पहलू खान की मौत का जिम्मेदार हमारा पूरा सिस्टम है
राजस्थान के अलवर में पहलू खान हत्याकांड मामले में जिस तरह का फैसला सुनाया है उसने साफ कर दिया है कि इस मौत की जिम्मेदार केवल भीड़ नहीं बल्कि सिस्टम है. यानी अगर हमारा सिस्टम सही होता तो अवश्य ही पहलू के गुनाहगारों को सजा मिलती.
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अलवर के जिला मजिस्ट्रेट कोर्ट के फैसले के बाद दूसरी बार यह साबित हो गया है कि नो वन किल्ड पहलू खान. एक बार छह आरोपियों को पुलिस ने खुद ही बरी कर दिया था और दूसरी बार ऐसी जांच रिपोर्ट पेश की है कि दूसरे छह आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया. पहलू खान की मौत के मामले में सभी आरोपी हंसते मुस्कुराते गर्व के साथ अलवर के जिला मजिस्ट्रेट के कोर्ट से बाहर निकले. कोर्ट ने कहा कि संदेह के लाभ में सभी छह आरोपियों को बाइज्जत बरी किया जाता है. जज साहिबा सुनवाई पूरी कर चुकी थी और 14 अगस्त को फैसला सुनाने का दिन मुकर्रर कर दिया था. कोर्ट रूम में 2 बजे सभी 6 आरोपी पहुंच गए. जज साहिबा भी आ गईं. मगर वह बार-बार फैसला देने के लिए समय मांग रही थी. पुलिस को बार-बार आदेश दे रही थी कि कोई मोबाइल लेकर कोर्ट रूम में नहीं घुसना चाहिए. देख लीजिए कहीं कोई कैमरा लेकर नहीं आ जाए. शाम को 5 बजे कोर्ट खत्म हो गया उसके बाद उन्होंने कहा कि कुछ और वक्त लगेगा और जब पूरा कोर्ट परिसर खाली हो गया, तो करीब 5:45 पर महज 10 सेकंड में जज साहिबा ने 'बरी' शब्द कहकर उठ गईं.
पहलू खान की मौत की जिम्मेदार सिर्फ भीड़ नहीं बल्कि पूरा सिस्टम है
इसके पहले पहलू खान ने मरने से पहले बहरोर के कैलाश हॉस्पिटल में अपने डाईंग डिक्लेरेशन में जिन छह आरोपियों का नाम बताया था उन्हें अलवर पुलिस ने क्लीन चिट दे दिया था और नौ दूसरे आरोपी बनाए थे. जिसमें से 3 व्यस्क होने की वजह से किशोर न्यायालय में विचाराधीन हैं. जबकि 6 को मजिस्ट्रेट साहिबा ने बाइज्जत बरी कर दिया है अब सवाल उठता है कि पहलू खान को किसने मारा? हमारी तहकिकात कहती है कि पहलू खान को अकेले भीड़ ने नहीं बल्कि पूरे सिस्टम ने मारा है.
पहलू खान जयपुर के आगरा रोड के हटवाड़ा से गाय खरीद कर ले जा रहा था. जिसके पास सरकारी रसीदें थीं और टोल टैक्स की पर्चियां भी थीं. मगर बहरोर में हाईवे पर भीड़ ने उसे घेर लिया और शाम को 5:00 बजे के आसपास उसकी पिटाई की गई. वीडियो में साफ दिख रहा है कि पुलिस की मौजूदगी में भीड़ किस तरह से पहलू खान को फुटबॉल बना बना कर उछाल उछाल कर पीट रही है. आखिर में जब पहलू खान निढाल हो गया, तब जाकर पुलिस दौड़ कर बचाती है. उसके बाद पहलू खान 4 घंटे तक सड़क किनारे बेसुध पड़ा रहा. इतनी गंभीर चोट के बावजूद पहलू खान को पहले सरकारी अस्पताल ले जाया गया और फिर मामला नहीं संभला तो रात को 11 बजे बहरोर के कैलाश अस्पताल भेजा गया.
पहलू खान को लेकर उसके बाद अलवर पुलिस केंद्र सरकार में तत्कालीन मंत्री महेश शर्मा के कैलाश अस्पताल पहुंची. जहां पर उसका उपचार शुरू हुआ. 11:00 बजे पुलिस ने पहलू खान के बयान लिए. पुलिस ने पहले पहलू खान पर गो-तस्करी का मुकदमा दर्ज किया फिर उसके बाद भीड़ की पिटाई का मामला लिखा. 1 अप्रैल 2017 की यह घटना थी और इस बीच पुलिस पहलू खान को गौ तस्कर मानकर गौ तस्करी के मामले की जांच पहलू खान पर ही करती रही. पहलू खान के दोनों बेटों को भी इस मामले में आरोपी बना दिया गया था. लिहाजा परिवार के लोग भी भागे भागे फिर रहे थे. पहलू खान खान ने होश में आने के बाद अपने फटी जेब से जयपुर नगर निगम के रसीद भी दिखाएं कि हमने सरकारी बाजार से रसीद के साथ गाय खरीदी है. साथ यह कहा कि गायों को देख लीजिए 50,000 से ज्यादा कीमत की गाय भला कोई काटने के लिए ले जा सकता है क्या? लेकिन पुलिस में उसे गौ तस्करी मान का मुकदमा दर्ज कर लिया. पहलू खान को सिस्टम ने तब दूसरी बार मारा था.
