जिब्रान नासिर की हार पाकिस्तान चुनाव से उम्मीद तोड़ देता है
पाकिस्तान चुनाव में जिब्रान नासिर ने ये बता दिया है कि अब भी एक कट्टरपंथी देश में ऐसे लोग हैं जो अपनी प्रोग्रेसिव विचारधारा से मुश्किल में पड़े देश को आगे ले जाना चाहते हैं.
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इमरान खान, बिलावल अली जरदारी, नवाज शरीफ, मरियम नवाज, हाफ़िज़ सईद, मौलाना खादिम हुसैन रिज़वी ये वो नाम हैं जो आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है. पाकिस्तान चुनाव के अंतर्गत इन लोगों ने खूब सुर्खियां बटोरी. जिस वक़्त ये सभी लोग पाकिस्तान की सियासत में सियासी घमासान मचा रहे थे. एक और नाम था जो पाकिस्तान के सियासी गलियारों में लोगों की जुबान पर था और लगातार चर्चा का विषय बना हुआ था. हम बात कर रहे हैं मोहम्मद जिब्रान नासिर की. जिब्रान ने पाकिस्तान के कराची से दो महत्वपूर्ण जीतों NA-247 और PS-11 से बतौर निर्दलीय उम्मीदवार नामांकन किया था. जिब्रान चुनाव जीते हैं या नहीं इसकी ठीक ठीक जानकारी नहीं है मगर जिस तरह और जिस विचारधारा पर रहकर इन्होंने चुनाव लड़ा कहना गलत नहीं है कि जिब्रान पाकिस्तान के लोगों के लिए उमस भरी गर्मी में बारिश की ठंडी बूंद हैं.
जिब्रान पाकिस्तान के उन गिने चुने उम्मीदवारों में हैं जिन्होंने कट्टरपंथ से मोर्चा लिया
कौन हैं जिब्रान नासिर
पाकिस्तान चुनाव के अंतर्गत सोशल मीडिया पर लगातार लोकप्रिय हो रहे जिब्रान नासिर पेशे से मानवाधिकार कार्यकर्ता और एक वकील हैं. अपने चाहने वालों के बीच जिब्रान प्रोग्रेसिव छवि रखते हैं. जिब्रान के बारे में ये भी माना जाता है कि ये सेक्युलर विचारधारा के हैं जिनका उद्देश्य पाकिस्तान को कट्टरपंथ और मुल्ले मोलवियों से मुक्त कराना है.
आसान नहीं रहा है जिब्रान के लिए ये चुनावी सफर
जिब्रान पाकिस्तान से चुनाव लड़ रहे थे और जैसा कि लाजमी था जिब्रान के लिए भी ये चुनाव आसान नहीं था. जिब्रान के इलेक्शन कैम्प को तहरीक-ए-लब्बैक के समर्थकों के गुस्से का शिकार होना पड़ा. आपको बताते चलें कि जिब्रान ने दिल्ली कॉलोनी,चंदियो गांव, डिफेन्स और हिजरत कॉलोनी में अपने प्रचार प्रसार के लिए कैम्प लगाए थे जिसे तहरीक-ए-लब्बैक के समर्थकों द्वारा नष्ट कर दिया गया. इस सम्बन्ध में नासिर ने अपने फेसबुक पेज पर घटना से जुड़े कुछ वीडियो भी डाले थे और इस विषय पर पाकिस्तान के इलेक्शन कमीशन से शिकायत भी की थी.
पाकिस्तान एक मुश्किल दौर से गुजर रहा है और उसे जिब्रान जैसे लोग ही आगे ले जा सकते हैं
आखिर क्यों हुआ जिब्रान के साथ ये सुलूक
जैसा कि हम पता चुके हैं जिब्रान पेशे से मानवाधिकार कार्यकर्ता और एक वकील हैं. पाकिस्तान के इस चुनाव में उनकी छवि और उनका सेक्युलर होना इनके लिए एक बड़ी मुसीबत साबित हुआ है. ध्यान रहे कि जिब्रान जिस जगह से चुनाव लड़ रहे थे उसे तहरीक ए लब्बैक का गढ़ माना जाता है. तहरीक ए लब्बैक के लोगों को जिब्रान की ये बात भी बहुत बुरी लगी कि अपनी रैलियों में इन्होंने अपने "धर्म" का वर्णन नहीं किया है. जिस वक़्त जिब्रान अपना प्रचार कर रहे थे उनसे पूछा गया था कि इनका धर्म क्या है.
Earlier today at #Delhi Colony during polling several members of a outfit started chanting "Qadiani Haray Ga" at me and then suddenly a 7 year old appeared on a bicycle seeing me blowing kisses at the group and he screamed "Jibran Nasir Jeetay Ga" without an iota of fear. #Future pic.twitter.com/9rCN8rzjTb
— M. Jibran Nasir (@MJibranNasir) July 25, 2018
इसके अलावा जिब्रान के साथ ये सुलूक इस लिए भी हुआ क्योंकि उन्होंने अपनी रैलियों में कट्टरपंथियों पर ये आरोप लगाया था कि इन्हीं लोगों के चलते पाकिस्तान लगातार पिछड़ रहा है और गर्त के अंधेरों में जा रहा है. ज्ञात हो कि अपनी रैलियों के दौरान कई मौके ऐसे आए थे कि जब जिब्रान ने ये कहा था कि उनकी लड़ाई चुनाव में जीत हार से कहीं ऊपर है. वो एक ऐसा पाकिस्तान देखना चाहते हैं जहां आवाम शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य जैसी चीजों पर बात करे.
