Lockdown 4.0 की एक ही खासियत होगी - Coronavirus संग जीने का अभ्यास
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के संदेश का लब्बोलुआब तो यही लगा कि अब तो कोरोना के साथ जीने (Live with Coronavirus) का अभ्यास डाल लेना चाहिये. फिर तो लॉकडाउन 4.0 (Lockdown 4.0) में भी यही सब देखने को मिलने वाला है.
-
Total Shares
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के राष्ट्र के नाम संदेश में इस बात पर काफी जोर दिखा कि अब चाहे जो भी हो कोरोना के साथ ही जीना (Live with Coronavirus) होगा - और कोरोना से आगे की जंग उसे शिकस्त देने में यही रणनीति ही कारगर साबित होगी.
20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का विस्तृत स्वरूप क्या होगा, ये भी अब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताना शुरू कर ही दिया है. अब हर रोज ऐसे ही कुछ न कुछ नयी बातें सामने आती रहेंगी. कोरोना वायरस के जरिये आयी मुसीबत को वैसे भी प्रधानमंत्री मोदी ने मौके में तब्दील करने की भी सलाह दे ही दी है.
लॉकडाउन 4.0 (Lockdown 4.0) की एक खासियत ये भी होगी कि अब तक जिस तरह सारे नियम केंद्र सरकार की तरफ से तय किये जाते रहे - आगे से ज्यादातर चीजें तय करने का अधिकार राज्य सरकारों के हाथ में जाने वाला है.
बाहर निकलें, सुरक्षित रहें
कोरोना वायरस के बाद जो दुनिया की लाइफस्टाइल बदलने वाली है, भारत में लॉकडाउन 4.0 में उसकी नींव रखी जाने वाली है. हालांकि, ये हर्ड इम्युनिटी वाले तरीके से बिलकुल अलग होगी. हर्ड इम्युनिटी में आबादी के एक झुंड को वायरस को लेकर प्रतिरोधकता बढ़ाने की कोशिश की जाती है, भारत में ऐसा नहीं होने वाला है. यहां सेफ्टी उपायों के साथ काम पर निकलने के लिए प्रोत्साहित किये जाने की तैयारी चल रही है.
मुमकिन है अब कोरोना वायरस की वजह से घरों में दुबके रहने के लिए मजबूर न होना पड़े, बल्कि प्रोटेक्शन के साथ काम पर जुटने की तैयारी करनी पड़े - बस मुंह पर 'मास्क' और 'दो गज की दूरी' की नीति अपनानी होगी.
राष्ट्र के नाम संदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा भी, 'वैज्ञानिक बताते हैं कि कोरोना लंबे समय तक हमारी जिंदगी का हिस्सा बना रहेगा, लेकिन हम अपनी जिंदगी को इस हद तक ही नहीं सिमटने देंगे. हम मास्क पहनेंगे और दो गज दूरी का पालन करेंगे, लेकिन लक्ष्यों को प्रभावित नहीं होने देंगे.'
बहुत कुछ बदलेगा, लेकिन पहले जैसा तो कुछ भी नहीं होने वाला है
कोरोना वायरस से जंग में जो आगे की तैयारी नजर आ रही है उसमें ऐसा तो नहीं है कि जिंदगी पहले जैसी पूरी तरह पटरी पर लौट आएगी, लेकिन इतना तो मान कर चलना होगा कि लॉकडाउन के तीन चरणों से तो दिनचर्या अलग हो ही सकती है. लॉकडाउन के पहले चरण में जहां घरों से बाहर निकलना दूभर रहा वहीं तीसरे चरण आते आते घर से दूर फंसे लोगों के लिए आने जाने के इंतजाम होने लगे हैं - और अब तो फ्लाइट, दफ्तर और बाजार भी खोले जाने के संकेत मिल रहे हैं.
