Lockdown में सरकार ने ट्रेन तो चला दी है मगर मुसीबत बाहें फैलाए सामने खड़ी है
सरकार ने रेलवे (Railway booking) को ट्रेन चलाने की अनुमति दे दी है और यह सेवा शुरू भी हो चुकी है, रेलवे हर यात्री की थर्मल स्क्रीनिंग (Thermal Screening ) कर रहा है लेकिन इससे यात्री के संक्रमित होने न होने का पता नहीं चलता है. सरकार के लिए यह फैसला बहुत कठिन साबित होने वाला है इसके लिए और तैयारियां की जानी चाहिए.
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कोरोना वायरस (Coronavirus) ने भारत (India) में जब अपनी मौजूदगी दर्ज कराई तो सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी कि इसे किसी तरह से कुछ शहरों तक ही सीमित कर के रोक लिया जाए. इसी सोच के साथ प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) ने तेज़ी दिखाते हुए देश भर में लॉकडाउन (Lockdown) का एलान कर दिया ताकि कोरोना वायरस नयी जगहों पर न फैलने पाए. हवाई सेवा, रेलवे, बस और लोकल परिवहन जैसे तमाम चीज़ों पर रोक लगा दी. जो जहां था वहीं थम गया. जो लोग पलायन कर रहे थे उन्हें भी अलग स्थान पर क्वारंटीन कर दिया गया. इमेरजेंसी सेवाओं के अलावा किसी को भी एक शहर से दूसरे शहर जाने की इजाज़त नहीं दी गई. सरकार के इस फैसले का असर भी देखने को मिला. कोरोना वायरस की जो रफ्तार है वह लॅाकडाउन की वजह से ही इतनी है अगर लॅाकडाउन न होता तो जानकारों का मानना है यह संख्या तीन से चार गुना ज़्यादा होती.
लॉकडाउन के इस दौर में ट्रेन चलाकर सरकार ने अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारी है
ग्रामीण इलाकों में भी कोरोना इसी लॅाकडाउन की वजह से ज़्यादा नहीं फैल पाया. समय के साथ लॅाकडाउन की अवधी भी बढ़ाई जाने लगी और समस्याएं कम होने की जगह और बढ़ती गई. सरकार को अर्थव्यवस्था की चिंता भी सताने लगी और साथ ही अन्य राज्यों में फंसे हुए लोगों को उनके घरों तक पहुंचाने का भी प्रेशर बढ़ गया. लॅाकडाउन के तीसरे चरण तक तो स्थिति ज़्यादा नहीं बिगड़ी मगर अब स्थिति बेहद खतरनाक हो सकती है.
सरकार ने देश के शहरों को जोन में तब्दील करके कुछ शहरों में ढ़ील दे दी है. टेस्टिंग की रफ्तार भी लगातार बढ़ती जा रही है. कोरोना की रफ्तार भी दिन बदिन बढ़ती जा रही है. लॅाकडाउन का तीसरा चरण 17 मई को खत्म हो रहा है, माना जा रहा है कि अभी सरकार लॅाकडाउन को खत्म करने के मूड में भी नहीं है.
यह तय माना जा रहा है कि लॅाकडाउन को बढ़ाया जाएगा. लॅाकडाउन के चौथे चरण में थोड़ी राहत ज़रूर मिलेगी. लेकिन उससे पहले सरकार ने रेलवे को ट्रेन चलाने को मंजूरी दे दी है. पहले श्रमिक ट्रेन को हरी झंडी दिखाई गई और अब 15 स्पेशल ट्रेनों को चलाया जा रहा है.सरकार पर चुनौती थी फंसे हुए लोगों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए जिसके दबाव में सरकार को ट्रेन को चलाना पड़ा है.
रेलवे ने खूब तैयारियां भी कर रखी हैं सोशल डिस्टेंस के साथ साथ मास्क को भी अनिवार्य कर दिया गया है और सिर्फ स्वस्थ लोगों को ही यात्रा करने दिया जाएगा. सवाल यह है कि क्या ट्रेन के चलने से कोरोना वायरस नहीं फैलने पाएगा. भारत में अबतक जितने भी कोरोना के संक्रमित मरीज मिले हैं उनमें से अधिकतर तो ऐसे ही हैं जिनमें कोरोना के कोई लक्षण ही नहीं थे.
यानी उन संक्रमितों में न तो बुखार थे और न ही जुखाम. रेलवे की तैयारियों के अनुसार वह हर एक यात्री की थर्मल स्क्रीनिंग करेगा. थर्मल स्क्रीनिंग से तो महज बुखार का तापमान मापा जाता है इससे यह स्पष्ट नहीं होता है कि यात्री को कोरोना है या नहीं. अब ऐसे में अगर हज़ार में 10 बिना लक्षण वाले संक्रमित मरीज भी ट्रेन से यात्रा करेंगें तो वह ट्रेन में कितनों तक वायरस फैला चुके होंगें.
भारतीय लोग सोशल डिस्टेंस और लॅाकडाउन का कैसे उल्लंघन करते हैं इसके हजारों वीडियो सोशल मीडिया पर घूम रहे हैं जहां पुलिस उन्हें जबरन लाठी मारकर घर के अंदर रहने को कह रही है. ट्रेन चलाने के अलावा अन्य कोई भी विकल्प नहीं है दूसरे राज्यों से लोगों को घर तक पहुंचाने के लिए लेकिन इन सारे यात्रियों पर प्रशासन को निगरानी भी रखनी होगी वरना यह वायरस और फैलता जाएगा. और एक बार ग्रामीण इलाकों तक पहुंच गया तो स्थिति और खराब हो जाएगी.
सरकार अब उद्योगों को भी शुरू करने का विचार कर रही है ऐसे में अगर काम करने वाले लोग अपने अपने घरों तक पहुंच गए तो उनका वापिस कारखानों तक पहुंचना भी मुश्किल हो जाएगा. सरकार के लिए दोहरी चुनौती है और दोनों एक तरफ कुआं तो दूसरी ओर खाई वाली स्थिति है.
सरकार को और रणनीति बनानी होगी और जो लोग भी ट्रेन से यात्रा करके अपने जिले पहुंच रहे हैं सभी को अलग कर पहले टेस्ट करना चाहिए फिर उनको उनके घरों तक जाने दिया जाना चाहिए. साथ ही जिन उधोगों को सरकार शुरु करना चाहती है वहां के लोगों का भी टेस्ट किया जाना चाहिए ताकि स्वस्थ लोग ही काम करके अर्थव्यवस्था को बढ़ाने का कार्य करें.
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