Lockdown 5.0 की शुरुआत धार्मिक स्थलों को खोलकर, ममता बनर्जी का ये कैसा संकेत?
मुख्यमंत्रियों के साथ अमित शाह (Amit Shah) की मीटिंग के बाद ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने पश्चिम बंगाल में धार्मिक स्थलों (Religious Places) को खोलने का फैसला किया है - ये केंद्र के साथ टकराव का कोई नया तरीका है या Lockdown 5.0 को लेकर कोई इशारा?
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31 मई के बाद रोजमर्रा की जिंदगी कैसी होगी, तस्वीर साफ होनी बाकी है. Lockdown 5.0 को लेकर भी संशय बना हुआ है - क्योंकि केंद्र सरकार में विभिन्न स्तरों पर बैठकें और विचार विमर्श चल रहा है. कैबिनेट सचिव की राज्यों के आला अफसरों से मीटिंग होने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) मुख्यमंत्रियों से बात कर चुके हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिल कर वस्तुस्थिति से अवगत करा चुके हैं.
केंद्र सरकार की तरफ से ये भी बताया जा चुका है कि 31 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम में लॉकडाउन 5.0 से जुड़ी कोई जानकारी नहीं दी जाएगी, फिर भी सूत्रों के हवाले से आ रही खबरों से मालूम हो रहा है कि 31 मई के बाद लोगों को छूट तो कुछ ज्यादा मिलेगी ही, राज्य सरकारों को भी पहले की तुलना में फैसले लेने के ज्यादा अधिकार मिल सकते हैं. इसी बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने 1 जून से राज्य में सभी धार्मिक स्थलों (Religious Places) को खोल दिये जाने का ऐलान किया है. ममता बनर्जी के इस ऐलान में 31 मई के बाद के भारत की कोई तस्वीर भी देखी जा सकती है क्या?
पश्चिम बंगाल में लॉकडाउन खत्म ही समझें!
कोरोना संकट में ममता बनर्जी का फैसला भी ठीक वैसा ही है जैसा अशोक गहलोत और कैप्टन अमरिंदर सिंह का रहा. जैसे राजस्थान और पंजाब में सबसे पहले लॉकडाउन लागू किया गया वैसे ही पश्चिम बंगाल में उसे खोलने की तैयारी नजर आ रही है.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रेस कांफ्रेस कर घोषणा की है कि पश्चिम बंगाल में 1 जून को सुबह 10 बजे धार्मिक स्थल खोल दिये जाएंगे - और ये आदेश मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा और चर्च सभी पर लागू होगा.
ममता बनर्जी की घोषणा से पहले खबर ये भी आयी है कि कोविड टास्क फोर्स के दो पैनलों ने लॉकडाउन को हटाने की सलाह दी है, लेकिन वे भी धार्मिक स्थलों के साथ साथ स्कूल कॉलेज और मॉल को बंद रखे जाने की सलाह दे रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सीके मिश्रा और डॉक्टर वीके पॉल की तरफ से लॉकडाउन से निकलने को लेकर सलाहियतों के साथ एक रिपोर्ट सौंपी गयी है. ये पैनल भी केंद्र सरकार के 11 शक्तिसम्पन्न समूहों का हिस्सा है जो लॉकडाउन के दौरान देख-रेख और सारे प्रबंधन संभाल रहा है.
ममता बनर्जी ने सिर्फ धार्मिक स्थल ही नहीं बल्कि सभी सरकारी और गैर सरकारी दफ्तरों को 8 जून से खोले जाने की बात बतायी है. खास बात ये है कि दफ्तरों को लेकर एक तिहाई कर्मचारियों जैसी कोई बाध्यता भी नहीं रखी गयी है - सभी कर्मचारी दफ्तर जा सकेंगे.
धार्मिक स्थलों को लेकर ये शर्त जरूर है कि अधिकतम 10 लोगों के ही इकट्ठा होने की अनुमति होगी. अब तक लॉकडाउन के दौरान शादी और अंतिम संस्कारों के लिए अधिकतम लोगों की संख्या तय की गयी थी, वो भी पहले से अनुमति लेने के बाद. शादी समारोह में 50 लोग और अंतिम संस्कार में अधिकतम 20 लोग.
ममता बनर्जी भले ही शर्तों के साथ धार्मिक स्थलों और दफ्तरों को पूरी तरह खोलने जा रही हों, लेकिन श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को लेकर उनका रवैया बदला नहीं है. ममता बनर्जी ने श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को कोरोना एक्सप्रेस करार दिया है. पहले तो ममता बनर्जी श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का ही विरोध कर रही थीं, लेकिन अब उनका विरोध ट्रेनों में भीड़ को लेकर है.
