शहरी 'शर्मिंदगी' के बीच बस्तर को बार-बार सलाम
नक्सल प्रभावित बस्तर में जिस तरह 96-97 प्रतिशत का पोलिंग परसेंटेज देखने को मिला, साफ है कि उन्होंने उन लोगों को ये बड़ा सबक दिया है. जो ये सोच कर खुश हो लेते है कि फलां शहर में 50 या 52 प्रतिशत का मतदान हुआ.
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17 वें लोकसभा चुनावों के लिए पहले चरण का मतदान जारी है. क्या सोशल मीडिया क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगभग सभी पार्टियों के नेताओं ने जनता से कहा है कि वो ज्यादा से ज्यादा संख्या में निकलकर अपने मताधिकार का इस्तेमाल करें. ये बातें और ये अपील सुनने में बहुत अच्छी हैं. मगर हकीकत कुछ और है. जिस तरह के पोलिंग परसेंटेज पहले चरण के मतदान में सामने आए हैं, साफ है कि किसी आम शहरी के लिए मतदान का दिन एक छुट्टी से ज्यादा कुछ नहीं है.
जिस हिसाब से बस्तर में मतदान हुआ है उसपर किसी भी आम भारतीय को गर्व करना चाहिए
बात सुनने में अजीब लग सकती है. मगर जब इसे पहले चरण में हुए मतदान के पोलिंग परसेंटेज के रूप में देखें, तो जो नतीजे निकल कर सामने आ रहे हैं वो शर्मिंदगी भरे हैं. उत्तर प्रदेश का शुमार भारत के सबसे बड़े राज्यों में है. बात अगर यहां के पोलिंग प्रतिशत की हो तो सहारनपुर में पोलिंग प्रतिशत जहां 54.18 % रहा तो वहीं गाजियाबाद में 47%, कैराना में 52.40 % मुज़फ्फरनगर में 50.80% बिजनौर में 51.20 % गौतम बुद्ध नगर में 49.72 प्रतिशत, बागपत में 51.20 प्रतिशत और मेरठ में 51 प्रतिशत रहा.
UP Polling update at 3 pm: Saharanpur 54.18 %, Ghaziabad 47 %, Kairana 52.40 %, Muzaffar Nagar 50.80 %, Bijnore 51.20 %, Gautam Budh Nagar 49.72, Bagpat 51.20 and Meerut 51. Via @omar7rashid
— Nistula Hebbar (@nistula) April 11, 2019
यदि हम उत्तर प्रदेश के इन स्थानों पर हुए मतदान को 'बहुत' मानकर अपने पर गर्व करने की सोच रहे हैं, तो हमें ठहर जाना चाहिए. चुनाव के तहत नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ का रुख करने पर कई ऐसी चीजें हैं जो हमें हैरत में डाल देंगी. पहले चरण में बस्तर लोक सभा सीट पर मतदान हुआ है. यहां के पोलिंग बूथ नंबर 52 मछकोट पर 96% पोलिंग हुई है तो वहीं जीरा गांव में पोलिंग का प्रतिशत 97% प्रतिशत रहा.
Some good news from Bastar Lok Sabha seat in Chhattisgarh. Polling booth no. 52 Machkot (Jagdalpur AC) has witnessed 96% turnout so far; and Jeeragaon-97%: Local officials to me. This is despite Maoists’ boycott call, & after they killed a local MLA, among others, in Dantewada
— Shantanu N Sharma (@shantanunandan2) April 11, 2019
इतनी संख्या में लोग मतदान तब कर रहे हैं जब पूरा क्षेत्र नक्सलवाद की भेंट चढ़ चुका है और लोगों को अपनी जान का खतरा बना है. ध्यान रहे कि अभी बीते दिनों ही दंतेवाड़ा में नक्सलियों ने पार्टी के प्रचार पर निकले बीजेपी विधायक भीमा मंडावी के काफिले पर हमला किया. जिसमें मांडवी समेत 5 सुरक्षा कर्मियों की मौत हुई है. विधायक के काफिले पर हुआ ये हमला कितना खतरनाक था इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बुलेट प्रूफ गाड़ियों तक के परखच्चे उड़ गए थे.
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के जिस हिस्से की बात हम कर रहे हैं वहां वास करने वाले नक्सली सरकार से खफा हैं. विरोध स्वरुप नक्सलियों द्वारा लगातार दहशत फैलाई जा रही है और लोगों को डराया जा रहा है. छत्तीसगढ़ में ये समस्या कोई आज की नहीं है. पूर्व में भी कई मौके ऐसे आए हैं जब इन्होंने अपनी नाजायज मांगें मनवाने के लिए गलत तरीकों और हथियारों का सहारा लिया है. ज्ञात हो कि बस्तर क्षेत्र में नक्सलियों ने चुनाव का बहिष्कार किया था. साथ ही ये फरमान जारी किया था कि यदि उनकी बात नहीं मानी गई तो इसके उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने होंगे.
खुद सोचिये एक तरफ 42-44, 50-55 और दूसरी तरफ 96-97 प्रतिशत. सवाल ये है कि क्या ऐसे पोलिंग परसेंटेज के बलबूते हम एक साफ सुथरे लोकतंत्र और मजबूत भारत की कल्पना कर रहे हैं? जवाब ये नहीं. मामले को लेकर इसके अलावा हमें ये भी देखना होगा कि जहां 96-97 प्रतिशत पोलिंग हुई उन स्थानों पर रहने वाले लोगों के हालात कैसे थे? और उन स्थानों पर रहने वाले लोगों के हालात कैसे हैं, जहां पोलिंग का प्रतिशत 48-49. 51-55 था?
सारे प्रश्नों का जवाब तलाशने पर जो बातें निकल कर सामने आईं वो विचलित करने वाली थीं. जिन सहूलियतों के बीच शहरी लोग रह रहे हैं, वो शायद ही कभी नक्सल प्रभावित बस्तर के लोगों को मिल सकें. इसके अलावा बात यदि इनके संघर्षों की हो तो ये लिस्ट अपने आप में इतनी लम्बी है कि इसे शायद ही कभी शब्दों के धागे में पिरोया जा सके.
अंत में बस इतना ही कि बस्तर के इन लोगों ने हम शहरी लोगों के मुंह पर एक ऐसा तमाचा जड़ा जिसकी गूंज हम लम्बे समय तक महसूस करेंगे. सारी बातें देखकर हमारे लिए ये कहना कहीं से भी गलत नहीं है कि जहां कुछ नहीं है और जहां आम लोगों को लगातार जान का खतरा बना हुआ है. यदि वहां के लोग निकल कर आ रहे हैं और वोट डाल रहे हैं तो हमें वाकई चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए या फिर इनसे सबक लेते हुए कुछ ऐसा करना चाहिए जिससे सच में हमारा लोकतंत्र मजबूत हो.
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