बजट सत्र में चुनावी घमासान का ट्रेलर तो दिखेगा ही
चुनावी समर में कूदने से पहले बजट सत्र नरेंद्र मोदी सरकार के लिए अंतिम अवसर है. मोदी सरकार को घेरने के हिसाब से ऐसा ही मौका विपक्ष के पास भी है, जो हर संभव फायदा उठाने में कोई कसर बाकी नहीं रखनेवाला.
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देश में फिलहाल कोई भी राजनीतिक गतिविधि या सरकारी आयोजन चुनावी मंशा से इतर नहीं होते. राष्ट्रपति के भाषण में मौजूदा सरकार की उपलब्धियां बताए जाने का तो रिवाज है, लेकिन यूपी सरकार की कुंभ में कैबिनेट की मीटिंग और राहुल गांधी द्वारा एक निजी मुलाकात को सियासी शक्ल दिया जाना लोकतंत्र की नयी रवायत में पैबंद ही तो हैं.
चुनाव मैदान में कूदने से पहले बजट सत्र नरेंद्र मोदी सरकार के लिए आखिरी मौका है, जो पूरे देश के सामने लाइव है. मोदी सरकार को घेरने के हिसाब से ऐसा ही मौका विपक्ष के पास भी है और वो इसका पूरा फायदा उठाने की फिराक में है.
अगर मापने का पैमाना हंगामा ही है तो संसद की ये जंग लगभग बराबरी पर छूट रही है - लेकिन सवाल ये है कि चुनावी मैदान के लिए ये मौका कैसा लांचपैड साबित होता है?
संसद से मौजूदा मोदी सरकार का आखिरी रिपोर्ट कार्ड
राष्ट्रपति के अभिभाषण से बजट सत्र शुरू होता, उससे पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदन से बाहर मीडिया से मुखातिब हुए और चेतावनी भरे लहजे में कहा, 'देश की जनता संसद की हर गतिविधि बारीकी से देखती है... आज देश जागरूक है...'.
प्रधानमंत्री का ये सार्वजनिक संदेश हर किसी के लिए था. जो जिस भाव से अपना ले या ठुकरा दे. कुछ और भी बातें कही, संदेश था कोई किसी को गुमराह करने की कोशिश हरगिज न करे - ये पब्लिक है. सब जानती है.
सदन के भीतर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण का उसका लब्बोलुआब यही रहा कि पिछले पांच साल में जो कुछ हुआ वो उससे पहले किसी भी सरकार में नहीं हुआ.
1. भ्रष्टाचार मुक्त नया भारत : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बताया कि उनकी सरकार ने नये भारत का संकल्प लिया और वो भ्रष्टाचार मुक्त नया भारत सामने है, जबकि 2014 के चुनाव से पहले देश अनिश्चितता के दौर से गुजर रहा था.
2. मानवरहित क्रॉसिंग खत्म : शौचालय, आयुष्मान भारत, सस्ते स्टेंट, किडनी ट्रांसप्लांट में मदद और बीमा सुरक्षा के साथ साथ सरकार की ओर से दावा ये भी है कि भारतीय रेल ने मानवरहित क्रॉसिंग लगभग समाप्त कर दिया है.
3. सबका साथ, सबका विकास : मोदी सरकार ने एक नया भारत बनाया जिसमें अस्वच्छता के लिए स्थान न हो - और समाज की आखिरी पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक सब कुछ पहुंचे.
देश देख रहा है, पब्लिक सब जानती है...
4. असहिष्णुता पर बयान : सरकार के प्रयासों में शोषण की राजनीति के विरूद्ध जागृति फैलाने वाले राम मनोहर लोहिया की आवाज भी है.
5. नोटबंदी का जिक्र फिर से : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सूरत में दावा किया था कि नोटबंदी से युवाओं के लिए घर लेना सस्ता हुआ. लगता है मोदी सरकार कालेधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ नोटबंदी को फिर से महत्वपूर्ण फैसला बताने वाली है. साथ ही, राष्ट्रपति कोविंद ने बताया कि 2014 से पहले जहां 3.8 करोड़ लोगों ने अपना रिटर्न फाइल किया था, वहीं अब 6.8 करोड़ से ज्यादा लोग आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए आगे आये हैं.
सरकार की पांच साल की उपलब्धियों में सस्ते इंटरनेट की उपलब्धता भी शुमार है. बताया जा रहा है 2014 में जहां 1 GB डेटा की कीमत लगभग ₹250 थी, घटते घटते अब वो कर ₹10 से ₹12 तक पहुंच चुकी है - मोबाइल पर बात करने में पहले जितना खर्च आता था, वो भी आधे से कम हो चुका है. सही बात है और सबसे बड़ी भूमिका तो जियो ने निभाई है.
