Lockdown 3.0 में मोदी सरकार ने पूरी जिम्मेदारी राज्यों पर डाल दी!
लॉकडाउन 3.0 (Lockdown 3.0) भी आ ही गया. जरूरत भी थी, मजबूरी ही सही - लेकिन एक बात खटकने वाली जरूर रही - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने खुद ये बात लोगों को नहीं बतायी. अब तो लगता है आगे से पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकारों (State Government) की ही होगी - और केंद्र सिर्फ दिशानिर्देश देगा.
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लॉकडाउन 3.0 (Lockdown 3.0) का भी ऐलान हो चुका है और ये दो हफ्ते का होगा. लॉकडाउन का तीसरा चरण 4 मई से अमल में आएगा. दरअसल, मौजूदा लॉकडाउन 3 मई को खत्म हो रहा है. ध्यान से देखें तो तीनों लॉकडाउन में थोड़ा थोड़ा फर्क दिखेगा. ये पहली बार संपूर्ण लॉकडाउन था तो तीसरे चरण में काफी ढील दी गयी है.
तीसरे चरण के खत्म होते होते देश में लॉकडाउन 57 दिनों का हो जाएगा. चीन के वुहान में लॉकडाउन 76 दिन तक लागू रहा था. पहली बार 21 दिनों के लिए लॉकडाउन 25 मार्च से लागू हुआ, फिर 19 दिन के लिए और अब 14 दिनों के लिए लागू किये जाने का ऐलान किया गया है.
बाकी सब तो ठीक है, लेकिन सबसे अजीब एक ही बात लगी कि तीसरे लॉकडाउन की घोषणा करने टीवी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) नहीं आये - क्या लॉकडाउन को लेकर अब वो बात नहीं रह गयी है? क्या आगे से अब पूरी जिम्मेदारी राज्यों (State Government) की ही होगी और केंद्र सिर्फ गाइडलाइन जारी करेगा?
लॉकडाउन 3.0 की जानकारी मोदी ने क्यों नहीं दी?
जब से कोरोना वायरस का खतरा बढ़ा है तभी से बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने टीम के साथ लगातार लगे रहते हैं. टीम मोदी तो कोरोना से जंग में 24x7 डटी ही रहती है, खुद प्रधानमंत्री मोदी भी 18-18 घंटे सबके साथ काम में जुटे रहते हैं.
काम के दौरान प्रधानमंत्री मोदी कभी विशेषज्ञों से सलाह लेते हैं तो कभी टीमों का मार्गदर्शन करते हैं और खुद सुनिश्चित करते हैं कि सारे काम ठीक से हो रहे हैं कि नहीं. बीच बीच में कभी सरपंचों तो कभी किसी और से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये बात भी करते रहते हैं.
एक ऐसी ही कॉन्फ्रेंसिंग में हंसते हंसते बताये भी थे कि कोरोना संकट के बीच उनकी गांव के प्रधानों से लेकर दुनिया के तमाम देशों के प्रमुखों से अक्सर बात होती रहती है. बीच बीच में ऐसी खबरें भी आती हैं जिनसे पता चलता है कि प्रधानमंत्री ने किस तरह एक कोरोना वारियर नर्स को फोन कर हाल पूछा और हौसला अफजाई की. ऐसे ही वो देश के उम्रदराज लोगों को भी फोन कर हालचाल लेते रहे हैं - हाल फिलहाल वो चौथी बार देश के मुख्यमंत्रियों से मुखातिब थे.
सुनने में आया कि इस बार भी ज्यादातर मुख्यमंत्री देश में लॉकडाउन की मियाद बढ़ाये जाने के पक्ष में ही दिखे. हालांकि, इस बार कुछ मुख्यमंत्री नाराज भी नजर आये. केरल के मुख्यमंत्री पी. वियजन तो वीडियो कांफ्रेंसिंग में अपने मुख्य सचिव को भी भेज दिये क्योंकि उनको बोलने की अनुमति नहीं दी गयी थी. ममता बनर्जी भी खासी नाराज हुईं क्योंकि मीटिंग में शामिल होने के बावजूद उनको बोलने का मौका नहीं दिया गया.
