मोदी सरकार की विदेश नीति पर थरूर की टिप्पणी से राहुल गांधी को तो गुस्सा ही आएगा
यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों के मुद्दे पर भी राहुल गांधी (Rahul Gandhi) मोदी सरकार पर चीन-पाकिस्तान जैसे ही हमलावर दिखे हैं, लेकिन शशि थरूर (Shashi Tharoor) विदेश नीति (Modi Sarkar Foreign Policy) की खूब तारीफ कर रहे हैं - कांग्रेस नेतृत्व को क्या इसमें भी बगावत की बू नजर आ रही होगी?
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कांग्रेस नेता शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने एक बार फिर राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को गुस्सा दिलाने वाला काम कर दिया है. शशि थरूर ने, दरअसल, यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों की वापसी के मामले में मोदी सरकार की विदेश नीति (Modi Sarkar Foreign Policy) की दिल खोल कर तारीफ कर डाली है.
शशि थरूर भी कांग्रेस के बागी गुट G-23 के सदस्य हैं. कपिल सिब्बल की पहल पर और गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व में सोनिया गांधी को स्थायी कांग्रेस अध्यक्ष की डिमांड के साथ जो चिट्ठी लिखी गयी थी, हस्ताक्षर करने वालों में शशि थरूर भी शामिल रहे. जब भी G-23 ग्रुप की तरफ से कांग्रेस नेतृत्व को कोई सलाह दी जाती है, गांधी परिवार का गुस्सा फौरन फूट पड़ता है. G-23 के पहले भी शशि थरूर कांग्रेस के उन सीनियर नेताओं में शामिल रहे हैं जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निजी हमले से परहेज करने का सुझाव दे चुका है.
पहले भी शशि थरूर, सोनिया गांधी के गुस्से का शिकार हो चुके हैं. भरी मीटिंग में सोनिया गांधी ने एक बार डांट पिलाते हुए कहा था कि वो काफी इधर-उधर करते हैं. शशि थरूर को यूपीए की मनमोहन सिंह सरकार में विदेश राज्य मंत्री भी बनाया गया था, लेकिन अक्सर अपने बयानों के कारण विवादों में रहे - और आखिरकार मंत्री पद से इस्तीफा भी देना पड़ा था.
हाल ही में शशि थरूर संसद में नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के हिंदी में जवाब देने पर आपत्ति जताने को लेकर चर्चा में रहे, लेकिन थरूर का वो एक्ट तो राहुल गांधी की लाइन को सूट करता था. राहुल गांधी और शशि थरूर दोनों ही फिलहाल केरल से कांग्रेस के सांसद हैं.
विदेश मंत्रालय की तरफ से यूक्रेन के मुद्दे पर बुलायी गयी मीटिंग में राहुल गांधी और शशि थरूर दोनों ही मौजूद थे, लेकिन बाहर आकर शशि थरूर ने ट्विटर पर जो कुछ लिखा उसकी राहुल गांधी को तो कतई अपेक्षा नहीं होगी. असल में शशि थरूर ने मोदी सरकार पर लगातार हमले के पार्टीलाइन से अलग टिप्पणी की है.
सपोर्ट भी, सवाल भी!
यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों की वापसी को लेकर बुलायी गयी मीटिंग में विदेश मंत्रालय की सलाहकार समिति के 21 सदस्यों में से मीटिंग में छह राजनीतिक दलों के सिर्फ नौ सांसद ही पहुंचे थे - और उनमें राहुल गांधी और शशि थरूर भी शामिल थे. कांग्रेस की तरफ से हिस्सा लेने वाले तीसरे सांसद आनंद शर्मा रहे. शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भी मीटिंग में हिस्सा लिया था. बाकियों की तरह प्रियंका गांधी ने भी विदेश मंत्रालय के प्रजेंटेशन पर सहमति जतायी और जोर देते हुए कहा कि भारतीय छात्रों को वापस लाना हमारी प्राथमिकता है.
मोदी सरकार की विदेश नीति की तारीफ के बाद तो शशि थरूर भी राहुल गांधी की तरफ से डरपोक नेताओं की सूची में डाल दिये जाएंगे
कांग्रेस ने यूक्रेन के मसले पर संयुक्त राष्ट्र के UNGA में मोदी सरकार के स्टैंड का समर्थन किया है, लेकिन राहुल गांधी ने सरकार की एडवाइजरी को भ्रमित करने वाला बताया है. साथ ही, ये भी कहा है कि सरकार की तरफ से जरूरी कदम उठाने में भी देर की गयी.
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला तो अब भी मोदी सरकार की कोशिशों को फेक PR बता रहे हैं - और सीधा आरोप है कि सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही नहीं, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह चुनावी रैलियों में व्यस्त हैं - और हमारे बच्चे वहां मुसीबत की घड़ी में संघर्ष कर रहे हैं.
