कर्नाटक के नाटक का एक साल... और अंत!
कर्नाटक में करीब साल भर की कोशिश के बाद बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्पा का ऑपरेशन लोटस कामयाब होता नजर आ रहा है. दर्जन भर विधायकों के इस्तीफे से कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार बहुत बड़े संकट में फंस गयी है.
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कर्नाटक और बिहार में कोई न कोई सियासी बॉन्ड तो जरूर है - और वो बहुत जबरदस्त है. जब भी कर्नाटक में कोई सियासी हलचल होती है, उसके तार यूं ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जुड़े लगने लगते हैं. अक्सर देखने को मिलता है कि कर्नाटक के सियासी भूकंप का एपिसेंटर भले ही बेंगलुरू हो, झटके पटना तक महसूस किये जाते हैं.
राहुल गांधी के पटना पहुंचने से पहले बेंगलुरू में मची सियासी उठापटक की रिपोर्ट मिलनी शुरू हो चुकी होगी. मानहानि के एक केस में पेशी के सिलसिले में राहुल गांधी पटना जा रहे थे तभी कर्नाटक से खबर पहुंची - कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे की.
कर्नाटक का बिहार कनेक्शन
कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने कांग्रेस के सपोर्ट से सरकार बनायी है और बिहार में नीतीश कुमार बीजेपी के साथ मिल कर सरकार चला रहे हैं. ऊपरी तौर पर दोनों में कोई साम्य नहीं नजर आता. फिर भी जिस तरह नीतीश कुमार के एनडीए में रहते महागठबंधन में जाने की कोशिशों का पता चलता है, वो भी उसी मोड़ पर खड़े नजर आते हैं जहां जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी मौजूद होते हैं. बहरहाल, ताजा मामले में नीतीश कुमार बिहार के डिप्टी सीएम सुशील मोदी से जुड़ा है. ऐसे में बिहार सरकार नहीं, बल्कि कुमारस्वामी की कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार खतरे में पड़ गयी है. उसमें भी जेडीएस से ज्यादा कांग्रेस विधायकों की भूमिका नजर आ रही है.
राहुल गांधी जिस केस के सिलसिले में पटना कोर्ट में पेशी के लिए पहुंचे थे वो कर्नाटक से ही जुड़ा है. बिहार के डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने अप्रैल, 2018 में पटना में CJM की अदालत में राहुल गांधी के बयान को लेकर मानहानि का मुकदमा दायर किया था. दरअसल, कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी रैली में राहुल गांधी ने कहा था, 'सभी चोरों के उपनाम मोदी क्यों हैं?' राहुल गांधी, दरअसल, नीरव मोदी और ललित मोदी के बहाने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश कर रहे थे.
राहुल गांधी को पेशी के बाद बिहार में मानहानि के मामले में जमानत तो मिल गयी, लेकिन कर्नाटक में बवाल मचा हुआ है. राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके हैं और सोनिया गांधी के साथ अमेरिका जाने का उनका कार्यक्रम बना हुआ है. बजट और कोर्ट में पेशी के लिए वो रुके हुए थे.
स्पीकर की राय में इस्तीफा ब्लैकमेल की कोशिश है
कर्नाटक में ये सारा खेल चरम पर ऐसे दौर में है जब मुख्यमंत्री कुमारस्वामी और कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष दिनेश गुंडुराव दोनों ही देश से बाहर बताये जा रहे हैं. वैसे तो कुमारस्वामी ने अपने पिता और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा से फोन पर बात कर अपडेट लिया है और सरकार पर कोई खतरा नहीं माना है, लेकिन स्थिति बेहद गंभीर लग रही है.
ऑपरेशन लोटस को कामयाब होते देख का जश्न मनाते बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्पा
कांग्रेस के 8 और जेडीएस के 3 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है. जब विधायक इस्तीफा देने स्पीकर के पास पहुंचे तो वो मौजूद नहीं थे, इसलिए उनके दफ्तर के कर्मचारी को सौंप दिये. इस्तीफा देने वाले विधायक हैं - महेश कुमाथल्ली, बीसी पाटिल, रमेश जर्किहोली, शिवराम हेब्बार, एच. विश्वनाथ, गोपालैय्याह, बी बसवराज, नारायण गौड़ा, मुनिरत्ना, एसटी सोमशेखर और प्रताप गौड़ा पाटिल. इस्तीफा देने के बाद ये विधायक राजभवन पहुंचे. फिर खबर आयी है कि विधायकों को गोवा जाने के लिए कहा गया है और वे निकल पड़े हैं.
Karnataka: Rebel Congress-JDS MLAs who had submitted their resignations to the Speaker of the Assembly, met Governor Vajubhai Vala at the Raj Bhavan in Bengaluru, today. pic.twitter.com/82KyeiZpJE
— ANI (@ANI) July 6, 2019
कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार काफी प्रभावशाली और साधन संपन्न हैं और जब भी कांग्रेस मुश्किल में होती है, संकटमोचक के रूप में वही सक्रिय होते हैं. गुजरात के विधायकों को भी एक बार डीके शिवकुमार के भरोसे ही कर्नाटक भेजा गया था जब राज्य में कांग्रेस के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की सरकार थी.
