Maharashtra: सत्ता की लड़ाई में उभरे हैं 6 रहस्य
महाराष्ट्र (Maharashtra Government Formation) का सियासी नाटक हर बदलते दिन के साथ रंग बदल रहा है, लेकिन खत्म नहीं हो रहा है. इसी उठा-पटक के बीच इस सियासी नाटक ने 6 रहस्य भी पैदा कर दिए हैं, जो लोगों के सिर्फ और सिर्फ कंफ्यूज कर रहे हैं.
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महाराष्ट्र (Maharashtra Government Formation) में चुनावी नतीजे 24 अक्टूबर को आए गए थे, जिसमें भाजपा-शिवसेना (BJP-Shiv Sena Alliance) के गठबंधन को बहुमत भी मिल गया था, बावजूद इसके सरकार नहीं बन सकी. इसकी वजह थी मुख्यमंत्री की कुर्सी, जिस पर दोनों में सहमति नहीं बन पाई. ये कुर्सी उसी दिन से लगातार रोज नए गुल खिला रही है. अब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आए महीने भर से अधिक हो गया है, लेकिन किसी की सरकार नहीं बन सकी है. शनिवार को सबको चौंकाते हुए भाजपा ने अजीत पवार के समर्थन के साथ सरकार बना ली. देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बने और अजीत पवार को डिप्टी सीएम की कुर्सी मिल गई. लेकिन शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस के गठबंधन ने इसका विरोध किया और कहा कि उनके पास बहुमत ही नहीं है. यहां तक कि राज्यपाल द्वारा इस तरह राष्ट्रपति शासन खत्म कर के भाजपा को सरकार बनाने के लिए बुलाने पर भी तमाम सवाल उठा दिए और राज्यपाल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचे. महाराष्ट्र का सियासी नाटक हर बदलते दिन के साथ रंग बदल रहा है, लेकिन खत्म नहीं हो रहा है. इसी उठा-पटक के बीच इस सियासी नाटक ने 6 रहस्य भी पैदा कर दिए हैं, जो लोगों के सिर्फ और सिर्फ कंफ्यूज कर रहे हैं.
महाराष्ट्र के सियासी नाटक ने 6 रहस्य पैदा कर दिए हैं, जो लोगों के सिर्फ और सिर्फ कंफ्यूज कर रहे हैं.
1- लड़ाई भाजपा-शिवसेना की, लेकिन टूट रही है एनसीपी?
वैसे तो महाराष्ट्र में सत्ता की सीधी लड़ाई भाजपा-शिवसेना के बीच है, लेकिन इनकी लड़ाई में एनसीपी के टूटने की नौबत आ गई है. भाजपा-शिवसेना में ही मुख्यमंत्री पद को लेकर कोई सहमति नहीं बन सकी तो शिवसेना ने कांग्रेस-एनसीपी के गठबंधन के साथ मिलकर सरकार बनाने की सोची, लेकिन इससे सबसे बड़ा नुकसान एनसीपी को होता दिख रहा है. वो एनसीपी, जो भाजपा की विचारधारा के खिलाफ है, जिसने विरोधी कांग्रेस के साथ गठबंधन में भाजपा के ही खिलाफ चुनाव लड़ा था. शुरुआत में शक इस बात का था कि भाजपा की ओर से शिवसेना को तोड़ने की कोशिश होगी, लेकिन चुपके-चुपके ही भाजपा ने एनसीपी में सेंध लगा दी और चाचा-भतीजे को एक दूसरे का दुश्मन बना दिया. एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार कह भी चुके हैं कि उनके भतीजे अजित पवार ने उन्हें धोखा दिया है.
2- अजित पवार 'गद्दार' हैं तो पार्टी से निष्कासित क्यों नहीं?
अगर मौजूदा घटनाक्रम को देखा जाए तो अजित पवार फिलहाल एनसीपी के लिए किसी गद्दार से कम नहीं हैं. अगर किसी पार्टी में कोई गद्दार हो तो अमूमन यही होता है कि उसे निकाल दिया जाता है, लेकिन शरद पवार ने ऐसा नहीं किया है. शरद पवार ने अजित पवार को विधायक दल के नेता के पद से हटा दिया है और कहा है कि उनके खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा. अब कब एक्शन लिया जाएगा, जब अजित पवार ने गद्दारी की है तो उन्हें पार्टी से निकाल देना चाहिए. लोगों को ये सवाल अब परेशान कर रहा है कि आखिर उन्हें पार्टी से निकाला क्यों नहीं गया? क्या वजह है कि शरद परवार ने उन्हें सिर्फ विधायक दल के नेता के पद से हटाया? कहीं शरद पवार की इसके पीछे कोई चाल तो नहीं?
