्नाटक चुनाव में 20-20 फॉर्मूले से जुड़ा एक किस्सा बताते हैं, "हुबली में मुझे एक मिठाईवाला मिला, जिसने मुझे एक पंक्ति का शानदार जवाब दिया, 'हमारे राज्य में राजनीति 20-20 है. आपको चुनाव लड़ने के लिए ₹ 20 करोड़ चाहिये और चुनाव के बाद कौन मुख्यमंत्री बनेगा इसके लिए 20 विधायक चाहिये."

bs yddyurappaसब कुछ दाव पर...

कर्नाटक में भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़े होने वालों में सबसे ऊपर एक ही नाम आता है - जस्टिस एन. संतोष हेगड़े. लोकपाल को लेकर चले अन्ना आंदोलन के वक्त जस्टिस हेगड़े भी सिविल सोसायटी के सदस्य रहे. ये जस्टिस हेगड़े ही हैं जिनकी रिपोर्ट पर बवाल मचा और बीजेपी के मौजूदा सीएम कैंडिडेट बीएस येदियुरप्पा को कुर्सी गंवानी पड़ी. मुख्यमंत्री पद गंवाने के दो महीने बीते होंगे कि येदियुरप्पा को जेल की हवा भी खानी पड़ी थी.

जस्टिस हेगड़े की नजर में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कांग्रेस और बीजेपी दोनों होड़ में शामिल लगती हैं. इकोनॉमिक टाइम्स को दिये इंटरव्यू में जस्टिस हेगड़े कहते हैं, "दोनों पार्टियां एक दूसरे पर आरोप लगाती हैं जबकि दोनों ही करप्ट हैं. ये चुनाव निष्पक्ष तरीके से नहीं हो रहा है. अपराधियों और भ्रष्टाचारियों को टिकट देने से साफ है कि राजनीतिक दलों को इन कैंडिडेट्स पर लगे आरोपों का कोई डर नहीं है. क्या उन्हें नैतिकता, ईमानदारी और सच की फिक्र है?"

जस्टिस हेगड़े कहते हैं कि लोकपाल को लेकर भी दोनों का रवैया बिलकुल एक जैसा है, कहते हैं, "बीजेपी ने जब अवैध खनन पर मेरी रिपोर्ट पर अमल नहीं किया था तो विरोध में कांग्रेस ने बेंगलुरू से बेल्लारी तक मार्च किया था. जब कांग्रेस 2013 में सत्ता में आयी तो रिपोर्ट पर अमल करने की बजाय उसने लोकायुक्त के अधिकार कम कर दिये और एक एंटी करप्शन ब्यूरो बना दिया."

इंडिया टुडे के मैनेजिंग एडीटर राहुल कंवल ने भी पाया है कि भ्रष्टाचार भले ही टीवी पर होने वाली बहसों में ऊपर हो मगर जमीनी हकीकत बिलकुल अलग है. अपने ओपिनियन पीस में राहुल कंवल लिखते हैं, "दुखी करने वाली हकीकत ये है कि मतदाता दोनों पार्टियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को ज्यादा तवज्जो नहीं दे रहे हैं. बेल्लारी भाइयों की बेल्लारी के आसपास के तीन जिलों में खासी पकड़ नजर आती है और बहुत आसार है कि इन जिलों की 22 सीटों में से बड़ा हिस्सा बीजेपी की झोली में ही जाए."

siddaramaiahराहुल गांधी के प्रतिष्ठा का भी सवाल

जो बात जस्टिस हेगड़े कह रहे हैं, राहुल कंवल की ग्राउंड रिपोर्ट में भी वही नजर आती हैं. राहुल कंवल लिखते हैं, "कांग्रेस ने भी माइनिंग माफिया से जुड़े लोगों को टिकट दिए हैं. ऐसे में कांग्रेस भी भ्रष्टाचार के मुद्दे पर नैतिकता की ऊंची जमीन पर होने का दावा नहीं कर सकती. दोनों पार्टियों के रणनीतिकारों का मानना है कि इंटरव्यू और प्रेस कॉन्फ्रेंस में कुछ मुश्किल और असहज सवालों का जवाब देना कहीं बेहतर है बजाए इसके कि नैतिकता के पाठ के चक्कर में सीटों को गंवा दिया जाए.

भ्रष्टाचार कितना मायने रखता है

बड़ी ही खूबसूरत खबर मलेशिया से आई है. 93 साल के महातिर मोहम्मद चुनाव जीत कर प्रधानमंत्री बन गये हैं. इसके साथ ही वो दुनिया के सबसे उम्रदराज राष्ट्राध्यक्ष बन चुके हैं. ऐसा करके महातिर ने ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ से भी सबसे बुजुर्ग राष्ट्राध्यक्ष का ताज छीन लिया है. एलिजाबेथ, महातिर से दो साल छोटी हैं.

mahathir mohammadबेमिसाल महातिर मोहम्मद!

महातिर के मलेशिया की कमान दोबारा संभालने की कहानी भी बेमिसाल है. 22 साल तक प्रधानमंत्री रहने के बाद महातिर ने अपने राजनीतिक शिष्य नजीब रज्जाक को 2003 में कुर्सी सौंप कर आराम करने का फैसला किया. तीन साल पहले जब नजीब पर 25 हजार करोड़ के घोटाले का आरोप लगा तो उन्होंने अपनी ही पार्टी से इस्तीफा दे दिया. फिर विपक्षी नेता के रूप में चैलेंज किया. चुनाव प्रचार के दौरान वो दो या तीन रैलियां करते और लोगों के बीच पहुंचने पर सबसे पहले माफी मांगते, "लेडीज एंड जेंटलमेन. मैं सभी से माफी मांगता हूं. मेरी ही गलती की वजह से नजीब उभरे हैं. मैं इसे सुधारना चाहता हूं."

महातिर पर पक्का यकीन करते हुए लोगों ने न सिर्फ माफ किया बल्कि छप्परफाड़ समर्थन देते हुए सत्ता की सबसे बड़ी कुर्सी फिर से गिफ्ट कर दी. काफी कुछ वैसे ही जैसे दिल्लीवालों ने अरविंद केजरीवाल को तोहफे में 67 सीटें दे डाली थीं.

recovered voter idsअगर ये असली हैं तो ये वोट तो नहीं पड़ेंगे...

कर्नाटक में जलाहल्ली के फ्लैट से जो 9, 746 वोटर आईडी कार्ड मिले हैं, उनमें से एक भुवनेश्वरी नगर के कंथाराजू का भी है. इंडिया टुडे की टीम जब 50 साल के कंथाराजू से मिली तो मालूम हुआ कि छह महीने पहले उन्होंने वोटर आईडी कार्ड के लिए अप्लाई किया था, लेकिन अब तक उन्हें नहीं मिला. मिलता भी कैसे भला. वो तो जलाहल्ली के फ्लैट में पता नहीं कबसे पड़ा रहा और अब जब्त किया जा चुका है. कंथाराजू जैसे न जाने कितने लोग ऐसे होंगे जो 12 मई को वोट देने महरूम रह जाएंगे. फिर भी सरकार तो बनेगी ही - आखिर फायदे और फैसिलिटी के लिए बाकी लोग वोट तो डालेंगे ही.

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