Priyanka Gandhi ने अपना चेहरा चमकाने में बाकियों को खारिज कर दिया!
प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) ने यूपी चुनाव (UP Election 2022) लड़ने के संकेत दिये हैं, लेकिन मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर ऐसी गुगली फेंकी है कि हर कांग्रेसी हैरान होगा - थोड़ा बहुत तो राहुल गांधी (Rahul Gandhi) भी हुए ही होंगे.
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यूपी चुनाव (UP Election 2022) में महिलाओं के लिए 40 फीसदी उम्मीदवारी सुनिश्चित करने के बाद कांग्रेस युवाओं के लिए 'भर्ती विधान' लेकर आयी है - भर्ती विधान युवाओं के लिए कांग्रेस का वैसा ही मैनिफेस्टो है जैसा महिलाओं के लिए शक्ति घोषणा पत्र.
भर्ती विधान के तहत कांग्रेस के सत्ता में आने पर यूपी में 20 लाख युवाओं को नौकरी देने की घोषणा की गया है. ये मैनिफेस्टो जारी करते वक्त प्रेस कांफ्रेंस में प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) के साथ छुट्टी बिता कर विदेश से लौटे राहुल गांधी (Rahul Gandhi) भी मौजूद थे.
जब देश के पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव हो रहे हों और कई राज्यों में कांग्रेस की सरकार है, तो भी भर्ती विधान जैसे प्रयोग उत्तर प्रदेश में ही क्यों - ऐसे सवालों के जवाब राहुल और प्रियंका गांधी दोनों नेताओं ने अपने अपने तरीके से दिये. राहुल गांधी ने यूपी की अहमियत समझाते हुए बताया कि कैसे यूपी अंग्रेजों के जमाने में भी महत्वपूर्ण हुआ करता था. राहुल गांधी ने बताया कि भर्ती विधान यूपी के युवाओं से फीडबैक लेकर तैयार किया गया है.
प्रियंका गांधी वाड्रा का कहना रहा कि भर्ती विधान में शामिल कई चीजें कांग्रेस के शासन वाले राज्यों में चल रहे कार्यक्रमों से भी प्रेरित है - और राहुल गांधी का कहना है कि चूंकि 2014 में मोदी सरकार के आने के बाद से जो सब बर्बाद हो गया है, ये उसके आगे का नया विजन है.
सवाल-जवाब के दौरान ही प्रियंका गांधी से यूपी चुनाव में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर भी पूछा गया. प्रियंका गांधी ने बातों बातों में अपना ही चेहरा पेश कर दिया. हालांकि, बाद में प्रियंका गांधी वाड्रा ने सफाई भी दी है, लेकिन पहली बार सुन कर तो ऐसा लगा जैसे वो अपने अलावे हर चेहरे को सिरे से खारिज कर रही हों.
कांग्रेस में चेहरा मतलब गांधी परिवार!
आम चुनाव में कांग्रेस की हार की जिम्मेदारी लेते हुए राहुल गांधी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने में उत्तर प्रदेश की भी भूमिका तो रही ही होगी. अमेठी में राहुल गांधी की हार कोई मामूली झटका तो थी नहीं - और तभी राहुल गांधी ने गांधी परिवार से बाहर के कांग्रेस अध्यक्ष की पहल की थी.
बस चेहरा ही तो है, लेकिन कांग्रेस कहां है?
हंसते हंसते ही सही, लेकिन प्रियंका गांधी ने कांग्रेस के चेहरे के रूप में जिस तरीके से खुद को प्रोजेक्ट किया है - क्या ऐसा नहीं लगता कि प्रियंका गांधी अपने साथ चुनावी तैयारियों में जुटे कांग्रेस के सभी नेताओं को कार्यकर्ताओं के योगदान को सिरे से खारिज कर दिया है. आखिर, 'लड़की हूं... लड़ सकती हूं' स्लोगन की पोस्टर गर्ल रहीं, प्रियंका मौर्य भी तो ऐसी ही तोहमत लगा रही थीं.
कोई और चेहरा नजर क्यों नहीं आता: यूपी चुनाव में योगी आदित्यनाथ और उनके बाद अखिलेश यादव के चुनाव मैदान में कूद पड़ने के बाद प्रियंका गांधी की तरफ ही सारी निगाहें टिकी हैं - क्या वो भी दोनों नेताओं को कम से कम इस मामले में फॉलो करेंगी?
कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने कई बार ऐसे इशारे जरूर किये हैं जिससे लगता है कि प्रियंका गांधी ही यूपी चुनाव में कांग्रेस के मुख्यमंत्री का चेहरा हो सकती हैं - और बनारस की रैली में तो बगैर किसी अलग से हुई चर्चा के ही भूपेश बघेल ने ऐलान कर दिया था कि यूपी चुनाव प्रियंका गांधी के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा.
