लाल जी टंडन: अटल जी का उत्तराधिकारी लखनऊ को बहुत याद आएगा
एमपी के राज्यपाल (MP Governor) लालजी टंडन (Lalji Tandon Death) का जाना न सिर्फ भाजपा (BJP) के लिए एक बड़ी क्षति है बल्कि इसका सीधा असर उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की राजधानी लखनऊ (Lucknow) में भी देखने को मिल रहा है, जहां टंडन ने अटल जी (Atal Bihari Vajpayee) की विरासत को आगे बढ़ाया था.
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लखनऊ (Lucknow) का लाल चला गया. ये भाजपा (BJP) की तिजोरी का भी लाल था. इन्हे़ सियासत की गुदड़ी का लाल भी कहा जा सकता है. ये लाल लखनऊ में चमकती भाजपा का एक चेहरा था. भाजपा की यूपी की सियासत और शहनशाहत के सिर के ताज का भी लाल था. भगवान ने इसे सबसे छीन लिया. मध्यप्रदेश के राज्यपाल लाल जी टंडन (Lalji Tandon) के चले जाने से लग रहा है कि अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) की एक बार फिर मृत्यु हो गयी. भाजपा की गाड़ी के इंजन लखनऊ में अब पुराने दिग्गजों में पूर्व राज्यपाल व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह (Kalyan Singh ) और विधानसभा अध्यक्ष ह्दय नारायण दीक्षित लखनऊ में शेष हैं. पुरानों में एक अहम नाम केसरीनाथ त्रिपाठी पश्चिम बंगाल में राज्यपाल पद की जिम्मेदारी निर्वाहन कर चुके हैं. इसके अलावा पुरानी भाजपा में राष्ट्रीय स्तर पर टॉप फाइव में शामिल मुरली मनोहर जोशी, राजनाथ सिंह, कल्याण सिंह और केसरीनाथ त्रिपाठी की हयात (ज़िन्दगी) यूपी भाजपा के लिए प्रसाद जैसी है.
लखनऊ कभी भाजपा के पुराने दिग्गजों से गुरज़ार रहता था. पर आज अटल के गुलदस्ते के तमाम सियासी फूलों में से लखनऊ में सिर्फ ह्दय नारायण दीक्षित और कल्याण सिंह अकेले बचे हैं. राजनाथ सिंह लखनऊ के सांसद जरूर हैं लेकिन रक्षा मंत्री की जिम्मेदारी निभाते हुए उन्हें दिल्ली में वक्त देना पड़ता है. कलराज मिश्रा भी सांसद/मंत्री रहे, फिर इन्हें राज्यपाल बनाया गया.
जनसंघ से भारतीय जनता पार्टी का रूप लेने वाले इस राजनीतिक दल का वटवृक्ष इसलिए भी फल फूल रहा है कि इसकी बुनियाद मजबूत रही. इसकी जड़ें गहरी हैं. कईयों के खून-पसीने, संपूर्ण जीवन, त्याग और समर्ण के खाद्य-पानी से भाजपा का दरख्त फला-फूला है. अयोध्या विवाद के कारण उत्तर प्रदेश भाजपा की तरक्की का पहला मील का पत्थर था. इस सूबे की जमीन के जमीनी भाजपाई अपनी पार्टी के इंजन की भूमिका मे रहे.
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सृष्टि का नियम काम कर रहा है. नयी पीढ़ी आ रही है, पुरानी जा रही है. इस दौरान भाजपा के खजाने के तमाम हीरे-मोती और लाल परमात्मा के चरणों में चले जा रहे हैं. आज लखनऊ का लाल चला गया. भाजपा की तिजोरी के तमाम बेशकीमती हीरे- जवाहरात, लाल-मोतियों में लाल जी टंडन शामिल थे. पुराने लखनऊ की तमाम धरोहरों में उनकी शख्सियत भी शामिल थी.
लखनवी रवायतों से उनका खास रिश्ता रहा. लखनवी होली की चकल्लस अब उनके बिना अधूरी रह जायेगी. मामूली कार्यकर्ता, पार्षद, विधायक, कैबिनेट मंत्री, प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के लखनऊ नुमाइंदे.. ये पूरा सफर लखनऊ से शुरू होकर लखनऊ के आंचल की छांव में परवान चढ़ा. जीवन के अंतिम पड़ाव में वो मध्यप्रदेश के राज्यपाल बनें. जब भाजपा नये कलेवर में चमकी तब से विरोधियों ने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर तमाम आरोप भी लगाये.
ये इलजाम खूब लगे कि भाजपा का नया निजाम पार्टी की बुनियाद खड़ी करने वाले दिग्गजों को नजरअंदाज कर रही है. ऐसे आरोपों में लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को मार्गदर्शन मंडल में शामिल किये जाने पर तमाम तरीके के तंज किये गये. भाजपा विरोधियों के इस कटाक्ष में दम हो या ना हो पर इस बात पर भी गौर करना होगा कि पुरानी पीढ़ी के ज्यादातर बुजुर्ग नेताओं को मौजूदा पार्टी नेतृत्व ने सम्मान स्वरूप किसी बड़े संवैधानिक पद की जिम्मेदारी दी.
यूपी के ही टंडन जी को ही मध्यप्रदेश का राज्यपाल बनाया गया, कल्याण सिंह और कलराज मिश्र भी राज्यपाल बनाये गये. केसरीनाथ त्रिपाठी पश्चिम बंगाल के राज्यपाल की जिम्मेदारी संभाली थी. पुराने दौर के ही राजनाथ सिंह रक्षामंत्री हैं. बुजुर्ग ह्दय नारायण दीक्षित उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष हैं और पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह जैसे दो दिग्गज लखनऊ में भाजपा की पुरानी विरासत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.
लखनऊ में शेष अटल के गुलदस्ते के दो फूल- कल्याण और ह्दय नारायण
उत्तर प्रदेश भाजपा का केंद रहा है और इस प्रदेश के भाजपा नेता पार्टी की ताक़त बने हैं. पुराने जमाने में वाकई भाजपा की पहचान चाल-चरित्र, चेहरे से थी. कई ज़मीनी नेता अपनी सादगी की वजह से भी जाने जाते थे. इनका ज़मीन से सीधा रिश्ता था. उत्तर प्रदेश में भाजपा का पिछले 25-30 वर्ष का इतिहास देखिये तो यूपी में भाजपा विपक्ष की सक्रिय भूमिका में या सरकार चलाने की जिम्मेदारी में रही है.
अटल जी, राम प्रकाश गुप्ता, कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह, लाल जी टंडन, कलराज मिश्र, ह्दय नारायण दीक्षित और केसरी नाथ त्रिपाठी जैसे नेताओं लखनऊ से जमीनी रिश्ता रहा है. क़रीब आधा दर्जन भाजपा नेताओं में अब केवल कल्याण सिंह और ह्दय नारायण दीक्षित ही लखनऊ में बचे हैं. बाकी सब किसी ना किसी रूप में विदा हो गये. राजनाथ सिहं बतौर रक्षा मंत्री केंद्र सरकार के अहम पद पर दिल्ली के हो गए.
बुद्धिजीवी, व्यवहार कुशल और मिलनसार पुराने भाजपा नेताओं में कल्याण सिंह और ह्दय नारायण दीक्षित पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के गुलदस्ते के आखिरी फूल हैं. भगवान इनको सलामत रखे.
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