पहलू खान ने अपने बयान में 6 लोगों के नाम बताए थे जो हिंदू संगठनों से जुड़े हुए थे. जैसे ही इनके नाम सामने आए, अलवर के तत्कालीन बीजेपी विधायक ज्ञानदेव आहूजा ने कहा कि यह सब हमारे कार्यकर्ता हैं और यह आरोपी नहीं हो सकते क्योंकि यह तो गायों को सौंपने गौशाला गए थे. उस वक्त के तत्कालीन गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने भी आरोपियों का बचाव किया और कहा कि पहलू खान पिटाई से नहीं मारा है. इसके बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू की तो सभी छह आरोपियों को बरी कर दिया. पहलू खान को सिस्टम ने तीसरी बार मारा.
फिर पुलिस ने कहा कि वीडियो फुटेज के आधार पर हमने पहलू खान को पीटने वाले लोगों की पहचान की है इसमें से 9 व्यस्क हैं और तीन किशोर हैं, पुलिस ने यह भी दावा किया कि हमने वीडियो बनाने वाले शख्स रविंद्र यादव को भी खोज लिया है. दिल्ली पुलिस के कांस्टेबल रविंद्र यादव ने हमें बताया है कि हमने वह वीडियो बनाया था मगर जब केस का ट्रायल शुरू हुआ तो चार्जशीट दाखिल करते वक्त जांच अधिकारी ने वीडियो बनाने वाले रविंद्र यादव को कोर्ट में यह कहते हुए पेश नहीं किया कि वह कहीं मिल नहीं रहा है. जबकि दूसरी तरफ वीडियो फुटेज को एफएसएल जांच के लिए भी नहीं भेजा गया. तब पहलू खान कुछ सिस्टम ने चौथी बार मारा था.
मुकदमे की पैरवी बीजेपी सरकार में नियुक्त सरकारी वकील यादवेंद्र सिंह खटाना कर रहे थे जो पिछले 5 साल से यहां पर सरकारी वकील थे और लगातार पहलू खान के परिवार के तरफ से कहा जा रहा था कि सरकार मजबूती के साथ पहलू खान मॉब लिंचिंग के मामले को कोर्ट में नहीं रख रही है मगर कांग्रेस सरकार सत्ता में आने के बाद भी इस मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया. पुलिस का कमाल देखिए पहलू खान की पिटाई के वक्त उसके दोनों बेटे इरशाद और आरिफ मौजूद थे मगर इन दोनों से जेल में भी आरोपियों के आईडेंटिफिकेशन परेड नहीं कराई गई. सरकारी वकील साहब तनख्वाह तो सरकार की ले रहे थे मगर पुलिस से इतना भी नहीं कहा कि आरोपियों की शिनाख्त दो गवाहों से करवा लो. पहलू खान छठी बार उस दिन मरा था.
अब एक और मजेदार बात देखिए पुलिस ने चार्जशीट में दो पोस्टमार्टम रिपोर्ट लगाई हैं और कहा है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से यह साबित नहीं हो पा रहा है कि पहलू खान की मौत कैसी हुई है. सरकारी अस्पताल की पोस्टमार्टम रिपोर्ट और कैलाश अस्पताल की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत की वजह को लेकर अंतर है और पुलिस की यह महा खोज पहलू खान की मौत के आरोपियों के बहुत काम आई. एक जगह पोस्टमार्टम रिपोर्ट में लिखा हुआ है कि मौत की वजह हार्टअटैक है तो दूसरी पास पोस्टमार्टम रिपोर्ट में लिखा हुआ है की पहलू खान की 13 पसलियां टूटी थीं. पहलू खान को डॉक्टरों के साथ मिलकर पुलिस ने सातवीं बार मारा था.
कांग्रेस कि राजस्थान में सत्ता आने के बाद पहलू खान के परिजनों को इंसाफ की उम्मीद बंधी थी मगर पुलिस ने जब आखरी चार्जशीट पेश की तो उसमें मृतक पहलू खान को ही आरोपी बना दिया. इसे लेकर खूब बवाल मचा तब पहलू खान को सूबे की गहलोत सरकार ने आठवीं बार मारा था.
कहा जा रहा है कि मॉब लिंचिंग को लेकर राज्य में किसी कोर्ट का पहला फैसला है. मगर फैसला आने से पहले पहलू खान की मौत के मामले को लेकर चार बार जांच की गई हैं. और अब अशोक गहलोत सरकार में सत्ता में आने के बाद पांचवी बार कुछ पहलुओं पर फिर से जांच की जा रही है. फैसला आने के बाद बिना वक्त दवाएं 1 घंटे के अंदर गहलोत सरकार ने ऐलान किया कि हम बिना वक्त गवाएं ऊपर की अदालत में जाएंगे. गहलोत सरकार अगर थोड़ा वक्त निकालकर पहलू खान के मामले पर एक नजर डाल लेती तो शायद कोई ना कोई हत्यारा कोर्ट को मिल जाता. इसलिए पहलू खान के मामले में पिछली सरकार को दोष देना बेमानी है.
पहलू खान के मामले में किसी एक सरकार को दोष देना बेमानी है. बीजेपी की सरकार के जाने के बावजूद गहलोत सरकार को करीब करीब 8 महीने से ज्यादा का वक्त मिला है मगर मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून बनाकर वाहवाही लूटने वाली कांग्रेस सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया होता तो आज मॉब लिंचिंग के मामले में कोर्ट का फैसला भीड़तंत्र के खिलाफ एक नजीर बन जाता. कोर्ट के इस फैसले से भले ही लग रहा हो कि नो वन किल्ड पहलू खान, मगर सच्चाई तो यह है कि पहलू खान को पूरे सिस्टम ने मिलकर कई बार मारा है.
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