'नदिया बेग' की ही तरह सरकार शाह फैसल को भी रहम की निगाह से देखे!
एक लम्बे समय तक सरकार (Modi Government) की आलोचना करने वाली नादिया बेग (Nadia Beigh) सिविल सर्विसेज पास करके 350वीं रैंक लाई हैं यानी आलोचक होने के बावजूद सरकार ने बदले की भावना को नहीं दर्शाया.सरकार को ऐसा ही कुछ शाह फैसल (Shah Faesal) के साथ करना चाहिए और एक नजीर स्थापित करनी चाहिए.
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बात 2019 की है. जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) की फ़िज़ा में तनाव था. क्या उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) क्या महबूबा मुफ़्ती (Mehbooba Mufti) सब अपने अपने तरीके से युवाओं को रिझाने और अपने पाले में डालने की कोशिशों में थे. उधर अलगाववादी और आतंकी देश की सरकार के लिए एक अलग ही चुनौती खड़ी कर रहे थे जिनसे निपटने के लिए सेना को भी खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था. कुलमिलाकर उस वक़्त कश्मीर के हालात कुछ ऐसे थे कि कुछ भी प्रिडिक्ट करना बड़ा मुश्किल था. इन्हीं जटिल हालातों के बीच चर्चा में आए शाह फैसल (Shah Faesal), जिन्होंने आईएएस (IAS) से इस्तीफा देकर राजनीति में एंट्री की और समर्थकों के साथ साथ आलोचकों तक को हैरत में डाल दिया. तब मेन स्ट्रीम पॉलिटिक्स के जरिये कश्मीर के हालात बदलने की बात कहकर शाह फैसल ने जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट पार्टी की स्थापना की. इसके बाद जब सरकार ने जम्मू कश्मीर से धारा 370 (Article 370) और अनुच्छेद 35 ए हटाया तो तमाम बड़े छोटे नेताओं की तरह इसका खामियाजा शाह फैसल को भी भुगतना पड़ा. तब उस दौर में शाह फैसल ने भी ऐसे तमाम Tweets किये थे जिनमें उनका लहजा काफ़ी तल्ख और तेवर तीखे थे. शाह फैसल ने अपनी पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है ख़बर है कि फैसल दोबारा प्रशासनिक सेवाओं में एंट्री कर सकते हैं.
अब जबकि राजनीति छोड़ने के बाद शाह फैसल दोबारा नौकरी ज्वाइन करने की सोच रहे हैं तो सरकार को भी उनका साथ देना चाहिए
अगर ये ख़बर सही है तो भले ही शाह फैसल ने सरकार की तीखी आलोचना की हो, मगर सरकार को उनके साथ नर्मी बरतनी चाहिए और उन्हें उनकी नौकरी वापस दे देनी चाहिए. हम शाह फैसल के लिए ऐसा क्यों कहा रहे हैं? आखिर क्यों सरकार को शाह फैसल को रहम की निगाह से देखना चाहिए इसकी माकूल वजह हमारे पास है.
वजह क्या है इसे समझने के लिए हम अभी बीते दिनों सिविल सर्विस परीक्षा में 350वीं रैंक हासिल करने वाली नदिया बेग का रुख कर सकते हैं. नदिया बेग जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा की रहने वाली हैं. जिनके बीते ट्वीट्स और पोस्ट अगर हम देखें तो मिलता है कि साफ तौर पर वो एन्टी गवर्नमेंट हैं. परीक्षा परिणाम आने के बाद नादिया के ट्वीट्स और फेसबुक पोस्ट इंटरनेट पर बड़ी ही तेजी के साथ वायरल हो रहे हैं.
@Nadia_Beigh has deleted all her tweets, so probably the tweet is true.Meet the female @shahfaesal in making? Interesting headline from future 'IAS officer from Kashmir calls PM @narendramodi a murderer of democracy. pic.twitter.com/Sao7opqwzu
— अमित रैना Amit Raina (@rainaamit) August 4, 2020
इन ट्वीट्स और फेसबुक पोस्ट पर अगर नजर डालें तो मिलता है कि 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' के नाम पर उन्होंने अपनी सिविल सर्विसेज की तैयारी के दिनों में ऐसा बहुत कुछ लिखा है जो उन्हें मुसीबत में डाल सकता था मगर तारीफ होनी चाहिए देश की सरकार की जिसने नादिया बेग के साथ बदले की भावना का परिचय नहीं दिया और 350वीं रैंक के रूप में नतीजा हमारे सामने है.
अपने ट्वीट्स में नादिया के तेवर बागी थे. मौका कोई भी रहा हो उन्होंने जमकर केंद्र, गृह मंत्री अमित शाह और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पानी पी पीकर कोसा है. सरकार चाहती तो इस आलोचना का पूरा बदला नादिया बेग के साथ उसके इंटरव्यू में निकाल सकती थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ. नदिया बेग से जो सवाल हुए, वो न तो मुस्लिम होने के आधार पर हुए. न ही ये देखा गया कि नदिया के तेवर बागी हैं.
Nadia Beigh from JKUT selected as an IAS.. see her mentality from her tweets ... Do you think she deserve this prestigious post? pic.twitter.com/mIPiRBSyBE
— Virender Koundal (@VirenderKoundal) August 5, 2020
नादिया के आईएएस बनने में एक दिलचस्प बात ये भी है कि जिस तरह का पैनल आईएएस के इंटरव्यू में बैठाया जाता है उसमें इतने काबिल लोग होते हैं जो चंद ही सवालों के जवाब सुनकर इस बात का अंदाजा लग जाता है की व्यक्ति की राजनीतिक विचारधारा क्या है. यानी जब पैनल ने नादिया के जवाब सुने होंगे तो उन्हें पता चल ही गया होगा कि नादिया का मिजाज क्या है मगर तब भी उनके साथ कोई भेदभाव नहीं हुआ.
इतना जानकर इस बात को डंके की चोट पर कहा जा सकता है कि कोई कितनी भी आलोचना करे सरकार देश के प्रत्येक नागरिक को समान नजर से देखती है. ये तो बात हो गयी आईएसएस में 350वीं रैंक पाने वाली नादिया बेग की. हमनें जिक्र किया था शाह फैसल का.
तो अब जबकि शाह फैसल ने राजनीति से इस्तीफा दे दिया है और वापस अपनी नौकरी जॉइन करने का विचार बनाया है तो सरकार को नादिया की तरह इस मामले में भी फैसला को उनकी नौकरी वापस कर देनी चाहिए. यदि ऐसा हो जाता है तो सरकार न सिर्फ जम्मू कश्मीर बल्कि पूरे देश के लोगों को प्रेरणा देगी. और बताएगी कि सरकार सबकी है. उसकी नजर में देश का प्रत्येक नागरिक समान है.
बहरहाल नादिया का तो हला भला हो गया. अब देखना दिलचस्प रहेगा कि शाह फैसल का क्या होता है? उनके अच्छे दिन आ पाते हैं या नहीं. फिलहाल एक अच्छी नौकरी छोड़कर राजनीति में आना फिर राजनीति छोड़ देना जैसा वर्तमान है शाह फैसल न घर के हैं. न घाट के.
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