New

होम -> सियासत

 |  3-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 22 सितम्बर, 2018 02:53 PM
बिजय कुमार
बिजय कुमार
  @bijaykumar80
  • Total Shares

2019 लोकसभा चुनाव से पहले सेमीफइनल माने जा रहे आगामी विधानसभा चुनावों के लिए राजनीतिक दलों ने कमर कस ली है. बता दें कि इन राज्यों में बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर की उम्मीद थी, लेकिन इससे ठीक पहले कांग्रेस पार्टी को झटका लगा है क्योंकि मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी की पार्टी 'जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़' के साथ चुनाव लड़ने का फैसला किया है. दोनों दलों ने ये घोषित किया है कि कुल 90 सीटों में से बीएसपी 35 सीटों पर चुनाव लड़ेगी जबकि जनता कांग्रेस 55 सीटों पर उम्मीदवारों को मैदान में उतारेगी.

mayawati, ajit jogiछत्तीसगढ़ में अजीत जोगी की पार्टी 'जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़' के साथ गठबंध किया

ऐसा होने से ये माना जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में अब मुकाबला त्रिकोणीय होगा जिससे बीजेपी को कुछ राहत मिलेगी तो वहीं कांग्रेस कि लिए अब चुनौती ये है कि वो कैसे विपक्ष को 2019 से पहले गोलबंद करती है क्योंकि ये कयास लगाए जा रहे थे कि विधानसभा चुनावों खासकर छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में पार्टी बीएसपी के साथ मैदान में उतर सकती है जहां बीजेपी पिछले 15 सालों से सत्ता में बैठी है. मायावती के इस कदम से एक बात तो हो गयी है कि उनकी पार्टी को अगर सम्मानजनक सीटें मिलती हैं तभी वो कांग्रेस या किसी और दल के साथ गठबंधन करेंगी. वैसे मायावती का यह फैसला कांग्रेस के लिए एक कड़ा सन्देश माना जा रहा है, जो मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में चुनाव को लेकर लगातार बीएसपी के साथ बात कर रही थी.

बीएसपी प्रमुख मायावती ने कहा है कि अगर हम चुनाव जीतते हैं तो अजीत जोगी मुख्यमंत्री बनेंगे. बता दें कि छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने साल 2016 में नयी पार्टी बना ली थी जब उनके बेटे अमित जोगी को पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए कांग्रेस से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया था. 2011 के सेन्सस के अनुसार छत्तीसगढ़ की कुल जनसंख्या 2.56 करोड़ थी जिसमें से 12.82% अनुसूचित जाति (एससी) और 30.62% अनुसूचित जनजाति है और ये राज्य में चुनाव के नतीजे निर्धारित करने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

mayawatiकांग्रेस और भाजपा की परेशानियां बढ़ा रही हैं मायावती

इन दोनों दलों के गठबंधन से इतना तो तय है कि आगामी लोकसभा चुनाव में भी इनसे ना सिर्फ कांग्रेस बल्कि बीजेपी को भी नुकसान होगा जिसका सही आकलन विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद हो सकेगा. हमने देखा था कि कैसे मायावती के कर्नाटक चुनाव में उतरने से जेडीएस को बल मिला था और उसने अच्छा प्रदर्शन किया था और वहां कांग्रेस को जेडीएस के साथ आना पड़ा था जबकि बीजेपी बड़ी पार्टी होकर भी सत्ता से बाहर हो गयी.

बात करें छत्तसीगढ़ में साल 2003 से हुए अबतक के विधानसभा चुनावों की तो हर चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी ही प्रमुख दल रहे हैं और दोनों के बीच जीत का अंतर धीरे-धीरे कम हो रहा है. साल 2003 में हुए चुनावों में दोनों के वोट में 2.5% का अंतर था जो साल 2008 में घटकर 1.7% रह गया. पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी के बीच ये अंतर महज 0.75% था और वोट के लिहाज से लगभग 98 हजार वोटों का. साल 2013 में बीएसपी ने राज्य की सभी 90 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे और उसे 4.27% वोट शेयर के साथ कुल 5,58,424 वोट मिले थे जबकि पार्टी सिर्फ एक सीट जीतने में कामयाब हो पायी थी.

विधानसभा चुनाव नतीजे (2013)

बीजेपी 49
कांग्रेस 39
बसपा 01
निर्दलीय 01

लोकसभा चुनाव नतीजे (2014)

बीजेपी 10
कांग्रेस 01
बसपा 00

ये भी पढ़ें-   

भाई और बेटे में से किसे चुनेंगे मुलायम सिंह यादव?

उत्तर प्रदेश: बुआ-भतीजा मिलकर कांग्रेस को महागठबंधन से अलग क्यों रखना चाहते हैं

लेखक

बिजय कुमार बिजय कुमार @bijaykumar80

लेखक आजतक में प्रोड्यूसर हैं.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय