मसूद अजहर वैश्विक आतंकी घोषित होने से क्या बदल जाएगा, जानिए...
भारत ने पूरी दुनिया को तो ये यकीन दिला दिया था कि मसूद एक आतंकी है, लेकिन पाकिस्तान का जिगरी दोस्त चीन बार-बार रास्ते का रोड़ा बन रहा था. आखिरकार अब चीन ने भी नरमी दिखाई है और मसूद अजहर आतंकी घोषित कर दिया गया है.
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आज से करीब 25 साल पहले 1994 में भारतीय सेना ने मसूद अजहर को गिरफ्तार किया था. वह जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में लिप्त पाया गया था. हालांकि, 24 दिसंबर 1999 को आतंकियों ने भारतीय विमान हाइजैक कर के यात्रियों के बदले में मसूद अजहर को छुड़ा लिया था. अब 25 साल बाद मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित किया जा चुका है. यानी जिस बात को भारत पिछले 25 सालों से जानता था, उसे दुनिया को समझने में 25 साल लग गए. आपको बता दें कि ग्लोबल आतंकी घोषित करने के बाद अब मसूद अजहर की संपत्ति जब्त हो जाएगी और हर वित्तीय मदद रोक दी जाएगी. इसके अलावा यात्रा करने और हथियार रखने पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा.
मसूद अजहर का आतंकी घोषित हो जाना भारत के लिए सबसे अहम है, क्योंकि वह भारत को ही सबसे अधिक नुकसान पहुंचाता था. जम्मू-कश्मीर हमेशा से ही उसका टारगेट रहा. मसूद का सिर्फ एक मकसद था कि किसी भी तरह जम्मू-कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाया जा सके. यही वजह है कि वह पाकिस्तान का चहेता बना हुआ था. भारत ने पूरी दुनिया को तो ये यकीन दिला दिया था कि मसूद एक आतंकी है, लेकिन पाकिस्तान का जिगरी दोस्त चीन बार-बार रास्ते का रोड़ा बन रहा था. आखिरकार अब चीन ने भी नरमी दिखाई है और मसूद अजहर आतंकी घोषित कर दिया गया है.
25 साल बाद मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित किया जा चुका है.
25 साल का इतिहास है आतंकी मसूद का
1994 में जब मसूद कश्मीर आया था तो भारत ने उसे गिरफ्तार कर लिया गया था. इसके बाद हरकतुल मुजाहिद्दीन ने उसे छुड़ाने के लिए 24 दिसंबर 1999 को एक भारतीय विमान को हाईजैक कर लिया. आतंकियों ने 150 यात्रियों की सलामती के बदले आतंकी मसूद अजहर को छोड़ने की शर्त रखी और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को मसूद को छोड़ना पड़ा. पाकिस्तान पहुंचते ही 2000 में मसूद ने जैश-ए-मोहम्मद जिहादी संगठन बनाया और 2001 में संसद पर हमला कर दिया.
इस हमले के बाद ही अमेरिका ने जैश को आतंकी संगठन की लिस्ट में डाल दिया. पाकिस्तानी सेना ने मसूद को भारत की संसद पर हमला करने के आरोप में गिरफ्तार भी किया, लेकिन साल भर में ही छोड़ दिया. इसी मसूद अजहर के संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने 14 फरवरी 2019 को पुलवामा में आतंकी हमला किया, जिसमें 37 जवान शहीद हो गए. अब 25 सालों के बाद दोबारा मसूद पर शिकंजा कसा है.
भारत की डिप्लोमैटिक जीत
यूं तो 1999 में मसूद अजहर को आतंकियों द्वारा छुड़ाए जाने के बाद से ही उसे आतंकी घोषित कराने की कोशिशें शुरू हो गई थीं, लेकिन अब जाकर भारत को इसमें कामयाबी मिल सकी है. ये जीत राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से तो बहुत बड़ी है ही, साथ ही यह भारत डिप्लोमैटिक जीत भी है.
भाजपा और मोदी के लिए 'खुशखबरी'
मसूद अजहर के वैश्विक आतंकी घोषित होने से वैसे तो पूरा देश खुश है. हर राजनीतिक पार्टी को इस बात की खुशी है, लेकिन भाजपा के लिए ये खबर उनकी खुशियों में चार चांद लगाने जैसी है. लोकसभा चुनाव चल रहे हैं और इसमें भाजपा मसूद अजहर के मामले को अच्छे से भुना सकता है. वैसे भी पुलवामा हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान पर चौतफा दबाव बनाकर उसे घुटने टेकने पर मजूबर तो कर ही दिया है. अब मसूद अजहर का आतंकी घोषित होना भाजपा को राजनीतिक तौर पर भी फायदा दिलाएगा. एक टीवी डिबेट में भाजपा के प्रवक्ता ने कह भी दिया- 'मोदी है तो सब मुमकिन है'.