कांग्रेस के भर्ती विधान जारी किये जाने के लिए बुलाई गयी प्रेस कांफ्रेंस में भी ये सवाल पूछ लिया गया - बगल में राहुल गांधी भी बैठे हुए थे. यूपी की प्रभारी होने के नाते प्रियंका गांधी ज्यादा प्रभावी भी नजर आ रही थी. बीच बीच में राहुल गांधी भी अपनी बात रखते रहे.
प्रेस कांफ्रेंस का संचालन कर रहे कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ये कहते हुए एक पत्रकार को सवाल पूछने को कहा कि प्रियंका गांधी चाहती हैं कि महिला पत्रकारों को सवाल पूछने का ज्यादा मौका दिया जाये.
मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर महिला पत्रकार के सवाल पर मुस्कुराते हुए प्रियंका गांधी वाड्रा बोलीं, 'आपको किसी और का चेहरा दिखता है... कांग्रेस पार्टी की तरफ से?
फिर उसी पत्रकार ने स्थिति और स्पष्ट करने के लिए पूछा - क्या आप ही चेहरा होंगी?
फिर मुस्कुराते हुए ही प्रियंका गांधी ने जवाब में कहा, 'दिख तो रहा है न... मेरा... सब जगह... चेहरा...'
प्रियंका गांधी ने भले ही ये सब हंसते हंसते कहा हो, लेकिन ये हंसी खेल में ही अहंकार का प्रदर्शन लगता है. देखा जाये तो प्रियंका गांधी वाड्रा ने एक तरीके से यूपी में चुनाव में जी जान से जुटे और संघर्ष कर रहे कांग्रेस के सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं की मेहनत को खारिज कर दिया है.
प्रियंका गांधी ने तो जैसे अपने स्लोगन की पोस्टर गर्ल रहीं प्रियंका मौर्य के आरोपों को ही सही साबित कर दिया है. प्रियंका मौर्य भी तो यही कह रही हैं कि कांग्रेस में केवल महिलाओं की बात की जाती है, लेकिन मौके पर महिलाओं को उनका हक और अधिकार नहीं दिया जाता. सुष्मिता देव जैसी नेताओं के कांग्रेस छोड़ने पर भी प्रियंका गांधी से सवाल पूछे जाते रहे हैं और वो अपने तरीके से पार्टी का बचाव भी करती रही हैं.
आगे जो भी हो, लेकिन प्रियंका गांधी की बातों से अभी तो यही लगता है कि कांग्रेस में चेहरे का मतलब गांधी परिवार से बाहर का कोई नहीं होता. हो सकता है राहुल गांधी भी अपने स्टैंड पर नये सिरे से विचार करने लगे हों - क्या वास्तव में प्रियंका गांधी के अलावा कोई चेहरा नजर नहीं आ रहा है? आखिर ऐसा क्यों है?
राहुल गांधी क्या सोचते हैं: राहुल गांधी के लिए भी राहत की बात बस इतनी ही है कि मीडिया के सवाल का दायरा यूपी चुनाव तक ही था, पूरे देश को लेकर नहीं. वरना, प्रियंका गांधी के जवाब से तो ऐसा लगा जैसे कांग्रेस में उनके अलावा कोई चेहरा ही न हो - हालांकि, राहुल गांधी ने कोई भी रिएक्शन नहीं दिया. न ही रिजेक्ट किया, न एनडोर्स. प्रेस कांफ्रेंस में शुरू से ही राहुल गांधी गंभीर रुख अपनाये हुए थे - और प्रियंका के बयान के बाद भी सहज बने रहे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टारगेट करने वाले राहुल गांधी के बयानों को छोड़ दिया जाये तो वो हमेशा ही कार्यकर्ताओं की बातें करते हैं - कहते रहे हैं कि कांग्रेस कार्यकर्ता किसी से नहीं डरता. ऐसा भी नहीं कि वो अपनी बात कभी नहीं करते. यूपी में जब मायावती का शासन रहा - अक्सर कहा करते थे, मुझे बहुत गुस्सा आता है. एंग्री यंग मैन की तरह. सिस्टम से नाराजगी जाहिर करने का एक तरीका भी रहा होगा, लेकिन प्रियंका ने तो सबको एक झटके में खारिज कर दिया है.
अजय कुमार लल्लू जब से यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष बने हैं - कई बार जेल गये होंगे. पुलिस से अक्सर ही हाथापाई करते देखे जाते हैं, लेकिन उनका चेहरा भी तो प्रियंका गांधी को नहीं दिखायी दिया. मालूम नहीं राहुल गांधी क्या राय रखते हैं.
