देशभक्ति का पाठ सिर्फ मदरसों में ही क्यों ?
क्या ये सही है कि सिर्फ मदरसों में ही वतन से मोहब्बत का पाठ पढ़ाया जाए. क्या सिर्फ मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को ही देशप्रेम सीखने की जरूरत है, बाकी बच्चों को नहीं ?
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बजरंग दल और संघ के लोगों द्वारा कई बार ये दावा किया गया है कि मदरसों की तालीम ठीक नहीं है. और अब मदरसों की पढ़ाई ठीक करने के लिये अब वहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दीनदयाल उपाध्याय के बारे में पढ़ाया जाएगा. जी हां, आप बिल्कुल सही पढ़ रहे हैं.
मध्यप्रदेश में मदरसा बोर्ड ने खुद ये फैसला लिया है कि मदरसों में अब देश प्रेम के लिये पाठ पढ़ाए जाएं. इस पाठ का नाम होगा ‘इस्लाम में वतन मोहब्बत’.
मध्यप्रदेश मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष सैयद इमादुद्दीन ने अपने फैसले को सही ठहराते हुए कहा, "वतन से मोहब्बत ईमान की निशानी है. यह जरूरी है कि बच्चों को देशप्रेम का पाठ पढ़ाया जाए. यही वजह है कि इस्लामिक स्कॉलर यह पाठ्यक्रम तैयार कर रहे हैं."
तो क्या मदरसा बोर्ड को भी लगता है कि वाकई मदरसों में वतन से मोहब्बत कैसे की जाए इस बारे में पढ़ाने की जरुरत है. क्या मदरसे देशभक्ति का पाठ नहीं पढ़ाते?
पर पढ़ाई हो भी रही है तो प्रधानमंत्री मोदी और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बारे में, कि ये लोग किस तरह अपने वतन से मोहब्बत करते हैं.
मगर मध्य प्रदेश के मुस्लिम संगठन इस बात से खासे नाराज हैं. मुसलिम संगठनों का कहना है कि इससे ऐसा लगता है कि मुसलमान बच्चों को ही देशप्रेम का पाठ पढ़ाने की जरूरत है. उनका यह भी कहना है कि अगर यह पाठ्यक्रम हर शिक्षा संस्थान में पढ़ाया जाए तो वो उसका स्वागत करेंगे, लेकिन उनका विरोध सिर्फ मदरसों में ही इसे पढ़ाने पर है.
मुस्लिम संगठन भी अपनी जगह सही हैं. अगर आपको पाठ पढ़ाना ही है तो हर स्कूल में देशभक्ति का पाठ पढ़ाइए. हर सरकारी स्कूल से लेकर प्राइवेट स्कूल तक वतन से मोहब्बत का पाठ पढ़ाइये. इससे मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों पर तो देश प्रेम का जुनून सवार होगा, मगर कहीं ऐसा न हो कि दूसरी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे इससे दूर रह जाएं.
कोऑर्डिनेशन कमेटी फॉर इंडियन मुस्लिम्स की मध्यप्रदेश इकाई के सचिव मसूद अहमद खान का कहना है कि, 'अगर पढ़ाना है तो हर स्कूल में पढ़ाया जाना चाहिए. अगर सिर्फ मदरसों में पढ़ाना चाहते हैं तो इसका मतलब यही है कि मुसलमान बच्चों पर शक किया जा रहा है कि वे अपने वतन से मोहब्बत नहीं करते."
आप खुद सोचिये कि क्या ये सही है कि सिर्फ मदरसों में ही वतन से मोहब्बत का पाठ पढ़ाया जाए. इससे तो वाकई सीधा-सीधा संदेश जाता है कि हां, मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को ही जरुरत है कि देश से प्रेम कैसे किया जाए.
इसके लिये इस पाठ्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जनसंघ के संस्थापक दीनदयाल उपाध्याय, भारत के प्रथम केन्द्रीय शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद, पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम और प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित देश की कई हस्तियों की जीवनी को पढ़ाया जाना है. इन हस्तियों के बारे में मदरसों के बच्चों को पढ़ाया जाएगा, साथ ही ये सिखाया जाएगा कि वतन से मोहब्बत कैसे की जाती है.
इस पूरे मुद्दे पर बीजेपी का कहना है कि मदरसा बोर्ड ने अगर ये पाठ्यक्रम तय किया है तो उसमें बुराई क्या है. खैर बुराई तो कुछ नहीं है मगर नियम भी सभी जगह लागू होता तो कम से कम जो मुद्दा निकल कर आ रहा है कि सिर्फ मुसलमानों को ही देश प्रेम का पाठ पढ़ाया जा रहा है, शायद पैदा नहीं होता.
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