Citizenship Amendment Bill: हमारी संसद ने बंटवारे के जुर्म से जिन्ना को बरी कर दिया!
Citizenship Amendment Bill 2019 की बहस के बीच भाजपा की ओर से कांग्रेस पर एक के बाद एक आरोप लगाए जा रहे हैं. इस पूरी बहस में यूं लग रहा है जैसे बंटवारे के लिए जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah) नहीं सिर्फ नेहरू और सावरकर ही दोषी हैं. जिन्ना तो बाइज्जत बरी होते से दिख रहे हैं.
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जब कभी आजादी, अंग्रेजों या पाकिस्तान (Pakistan) का जिक्र होता है तो बंटवारे की यादें ताजा हो जाती हैं. बेशक वो यादें दिल दुखाने वाली हैं. लेकिन बार-बार एक सवाल ये भी उठता है कि आखिर बंटवारे के लिए जिम्मेदार कौन था? जवाहरलाल नेहरू? या मुहम्मद अली जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah)? या दोनों? अलग-अलग विचारधारा के लोग इस सवाल का अलग-अलग जवाब देंगे, लेकिन ये तय है कि दोनों में से किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा. अब सवाल ये है कि अचानक ये जिन्ना की बात उठी कैसे. दरअसल, इस समय संसद में नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment Bill 2019) पर बहस चल रही है. लोकसभा में पास होने के बाद ये बिल राज्यसभा की कसौटी पर उतरा. भाजपा की ओर से कांग्रेस पर एक के बाद एक आरोप लगाए जा रहे हैं. कांग्रेस भी पीछे नहीं है, वह भी बराबर टक्कर देने की कोशिश में है, लेकिन इस पूरी बहस में यूं लग रहा है जैसे जिन्ना ने कुछ किया ही नहीं और बाइज्जत बरी होते से दिख रहे हैं.
मोहम्मद अली जिन्ना को लोग बंटवारे की वजह मानते थे, लेकिन CAB की बहस के बीच मामला कुछ बदल सा गया है.
जिन्ना तो बाइज्जत बरी हो गए!
इस पूरी बहस में जिन्ना पर कोई आरोप नहीं लग रहे हैं. सत्ता पक्ष नेहरू के पीछे पड़ा है और विपक्ष मोदी सरकार के खिलाफ खड़ी है. जिस जिन्ना ने पाकिस्तान बनाने में अहम भूमिका निभाई, उसकी तो कोई बात ही नहीं कर रहा है. कल तक जिस जिन्ना को बंटवारे का खलनायक समझा जाता था, नागरिकता संशोधन बिल पर हो रही बहस के बाद ये लग रहा है कि असली खलनायक जिन्ना नहीं, बल्कि नेहरू थे. खैर, जो भी हो, लेकिन जिन्ना तो पाक साफ निकल लिए.
'देश का बंटवारा नेहरू ने कराया'
नागरिकता संशोधन बिल पर कांग्रेस की ओर से भाजपा पर हमला करते हुए ये तर्क दिया जा रहा है कि ये बिल धर्म के आधार पर नागरिकता देने वाला है. दरअसल, इस बिल में हिंदू, बौद्ध, ईसाई, सिख, जैन और पारसी प्रवासियों को नागरिकता देने की बात कही है, लेकिन मुस्लिमों का कहीं नाम नहीं लिखा है. बता दें इस बिल में सिर्फ बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के प्रवासियों को नागरिकता देने की बात कही गई है और ये तीनों ही मुस्लिम देश हैं. ऐसे में सरकार मान रही है कि वहां मुस्लिमों पर धर्म के आधार पर प्रताड़ना नहीं हो सकती है. बिल में मुस्लिमों को शामिल नहीं किए जाने पर ही विपक्ष मोदी सरकार को घेर रहा है. आरोप लगाया जा रहा है कि धर्म के आधार पर मोदी सरकार नागरिकता देने की बात कर रही है जो भेदभाव है. ऐसे में अमित शाह ने कांग्रेस समेत नेहरू को भी लपेटे में ले लिया है और कहा है कि देश का बंटवारा नेहरू ने करवाया. तब भी धर्म के आधार पर बंटवारा किया गया था.
नेहरू की ऐतिहासिक भूल सुधार रही भाजपा !
अमित शाह का दावा है कि वह नेहरू की ऐतिहासिक भूल सुधार रहे हैं. धर्म के नाम पर उन्होंने देश का बंटवारा किया था. शाह ने तो ये भी कहा कि जम्मू-कश्मीर की मौजूदा समस्याओं के लिए भी नेहरू ही जिम्मेदार हैं. सीजफायर वापस लाने के लिए भी नेहरू ही जिम्मेदार हैं. नेहरू की गलती से ही आज कश्मीर का एक तिहाई हिस्सा (पीओके) पाकिस्तान के कब्जे में है. बहस भले ही नागरिकता संशोधन बिल की है, लेकिन यूं लग रहा है मानो मोदी सरकार ने विपक्ष को जड़ से उखाड़ फेंकने की पूरी तैयारी कर ली है. तभी तो हर चीज के लिए कांग्रेस यानी नेहरू को जिम्मेदार साबित किया जा रहा है.
विपक्ष ने हिंदू महासभा पर फोड़ा बंटवारे का ठीकरा
एक ओर अमित शाह देश को बांटने के लिए नेहरू को दोषी बता रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने बंटवारे का ठीकरा हिंदू महासभा के सिर पर फोड़ दिया है. लोकसभा में कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी और राज्यसभा में आनंद शर्मा ने धर्म के आधार पर बंटवारे के लिए हिंदू महासभा को दोषी ठहराया. 1937 में हिंदू महासभा के नेता वीर सावरकर ने अहमदाबाद में साफ कहा था कि भारत एक समरूप लोगों का देश नहीं है, बल्कि इसके उलट इसमें दो राष्ट्र हैं, हिंदू और मुसलमान. यानी भाजपा बंटवारे के लिए नेहरू को जिम्मेदार बता रही है और ये साबित करना चाह रही है कि कांग्रेस की वजह से ही धर्म के आधार पर देश का बंटवारा हुआ तो वह ये सवाल ना उठाएं कि धर्म के आधार पर नागरिकता संशोधन बिल कैसे हो सकता है. वहीं कांग्रेस बंटवारे की वजह हिंदू महासभा को बताकर ये साबित करना चाहती है कि भाजपा की हिंदूवादी नीति के चलते देश का विभाजन हुआ. वैसे तो बंटवारे के लिए जिन्ना भी जिम्मेदार थे, लेकिन उनका जिक्र नागरिकता संशोधन बिल की बहस में इतना कम हो रहा है कि मानो उन्हें कोई दोषी मान ही न रहा है. यूं लग रहा है कि जिन्नी की मांग जायज थी, गलती या तो नेहरू की थी या हिंदू महासभा की.
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