गजनवी, गौरी, अब्दाली... पाकिस्तान की मिसाइलों के नाम में शामिल है बदनीयती
पाकिस्तान बैलिस्टिक मिसाइलों के नाम में एक खास बात है. सभी मिसाइलों के नाम उन हत्यारे और लुटरे मुस्लिम शासकों के नाम पर है, जिन्होंने भारतीय महाद्वीप में सिर्फ आतंक फैलाने का काम किया. गजनवी, गौरी, और अब्दाली के नाम इतिहास में आतंकी के रूप में ही दर्ज हैं.
-
Total Shares
अपनी अर्थव्यवस्था को लेकर संघर्ष कर रहे और कर्जे में डूबे पाकिस्तान ने अपने बैलिस्टिक मिसाइल गजनवी का सफलतापूर्वक परीक्षण किया. बात अगर इस मिसाइल की विशेषताओं पर हो तो यह मिसाइल सतह से सतह पर 290 से 320 किलोमीटर तक मार करने में सक्षम है. साथ ही इससे 700 किलोग्राम विस्फोटक ले जाया जा सकता है. माना जा रहा है कि इस परिक्षण के बाद कश्मीर मुद्दों पर अन्य मुल्कों से सहानुभूति की आस लगे पाकिस्तान ने दुनिया को तनाव का संदेश देने की कोशिश की है. पाकिस्तान इस परिक्षण को लेकर कितना बेताब था इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि उसने मिसाइल परीक्षण के लिए अपनी नौसेना को अलर्ट जारी करने के साथ ही कराची के तीन वायु मार्ग बंद करने की घोषणा की थी. बाकी बात गजनवी की चल रही है तो कुछ और कहने से पहले हमें भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उस बात को समझना होगा जिसमें उन्होंने पाकिस्तानी मिसाइलों के नाम पर गहरा असंतोष जताया था.
एक मुश्किल वक़्त में गजनवी का परीक्षण कर पाकिस्तान ने दुनिया को चुनौती दी है
बात बीते दिनों की है. भारत डायनेमिक लिमिटेड द्वारा निर्मित और ज़मीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल एयर फ़ोर्स को सौंपते हुए राजनाथ सिंह ने कहा था कि भारत अपनी रक्षा में संतुलन और सब्र का ख़ासा ध्यान रखता है और इसे भारतीय मिसाइलों के नाम में भी महसूस किया जा सकता है.
Pakistan successfully carried out night training launch of surface to surface ballistic missile Ghaznavi, capable of delivering multiple types of warheads upto 290 KMs. CJCSC & Services Chiefs congrat team. President & PM conveyed appreciation to team & congrats to the nation. pic.twitter.com/hmoUKRPWev
— DG ISPR (@OfficialDGISPR) August 29, 2019
राजनाथ सिंह ने कहा था कि, 'पाकिस्तान के इरादे और उसकी आक्रामकता को मिसाइलों के नाम से भी समझा जा सकता है. पाकिस्तान की मिसाइलों के नाम हैं- बाबर, ग़ौरी और ग़ज़नी. दूसरी तरफ़ भारत की मिसाइलों के नाम हैं- पृथ्वी, आकाश, अग्नि, नाग, त्रिशूल और ब्रह्मोस. हमारी सुरक्षा की संरचना संतुलन और सहिष्णुता को दिखाती है लेकिन हमारी सुरक्षा को कोई चुनौती देगा तो क़रारा जवाब देने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं.' इसके अलावा राजनाथ सिंह ने ये भी कहा था कि भारत के हथियार शांति और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए हैं.
यहां मुद्दा भारत के हथियार नहीं हैं. बात पाकिस्तान के हथियारों और उनके नामों पर हो रही है तो आइये देखें क्या है पाकिस्तानी हथियारों के नाम और उन नामों को लेकर क्या कहता है इतिहास.
Hatf-3 (गजनवी)
इस मिसाइल की खासियतों पर चर्चा हम ऊपर कर चुके हैं. चूंकि इस मिसाइल का नाम गजनवी है तो हमारे लिए भी जरूरी है कि हम महमूद गजनवी के बारे में जानें. 971-1030 तक के समय को महमूद गजनवी का शासन काल माना जाता है. महमूद गजनवी, मध्य अफ़ग़ानिस्तान में केन्द्रित गज़नवी वंश का एक महत्वपूर्ण शासक था जो पूर्वी ईरान में साम्राज्य विस्तार के लिए जाना जाता है. दिलचस्प बात ये है कि तुर्क मूल के शासक गजनवी का शुमार विश्व के बर्बर शासकों में है. बात अगर भारत की हो तो भारत में इस्लामी शासन लाने और आक्रमण के दौरान लूटपाट मचाने के कारण भारतीय हिन्दू समाज में उनको एक आक्रामक शासक के रूप में जाना जाता है और भारतीय उसे एक कातिल और मौकापरस्त से ज्यादा कुछ और नहीं देखते हैं.
Hatf-2 (अब्दाली)
अब्दाली-1 या हत्फ-2 एक सुपरसोनिक और सामरिक सतह से सतह के लिए कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल है. अब्दाली-1 मिसाइल पाकिस्तान के अंतरिक्ष अनुसंधान आयोग द्वारा विकसित की गयी है. इसकी मारक क्षमता 290 किलोमीटर है. यह वर्तमान में पाकिस्तान के सेना सामरिक बल कमान में कार्यरत है.
