लखनऊ में नमाजियों को दिया गया पुलिसिया गुलाब कौन सी खुशबू लेकर आया है?
यूपी की लखनऊ पुलिस ने गांधीगिरी का परिचय देते हुए टीले वाली मस्जिद पर शुक्रवार को नमाज अदा करने आए मुस्लिम समुदाय को गुलाब का फूल दिया है. ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जुमे की नमाज शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो. सवाल ये है कि क्या लखनऊ पुलिस ये मान चुकी है कि अब रसूल को लेकर सारा विवाद खत्म हो गया है?
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उम्मीद थी कि भाजपा से निकाली गई नूपुर शर्मा की पैगंबर मोहम्मद पर अभद्र टिप्पणी के खिलाफ जुमे यानी 17 जून 2022 को देश का मुसलमान फिर से प्रदर्शन के नाम पर सड़कों पर बवाल काटेगा. स्थिति तनाव में न बदले पुलिस मुस्तैद थी लेकिन ऐसी नौबत नहीं आई. जुमे की नमाज शांतिपूर्ण ढंग से अदा हुई. चूंकि अपने बुलडोजर न्याय से अराजक तत्वों के आशियाने को मिट्टी का ढेर बनाने वाले यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सुर्ख़ियों में पहले ही थे इसलिए उत्तर प्रदेश और यूपी पुलिस पर सभी की निगाहें थीं. इसी क्रम में एक तस्वीर इंटरनेट पर जंगल की आग की तरह वायरल हुई है. वायरल तस्वीर राजधानी लखनऊ से है जहां पुलिस ने टीले वाली मस्जिद पर नमाज अदा करने आए नमाजियों को गुलाब के फूल दिए हैं. माना जा रहा है कि ये फूल इसलिए दिए गए ताकि मस्जिद आए नमाजियों को ये बताया जा सके कि प्रदर्शन न करके सामाजिक दृष्टि से इन्होंने ऐतिहासिक काम किया है. तस्वीर इंटरनेट पर वायरल है. आगे तमाम चीजों का जिक्र होगा लेकिन उससे पहले हमारे लिए तस्वीर पर बात कर लेना बहुत जरूरी है. वायरल तस्वीर देखें और उसका अवलोकन करें तो मिलता है कि मस्जिद की तरफ नमाज़ी कूच कर रहे हैं. पुलिस बल दल बल के साथ लिए गुलाब लिए खड़ी है और एक एक कर उन्हें दे रही है.
लखनऊ में टीले वाली मस्जिद पर नमाज पढ़ने आए लोगों को गुलाब का फूल देते पुलिसकर्मी
इस पुलिसिया गांधीगिरी पर जो तर्क पुलिस के हैं वो भी कम दिलचस्प नहीं है. कहा जा रहा है आज दिया गया गुलाब उस भरोसे को पुनर्जागृत करेगा जो बीते दो जुमे की हिंसा के बाद कहीं खो चुका है. तो क्या वकाई ऐसा है? क्या पुलिस की हिंसा सच में मेल करने की है? सवाल तमाम हैं जिनके जवाब हमें इसी वायरल तस्वीर में दिख जाते हैं. तस्वीर को देखें तो मिलता है की वो पुलिस वाले जो नमाजियों को गुलाब बांट के थैंक यू कह रहे हैं. कुछ वैसे गियर्स में हैं, जिनका इस्तेमाल दंगे के वक्त पुलिस द्वारा उसे नियंत्रित करने के लिए किया जाता है.
इसके अलावा जिस अंदाज में पुलिस वाले खड़े थे अपनी इस एक्टिविटी से उन्होंने जुमें की नमाज पढ़ने आए प्रदर्शनकारियों को स्पष्ट संदेश दिया कि अगर कायदे में रहोगे तो फायदे में रहोगे.साफ है कि लखनऊ पुलिस ने उस वैक्यूम को भरने की कोशिश की जो उनके और मुसलमानों के रिश्ते में आया है.
भले ही लखनऊ पुलिस ने नमाजियों को गुलाब के फील बांटकर बीते कुछ दिनों की कट्टी को दोस्ती में बदलने का मन बना लिया हो लेकिन उसे इस बात को समझना होगा कि विवाद की शुरूआत लखनऊ से जुड़े किसी स्थानीय मुद्दे से नहीं हुई है. विरोध चूंकि किसी और से नहीं बल्कि इस्लाम और इस्लाम में भी उसके पैगंबर के खिलाफ अभद्र टीप्पणी से जुड़ा है.
तो जिस तरह लखनऊ की पुलिस ने मुसलमानों को फूल बांटे हैं असर लग रहा है कि जैसे रसूल की शान बचाने के लिए लखनऊ के मुसलमान सड़कों पर आए थे. और देश भर में जो पत्थरबाजी हुई वो सिर्फ और सिर्फ इनके ही द्वारा हुई. ध्यान रहे गत दिनों जुमे के रोज जो हिंसा हुई उसके बाद यूपी में फौरन ही पुलिस एक्शन में आई. वो तमाम लोग जो घटना में शामिल थे उनके खिलाफ मुकदमा लिखा गया वहीं घटना के जिम्मेदार लोगों के घरों को बुलडोजर से गिराया गया.
ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि पुलिस या प्रशासन ने इस प्रक्रिया पर पूर्ण विराम लगा दिया है. एक्शन अब भी लिया जा रहा और अपराधियों के घर बिना किसी मुरव्वत के गिराए जा रहे हैं. साफ है कि अपने गुलाब से लखनऊ में पुलिस ने लोगों को बताया है कि अगर वो ठीक रहे तो प्रशासन उनकी रक्षा के साथ साथ स्वागत के लिए भी मुस्तैद रहेगा. वरना सूबे में बुलडोज़र तो अपनी निर्धारित गति से चल ही रहा है. आगे भी चलता ही रहेगा.
भले ही पुलिसिया गुलाब की खुशबू से लखनऊ में लोग मस्त हो गये हों या कर दिये गए हों लेकिन बात क्यों कि रसूल से जुड़ी है और क्यों कि अभी तक भाजपा नेता नूपुर शर्मा की गिरफ्तारी नहीं हुई विरोध जस का तस है. अंत में लखनऊ पुलिस से हम बस ये कहते हुए अपनी बातों को विराम देंगे कि एक रामनीति बनाकर जीतने और दिल को जीतने में फर्क है.
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