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Updated: 08 अप्रिल, 2019 05:12 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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लोक सभा चुनाव के लिए गठबंधन के बाद मायावती अब चुनाव प्रचार में भी कूद पड़ी हैं. मायावती खुद चुनाव नहीं लड़ रही हैं क्योंकि पहले वो सपा-बसपा गठबंधन की जीत सुनिश्चित करना चाहती हैं.

मायावती की पहली रैली देख कर तो ऐसा ही लग रहा है कि वो उसी लीक पर चल रही हैं जिस पर यूपी विधानसभा चुनावों का रास्ता तय किया था. 2017 के विधानसभा चुनावों में मायावती का 'दम' फॉर्मूला बेदम साबित हुआ. 'दम' यानी दलित और मुस्लिम वोटों का गठजोड़. मायावती ने इस बार समाजवादी पार्टी से गठबंधन जरूर किया है, लेकिन जोर अपने दलित वोट बैंक के अलावा मुस्लिम वोटों पर ही लगता है.

भीड़ ने वोट दिया कब है?

सपा-बसपा गठबंधन की पहली रैली पश्चिमी उत्तर प्रदेश के देवबंद में हुई है. संयुक्त रैली थी इसलिए तीनों दलों के नेता मंच पर साथ दिखे, लेकिन दबदबा मायावती का ही दिखायी दिया. करीब 40 मिनट के मायावती के भाषण में बीजेपी और कांग्रेस दोनों दलों के नेता निशाने पर रहे.

रैली में भीड़ तो वैसी ही थी जैसी मायावती को सुनने के लिए हुआ करती है. मायावती के भाषण की स्पीड भी तेज ही रही और कई बातों पर ताली भी खूब बजी. मायावती ने बीजेपी और कांग्रेस के गरीबी हटाओ फॉर्मूले को जुमला बताते हुए अपना नया फॉर्मूला भी पेश किया.

बाकी सब तो ठीक था, लेकिन मायावती का भाषण सुन कर ऐसा लग रहा था जैसे दो साल पुरानी स्क्रिप्ट में मामूली काट-छांट कर फिर से पेश कर दिया गया हो.

सवाल ये है कि जिन चीजों के भरोसे मायावती 2017 के विधानसभा चुनाव में कुछ खास नहीं कर पायीं उन्हीं के बूते केंद्र में सरकार बनाने के सपने कैसे देखने लगी हैं?

मायावती की रैलियों में जैसी भीड़ 2012 और 2017 के विधानसभा चुनावों में रही, वैसी ही 2014 के आम चुनाव में भी. हालत अब भी वही है. फिर भी सच तो यही है कि तीनों ही चुनावों में मायावती की पार्टी बीएसपी को भारी शिकस्त झेलनी पड़ी.

रैली में भीड़ से गदगद मायावती फूली नहीं समा रही थीं - और भीड़ की तारीफ करने से खुद को रोक भी नहीं पायीं. मायावती ने कहा कि महागठबंधन की महारैली में उमड़ी भीड़ के बारे में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जानकारी मिलेगी तो वह घबराकर जाएंगे और 'सराब-सराब' करने लगेंगे.

गठबंधन की घोषणा के वक्त भी मायावती ने EVM का जिक्र किया था और रैली में भी दोहराया. मायावती ने कहा कि बीजेपी जा रही है और महागठबंधन आ रहा है. मगर मायावती ने एक शर्त भी रख दी, अगर चुनाव या ईवीएम में गड़बड़ी नहीं की गई तो गठबंधन की जीत होगी.

sp bsp rallyमुस्लिम वोटों के भरोसे कैसे होगा बेड़ापार

मायावती ने भ्रष्टाचार के मामले में कांग्रेस और बीजेपी को एक तराजू में पेश किया. मायावती ने कहा कि पहले बोफोर्स और अब राफेल का घोटाला सामने आया है. मायावती बोलीं, 'आप सर्वे की बातों में मत आना और एक साथ गठबंधन को वोट देना.' मायावती ने प्रियंका गांधी को भी टारगेट किया - 'आज बोट यात्रा, रोड शो या गंगा में डुबकी लगाकर लोगों को गुमराह किया जा रहा है.'

मुस्लिम समुदाय से भावनाओं में बहकर वोट न देने की अपील

मायावती ने कांग्रेस पर मुस्लिम समुदाय को बांटने का इल्जाम लगाया है. मायावती ने बताया कि सबको मालूम है कि बीएसपी ने अपने मुस्लिम उम्मीवार का नाम बहुत पहले ही तय कर लिया था. मायावती ने कहा कि कांग्रेस को पता है कि सहारनपुर में उसे कोई और वोट नहीं मिलने वाला है, इसलिए वो मान कर चल रही है कि हम जीतें न जीतें गठबंधन का उम्मीदवार न जीत पाये. मायावती ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने ऐसे उम्मीदवार को टिकट दिया है जिससे गठबंधन का नुकसान हो.

दरअसल, बीएसपी ने सहारनपुर से हाजी फजलुर्रहमान को उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस ने इमरान मसूद को फिर से टिकट दिया है. 2014 में बीजेपी के राघव लखनपाल ने इमरान मसूद को करीब 65 हजार वोटों से हरा दिया था. बीजेपी ने मौजूदा सांसद राघव लखनपाल को ही टिकट दिया है. बीएसपी ने 2014 में जगदीश सिंह राणा को टिकट दिया था. 2009 में सहारनपुर से सांसद रहे जगदीश सिंह राणा को भी पिछली बार दो लाख से ज्यादा वोट मिले थे. देवबंद के मंच से मायावती ने पूरे मुस्लिम समुदाय को समझाया कि सिर्फ सपा-बसपा गठबंधन ही बीजेपी को टक्कर दे सकता है. मायावती ने कहा कि अगर लोग चाहते हैं कि यूपी में बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़े तो मुस्लिम समाज को गठबंधन के उम्मीदवारों को वोट देना होगा.

सिर्फ मौजूदा लोक सभा चुनाव ही नहीं, मायावती ने मुस्लिम समुदाय से 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए भी वोट मांग लिये. मायावती बोलीं, 'मोदी के साथ योगी को भगाना होगा, इसलिए आगे भी मुस्लिम समुदाय हमारे साथ बना रहे.'

मायावती के पास भी अपना गरीबी हटाओ फॉर्मूला

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बाद मायावती ने भी अपना गरीबी हटाओ फॉर्मूला बताया है. कांग्रेस की न्याय स्कीम की खिल्ली उड़ाते हुए मायावती ने कहा कि नरेंद्र मोदी के 15 लाख वाले वादे की तरह गरीबों को राहुल गांधी का 72 हजार देने का वादा भी एक जुमला ही है. मायावती ने समझाया 'कांग्रेस ने गरीबी को लेकर सिर्फ जुमलेबाजी की है. इंदिरा गांधी ने भी गरीबी हटाने के लिए नाटकबाजी की थी. अब एक बार फिर पैसे देने के नाम पर जुमला दिया जा रहा है.'

मायावती ने कहा कि सत्ता में आने पर वो पैसे देने की बजाये गरीब युवाओं को सरकारी नौकरी देंगे. मायावती ने वादा करते हुए कहा, 'अगर केंद्र में हमें सरकार बनाने का मौका मिलता है तो हर महीने सरकारी और गैर-सरकारी क्षेत्रों में स्थायी रोजगार देने की व्यवस्था करेंगे.'

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लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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