1. रेल सेवा शुरू हो हो चुकी है: श्रमिक स्पेशल से लाखों मजदूरों को उनके गृह राज्यों में पहुंचाये जाने के बाद राजधानी स्पेशल ट्रेन भी 12 मई से शुरू हो ही चुकी है. निश्चित तौर पर शुरुआती दौर में संख्या कम है और पाबंदियां भी हैं. ट्रेनों की संख्या तो धीरे धीरे बढ़ायी जा सकती है लेकिन पाबंदियों के हटाने का रिस्क तो ठीक नहीं ही होगा. अब तो सुरक्षित यात्रा के लिए ये सब ऐड ऑन फीचर जैसा हो गया है - मास्क और सैनिटाइजर.
2. मुंबई लोकल की जरूरत: महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई लोकल चलाने की मांग की है. रेल मंत्री से राज्य सरकार की तरफ से कहा गया है कि मुंबई लोकल चलायी जाये ताकि आवश्यक सेवाओं में लगे लोगों को आने जाने में सहूलियत हो सके.
3. हवाई सेवा भी शुरू हो रही है: केंद्रीय उड्डयन मंत्री हरदीप पुरी ने तो लॉकडाउन 4.0 में घरेलू उड़ान शुरू किये जाने के संकेत दे ही चुके हैं. खबर है कि 19 मई से एयर इंडिया चुने हुए शहरों में हवाई सेवा शुरू करने जा रही है.
4. दिल्ली मेट्रो भी चलेगी क्या: जिस तरीके से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कंटेनमेंट ज़ोन के अलावा सब चीजें खोलने पर जोर दे रहे हैं, माना जा सकता है कि कुछ पाबंदियों के साथ थोड़ा थोड़ा करके दिल्ली मेट्रो सेवा भी बहाल की जा सकती है.
5. दफ्तर और बाजार: अब जब इतना सब होगा तो स्कूल-कॉलेज, मल्टीप्लेक्स और मॉल भले न खुलें लेकिन बाजार और दफ्तर तो खोले ही जा सकते हैं - मान कर चलना होगा लॉकडाउन 4.0 में आर्थिक गतिविधियों को कर्मचारियों की सीमित संख्या के साथ सुचारू करने की अनुमति दी जा सकती है.
हो सकता है 18 मई से कोरोना वायरस से बचाव को लेकर स्लोगन भी बदल जाये. अब तक तो यही कहा जाता रहा है कि 'घर में रहें, सुरक्षित रहें'. 18 मई के बाद हो सकता है कहा जाने लगे - 'बाहर निकलें, सुरक्षित रहें'. मतलब, घर में रहने की बजाये बाहर निकलें लेकिन हर हाल में सुरक्षित रहें. कोई जोखिम नहीं उठाने की जरूरत है. सोशल डिस्टैंसिंग की लक्ष्मण रेखा नहीं भूलनी है. बगैर मास्क लगाये नहीं निकलना है और ऐसा कोई भी काम नहीं करना होगा जिसमें कोरोना संक्रमण का खतरा हो.
केंद्र और राज्य सरकारें अलग अलग काम पर फोकस करेंगी
देश के मुख्यमंत्रियों के साथ प्रधानमंत्री मोदी की वीडियो कांफ्रेंसिंग और राष्ट्र के नाम संदेश दोनों पर बारी बारी ध्यान दें तो कम से कम दो बातें साफ तौर पर नजर आती हैं - एक, लॉकडाउन से जुड़ी ज्यादातर चीजें तय कर करने का अधिकार अब राज्य सरकारों को मिल सकता है - और दो, केंद्र सरकार कुछ कॉमन गाइडलाइन तय करने और समय समय पर फेरबदल के अलावा देश की अर्थव्यवस्था को दुरूस्त करने में जुटेगी. 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा इसकी शुरुआत है.
प्रधानमंत्री के साथ मीटिंग में मुख्यमंत्रियों की अलग अलग शिकायतें थीं. सिर्फ ममता बनर्जी की शिकायत थोड़ी अलग रही कि पश्चिम बंगाल के साथ राजनीतिक भेदभाव हो रहा है जो मुसीबत की इस घड़ी में ठीक नहीं है, बाकी मुख्यमंत्री ये चाहते थे कि उन्हें अपने अपने राज्यों में स्थानीय जरूरत के हिसाब से निर्णय लेने का अधिकार दिया जाये.
