MOTN Survey: योगी आदित्यनाथ को तो जैसे राम मंदिर भूमिपूजन का प्रसाद मिल गया!
Mood Of The Nation Survey: इसे भव्य राम मंदिर के लिए हुआ भूमिपूजन (Ram Mandir Bhumi Pujan) मान लीजिये या फिर लॉ एंड आर्डर (Law And Order) का जलवा. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने सभी राज्यों के नेतृत्व को पछाड़ दिया है.
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कुछ वक्त पहले, जब ये घोषणा हुई कि, भाजपा (BJP) भव्य राममंदिर (Ram Temple) के लिए भूमि पूजन (Bhumi Pujan) करने वाली है, समर्थकों से लेकर विरोधियों तक ने तमाम बातें की. इन्हीं बातों के बीच फायदे और नुकसान का भी जिक्र हुआ. कहा गया कि अयोध्या (Ayodhya) में भूमिपूजन का बड़ा फायदा भाजपा को होगा. चूंकि भूमिपूजन हो चुका है इसलिए इतना तो साफ था कि इसके जरिये कहीं न कहीं भाजपा ने 22 के विधानसभा चुनावों और 24 के लोकसभा चुनावों के लिए अपनी जमीन तैयार कर ली है. तब जो चुनाव होंगे वो हैरत में डालने वाले होंगे पूर्व चुनावों की अपेक्षा भविष्य के चुनावों में भाजपा और प्रचंड बहुमत हासिल करेगी. इंडिया टुडे कार्वी इनसाइट्स मूड ऑफ़ द नेशन सर्वे (MOTN Survey) हुआ है और इस सर्वे में जैसे रुझान आए हैं चीजें और परिस्थितियां दोनों ही भाजपा और यूपी के मुखिया योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के पक्ष में हैं.
बात यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की हो तो जनता ने तमाम बातों पर पर्दा डालते हुए योगी आदित्यनाथ के पक्ष में खड़े होना ज्यादा बेहतर समझा है. सर्वे पोल में कुल मतों के 24 प्रतिशत मत हासिल करके योगी आदित्यनाथ तीसरी बार बेस्ट मुख्यमंत्री घोषित हुए हैं. इंडिया टुडे कार्वी इनसाइट्स मूड ऑफ द नेशन ने अपने सर्वे में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बेस्ट परफॉर्मिंग चीफ मिनिस्टर बताया है.
MOTN सर्वे में योगी आदित्यनाथ की कार्यप्रणाली ने आलोचकों का मुंह बंद कर दिया है
बता दें कि सर्वे में कुल मतों के 24 प्रतिशत मत हासिल हुए हैं जो इस बात की तसदीख कर देते हैं कि उत्तर प्रदेश के लॉ एंड आर्डर से लेकर संपूर्ण तंत्र तक जैसा उनका रवैया है उनकी कार्यप्रणाली ने जनता को प्रभावित किया है और खुले दिल से जनता उनके साथ आई है. ध्यान रहे कि सर्वे के परिणाम एक ऐसे वक्त में आए हैं जब कोरोना वायरस को लेकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी जैसे दल राज्य सरकार की निंदा कर रहे हैं और सोशल मीडिया विशेषकर ट्विटर पर ऐसे अभियान चला रहे हैं, जिनके जरिये सूबे के आम आदमी के सामने राज्य सरकार को नकारा सिद्ध किया जा सके.
