Modi govt 2.0 के शुरुआती फैसले से ही NDA में दरार!
मोदी सरकार 2.0 के मंत्रियों की पूरी सूची सामने आ गई है. Modi cabinet ministers full list. लेकिन इसमें मंत्रियों की मनचाही संख्या न मिलने से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही नहीं, देश के अलग-अलग हिस्सों में मौजूद NDA दलों में नाराजगी सामने आ गई है.
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नरेंद्र मोदी 2.0 के साथ ही विवादों की शुरुआत हो चुकी है. बगावत के सुर जहां एक तरफ बिहार से बुलंद हुए हैं तो वहीं यूपी में अनुप्रिया पटेल भी मोदी सरकार से खफा है. नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली नई सरकार में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू शामिल नहीं हुई है. हालांकि, वह एनडीए का हिस्सा बनी रहेगी. बात अगर सीटों की हो तो 2019 के लोकसभा चुनावों में नीतीश की पार्टी जेडीयू ने 16 सीटें पर अपना कब्जा जमाया था. मोदी 2.0 से नाराजगी छुपाते हुए जेडीयू ने साफ कह दिया है कि वह एनडीए का हिस्सा तो रहेगी, मगर सरकार का नहीं.
बता दें कि पीएम आवास पर जेडीयू का कोई नेता नहीं पहुंचा. जब इस बारे में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सवाल हुआ तो मीडिया से मुखातिब होते हुए उन्होंने कहा कि, 'जदयू सरकार में शामिल नहीं होगी. भाजपा के प्रस्ताव पर पार्टी में सहमति नहीं बनी. इसलिए हम गठबंधन में बने रहेंगे. न हम नाराज हैं और न ही असंतुष्ट.'
माना जा रहा है कि मोदी और नीतीश की रार का असर बिहार के विधानसभा चुनावों में देखने को मिलेगा
नीतीश ने भी कहा कि 'हमारी पार्टी के सभी सासंद का कहना है कि हम सरकार में शामिल नहीं होंगे. यह जरूरी नहीं कि जदयू सरकार में शामिल हो ही. हम सरकार में शामिल नहीं हो रहे हैं, मगर एनडीए में रहेंगे. हमने अमित शाह को इसकी जानकारी दे दी है. सरकार में शामिल होना बड़ी बात नहीं, क्योंकि हम बिहार में साथ में काम तो करिए रहे हैं. हम पूरी मजबूती के साथ एक साथ है. कोई मजबूरी नहीं है. हम बिना तकलीफ के हम सरकार से बाहर हैं.'
Bihar CM Nitish Kumar: They wanted only 1 person from JDU in the cabinet, so it would have been just a symbolic participation.We informed them that it is ok we don't need it. It is not a big issue, we are fully in NDA and not upset at all.We are working together,no confusion. pic.twitter.com/AsDa8EUnUN
— ANI (@ANI) May 30, 2019
बात क्योंकि बिहार की चल रही है. तो हमारे लिए ये बताना बेहद जरूरी है कि यहां 40 सीटों पर चुनाव हुए थे. जिसमें जेडीयू 16 सीटें , भाजपा 17 सीटें और राम विलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी 6 सीटें जीतने में कामयाब हुई थी. जब बात नई कैबिनेट में मंत्री बनाए जाने की आई थी तो मोदी ने अपने सहयोगी दलों को एक सीट देने की बात की. चूंकि बिहार में जेडीयू 16 सीटें जीती थी इसलिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चाह रहे थे कि यहां दो लोग आरसीपी सिंह और लल्लन सिंह को कैबिनेट मंत्री बनाया जाए. जबकि संतोष कुशवाहा को राज्य मंत्री का दर्जा दिया जाए.
नीतीश का मानना था कि यदि मोदी सरकार ऐसा करती है तो इसका सीधा असर बिहार की राजनीति में भी देखने को मिलेगा. क्योंकि इस मांग पर सहमती नहीं बन पाई है तो अब माना यही माना जा रहा है कि इसके बाद भाजपा और जेडीयू के रिश्तों में तल्खी देखने को मिल सकती है. मामला कितना गंभीर हो चुका है इसे हम जेडीयू के महासचिव केसी त्यागी की उस बात से भी समझ सकते हैं जिसमें उन्होंने मोदी सरकार के इस फैसले को बिहार चुनावों से जोड़ा है. केसी त्यागी के अनुसार जल्द ही बिहार में चुनाव हैं और जैसा बिहार की राजनीति का जाति को लेकर माहौल है, मोदी सरकार को अपने इस फैसले आगामी चुनावों में देखने को मिल सकता है.
ध्यान रहे कि बिहार से ही 6 सीटों पर जीत दर्ज करने वाले लोक जनशक्ति पार्टी के मुखिया राम विलास पासवान को मोदी 2.0 ने कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया है. मोदी सरकार द्वारा इस फैसले के बाद जेडीयू की तरफ से एक तर्क ये भी आया था कि बिहार के मद्देनजर मोदी सरकार इंसाफ करने में नाकाम रही है.
गौरतलब है कि मोदी 2.0 में बिहार से लोक जनशक्ति पार्टी से 6 सीटें जीतने वाले राम विलास पासवान, पंजाब में 2 सीटें जीतने वाली शिरोमणि अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल और 18 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली शिवसेना के अरविंद सावंत को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है जबकि रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के रामदास आठवले को राज्यमंत्री बनाया गया है.
जैसा की हम बता चुके हैं मोदी की इस दूसरी पारी से जहां कई चेहरों पर खुशी है तो वहीं कुछ जगहों पर मातम भी पसरा है. उत्तर प्रदेश में 2 सीटें जीतने वाली अपना दल की अनुप्रिया पटेल मोदी सरकार से खासी नाराज हैं. जेडीयू की ही तरह अपना दल (एस) ने भी कैबिनेट में नहीं शामिल होने का फैसला किया है. हालांकि पार्टी की मुखिया शपथ ग्रहण कार्यक्रम में मौजूद हैं.
आपको बताते चलें कि पीएम मोदी के पहले कार्यकाल के दौरान अनुप्रिया पटेल को केंद्र सरकार में मंत्री पद दिया गया था. उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सहयोगी अपना दल ने इस लोकसभा चुनाव में 2 सीटों पर जीत हासिल की है. पार्टी अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल मिर्जापुर से तो वहीं रॉबर्ट्संगज से पकौड़ी लाल जीत हासिल कर संसद पहुंचे हैं.
इसी तरह तमिलनाडु में NDA में पार्टनर AIADMK नेता ओ पन्नीरसेलवम के बेटे ओपी रविंद्रनाथ कुमार का मोदी कैबिनेट में शामिल होना था. मगर वहां भी आपसी विवाद के चलते मंत्री पद किसी को नहीं मिला. पन्नीरसेलवम के बेटे की दावेदारी पर तो तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ई. पलानीसामी ने ही अड़ंगा लगा दिया.
बहरहाल नए मंत्रिमंडल के मद्देनजर जो फैसले पीएम मोदी ने लिए हैं, उससे माना यही जा रहा है कि इसका पूरा असर एनडीए मन देखने को मिलेगा. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि कई लोगों को उम्मीद थी कि वो मंत्री बनेंगे मगर ऐसा हो न सका.
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