हैरत है! मुरादाबाद में नमाज से आहत बजरंग दल ने मणिकर्णिका पर हुए अश्लील डांस पर आंखें मूंद ली
वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर अश्लील तमाशा चलता रहा और किसी ने सुध नहीं ली. आखिर कहां हैं बजरंग दल के वो कार्यकर्ता जिन्हें मुरादाबाद में एक मुस्लिम द्वारा अपने बेसमेंट में नमाज पढ़ने से परेशानी है. जैसे विरोध नमाज का हुआ, होना तो इस अश्लीलता का भी चाहिए था. अब चूंकि नहीं हुआ है, साफ़ है कि बजरंग दल जैसे संगठनों की नीयत में खोट है.
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आस्था और अन्धविश्वास में कितना फर्क है? ये एक मुश्किल प्रश्न है. लेकिन जब बात अपनी सुविधा की आती है तो जैसा इंसान का स्वाभाव है उसे जायज सब लगता है. वो कुछ भी कर सकता है. कुछ भी करवा सकता है. परंपरा के नाम पर फूहड़पन और अश्लीलता भी. जी हां सही सुना आपने. दरअसल काशी के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर चैत्र नवरात्रि की सप्तमी की रात अश्लीलता का जो मंजर दिखा. उसने उन तमाम लोगों को शर्मसार कर दिया. जिनका जीवन आदर्शों पर चलता है जो मोरालिटी की बातें करते हैं.
वाराणसी के मणिकर्णिका घट पर जो हुआ वो शर्मसार करके रख देने वाला है
मणिकर्णिका घाट पर महाश्मशान नाथ बाबा के वार्षिक तीन दिवसीय कार्यक्रम में मंच पर नगरवधुओं ने फूहड़ और भद्दा डांस किया है. दिलचस्प ये रहा कि एक तरफ घाट पर अपने परिजनों का अंतिम संस्कार करने आए लोग क्षुब्ध थे तो वहीं दूसरी तरफ मंच पर डांस चलता रहा. मौके पर चंद लोग आए और थोड़ी बातचीत और अजीब ओ गरीब तर्कों के बाद मामला रफा दफा हो गया.
Women performers on stage as a funeral lits in the background at Manikarnika (cremation) Ghat in Varanasi. The event, part of an age old "tradition", is organised on 7th day of Navratri every year. pic.twitter.com/oSCLRwCnKV
— Piyush Rai (@Benarasiyaa) March 28, 2023
जब इस आयोजन को लेकर मंदिर के व्यवस्थापक से बात की गयी तो उनकी बातें भी कम रोचक नहीं थीं. उन्होंने कहा कि वैसे तो मामले की कोई ठोस शिकायत नहीं हुई है लेकिन यदि कोई आपत्ति दर्ज कराता है तो सुनवाई होगी. उनकी दलील थी कि यह सैकड़ों साल पुरानी परंपरा है और रात में ही नगरवधुओं की नृत्यांजलि का कार्यक्रम होता है.
हमारा सवाल बजरंग दल जैसे संगठनों के उन कार्यकर्ताओं और उनसे है जिनकी आजकल बात बेबात भावना आहत हो रही है. ये लोग बताएं कि जब उन्हें मुरादाबाद जैसे शहर में एक घर के बेसमेंट में तरावीह की नमाज आपत्तिजनक लगी तो फिर उन्होंने काशी के मणिकर्णिका घाट पर हुए आपत्तिजनक डांस पर अपनी आंखें बंद करना क्यों गवारा समझा.
Muslims in Moradabad, UP, India, were offering namaz inside their house and the Hindu supremacists with the police stopped the namaz. Where will Muslims pray in India if they can’t do that inside their houses? pic.twitter.com/AgxMbJcgJt
— Ashok Swain (@ashoswai) March 26, 2023
हो सकता है कि बजरंग दल या किसी और संगठन का कोई जज्बाती कार्यकर्ता सामने आ जाए. तर्क दे दे कि मुरादाबाद में विरोध इसलिए हुआ क्योंकि वो लोग किसी भी नयी परंपरा के खिलाफ है और जो काशी में हो रहा है वो कोई आज का नहीं है बरसों का है. बात ठीक है. लेकिन हम इतना ज़रूर कहेंगे कि काशी में जो हो रहा है यदि वो बरसों से है, तो तब न तो भोजपुरी गानों पर अश्लील डांस हुआ होगा. न हो नाचने वालियों पर नोटों को लुटाया गया होगा.
इसलिए प्रोग्राम के नाम पर जो कुछ भी हुआ है यदि वो गलत है तो उसका विरोध क्यों नहीं किया गया. एक ऐसे समय में जब तापसी पन्नू जैसी अभिनेत्री का मां लक्ष्मी का नेकलेस पहनना एक वर्ग की भावनाएं आहात कर देता है और बात केस दर्ज होने की आ जाती है. तो फिर जो घाट जैसी जगह पर हुआ उससे तो भावना एक नहीं कई बार आहत होनी चाहिए.
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विषय बहुत सीधा है. यदि मुरादाबाद में कुछ मुसलमानों द्वारा बेसमेंट में नमाज पढ़ने और तापसी पन्नू के नेकलेस से बजरंग दल या किसी और संगठन की भावना आहत हो सकती है. तो फिर मणिकर्णिका का मामला तो फिर भी बहुत बड़ा था. लोग खुद बताएं हिंदू धर्म में काशी और काशी में भी मणिकर्णिका का महत्त्व क्या है. चूंकि अभी तक इस मामले में किसी भी संगठन की तरफ से न तो कोई रैली निकाली गयी है. न ही कोई मोर्चा खोला गया है. इसलिए ये साफ़ है कि यहां पूरा मामला एक वर्ग के सिलेक्टिव एप्रोच / आउटरेज का है.
इसे सुनकर आहत होने जैसा कुछ नहीं है लेकिन एक बड़ा सच यही है कि मणिकर्णिका जैसे बड़े मामले पर बजरंग दल समेत दीगर संगठनों की चुप्पी साफ़ साफ़ उनकी नीयत में मौजूद खोट को दर्शाती है और कहीं न कहीं हमें इस बात का भी एहसास होता है कि अगर आज समाज में सौहार्द प्रभावित हो रहा है तो उसका कारण लोगों के बीच की नफरत नहीं बल्कि ऐसे संगठनों की कार्यप्रणाली है.
अभी भी वक़्त है. भारत में जितने भी संगठन अपने को हिंदू धर्म का रक्षक बताते हैं. मणिकर्णिका में हुए अश्लील डांस को लेकर एक धर्म संसद का आयोजन करें और देश को ये विश्वास दिलाएं कि इस मामले पर भी उनका खून वैसे ही खौला है जैसा मुरादाबाद या तापसी के मामले पर हुआ है.
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