आगे कुछ कहने से पहले हमारे लिए ये बताना भी बहुत जरूरी हो जाता है कि चाहे वो कानपुर में कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे का कथित एनकाउंटर रहा हो या फिर सूबे में हत्या और किडनैपिंग की वारदातें लगातार राज्य सरकार आलोचना के घेरे में आई है और विपक्ष ने उसे अपना निशाना बनाया है. वर्तमान में ट्विटर पर ऐसे ट्वीट्स की भरमार है जिसमें प्रियंका गांधी ने युवाओं को रोजगार मुहैया कराने से लेकर हत्या और अपहरण पर योगी आदित्यनाथ पर तमाम तरह के संगीन आरोप लगाए हैं
गौरतलब है कि जो इंडिया टुडे कार्वी इनसाइट्स मूड ऑफ द नेशन का हालिया सर्वे आया है वो इस लिए भी दिलचस्प है क्यों कि 7 में से 6 टॉप परफॉर्मिंग मुख्यमंत्री नॉन बीजेपी और नॉन कांग्रेस पार्टी से है. ममता बनर्जी जो पिछले बार के सर्वे में नंबर 1 के पायदान पर थीं उनकी स्थिति बद से बदतर हुई है. ताजे सर्वे में ममता नंबर 1 से खिसककर नंबर 4 पर आ गईं हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री व्हाई एस जगन मोहन रेड्डी ममता से ऊपर हैं. हालिया सर्वे में ममता को 9 प्रतिशत मत मिले हैं वहीं अरविंद केजरीवाल को 15 प्रतिशत और जगन मोहन रेड्डी को 11 प्रतिशत वोट मिले हैं.
जनवरी 2020 में जब MOTN सर्वे हुआ तब योगी आदित्यनाथ ने 18 प्रतिशत मतों के साथ अपने प्रतिद्वंद्वी अरविंद केजरीवाल और ममता बनर्जी को करारी शिकस्त दी थी. तब इन दोनों नेताओं को 11 प्रतिशत मतों के साथ संतोष करना पड़ा था.
बेस्ट मुख्यमंत्री को लेकर क्या कहती है लोगों की पसंद
वहीं अगर हम अगस्त 2019 का अवलोकन करें तब भी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अन्य लोगों पर भारी पड़े थे. तब योगी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी को करारी शिकस्त दी थी. तब उस वक़्त ममता बनर्जी ने टॉप रैंक हासिल की थी और अपने आलोचकों विशेषकर भाजपा के मुंह पर करारा थप्पड़ जड़ा था.
क्या है इस सर्वे का तरीका?
बता दें कि MOTN पोल को दिल्ली आधारित एक मार्केट रिसर्च एजेंसी द्वारा 15 जुलाई 2020 से 27 जुलाई 2020 के बीच कराया गया था. ध्यान रहे कि इस तरह के पोल में प्रायः लोगों से मिला जाता है और उनसे तमाम तरह के सवाल जवाब करते हुए इंटरव्यू किया जाता है. लेकिन चूंकि देश कोरोना वायरस की मार झेल रहा है इसलिए इस बार सारा प्रोसेस टेलीफोन के जरिये किया गया है. सवाल देश भर की जनता से हुए जिनका स्थानीय भाषाओं में अनुवाद हुआ है.
इस बार कुल 12,021 इंटरव्यू कराए गए थे. जिनमें 67 प्रतिशत लोगों ने ग्रामीण क्षेत्रों और 33 प्रतिशत लोगों ने शहरी क्षेत्रों से इस सर्वे में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी. सर्वे को 19 राज्यों के 194 विधानसभा क्षेत्रों और 97 संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में किया गया और ये जानने का प्रयास किया गया कि वो नेताओं साथ ही दलों से कितना प्रभावित हैं.
बहरहाल अब जबकि नतीजे आ गए हैं और इसमें जैसा परफॉरमेंस यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का है उससे इतना तो साफ़ हो गया है कि इस सर्वे में राम मंदिर ने एक बड़ी भूमिका निभाई है. अयोध्या में राम मंदिर के लिए जिस तरह से भव्य भूमि पूजन हुआ है उससे उन लोगों के दिल का मैल छंट गया है जो छोटी बड़ी बातों के मद्देनजर यूपी सरकार की आलोचना कर रहे थे.
सर्वे में जैसा मूड जनता का दिखा है उसने कहीं न कहीं इस बात की भी तस्दीख कर दी है कि अगर आज उत्तर प्रदेश में चुनाव हो जाएं तो शायद ही किसी दल या नेता में हिम्मत हो कि वो योगी आदित्यनाथ को शिकस्त दे पाए. कुल मिलाकर वो बात सही चरितार्थ हुई है जिसमें कहा गया था कि राम का नाम भाजपा और उसके नेताओं के लिए तुरुप का इक्का साबित होगा.
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