"कुछ न मिले तो अब भारी बमबारी और मिसाईल हमलों के बीच पैदल चलकर निकलें.."जिंदगी और मौत से जूझ रहे बच्चों के लिए मोदी सरकार की 'आत्मनिर्भर सलाह' अब 'आत्मघाती सलाह' हो गयी है।देश की भाजपा सरकार केवल PR और प्रचार में जुटे हैं, #UkraineRussiaWar में बच्चों की जान ख़तरे में है। pic.twitter.com/PC0V13OGqW
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) March 2, 2022
This brave daughter of India has exposed “Fake PR” of Modi Govt !As PM, Home Min & Defense Min were busy in election rallies, this was the harrowing experience of our children in #Ukraine .Do listen ?? pic.twitter.com/5j4JNB42XX
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) March 3, 2022
विदेश मंत्रालय की मीटिंग में राहुल गांधी ने अपना पसंदीदा मुद्दा चीन और पाकिस्तान के करीब आने का भी उठाया, लेकिन ये भी माना कि अभी तो हमारी प्राथमिकता यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को निकालना ही होनी चाहिये. पहले भी राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार से यूक्रेन में फंसे छात्रों को लाये जाने के एक्शन प्लान को लेकर सवालिया लहजे में सुझाव भी दिये थे.
और त्रासदी ना हो इसके लिए केंद्र सरकार को बताना होगा:1. कितने छात्रों को बचाकर ला चुके हैं।2. कितने अभी भी यूक्रेन में फंसे हुए हैं।3. हर क्षेत्र के लिए विस्तृत निकास प्लान।इन परिवारों को एक स्पष्ट रणनीति बताना हमारी ज़िम्मेदारी है।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) March 2, 2022
शशि थरूर की राय से बिलकुल अलग राहुल गांधी ने मीटिंग में आरोप लगाया कि मोदी सरकार की तरफ से छात्रों को निकालने में देरी की गयी - और सरकार की तरफ से जारी एडवाइजरी भी भ्रम पैदा करने वाली रही.
थरूर की तारीफ तो कांग्रेस में बगावत ही है!
यूक्रेन पर विदेश मंत्रालय की मीटिंग के बाद शशि थरूर ने ट्वीट कर कुछ झलकियां पेश की. थरूर ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर और उनके सहयोगियों को शुक्रिया कहने के साथ ही मीटिंग को जबरदस्त बताया. शशि थरूर के मुताबिक, सदस्यों के सवालों और चिंताओं पर सटीक और विस्तार से जवाब तो मिले ही - कई बिंदुओं पर बात भी हुई.
शशि थरूर की तरफ से मोदी सरकार की फॉरेन पॉलिसी को लेकर जो सबसे बड़ी बात कही गयी है, वो है, "विदेश नीति में ऐसी ही जोश-ओ-खरोश दिखनी चाहिये."
Excellent meeting of the Consultative Committee on External Affairs this morning on #Ukraine. My thanks to @DrSJaishankar & his colleagues for a comprehensive briefing & candid responses to our questions &concerns. This is the spirit in which foreign policy should be run. pic.twitter.com/Y3T3UIrm9z
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) March 3, 2022
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी सरकार की नीतियों को लेकर राहुल गांधी का सदाबहार स्टैंड एक जैसा ही होता है, लेकिन शशि थरूर की प्रतिक्रिया मौके के हिसाब से अलग अलग होती है. हाल ही में संसद में तमिलनाडु के दो सांसदों के अंग्रेजी में पूछे गये सवाल का हिंदी में जवाब देने पर शशि थरूर नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया पर बिफर उठे थे. तब भी जबकि संसद सदस्य ने सवाल अपनी भाषा में भी नहीं पूछा था. अगर सवाल तमिल में पूछा गया होता तो भी ऐतराज के पीछे कम से कम एक तर्क तो नजर आता ही. असल में तब राहुल गांधी ने तमिलनाडु का मुद्दा उठाया था और पूरी राजनीति तब समझ में आयी जब एमके स्टालिन ने राहुल गांधी के प्रति आभार प्रकट कर दिया.
कांग्रेस सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी से भी मिला था और यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को निकालने के लिए सरकार की तरफ से कोशिशें तेज करने का आग्रह किया. हालांकि, प्रतिनिधिमंडल में पंजाब के ही सांसद शामिल थे - मनीष तिवारी, रवनीत बिट्टू, गुरजीत औजला, अमर सिंह और जसबीर गिल.
लेकिन उसके बाद मनीष तिवारी ट्विटर पर काफी आक्रामक नजर आये. मनीष तिवारी भी G-23 ग्रुप के सदस्य हैं और यूक्रेन के मुद्दे पर पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी सहित अन्य कांग्रेस नेताओं को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं.
और बेहद आक्रामक अंदाज में ट्विटर पर लिखते हैं, 'मुझे हैरानी है कि पंजाब कांग्रेस के नेता उस वक्त न दिखाई दे रहे है, न कुछ बोल रहे हैं जब हमारे हजारों बच्चे खतरे में हैं. क्या सिर्फ पंजाब के सांसदों को ही कोशिश करनी होगी?'
मुख्यमंत्री चन्नी के साथ साथ पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू, सुनील जाखड़ और पंजाब प्रभारी हरीश चौधरी को टैग करते हुए मनीष तिवारी ने पूछा है कि सब के सब कहां हैं?
I am appalled great leaders of @INCPunjab Congress are nowhere to be seen/heard when thousands of our children our in jeopardy. Is it only Punjab MP’s who have to do heavy lifting. Where is @CHARANJITCHANNI , @sherryontopp , @sunilkjakhar. , @Barmer_Harish. Is power be & end all?
— Manish Tewari (@ManishTewari) March 2, 2022
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