मसलन, अरविंद केजरीवाल चाहते हैं कि दिल्ली में कंटेंमेंट जोन को छोड़ कर पाबंदी हटा ली जाये ताकि आर्थिक गतिविधियां ट्रैक पर लौटाने की कोशिश की जा सके. ऐसे ही कैप्टन अमरिंदर सिंह सहित कुछ मुख्यमंत्री चाहते हैं कि राज्यों के लिए कलर जोन तय करने का अधिकार उनको दे दिये जायें. अमरिंदर सिंह की दलील रही है कि पंजाब में क्या जरूरत है और क्या हो सकता है सिर्फ वही समझ सकते हैं, न कि दिल्ली में बैठा कोई संयुक्त सचिव जैसा नौकरशाह. अमरिंदर सिंह की शिकायत रही कि दिल्ली में बैठे नौकरशाह नियम बना दे रहे हैं और नुकसान राज्यों को उठाना पड़ रहा है.
यही वजह रही कि प्रधानमंत्री मोदी ने सभी राज्यों से कह रखा है कि वे 15 मई तक अपने सुझाव दे दें ताकि उन पर कोई फैसला लिया जा सके. इस बात के संकेत प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के नाम संदेश के दौरान भी दिये.
इस बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जैसे पहले कई मामलों में दिल्ली के लोगों से सुझाव मांगते रहे हैं, लॉकडाउन 4.0 को लेकर भी वैसा ही रवैया अख्तियार किया है. दिल्ली सरकार की तरफ से इसके लिए फोन नंबर, ईमेल और व्हाट्सऐप नंबर भी जारी किये गये हैं.
अरविंद केजरीवाल दिल्ली के लोगों से जानना चाहते हैं कि बस, मेट्रो, ऑटो, टैक्सी खोलना चाहिये या नहीं? लोक सभा और विधानसभा चुनावों में अरविंद केजरीवाल ऐसे ही लोगों से सुझाव मांग कर मैनिफेस्टो तैयार करते रहे हैं.
तमिलनाडु में तो लॉकडाउन में कुछ ज्यादा ही छूट के संकेत मिल रहे हैं, लेकिन महाराष्ट्र सरकार अभी पूरी सख्ती और सावधानी बरतने के पक्ष में है. लॉकडाउन बढ़ाये जाने के पक्षधर मुख्यमंत्रियों में उद्धव ठाकरे भी शामिल रहे हैं.
महाराष्ट्र में एक नयी बात सुनने को मिली है, वो ये कि उद्धव ठाकरे ने कोरोना से जंग में गोवा मॉडल अपनाने की सलाह दी है. अब तक भीलवाड़ा और आगरा मॉडल का नाम लिया जाता रहा है लेकिन दोनों के अप्रभावी हो जाने के कारण उद्धव ठाकरे को गोवा मॉडल आकर्षित कर रहा है. भीलवाड़ा मॉडल कहीं और चला नहीं और आगरा मॉडल तो फेल होकर रेड जोन बन चुका है.
गोवा कोरोना मुक्त राज्य बन चुका है. गोवा मॉडल की खासियत है कि इसमें घर घर जाकर सर्वे किया जाता है और मरीजों का इलाज किया जाता है. उद्धव ठाकरे ने अधिकारियों से कहा है कि सर्वे के दौरान सिर्फ कोरोना ही नहीं मॉनसून से जुड़ी बीमारियों का भी पता लगाया जाये और उसके हिसाब से एक्शन लिया जाये.
इस बीच कोरोना वायरस और लॉकडाउन से गड़बड़ायी अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए यूपी, मध्य प्रदेश और गुजरात जैसे राज्य श्रम कानूनों में बदलाव कर अपने तरीके से तैयारी कर रही रहे हैं - लगता तो यही है कि लॉकडाउन 4.0 में जिंदगी 21 दिनों वाले लॉकडाउन से काफी अलग देखने को मिल सकती है.
इन्हें भी पढ़ें :
PM Modi का 'आत्मनिर्भता अभियान' बेरोजगारी बर्दाश्त करने का नया बहाना तो नहीं?
Lockdown में सरकार ने ट्रेन तो चला दी है मगर मुसीबत बाहें फैलाए सामने खड़ी है
आपकी राय