सारी बातें अपनी जगह, लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर तीसरे लॉकडाउन की घोषणा करने प्रधानमंत्री मोदी टीवी पर खुद क्यों नहीं आये?
लॉकडाउन की घोषणा तो हो गयी अब हौसलाअफजाई का इंतजार रहेगा
ऐसा भी क्या कि बस खबर भिजवा दी और खुद अंदर ही बैठे रह गये. पहली बार लॉकडाउन से पहले एक दिन का रिहर्सल भी रखा था - जनता कर्फ्यू. पूरा देश दरवाजे और खिड़कियों पर खड़े होकर ताली और थाली बजाया था. फिर एक दिन दीया जलाने का भी टास्क दिया था और जोश से भरपूर कुछ लोगों ने दिवाली की तरह पटाखे भी फोड़ डाले थे.
जब दूसरे चरण के लॉकडाउन की घोषणा करनी थी तो प्रधानमंत्री मोदी ने टीवी पर प्रकट होकर नये सिरे से लोगों की हौसलाअफजाई की और समझाया कि क्यों लॉकडाउन की देश में जरूरत है - और कैसे उसका पालन करना है. लक्ष्मण रेखा को तो भूलना भी नहीं है.
हो सकता है लॉकडाउन 3.0 के दौरान ही प्रधानमंत्री मोदी किसी दिन टीवी पर आयें और बतायें कि वो जानकारी देने खुद क्यों नहीं आये - और तब तक देश को लोगों को उनकी पिछली बातों को याद करके हौसला बनाये रखना होगा.
अब सारा दारोमदार राज्य सरकारों पर है
देखा जाये तो लॉकडाउन के मामले में कई राज्यों की सरकारे पहले से ही आगे आगे चल रही हैं. देश में सबसे पहले लॉकडाउन लागू करने का रिकॉर्ड राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने नाम कर रखा है और दूसरे नंबर पर कांग्रेस के ही सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह हैं. तीसरे लॉकडाउन से पहले तो वो पंजाब में तिरंगा क्रांति की पहल भी कर चुके हैं.
अभी 14 अप्रैल को पहले लॉकडाउन की मियाद खत्म भी नहीं हुई थी कि कई राज्य सरकारों ने लॉकडाउन की तारीख पहले ही बढ़ा दी थी. ऐसा करने वाली ज्यादातर सरकारें तो गैर बीजेपी शासित ही थीं, लेकिन फिर उसमें कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा और फिर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भी शामिल हो गये.
शुरू से ही एक और खास बात देखने को मिल रही है कि प्रधानमंत्री कोई भी फैसला लेने से पहले मुख्यमंत्रियों से बात जरूर करते रहे हैं. अब तक प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्रियों के बीच चार बार वर्चुअल मीटिंग हो चुकी है. पहली मीटिंग 20 मार्च को जनता कर्फ्यू से पहले हुई थी. फिर पहले लॉकडाउन के दौरान दो बार और दूसरे लॉकडाउन में एक बार हुई है.
देखने को ये भी मिला है कि मुख्यमंत्रियों की तरफ से रखी गयी डिमांड भी प्रधानमंत्री मोदी पूरा करने की कोशिश करते रहे हैं. डिमांड तो लॉकडाउन पीरियड की उद्धव ठाकरे की भी प्रधानमंत्री पूरी कर चुके हैं, हालांकि, उद्धव ठाकरे ने मीटिंग में नहीं बल्कि अलग से आग्रह किया था.
नीतीश कुमार की मांग रही कि केंद्र सरकार प्रवासी मजदूरों की वापसी को लेकर केंद्र सरकार कोई दिशानिर्देश जारी करे ताकि उस हिसाब से काम हो. नीतीश कुमार ने योगी आदित्यनाथ और शिवराज सिंह जैसे मुख्यमंत्रियों की आगे बढ़ कर पहल से नाराज थे. वे दूसरे राज्यों में फंसे अपने अपने लोगों को लाने में मशगूल रहे.
