Islamophobia की बातें करने वाले इमरान खान खुद अपने दोगलापन में घिर गए
बेशर्मी की पराकाष्ठा क्या होती है? गर जो इस बात को समझना हो तो हम पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) का रुख कर सकते हैं. जिस आदमी के अपने मुल्क में तनाव हो. नौबत तख्तापलट की हो. इस्लामोफोबिया (Islamophobia) के मद्देनजर अगर वो फ्रांस के राष्ट्रपति (France President Emmanuel Macron) को ज्ञान दे रहा है.
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'धर्म ख़तरे में है' सोशल मीडिया के इस दौर का सबसे चर्चित वाक्य. हिंदुस्तान से लेकर पाकिस्तान (Pakistan) तक. फ्रांस (France) से लेकर स्वीडन (Sweden) तक. मुल्क कोई भी हो. ये बहुचर्चित वाक्य, बोतल के जिन की तरह है. इन शब्दों के इस्तेमाल से हमारे राजनेता न सिर्फ अपनी कुर्सी बचा सकते हैं बल्कि एक ठीक ठाक वक़्त के लिए पब्लिक का ध्यान मुख्य मुद्दों से भटका सकते हैं. 'धर्म ख़तरे में है' भले ही इन 4 शब्दों को आप और हम हल्के में लें या हिकारत भरी नज़रों से देखें लेकिन जब बात पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की आएगी तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इस एक वाक्य से न केवल दुनिया के सामने लूट चुकी अपनी इज्जत बचा रहे हैं बल्कि उन्होंने इस बात की भी पुष्टि कर दी है कि जब भी बात ख़ुद के खोट की आएगी तो हुकूमत ए पाकिस्तान जानती है कि कैसे धर्म का इस्तेमाल करके जनता को बेवकूफ बनाया जा सकता है. बता दें कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) फ्रांस से बहुत 'नाराज' हैं. इमरान खान (Imran Khan) ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (Emmanuel Macron) पर इस्लाम पर हमला करने का आरोप लगाया है. इमरान खान अचानक इस्लामोफोबिया (Islamophobia) की बातें क्यों कर रहे हैं इसकी भी वजह खासी दिलचस्प है. इमरान ने यह रिएक्शन फ्रांस (France) में पैगंबर मोहम्मद के कार्टून (Prophet Mohammed Cartoon) पर जारी विवाद को लेकर दिया है. इमरान का मानना है कि इस्लाम की जानकारी न होने के बावजूद मैक्रों ने मुसलमानों पर हमला किया है जिससे 'इस्लामोफोबिया' को बढ़ावा मिला है.
इस्लामोफोबिया का जिक्र करके एक बार फिर पाकिस्तान के लोगों को इमरान खान ने बेवकूफ बना दिया है
फ्रांस में जो इस्लाम को लेकर चल रहा है उसपर इमरान खान ने ट्वीट करते हुए अपना गुस्सा प्रकट किया है. ट्विटर पर इमरान खान ने लिखा है कि एक नेता की पहचान होती है कि वह इंसानों को एकजुट करता है, जैसा कि मंडेला ने लोगों को विभाजित करने की बजाय उन्हें एक करने पर जोर दिया. लेकिन एक आज का समय है, जब राष्ट्रपति मैक्रों देश से रेसिज्म, ध्रुवीकरण हटाने की बजाय अतिवादियों को हीलिंग टच और अस्वीकृत स्थान देने में लगे हैं, जो निश्चित रूप से उनकी कट्टरवादी सोच को दिखाता है.'
मामले के मद्देनजर इमरान ने एक के बाद एक कई ट्वीट किए हैं. ऐसे में जब हम उनके अगले ट्वीट पर नजर डालें तो इमरान ने लिखा यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राष्ट्रपति मैक्रों हिंसा करने वाले आतंकवादियों के बजाय इस्लाम पर हमला करके इस्लामोफोबिया को प्रोत्साहित कर रहे है. अफसोस की बात है कि राष्ट्रपति मैक्रो ने इस्लाम और इस्लाम के रहनुमा पैगंबर साहब को निशाना बनाने वाले कार्टून के प्रदर्शन को बढ़ावा दिया हैं और जानबूझकर मुसलमानों को भड़कने पर मजबूर कर रहे हैं.'