प्रियंका गांधी की सफाई: प्रियंका गांधी के विधानसभा चुनाव लड़ने पर कांग्रेस में अभी कोई फैसला नहीं हुआ है, लेकिन एनडीटीवी से बातचीत में ये माना है कि वो चुनाव लड़ सकती हैं, लेकिन मुख्यमंत्री का चेहरा होने से वो इनकार कर रही हैं. प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपनी बात का जिक्र करते हुए प्रियंका गांधी वाड्रा का कहना है कि वो तो महज एक जबानी टिप्पणी के रूप में था.
एनडीटीवी के सवाल पर प्रियंका गांधी ने कहा, 'मैं यूपी चुनाव में लड़ सकती हूं... लेकिन ये नहीं मान सकती कि मैं मुख्यमंत्री उम्मीदवार हूं.'
भर्ती विधान पर अमल कैसे होगा
यूपी में प्रतिज्ञा यात्रा और सम्मेलन के दौरान कांग्रेस की तरफ से सात प्रतिज्ञा की घोषणा भी की गयी थी - भर्ती विधान उसी का डॉक्युमेंटेशन है. भर्ती विधान में भी घोषणा के अनुसार ही 20 लाख युवाओं को नौकरी देने की बात की गयी है.
बिहार चुनाव के दौरान आरजेडी के मुख्यमंत्री फेस तेजस्वी यादव के 10 लाख नौकरी के वादे की काट में बीजेपी '19 लाख रोजगार पैकेज' लेकर आयी थी. चुनाव से पहले तेजस्वी यादव ने कहा था कि सत्ता में आने पर कैबिनेट की पहली बैठक में पहली दस्तखत से 10 लाख नौकरी वाला आदेश जारी किया जाएगा. हो सकता है, अब यूपी में भी बीजेपी प्रियंका गांधी के भर्ती विधान की काट में ऐसा ही कोई नया पैकेज पेश करे.
20 लाख कैसे मुमकिन है: सवाल ये उठता है कि यूपी में युवाओं को 20 लाख नौकरी सरकार भला कैसे दे सकती है? अमित शाह भले ही योगी शासन में यूपी को देश में बेस्ट बताते रहे हों, लेकिन हकीकत तो मोदी सरकार के नीति आयोग ने ही बयान कर दिया है.
प्रियंका गांधी से भी प्रेस कांफ्रेंस में नीति आयोग की उत्तर प्रदेश को पिछड़ा बताने वाली रिपोर्ट का हवाल देकर 20 लाख नौकरियां देने का आधार पूछा गया. प्रियंका गांधी का कहना था कि सरकार के पास संसाधन होते हैं, लेकिन उसे अलग खर्च कर दिया जाता है. योगी सरकार को लेकर दिल्ली और यूपी में जगह जगह किये गये विज्ञापनों की तरफ भी प्रियंका गांधी ने इशारा किया.
नौकरियों को लेकर प्रियंका गांधी का कहना है, यूपी में सरकारी विभागों में 12 लाख पद खाली हैं - और 8 लाख युवाओं के हुनर और दूसरी योग्यताओं के आधार पर नये सिरे से बनाये जा सकते हैं.
गठबंधन सरकार में शामिल होगी कांग्रेस: प्रियंका गांधी ने ये भी कहा है कि यूपी चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिलने की स्थिति में कांग्रेस बीजेपी विरोधी गठबंधन का सपोर्ट कर सकती है.
फिलहाल कांग्रेस महाराष्ट्र और झारखंड के अलावा तमिलनाडु की सत्ता में भी साझीदार है - और लगता है यूपी को लेकर भी ऐसा ही मन बना चुकी है. ये बात अलग है कि यूपी में सभी प्रमुख विपक्षी दल आपस में बगैर गठबंधन के चुनाव लड़ रहे हैं.
प्रियंका गांधी ने एक बात जोर देकर कही कि अगर ऐसी कोई सूरत बनी कि कांग्रेस गठबंधन की सरकार में साझीदार बनती है, तो इस बात का पूरा ख्याल रखा जाएगा कांग्रेस के युवाओं और महिलाओं को लेकर तैयार किये गये एजेंडा पर काम जरूर हो.
कांग्रेस की प्रेस कांफ्रेंस में पूछे गये सवालों में यही एकमात्र जवाब था जिसमें प्रियंका गांधी ने गठबंधन की सरकार में साझीदार होने की बात की, न कि गठबंधन सरकार का नेतृत्व करने की - जब इतना सब मालूम है तो चेहरे के मामले में प्रियंका गांधी कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं को भी थोड़ा बहुत क्रेडिट तो दे ही सकती हैं.
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