नीतीश कुमार की मांग पर केंद्र सरकार ने यहां वहां फंसे लोगों के लिए गाइडलाइन तो जारी कर दिया, लेकिन पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकार पर डाल दी. ये राज्य सरकारें ही तय करें कि फंसे हुए लोगों को कैसे वापस बुलाना है और उसके लिए क्या इंतजाम करने होंगे. दोनों संबंधित सरकारों को आपस में बात करके फैसला लेना है और इसके लिए नोडल अफसरों को जिम्मेदार बना दिया गया. अब ये बात अलग है कि नीतीश कुमार ने मांग रखी और अपने लोगों को वापस ले जाने में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बाजी मार ले गये.
ठीक वैसे ही अशोक गहलोत का कहना रहा कि चूंकि फंसे हुए लोग लाखों में हैं इसलिए बसों के जरिये एक जगह से दूसरी जगह ले जाना मुश्किल है. इसके लिए स्पेशल ट्रेन चलाने की मांग की गयी थी - और केंद्र सरकार ने ये मांग भी पूरी कर दी है. रेल मंत्रालय ने भी तय कर दिया है कि कैसे और कौन ट्रेन से जा सकेगा और कैसे स्टेशन पर सोशल डिस्टैंसिंग का अनुपालन होगा.
अब तो ऐसा लगता है जैसे लोगों को पुलिसवालों के भरोसे छोड़ दिया गया है. दिल्ली से सटे हरियाणा के इलाकों की सड़कों को खोद डाला गया है. मीडिया रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि सड़के इसलिए खोद दी गयी हैं ताकि लोग दिल्ली से गुड़गांव और गुड़गांव से दिल्ली न आ जा सकें. रिपोर्ट ये भी बताती है कि ऐसा कोई भी आदेश नहीं है - फिर भी सड़कें खोद डाली गयी हैं. ये तो लॉकडाउन 2.0 में ही साफ हो गया था कि सरकार ने जिम्मेदारी लोगों पर डाल दी है. अगर कायदे से रहे तो 20 मई से इलाके में छूट मिलेगी और नहीं तो लॉकडाउन लागू रहेगा. फिर हॉट स्पॉट बनाये गये और कोरोना के खतरे के मद्देनजर देश के जिलों को रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन में बांट दिया गया है. केंद्र सरकार ने ये काम करने के बाद पूरी जिम्मेदारी अब राज्यों पर डाल दी है - और काफी चीजें अब जिला स्तर पर तय होनी है. जिलाधिकारी के विवेक के अनुसार.
क्या लॉकडाउन अब महज एक आपातकालीन व्यवस्थागत प्रक्रिया का हिस्सा भर रह गया है?
लॉकडाउन 3.0 की खबर जिस तरीके से आयी है, लगता तो ऐसा ही है. लगे या न लगे अंदर से महसूस तो बिलकुल ऐसा ही हो रहा है.
बहरहाल, अब ये भी मान कर चलना होगा कि आगे से न तो कोई वॉर्म अप सेशन होगा न ही राष्ट्र के नाम संदेश देने प्रधानमंत्री आएंगे - अब केंद्र सरकार का काम सिर्फ गाइडलाइन जारी करना होगा - और उसे लागू करने की जिम्मेदारी राज्यों की होगी. बेहतर है अब प्रधानमंत्री मोदी की हौसलाअफजाई का इंतजार मत कीजिये - लॉकडाउन में जीना सीख लीजिये.
सबसे अद्भुत काम ये है कि कोरोना वारियर्स केे सम्मान में वायुसेना 3 मई को फ्लाई पास करने वाली है - इस दौरान कोविड-19 अस्पतालों पर फूल बरसाये जाएंगे और फाइटर प्लेन से रोशनी की जगमगाहट बिखेरी जाएगी.
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