जिब्रान से हुआ बर्ताव पाकिस्तान का असली चेहरा है
अपनी रैलियों में जिब्रान ने उन मुद्दों को उठाया जो किसी राष्ट्र को बेहतर बनाते हैं और उसे आगे ले जाते हैं. इसके विपरीत जिन्होंने जिब्रान के प्रोग्रेसिव विचारों का विरोध किया वो ये चाहते हैं कि पाकिस्तान यूं ही इस्लाम के नाम पर कट्टरपंथ की जलता रहे और लगातार पीछे होता जाए. विकसित और विस्तृत सोच रखने वाले एक उम्मीदवार पर कट्टरपंथियों के हमले ये साफ कर देते हैं कि वो लोग जिब्रान के मुकाबले पाकिस्तान को कहां ले जाने की इच्छा रखते हैं.
It makes little sense to post a picture five hours after the camp was brought down, reported to authorities and restored by our workers. Ive posted the video of the Delhi Colony camp as well where torn down banners can be shown. Hope you will call us for fair investigation https://t.co/i4jEaym7a3
— M. Jibran Nasir (@MJibranNasir) July 25, 2018
आपको बताते चलें कि शायद ये जिब्रान के प्रोग्रेसिव और सेक्युलर विचारों का विरोध ही है जिसके चलते इनपर ईशनिंदा के आरोप लगे हैं और इनपर कादियानी और अहमदी होने का आरोप लगाया गया है. जिब्रान के बारे में ये भी दिलचस्प है कि तहरीक के लोग इनकी फांसी की मांग कर रहे हैं. पूरे चुनाव में जिब्रान के साथ जिस तरह का व्यवहार किया गया कहना गलत नहीं है कि यही पाकिस्तान जैसे देश का असली चेहरा है जो उसके विश्व पटल पर लगातार पिछड़ने की एक बड़ी वजह है.
पाकिस्तान में कब से लोकप्रिय हुए हैं जिब्रान
जिस तरह पाकिस्तान में एक ठीक ठाक संख्या द्वारा जिब्रान को हाथों हाथ लिया जा रहा है एक सवाल उठता है कि आखिर ये शख्स कब से पाकिस्तान की सियासत में लोकप्रिय हुआ तो आपको बता दें कि 2014 में जिब्रान उस वक्त आम पाकिस्तानी आवाम और कट्टरपंथियों की नजरों में चढ़े थे जब इन्होंने इस्लामाबाद की लाल मस्जिद के खिलाफ प्रोटेस्ट किया था. जिब्रान ने मुद्दा उठाया था कि इसी जगह से आतंकवादियों का नेटवर्क चलता है और इस पूरे नेटवर्क के तार अफगानिस्तान के उन हिस्सों से जुड़े हैं जो आतंकवाद के गढ़ के रूप में मशहूर हैं. जिस समय लाल मस्जिद के खिलाफ जिब्रान ने अपनी मुहीम छेड़ रखी थी उस वक़्त उनके पास धमकी भरे फोन कॉल आना एक आम बात थी जिसमें कई बार उन्हें "देख लेने" और जान से मारने तक की धमकी मिली थी.
बहरहाल, हम में से एक के नारे के साथ पाकिस्तान के चुनावी रण में उतरे जिब्रान को देखकर एक बात तो साफ है कि ये अंधेरे में डूबते पाकिस्तान जैसे देश के लिए उम्मीद की वो किरण हैं जिसपर अगर पाकिस्तान की आवाम ने भरोसा कर लिया और अपना समर्थन दे दिया तो निश्चित तौर पर ये पाकिस्तान को बहुत ऊंचे मुकाम पर ले जा सकते हैं. जिब्रान और इनके जैसे और मुट्ठी भर लोग पाकिस्तान जैसे देश में एक ऐसी राजनीति कर रहे हैं जो न सिर्फ मुश्किल है बल्कि नामुमकिन है.
Jibran Nasir, if you see this, my plus 80 year old dadi and 14 other people from my family voted for you.We don't know if you'll win, but my dadi keeps saying this might be her last vote & she hopes she lives to see you win.All of us do.#JibranNasir #HumMeinSeAik
— hello frenz chai pilo (@rubadilduba) July 25, 2018
जिब्रान के साथ जिस तरह लोग आए हैं और अपनी रैलियों में उन्हें जिस तरह का प्यार मिल रहा है वो अपने आप इस बात को बता देता है कि पाकिस्तान के आम लोग अमन, शांति, सुकून की चाह रखते हैं. वो पाकिस्तान को उस मुकाम पर देखना चाहते हैं जहां आतंकवाद, अशिक्षा, हिंसा जैसी चीजों का नामोनिशान न रहे और ये देश शांति के साथ आगे बढ़ता रहे.
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