3- अदालत में शिवसेना-एनसीपी के बजाए खड़ी है कांग्रेस?
महाराष्ट्र की सियासी लड़ाई में एक और पहलू है तो लोगों को कंफ्यूज कर रहा है. लड़ाई है भाजपा-शिवसेना के बीच, जो पार्टी टूट रही है, वह है एनसीपी और अदालत में कांग्रेस पैरवी करती दिख रही है. ये सब चल क्या रहा है? लड़ाई किसी और की, पार्टी कोई और टूट रही है और अदालत की लड़ाई कोई और लड़ रहा है. क्या ये सब सिर्फ इसलिए किया जा रहा है कि लोगों को कंफ्यूज किया जा सके? मौजूदा हालात देखकर तो कम से कम यही लग रहा है.
4- अपने विधायकों को ही छुपाते क्यों फिर रहे हैं दल?
भाजपा ने अजीत पवार के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार क्या बनाई, सारी पार्टियां अपने विधायकों पर से भरोसा ही खो बैठीं. हर दल अपने विधायकों को छुपाने में लगा है. ये काम सबसे अधिक हो रहा है एनसीपी और शिवसेना में. सुनने में तो अब ये भी आ रहा है कि एनसीपी खुद के ही विधायकों को खरीद रही है. तो क्या अब पार्टियों को अपने ही विधायकों पर भरोसा नहीं रहा? अगर भरोसा है तो छुपा क्यों रहे हैं?
5- उद्धव ठाकरे कह रहे हैं RSS से बात हुई है, लेकिन क्यों?
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने दावा किया है कि संघ के नेताओं ने उनसे संपर्क किया था और बीजेपी के साथ सरकार बनाने पर चर्चा के लिए बात छेड़ने की पहल की थी. बताया जा रहा है कि उद्धव ठाकरे ने इस ऑफर को ठुकरा दिया. उन्होंने साफ कर दिया कि भाजपा के साथ दोस्ती करने का वक्त निकल गया है. सवाल ये है कि जब बात ठाकरे और आरएसएस के बीच की थी, जो फिर उसे सबको बताने की क्या जरूरत, वो भी तब जब उस बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला? कहीं ऐसा तो नहीं कि उद्धव ठाकरे एनसीपी और कांग्रेस को ये जताना चाहते हैं कि उनके सामने अभी भी भाजपा के साथ गठबंधन का विकल्प है? कहीं वो ये तो नहीं कह रहे कि भले ही शिवसेना और भाजपा के बीच मनमुटाव हो गया है, लेकिन संघ एक बार फिर दोनों को साथ ला सकता है? उद्धव ठाकरे ने सबको कंफ्यूज करने वाली बात कही है.
6- इतनी बात बढ़ जाने के बावजूद शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस ने सरकार बनाने का दावा क्यों नहीं पेश किया?
महाराष्ट्र के सियासी नाटक में सबसे बड़ी बात ये है कि आखिर इतना कुछ हो जाने के बाद भी शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस के ने सरकार बनाने का दावा पेश क्यों नहीं किया है? क्या अभी तक इन पार्टियों में सरकार बनाने को लेकर सहमति नहीं बन सकी है? बता दें कि भाजपा ने काफी पहले ही राज्यपाल से कह दिया था कि वह बहुमत साबित नहीं कर सकते और गेंद अपने आप ही शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस के पाले में आ गई थी, लेकिन उस दिन से लेकर अब तक सिर्फ बैठकों का दौर चल रहा है. कभी शिवसेना, कभी एनसीपी, कभी कांग्रेस तो कभी ये सब आपस में. हर रोज कई-कई बैठकें होने लगीं और इसी बीच भाजपा ने से अजीत पवार के साथ मिलकर सरकार बना ली. इतना सब हो गया है, लेकिन अब तक शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस ने सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किया, आखिर क्यों? सभी सहमत नहीं हैं या फिर सत्ता का बंटवारा ठीक से नहीं हो पा रहा है?
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