राफेल का जिक्र आते ही गूंज उठा सदन
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के भाषण में दो वाकये ऐसे भी आये जब खूब मेजें थपथपायी गयीं - ये थे सर्जिकल स्ट्राइक और राफेल विमान का जिक्र. सर्जिकल स्ट्राइक की चर्चा होते ही सेंट्रल हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा. कुछ सेकेंड के लिए राष्ट्रपति को भाषण रोकना भी पड़ा. दूसरा वाकया कुछ देर बाद आया जब लड़ाकू विमान राफेल को लेकर राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि भारत अब सैन्य आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है - और दशकों बाद भारतीय वायुसेना नई पीढ़ी के अत्याधुनिक राफेल विमान को शामिल कर ज्यादा ताकतवर होने जा रही है.
ये राष्ट्रपति के अभिभाषण की मर्यादा रही वरना पिछले ही सत्र में राफेल पर खूब तू-तू, मैं-मैं हुई. सत्ता पक्ष और विपक्ष एक दूसरे पर झूठ बोलने के आरोप लगाते रहे. ये सिलसिला आगे भी जारी रहेगा, इंकार नहीं किया जा सकता.
पहली बार भ्रष्टाचार मुक्त नया भारत बनाने का मोदी सरकार का दावा...
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद सत्ताधारी बीजेपी को लगा कि कांग्रेस का मुंह बंद हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने तो मौका देख कर बीमार मनोहर पर्रिकर को भी विवाद में घसीट लिया. बवाल मचने पर बोल दिया कि कोई नयी बात नहीं कही - सिर्फ पुरानी बातें ही दोहरायी हैं.
बजट सत्र के लिए कांग्रेस ने अपने सांसदों के लिए दो दिन का व्हिप जारी किया है - सभी सांसदों को 1 और 2 फरवरी को सदन में रहना जरूरी है.
फर्क क्या पड़ता है कि बजट आंतरिक है या...
2014 में तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने आंतरिक बजट पेश किया था और उसमें एक्साइज ड्यूटी में कटौती की घोषणा की लेकिन वो 30 जून तक ही प्रभावी रहनी थी, ताकि नयी सरकार उसकी समीक्षा करने के बाद फैसला ले सके. ये यूपीए सरकार की बात थी, जरूरी नहीं कि एनडीए सरकार में भी ऐसा ही हो. इस्तीफों की बात पर राजनाथ सिंह का जवाब यहां काबिल-ए-गौर है.
नरेंद्र मोदी सरकार ने जुलाई, 2014 में पहला बजट पेश किया था और ये इस सरकार का आखिरी बजट है. ये बजट तो प्रभारी वित्त मंत्री पीयूष गोयल पेश करने जा रहे हैं करने जा रहे हैं लेकिन तमाम संकेत अरुण जेटली पहले दे ही चुके हैं. मसलन - 'देश की अर्थव्यवस्था के हित में आवश्यक फैसले लिए जा सकते हैं.'
बजट से जुड़ी सबसे बड़ी तो यही लगती है कि ऐसी कुछ घोषणाएं भी कर दें जिन्हें 1 अप्रैल, 2019 से लागू किया जाना हो और उसके पीछे बड़े चुनावी फायदे की सोच हो.
ये भी जरूरी नहीं कि अंतरिम बजट में जो घोषणाएं हों, वे पूरे साल प्रभावी भी रह पायें - क्योंकि जुलाई में जब नयी सरकार पूर्ण बजट पेश करेगी तो उसके पास बजट से जुड़ा सर्वाधिकार सुरक्षित होगा. बात पते की ये है कि अगर कोई अति लोकलुभावन बात आंतरिक बजट में होती है तो सत्ताधारी बीजेपी को चुनावी फायदा तो मिल ही सकता है.
बजट से इतर 13 फरवरी तक चलने वाले इस सत्र में बीजेपी की कोशिश तीन तलाक और नागरिकता संशोधन बिल पास कराने की हो सकती है - और मौका अनुकूल दिखा तो अयोध्या पर भी कोई ऐसी किसी पेशकश की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता जिसका विरोध विपक्ष के लिए संभव न हो. बोनस में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इनडोर चुनावी रैली तो होनी ही है - बातें क्या होंगी ध्यान उसी पर रहेगा.
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