शून्य से शिखर पर पहुंचे पीएम मोदी के जीवन से जुड़ी वो 5 बातें जो उन्हें बनाती हैं खास!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 71 साल के हो गए. ऐसे में भाजपा ने पीएम मोदी के जन्मदिन पर देशव्यापी समारोह का आयोजन किया है.आइये जानें शून्य से शिखर पर पहुंचे पीएम मोदी के जीवन से जुड़ी वो 5 बातें जिनके बाद इस बात का एहसास हो जाएगा कि नरेंद्र मोदी होना इतना भी आसान नहीं है.
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अपने सख्त फैसलों के कारण हर रोज़ ही अपने राजनीतिक जीवन में सत्तापक्ष से लेकर विपक्ष तक की आलोचनाएं झेलने वाले भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 71 साल के हो गए हैं. देश के प्रधानमंत्री का बर्थडे है इसलिए भाजपा की तैयारी तेज है. भाजपा पूरे देश में जश्न का आयोजन कर रही है. जिक्र कांग्रेस का हो तो भले ही राहुल गांधी समेत कांग्रेस के कई बड़े नेताओं ने पीएम मोदी को बर्थडे विश कर दिया हो मगर कांग्रेस और पार्टी से जुड़े नेता दोनों ही पीएम मोदी के कितने बड़े शुभचिंतक हैं इसे न हमें बताने की जरूरत है न किसी को कुछ समझाने की. पीएम के प्रति क्या सोच कांग्रेस रखती है इससे वाकिफ सारा देश है. जैसा कि हम बता चुके हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 71 साल के हुए हैं और भारतीय जनता पार्टी ने इस मौके पर देशव्यापी भव्य समारोह का आयोजन किया है. तो हमारे लिए भी बीजेपी की उस प्लानिंग की तरफ रुख करना बहुत जरूरी हो जाता है. बताते चलें कि भाजपा की योजनाओं में देश भर में कोविड -19 टीकाकरण शिविर, स्वच्छता अभियान और रक्तदान शिविर आयोजित करना शामिल है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शुमार उन लोगों में हैं जिन्होंने अपने जीवन में कई चुनौतियों का सामना किया है
व्यक्ति कोई भी हो बात जब जश्न की आती है तो प्रायः ये देखा गया है कि लोग जश्न भव्य तरीके से मनाते हैं मगर जश्न को लेकर सदैव ही पीएम मोदी की सोच औरों से अलग रही है. पीएम मोदी ने अपने जीवन में सदैव सादगी को तवज्जो दी है. गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में अपने 12 साल से अधिक के कार्यकाल में पीएम मोदी ने सद्भावना उपवास की शुरुआत की.
ध्यान रहे क्योंकि 17 सिंतबर पीएम मोदी का जन्मदिन है इसलिए सोशल मीडिया पर भी इसे लेकर खूब बातें हो रही हैं बाकी जिस तरह की राजनीति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की है और जैसे एक आम आदमी होने के नाते वो शून्य से शिखर पर पहुंचे हैं. आइये जानें पीएम मोदी के जीवन से जुड़ी ऐसी 5 बातें जो उन्हें अपने में एक बेमिसाल शख्सियत बनाती हैं.
आर्मी जॉइन करना चाहते थे पीएम मोदी
पीएम मोदी के जीवन से जुड़ी एक खास बात ये है कि उन्होंने बचपन में भारतीय सेना में भर्ती होने का सपना देखा था. पीएम मोदी जामनगर के एक सैनिक स्कूल में दाखिला लेना चाहते थे मगर उनके परिवार की अल्प कमाई ने उन्हें ऐसा करने से रोका. बताते चलें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिता की गुजरात के महेसाणा जिले के वडनगर रेलवे स्टेशन पर एक छोटी सी चाय की दुकान थी. 40 X 12 फीट के छोटे से घर में रहने वाले परिवार के लिए वह चाय की दुकान कमाई का प्रमुख स्रोत था.
सेना के लिए उनका प्यार उनके साथ बना रहा. बताया जाता है कि 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय, एक किशोर लड़के यानी नरेंद्र मोदी ने ट्रेनों में यात्रा करने वाले और पास के रेलवे स्टेशन से गुजरने वाले जवानों को चाय परोसी. आज भी सेना के प्रति जो सम्मान पीएम मोदी का है वो किसी परिचय का मोहताज नहीं है. पूर्व में सेना के जवानों के साथ दीवाली सेलिब्रेट कर पीएम ने बता दिया था कि वो अब भी सेना से बहुत प्यार करते हैं.