कांग्रेस विधायकों की बगावत की खबर मिलते ही शिवकुमार बेंगलुरू पहुंचे और संपर्क कर उन्हें मनाने में जुट गये. दिल्ली में भी कांग्रेस नेताओं की इमरजेंसी मीटिंग बुलायी गयी है और संकट से उबरने के उपाय खोजे जा रहे हैं.
इस्तीफा देने वालों शामिल जेडीएस विधायक एच. विश्वनाथ ने मीडिया को बताया, 'हमने हमारे इस्तीफे कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर को सौंप दिये हैं... इस सरकार ने अपनी कार्यप्रणाली से सभी को विश्वास में नहीं लिया. इस वजह से हमने स्वेच्छा से आज इस्तीफा दे दिया.'
विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार विधायकों से खफा नजर आये और कहा कि ये सब ऐसे ही थोड़े हो जाता है, इस्तीफा देने की एक प्रक्रिया है. स्पीकर का करना रहा, 'उन्हें मुझसे मिलने के लिए समय लेना होगा. मैं कोई बाजार में नहीं बैठा हूं और इस्तीफा देने की अफवाह उड़ाकर ब्लैकमेल की रणनीति काम नहीं करेगी.'
तो 'ऑपरेशन लोटस' गुल खिलाने लगा है
बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्पा ने डीके शिवकुमार पर कुछ विधायकों के इस्तीफे फाड़ने का इल्जाम भी लगाया है. वैसे येदियुरप्पा सहित बीजेपी का पूरा अमला सरकार बनाने की कवायद में जुट गया है. येदियुरप्पा तो विधानसभा चुनाव के नतीजे आने से पहले ही शपथ की घोषणा कर चुके थे और राज्यपाल के आशीर्वाद से ले भी लिये. सुप्रीम कोर्ट की दखल नहीं होती तो कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री की कुर्सी शायद ही नसीब हो पाती.
कर्नाटक में येदियुरप्पा का ऑपरेशन लोटस एक बार फिर चल पड़ा है. अभी तक वो कुमारस्वामी सरकार के सामने मुसीबतें तो खड़ा करते ही रहते थे, लेकिन उनकी गैरमौजूदगी में लगता है इस बार जोरदार झटका दे दिया है.
224 सदस्यों वाली कर्नाटक विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा फिलहाल 113 है. बीजेपी के पास 105 विधायक हैं. कांग्रेस के पास 80 और जेडीएस के पास 37. कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के पास 117 विधायक हुए, लेकिन हाल विधायकों की बगावत से इस संख्या में भी तीन की कमी बतायी जा रही है.
बीजेपी की तरफ से 14 विधायकों के इस्तीफा देने का दावा किया जा रहा है. कुछ और भी विधायकों के इस्तीफा देने की चर्चा है. अगर वाकई ये स्थिति है फिर तो कुमारस्वामी सरकार अल्पमत में आ जाएगी. ऐसे में राज्यपाल वजूभाई वाला गठबंधन सरकार को सदन में बहुमत साबित करने के लिए भी कह सकते हैं.
कर्नाटक की मौजूदा कवायद एक बार फिर येदियुरप्पा के पक्ष में जाती नजर आ रही है. ऑपरेशन लोटस के लिए जाने जाने वाले येदियुरप्पा इस बार मंजिल के काफी करीब दिख रहे हैं. ऑपरेशन लोटस में विधायकों को तरह तरह से लालच देकर इस्तीफा दिलवाया जाता है. विधायकों के इस्तीफे के बाद मौजूदा सरकार को विश्वासमत हासिल करना होता और नाकाम रहने को बीजेपी नेता को मौका मिल जाएगा.
विधायकों के इस्तीफे के कारण सदन में मौजूद विधायकों से ही बहुमत का फैसला होना होता है - और फिर विपक्षी दल को मौका मिल जाता है. येदियुरप्पा ऐसा करके पहले भी सरकार बना चुके हैं. इस्तीफा देने के कारण जब उपचुनाव होता है और वे फिर से मैदान में उतार दिये जाते हैं. चुनाव जीतने के बाद वादे के मुताबिक जो उनकी डिमांड रहती है पूरी कर दी जाती है. ऑपरेशन लोटस की बस इतनी ही कहानी है.
कर्नाटक में करीब साल भर से पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा सरकार बनाने की कोशिश में लगातार जुटे हुए हैं. येदियुरप्पा का ताजा प्रयास कारगर होता दिखता है. जहां तक कांग्रेस का सवाल है तो ये कर्नाटक के घटनाक्रम राजस्थान और मध्य प्रदेश की सरकारों के लिए भी अलर्ट है.
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