कौन था अब्दाली
सन 1748 में नादिरशाह की मौत के बाद अहमद शाह अब्दाली, अफ़ग़ानिस्तान का शासक और दुर्रानी साम्राज्य का संस्थापक बना. यदि इतिहस के पन्नों पर नजर डालें तो मिलता है कि अब्दाली ने भारत पर सन 1748 से सन 1758 के बीच कई बार चढ़ाई की और जमकर लूटपाट की. बात अगर अब्दाली द्वारा किये गए बड़े हमलों की हो तो सन 1757 में जनवरी में दिल्ली पर किये गए हमले को अब्दाली का सबसे बड़ा हमला कहा जाता है. इस हमले में न सिर्फ उसने कई दिनों तक दिल्ली में रहकर लूटपाट की बल्कि लूटपाट के उद्देश्य से उसने सैकड़ों लोगों को कत्ल भी किया.
Hatf- 5 (गौरी)
गौरी-1 या हत्फ-5 पाकिस्तान की वो निर्देशित बैलिस्टिक मिसाइल है जिसका निर्माण मध्यम दूरी के हमले के लिए किया गया है. यह वर्तमान में पाकिस्तान के सेना सामरिक बल कमान में है. बात अगर इसके निर्माण की तकनीक पर हो तो यह एक एकल चरण तरल ईंधन मिसाइल प्रणाली है और इसकी मारक क्षमता 1500 किलोमीटर है.
मोहम्मद गौरी को लेकर क्या कहता है इतिहास
मुहम्मद गौरी 12 वीं शताब्दी का अफ़ग़ान सेनापति था जो आगे चलकर 1202 ई. में गौरी साम्राज्य का शासक बना. गौरी के बारे में सबसे दिलचस्प बात ये है कि जिस समय वो सेनापति था उसने अपनी क्षमताओं को आंकने के लिए अपना पहला आक्रमण मुल्तान पर किया और इसके बाद उसने गुजरात के पाटन का रुख किया जहां तत्कालीन राजा भीम द्वितीय ने मोहम्मद गौरी को बुरी तरह पराजित किया. इसके अलावा 1191 में मोहमम्द गौरी ने दो बार पृथ्वीराज चौहान से भी युद्ध लड़ा है जिसमें पहला युद्ध पृथ्वीराज चौहान हारे मगर दूसरे युद्ध में उसे पृथ्वीराज चौहान के हाथों जबरदस्त हार का सामना करना पड़ा. मोहम्मद गौरी को इतिहास में एक मौका परस्त शासक माना गया है जिसका एकमात्र उद्देश समृद्ध भारत की सम्पदा को लूटना था.
Hatf-7 (बाबर)
बाबर क्रूज मिसाइल या हत्फ-7 पाकिस्तान की सेना में शामिल वो क्रूज मिसाइल हैजिसका इस्तेमाल भूमि पर हमला करने के लिए किया गया है. बात अगर पाकिस्तान की इस मिसाइल की खासियत पर हो तो इसे परमाणु बम से लैस किया जा सकता है और दूरी के लिहाज से ये मिसाइल 700 किलोमीटर की दूरी तय कर सकती हैं. ये मिसाइल पाकिस्तान के रक्षा विभाग के लिए इसलिए भी खास है क्योंकि इसे दुश्मन के हवाई सुरक्षा साधनों के भीतर प्रवेश करने और रडार से बचने के लिए बनाया गया है.
बाबर को लेकर क्या कहता है इतिहास
1483 - 1530 के बीच के समय को ज़हिर उद-दिन मुहम्मद बाबर का शासन काल माना जाता है. जिसका मूल मध्य एशिया था और जिसने भारत में मुगल सल्तनत की नींव डाली थी. बात अगर बाबर के इतिहास की हो तो एक महत्वकांशी शासक के रूप में बाबर को चंगेज खान और तैमूर लंग का वंशज माना जाता है. इतिहास ये भी बताता है कि भारत पर शासन करना बाबर के लिए कहीं से भी आसान नहीं था. 1519 से 1526 के बीच उसने भारत पर 5 बार हमला किया था. बाबर ने 1526 में पानीपत के मैदान में दिल्ली सल्तनत के अंतिम सुल्तान इब्राहीम लोधी को हराकर भारत में मुग़ल शासन की नींव राखी थी. बाबर के विषय में कहा जाता है की उसने 1527 में खानवा, 1528 मैं चंदेरी तथा 1529 में आगरा जीतकर अपने साम्राज्य को विस्तार दिया.
1947 में जन्मे पाकिस्तान के हुक्मरान ये मानते हैं कि कुछ मुस्लिम हमलावर लुटरों के नाम पर अपनी मिसाइलों का नाम रखने से वे भारत को चिढ़ा पाएंगे. हकीकत ये है कि जिन बर्बर लुटेरों और हत्यारों को उन्होंने अपने मिसाइल कार्यक्रम के लिए हीरो माना है, उन्होंने भारत के उसी भू-भाग पर सबसे ज्यादा कत्लेआम किया, जहां आप पाकिस्तान है. जाहिर है गजनवी हाथों कत्ल हुए पाकिस्तानियों (पूर्व के हिंदुस्तानी) के पुरखे अपने कातिल के नाम वाली मिसाइल के सफल परीक्षण पर मुबारकबाद तो नहीं दे रहे होंगे?
ये भी पढ़ें -
चौधरी फवाद हुसैन ने पाकिस्तान की पैदाइश का कन्फ्यूजन जमीन पर ला दिया
इमरान खान के 5 फैसलों ने उन्हें बना दिया यू-टर्न किंग
कश्मीर के बहाने बाजवा और इमरान खान दोनों ने 'एक्सटेंशन' ले लिया
आपकी राय