एक डिबेटर के रूप में पीएम मोदी
अपने स्कूल के दिनों में पीएम मोदी एक बहिर्मुखी लड़के के रूप में जाने जाते थे जो पाठ्येतर गतिविधियों में सक्रिय था. बताया जाता है कि वे वाद-विवाद और चर्चाओं में भाग लेते थे और अपने विषय को अच्छी तरह से तैयार करने के लिए स्कूल के पुस्तकालय में घंटों बिताते थे.
पीएम मोदी की खूबी ही है कि उन्होंने अपने वाद-विवाद और भाषणों में तर्क-वितर्क करने की प्रवृत्ति विकसित की. यह महत्वपूर्ण साबित हुआ क्योंकि उन्होंने सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया.
उनके वाद-विवाद कौशल ने उन्हें भाजपा के प्रवक्ता और बाद में एक शक्तिशाली वक्ता के रूप में नियुक्त किया, जिन्होंने पहले गुजरात में और फिर देश भर में मतदाताओं को स्थानांतरित किया, जिसे 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर कहा गया.
त्याग का सपना
पीएम मोदी का स्वभाव किसी दार्शनिक सरीखा ही है.बहुत कम उम्र में, नरेंद्र मोदी स्वामी विवेकानंद के कार्यों की ओर आकर्षित हो गए थे. उन्होंने विवेकानंद के जीवन के प्रति झुकाव विकसित किया. उन्होंने त्याग और तपस्या का जीवन जीने का सपना देखा, जिसके लिए उन्होंने नमक, मिर्च, तेल और गुड़ खाना छोड़ दिया. ये त्याग और तपस्या का सपना ही था जिस कारण नरेंद्र मोदी ने गुजरात से पश्चिम बंगाल और फिर हिमालय की यात्रा की.
शुरू से ही अहिंसा के पैरोकार रहे हैं पीएम मोदी.
पीएम मोदी के जीवन से जुड़ी इस बात को समझने के लिए हमें उस दौर में जाना होगा जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी की घोषणा की. तब गुजरात में नवनिर्माण आंदोलन शुरू हुआ था. छात्रों का ये आंदोलन एक ऐसा आंदोलन था जिसमें बाद में बड़े बड़े दिग्गजों ने अपनी उपस्थिति दर्ज की. इसी आंदोलन के जरिये मोदी को जेपी और जॉर्ज फर्नांडीस से मिलने का मौका मिला.
कहा जाता है कि जॉर्ज फर्नांडीस ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नेता नानाजी देशमुख और नरेंद्र मोदी के साथ बातचीत के दौरान इंदिरा गांधी के शासन के सामने सशस्त्र विरोध का प्रस्ताव रखा, जिसका रेंद्र मोदी ने यह कहते हुए विरोध किया कि नवनिर्माण आंदोलन का चरित्र अहिंसक रहना चाहिए।
धीरूभाई अंबानी पहले ही बता चुके थे नरेंद्र मोदी एक दिन बनेंगे प्रधानमंत्री
कहा जाता है कि रिलायंस समूह के संस्थापक धीरूभाई अंबानी ने बहुत पहले ही यह भविष्यवाणी की थी कि नरेंद्र मोदी भारत के प्रधान मंत्री बनेंगे. इस बात को किसी और ने नहीं बल्कि धीरूभाई अंबानी के बेटे अनिल अंबानी ने साझा किया था. अनिल अंबानी के अनुसार, 1990 के दशक में धीरूभाई अंबानी ने एक दिन नरेंद्र मोदी को रात के खाने पर आमंत्रित किया था. उनके जाने के बाद, धीरूभाई अंबानी ने अनिल अंबानी से कहा कि नरेंद्र मोदी 'लंबी दौड़ ने घोड़ो छे, नेता छे, पीएम बनसे.
आज भले ही विपक्ष के नेता या फिर कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर लाख अनर्गल बातें करें। लेकिन उपरोक्त बातें जो हमने ऊपर बताई हैं उनसे इतना तो साफ़ हो ही जाता है कि नरेंद्र मोदी बनना या फिर नरेंद्र मोदी होना इतना भी आसान नहीं है.
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