ममता बनर्जी ने तो अपनी तरफ से लॉकडाउन खत्म करने का संकेत दे ही दिया है
ममता बनर्जी का कहना है कि रेलवे प्रवासी मजदूरों को एक ही ट्रेन में हजारों की संख्या में भेज दे रहा है, ज्यादा ट्रेनें क्यों नहीं दी जा रही हैं. ममता बनर्जी का दावा है कि दो महीने में कोविड 19 पर काफी हद तक काबू पाया जा चुका है - और अब मामले इसलिए बढ़ रहे हैं क्योंकि बाहर से लोग लौट रहे हैं.
पंजाब में अकाल तख्त की तरफ से मांग उठी थी कि जब शराब की दुकानें खुल सकती हैं तो गुरुद्वारा क्यों नहीं?
उत्तर प्रदेश में कादंबरी मठ के महंत नरेंद्र गिरि ने मंदिरों को खोले जाने की डिमांड रखी थी - और बनारस में कुछ लोगों की मांग रही कि जब शराब की दुकाने खोली जा सकती हैं तो भांग की क्यों नहीं खुल सकतीं? खबरों के मुताबिक कर्नाटक सरकार ने भी 1 जून से कुछ मंदिर, मस्जिद और चर्च खोलने के संकेत दिये हैं.
ममता बनर्जी के फैसले की असली वजह क्या हो सकती है
गृह मंत्री अमित शाह के साथ वीडियो बैठक के बाद गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत का बयान आया है. प्रमोद सावंत का कहना है कि वो गृह मंत्री से लॉकडाउन 15 दिन के लिए और बढ़ाये जाने की मांग कर चुके हैं. प्रमोद सावंत ने, साथ ही, आर्थिक गतिविधियों में छूट दिये जाने की सलाह दी है.
एक अखबार से बातचीत में सीनियर वायरोलॉजिस्ट डॉक्टर वी. रवि ने आगाह किया है कि अगर 31 मई के बाद लॉकडाउन में ज्यादा छूट दी गयी तो कोरोना वायरस संक्रमण में बेतहाशा बढ़ोतरी होगी और साल के आखिर आते आते हालत ये हो सकती है कि देश की आधी आबादी कोरोना वायरस के संक्रमण का शिकार हो चुकी हो.
अब सवाल उठता है कि ममता बनर्जी के फैसले को किस नजरिये से देखा जाना चाहिये - 1 जून से लॉकडाउन खत्म होने के तौर पर या पश्चिम बंगाल और केंद्र सरकार के बीच नये सिरे से टकराव शुरू होने का संकेत समझा जाये.
केंद्र सरकार ममता बनर्जी की सरकार को कई बार नोटिस भेज चुकी है. IMTC की टीम पश्चिम बंगाल का दौरा करने के बाद पाया कि लॉकडाउन की गाइडलाइन का ठीक से पालन नहीं हो रहा. नोटिस में भी ऐसे ही सवाल उठाये गये कि बाजार खुले हुए हैं और सोशल डिस्टैंसिंग का पालन नहीं हो रहा है.
अम्फान तूफान से हुए नुकसान का जायजा लेने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के दौरे से पहले तक केंद्र सरकार के साथ ममता बनर्जी का तकरार काफी तेज रहा है. मुख्यमंत्रियों की मीटिंग में ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री से शिकायत भी की थी कि पश्चिम बंगाल के साथ राजनीतिक भेदभाव हो रहा है. लेकिन जब प्रधानमंत्री मोदी कोलकाता पहुंचे तो ममता बनर्जी की काफी तारीफ कर दी. पता चला बात बात पर टकराने वाले पश्चिम बंगाल के गवर्नर जगदीप धनखड़ भी तारीफ करने लगे हैं.
ये तो समझ आ रहा है कि चुनाव की घड़ी करीब आते देख ममता बनर्जी ने ये फैसला लिया है, लेकिन पश्चिम बंगाल अभी अभी अम्फान तूफान से बुरी तरह प्रभावित हुआ है. खुद ममता बनर्जी ही बता चुकी हैं कि कम से कम एक लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. प्रधानमंत्री मोदी ने पश्चिम बंगाल को एक हजार करोड़ की आर्थिक मदद भी दी है.
अब तो केंद्र सरकार की तरफ से लॉकडाउन को लेकर कोई घोषणा होने से पहले ही ममता बनर्जी ने जो फैसला लिया है वो तो लॉकडाउन खत्म करने जैसा ही लगता है. जब लॉकडाउन में बाजारों में भीड़ उमड़ पड़ती है. जब शराब की दुकानें खुलने पर लोग टूट पड़ते हैं. फिर धार्मिक स्थलों पर भीड़ बढ़ी तो कैसे रोका जा सकेगा. बाकी जगह तो चल भी जाता है, धार्मिक स्थलों को लेकर तो पुलिस और स्थानीय प्रशासन भी कई बातों को नजरअंदाज ही कर देता है.
बाजार और मॉल में तो लोगों को सख्ती से सोशल डिस्टैंसिंग पालन करने के लिए रोका भी जा सकता है, धार्मिक स्थलों पर लोग अपने पर उतर आये तो प्रशासन को कंट्रोल करने के लिए नाको चने चबाने पड़ेंगे.
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