माया-अखिलेश के साथ को गठबंधन नहीं तात्कालिक सौदेबाजी के तौर पर देखिये!
अखिलेश यादव के साथ गठबंधन को लेकर मायावती ने तस्वीर साफ जरूर कर दी है, लेकिन नया सस्पेंस छोड़ दिया है. क्या मायावती फिर से राज्य सभा जाने की तैयारी कर रही हैं?
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निगाहें तो सभी की मेघालय की राजनीतिक गतिविधियों पर टिकी थीं. अचानक यूपी की सियासी हलचल ध्यान अपनी ओर खींच लिया. जिस तरह मेघालय में कांग्रेस जरूरी विधायकों के सपोर्ट के लिए जूझ रही थी, उसी तरह अखिलेश यादव यूपी में मायावती के हां-हां और ना-ना के फेर में फंसे नजर आये.
गोरखपुर और इलाहाबाद के बीएसपी नेताओं ने उप चुनाव में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों के समर्थन की घोषणा की तो दोनों दलों के 25 साल बाद साथ आने की चर्चा होने लगी थी.
तभी मायावती मीडिया के सामने आईं और दोनों दलों के बीच किसी भी तरह के गठबंधन से इंकार किया. मायावती ने राजनीतिक विरोधियों पर दुष्प्रचार के भी आरोप लगाये. मायावती के इस बयान ने यूपी की सियासत को लेकर कुछ सवाल तो खड़े कर ही दिये हैं.
दो विरोधियों का साथ - और फिर सफाई!
यूपी में होने जा रहे दो उपचुनावों के लिए प्रमुख दलों ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा पहले ही कर दी थी, सिवा बीएसपी के. फिर बीएसपी के दो स्थानीय नेता सामने आये और उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों के सपोर्ट का ऐलान कर दिया. मीडिया में ये खबर हर जगह सुर्खियां बन गयी.
BSP (Bahujan Samaj Party) Gorakhpur in-charge Ghanshyam Chandra Kharwar declared support to Samajwadi Party (SP) candidate Praveen Kumar Nishad in upcoming Gorakhpur by-poll pic.twitter.com/4f1YSou3ho
— ANI UP (@ANINewsUP) March 4, 2018
Our workers want to eliminate BJP & that is why the members of Bahujan Samaj Party (BSP) have decided to extend support & vote for Samajwadi Party (SP) candidate Nagendra Singh Patel in Phulpur by-poll: Ashok Gautam, BSP Zonal Coordinator, Allahabad pic.twitter.com/R2vRFY6Lx5
— ANI UP (@ANINewsUP) March 4, 2018
खबर आई तो धड़ाधड़ रिएक्शन भी आने लगे. शिवपाल यादव को तो ये साथ नागवार गुजरा ही, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ऐसे गठबंधन को बेर-केर का संग करार दिया. हालांकि, समाजवादी पार्टी नेता सुनील सिंह यादव ने बड़ी ही नपी तुली प्रतिक्रिया दी. पूछे जाने पर सुनील यादव का कहना रहा - 'मैं सिर्फ इतना जानता हूं कि बीएसपी उप चुनाव नहीं लड़ती. दोनों जगह जहां उप चुनाव हो रहे हैं समाजवादी पार्टी बीजेपी को कड़ी टक्कर देगी.'
फिर से राज्य सभा की तैयारी तो नहीं?
अभी ये समझना भी मुश्किल हो रहा था कि दो सियासी दुश्मनों का 25 साल बाद हुआ ये मेल कितना टिकेगा, तभी मायावती भी मीडिया के सामने आ गयीं - और सारी बातों को झूठा और बेबुनियाद करार दिया. असली बात तब समझ में आयी जब मायावती ने खुद तस्वीर साफ की.
तो वोट ट्रांसफर कोई गठबंधन नहीं होता!