Hallmark of a leader is he unites human beings, as Mandela did, rather than dividing them. This is a time when Pres Macron could have put healing touch & denied space to extremists rather than creating further polarisation & marginalisation that inevitably leads to radicalisation
— Imran Khan (@ImranKhanPTI) October 25, 2020
अपने ट्वीट्स में इमरान खान ने इस बात को बल दिया है कि फ्रांसीसी राष्ट्रपति को इस्लाम की कोई समझ नहीं है, फिर भी उन्होंने इस पर हमला करके यूरोप और दुनिया भर में लाखों मुसलमानों की भावनाओं पर हमला किया और उन्हें चोट पहुंचाई.' इमरान ने कहा, 'आखिरी चीज जिसे दुनिया चाहती है या जरूरत है, वह है कि दुनिया को ध्रुवीकरण और अज्ञानता की वजह से इस्लामोफोबिया पर सार्वजनिक बयान से बचना चाहिए, क्योंकि इससे उग्रवादियों के मन में और भी नफरत पैदा हो जाएगी.'
through encouraging the display of blasphemous cartoons targeting Islam & our Prophet PBUH. By attacking Islam, clearly without having any understanding of it, President Macron has attacked & hurt the sentiments of millions of Muslims in Europe & across the world.
— Imran Khan (@ImranKhanPTI) October 25, 2020
ध्यान रहे कि इमरान इस्लामोफोबिया की ये गंभीर बातें उस वक़्त कर रहे हैं जब उनका अपना मुल्क आंतरिक गतिरोध में है. सिंध और कराची में पुलिस सेना और आतंकवादियों के खिलाफ आ गई है और नौबत तख्ता पलट की है.
Mohsin Dawar demanded that allegations of political engineering against army chief Bajwa should be investigated. He also spoke of forming a truth commission. Dawar's speech was (predictably) not aired by any TV channel. pic.twitter.com/LMGS1Oee4G
— Naila Inayat नायला इनायत (@nailainayat) October 18, 2020
गौरतलब है कि अभी बीते दिनों ही कराची में विपक्ष ने एक रैली की थी जिसमें चाहे वो मरियम नवाज़ रही हों या फिर बिलावल भुट्टो जरदारी सबने इमरान खान और गंभीर आरोप लगाए थे और उन्हें एक नाकाम प्रधानमंत्री की संज्ञा दी थी.
"When you, Imran Khan, are pressed for answers you say the opposition is speaking Modi's language. When it was you who prayed for Modi's re-election, you were dying to talk to him, gifted him Kashmir on a plate...and we are the one speaking his language?" pic.twitter.com/5U6mcgrzD7
— Naila Inayat नायला इनायत (@nailainayat) October 18, 2020
रैली के बाद लोग सड़कों पर आए थे और उसके बाद जो कुछ भी हुआ वो दुनिया से छिपा नहीं है. आज जिस तरह इमरान खान 'धर्म का कार्ड खेलते हुए ' इस्लाम पर खतरे की बातें कर रहे हैं साफ है कि लोगों का ध्यान भटकाकर इमरान खान अपनी कुर्सी महफूज करना चाहते हैं.
बहरहाल मामले में ट्विस्ट ये है कि इमरान खान ने 'इस्लामोफोबिया' के मद्देनजर फेसबुक को एक खत लिखा है जिसमें उन्होंने इस्लामोफोबिया को बढ़ावा देने वाले कंटेंट पर बैन लगाने की मांग की है. इस पत्र का सबसे दिलचस्प पहलू ये है कि इसमें भारत का जिक्र हुआ है और सीएए-एनआरसी और भारतीय मुसलमानों का उल्लेख है.
फेसबुक के सीईओ मार्क जकरबर्ग को लिखे पत्र में इमरान ने लिखा है कि, 'मैं बढ़ते इस्लामोफोबिया की ओर आपका ध्यान आकर्षित करने के लिए लिख रहा हूं, जो दुनियाभर में नफरत, उग्रवाद और हिंसा को बढ़ावा दे रहा है और विशेष रूप से फेसबुक सहित सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के उपयोग के माध्यम से.' इमरान ने अपने पत्र में भारत का जिक्र करते हुए इस बात को उठाया है कि भारत में मुस्लिम विरोधी कानून जैसे कि सीएए और एनआरसी के साथ-साथ मुसलमानों की हत्याएं और कोरोनो वायरस के लिए मुसलमानों को दोषी ठहराना इस्लामोफोबिया की घिनौनी घटना को दर्शाता है.
खैर अब जबकि इमरान की ये झूठी बातें और पाकिस्तान में उनके द्वारा अंजाम दिए जा रहे कारनामे दोनों ही हमारे सामने आ गए हैं हम बस ये कहकर अपनी बात को विराम देंगे कि वो जो कर रहे हैं सच में वो बेशर्मी की इंतेहा है. उनको देखते हुए बार बार सवाल यही आता है कि कोई इतना बेगैरत कैसे हो सकता है? इमरान खान को समझना होगा कि जिस आदमी के अपने मुल्क में तनाव हो. नौबत तख्तापलट की हो. इस्लामोफोबिया (Islamophobia) के मद्देनजर अगर वो फ्रांस के राष्ट्रपति को ज्ञान दे रहा है. फेसबुक को खत लिख रहा है तो ऐसी नैतिकता की बातें उसके मुंह से बिलकुल भी अच्छी नहीं लगती.
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