अमेरिका का भारत के साथ ईरान कनेक्शन
कल यानी 2 मई से भारत कच्चे तेल की खरीद के लिए ईरान का रुख नहीं कर सकेगा. अमेरिका ने इस पर बैन लगा दिया है. कुछ समय पहले ही अमेरिका ने ये बयान भी दिया था कि वह भारत के सबसे बड़े दुश्मन आतंकवादी मसूद अजहर पर बैन लगाने में भारत की मदद कर रहा है, बदले में उसे भी ईरान से तेल खरीदना बंद करना होगा. खैर, ये बात तो साफ है ही कि अमेरिका लगातार चीन पर दबाव बना रहा था ताकि मसूद को आतंकी घोषित करार दिया जाए. अब जब अमेरिका की मदद से मसूद जैसे आतंकी को वैश्विक आतंकी घोषित करने में मदद मिली है तो भारत भी ईरान के साथ कच्चे तेल के व्यापार को बंद कर ही देगा.
पाकिस्तान के लिए बोझ बन गया था मसूद
अगर देखा जाए तो आतंकी मसूद अजहर अब पाकिस्तान के लिए भी एक बोझ बन चुका था. पूरी दुनिया पाकिस्तान से दूरी बनाने लगी थी. आतंकियों को होने वाली फंडिंग पर नजर रखने वाली संस्था एफएटीएफ ने भी पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाल दिया था और आने वाले कुछ महीनों में ब्लैक लिस्ट करने वाला था. पुलवाला हमले के बाद भारत भी बातचीत छोड़कर हथियार चलाने लगा था. अमेरिका ने सितंबर 2018 में ही आतंकी गतिविधियों पर लगाम न लगाने के चलते पाकिस्तान को दी जाने वाली 30 करोड़ डॉलर की आर्थिक मदद रोक दी थी. कंगाली के कगार पर पहुंच चुके पाकिस्तान को आईएमएफ की तरफ से मिलने वाला बेलआउट पैकेज भी अधर में लटक गया था. ऐसे में पाकिस्तान ने भी मसूद अजहर जैसे बोझ को सिर से उतारना ही सही समझा. वैसे भी, पाकिस्तान के लिए आतंकी खड़े करना कौन सी बड़ी बात है. कोई नया बना लेंगे.
दस साल बाद झुका चीन
अभी तक चीन दो वजहों से मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित नहीं होने दे रहा था. पहली वजह थी पाकिस्तान की दोस्ती और दूसरी वजह थी CPEC के आसपास मसूद अजहर का दबदबा. अब जब पाकिस्तान ने ही मसूद को बोझ मान लिया तो चीन ने भी नरमी दिखा दी. हो सकता है दोनों देशों में तय हुआ हो कि अब मसूद अजहर से निपट लिया जाएगा. वैसे भी, चीन चार बार (2009, 2016, 2017, 2019) वीटो पावर का इस्तेमाल कर के मसूद अजहर के वैश्विक आतंकी घोषित होने पर रोक लगा चुका था. अब नौबत ये आ गई थी कि उसे खुले में यूएन के सामने आकर इस पर बहस करनी पड़ती. इन सबसे बचने के लिए चीन ने अपने रुख में नरमी दिखा दी.
मसूद अजहर को अब वैश्विक आतंकी घोषित तो किया जा चुका है, लेकिन सवाल ये है कि इससे बदलेगा क्या? हाफिज सईद पहले से ही वैश्विक आतंकी है, लेकिन वो भी पाकिस्तान में खुलेआम घूम रहा है. घूमना तो छोड़िए, उसके रिश्तेदार तो चुनाव तक लड़ रहे हैं. मसूद अजहर के मामले में भी ऐसा ही होगा. उसे कुछ दिन नजरबंद कर के किसी फाइव स्टार होटल में रख देंगे, फिर मामला ठंडा पड़ते ही रिहा कर देंगे. लेकिन चलते-चलते एक सवाल पर गौर करना जरूरी है कि मसूद अजहर है कहां? वह जिंदा भी है या बालाकोट में वाकई उसकी मौत हो चुकी है?
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