मीडिया के जरिये मायावती ने अपने वोटर को समझाने की कोशिश की कि बीएसपी ने समाजवादी पार्टी के साथ कोई गठबंधन नहीं किया है. मायावती ने कहा कि इस बात में कोई सच्चाई नहीं कि दोनों दलों में 2019 के लोक सभा चुनाव के लिए कोई गठबंधन हुआ है.
मायावती ने कहा, "यूपी या अन्य किसी राज्य में जब भी पार्टी का किसी अन्य दल से गठबंधन होगा तो यह गुपचुप तरीके से नहीं होगा... पहले की तरह बीएसपी इस बार भी उपचुनाव नहीं लड़ रही है. इसका मतलब ये नहीं कि बीएसपी के लोग वोट नहीं डालेंगे. मैंने पहले भी कहा है कि बीजेपी के उम्मीदवार को हराने के लिए दूसरी पार्टियों के सबसे मजबूत उम्मीदवार को वोट दें."
फिर मायावती ने बताया कि दोनों दलों के बीच जो फौरी व्यवस्था बनी है उसका वास्तव में मतलब क्या है.
अभी तो जो मिल जाये, चलेगा...
मायावती ने बताया, "यूपी में राज्यसभा और विधान परिषद के चुनाव होने हैं... इसमें एसपी और बीएसपी एक दूसरे को वोट ट्रांसफर करेंगे... बीएसपी और एसपी के पास अपने उम्मीदवार जिताने के लिए अधिक वोट नहीं है... इसलिए हमारी पार्टी ने एसपी के साथ बातचीत करके तय किया है कि हम उनकी मदद करेंगे और वो हमारी मदद करेंगे..."
यूपी में गोरखपुर और फूलपुर लोक सभा सीटों पर 11 मार्च को चुनाव होना है - और राज्य सभा की 10 सीटों के लिए 23 मार्च को.
क्या मायावती फिर राज्य सभा जाएंगी?
पिछले साल जुलाई में मायावती ने राज्य सभा से इस्तीफा दे दिया था. मायावती उस वक्त यूपी के सहारनपुर में दलितों के खिलाफ हुई हिंसा पर बोल रही थीं. जब उन्हें अपनी बात खत्म करने को कहा गया तो नाराज हो गयीं. मायावती ये कहते हुए इस्तीफे की घोषणा कर दी कि जब दलितों के मुद्दे पर उन्हें सदन में बोलने ही नहीं दिया जाएगा तो उनके राज्य सभा में बने रहने का क्या मतलब है.
मायावती के इस्तीफे के बाद दो तरह की बातें चर्चा में आईं. एक, लालू प्रसाद ने मायावती को बिहार से राज्य सभा भेजने का ऑफर दिया. दूसरी, मायावती को फूलपुर लोक सभा सीट से विपक्ष का संयुक्त प्रत्याशी बनाने की चर्चा होने लगी. ये चर्चा शुरू होने पर अखिलेश यादव ने मायावती को खुला समर्थन देने की बात भी कही और बात के दिनों में भी अपनी बात पर कायम रहे.
अब जबकि मायावती ने राज्य सभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और बीएसपी के बीच वोट ट्रांसफर की बात की है, फिर इसके मतलब क्या हो सकते हैं? मायावती की बीएसपी के यूपी में 19 विधायक हैं. ये संख्या इतनी कम है कि अकेले किसी को राज्य सभा नहीं भेज सकती. मायावती की बातों से लगता है कि बीएसपी के विधायक समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार का सपोर्ट करेंगे या फिर समाजवादी पार्टी के विधायक बीएसपी के किसी संभावित उम्मीदवार का.
बात पते की बस यही है - क्या बीएसपी की ओर से वो उम्मीदवार खुद मायावती होंगी? क्या मायावती फिर से राज्य सभा पहुंचने की तैयारी कर चुकी हैं? क्या वाकई मायावती राज्य सभा जाने वाली हैं?
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