प्रियंका चाहे जो कहें, चंद्रशेखर से मुलाकात बिलकुल राजनीति है
भीम आर्मी के नेता चंद्रशेखर आजाद पर कांग्रेस की शुरू से ही नजर रही है संपर्क पर अभी हो पाया है. प्रियंका गांधी वाड्रा भले ही मुलाकात को गैर राजनीतिक बतायें लेकिन सच ज्यादा दिन छुपने वाला नहीं है.
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भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद रावण फिर से यूपी पुलिस की हिरासत में हैं. यूपी पुलिस ने इस बार चंद्रशेखर को आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप में गिरफ्तार किया है. चंद्रशेखर को सहारनपुर में पुलिस ने समर्थकों के साथ जुलूस निकालने पर हिरासत में ले लिया था. बाद में तबीयत खराब होने पर चंद्रशेखर को मेरठ के एक अस्पताल में भर्ती करा दिया गया.
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने मेरठ पहुंच कर चंद्रशेखर से अस्पताल में मुलाकात की है. मुलाकात को प्रियंका गांधी ने राजनीति से नहीं जोड़ने की बात कही है. सवाल है कि प्रियंका गांधी और चंद्रशेखर की ये मुलाकात राजनीतिक क्यों नहीं हो सकती? कांग्रेस अरसे से भीम आर्मी के नेता पर डोरे डालने की कोशिश कर रही है. चुनावी मौसम में ये मुलाकात चंद्रशेखर के लिए भी काफी मायने रखती है.
प्रियंका और चंद्रशेखर की अस्पताल में मुलाकात
भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद रावण के खिलाफ मई 2017 में सहारनपुर में जातीय दंगा फैलाने के आरोप में यूपी पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. गिरफ्तारी से पहले पुलिस ने चंद्रशेखर पर ₹ 12 हजार का इनाम भी रखा था. बाद में चंद्रशेखर पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई हुई थी लेकिन तय वक्त से पहले ही उन्हें रिहा कर दिया गया था.
मई 2018 में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने चंद्रशेखर से जेल में मुलाकात की कोशिश थी, लेकिन जेल प्रशासन ने उन्हें नहीं अनुमति नहीं दी. जेल प्रशासन की दलील थी कि सिर्फ परिवार के लोग या निजी मुलाकातें हो सकती हैं - राजनीतिक तो हरगिज नहीं. जेल प्रशासन के इस रवैये पर आम आदमी पार्टी ने गहरी नाराजगी जतायी थी - और पूछा था कि अगर ऐसा है तो हरीश रावत ने चंद्रशेखर से मुलाकात कैसे की थी?
चंद्रशेखर और उनके समर्थक भी खुद को गैर राजनीतिक बताते रहे हैं लेकिन हाल फिलहाल उनके रवैये में बदलाव नजर आ रहा है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चंद्रशेखर ने दिल्ली में भीम आर्मी की बहुजन हुंकार रैली की घोषणा कर रखी थी. भीम आर्मी ने देवबंद से दिल्ली तक के लिए जुलूस और फिर रैली का कार्यक्रम तय किया था. बीएसपी के संस्थापक कांशीराम के जन्मदिन पर भीम आर्मी के लोग जंतर-मंतर पर पहुंचने वाले थे. चंद्रशेखर का अब भी कहना है कि दिल्ली में रैली होकर रहेगी.
चंद्रशेखर से मिलने अस्पताल पहुंचीं प्रियंका वाड्रा
चंद्रशेखर से मुलाकात के बाद प्रियंका गांधी ने चंद्रशेखर के कांग्रेस ज्वाइन करने या चुनाव लड़ने के सारे सवालों से इंकार किया है. प्रियंका ने मुलाकात को भी राजनीति से परे बताया है. प्रियंका गांधी का कहना है कि वो उस नौजवान के जोश को देखते हुए मिलने गयी थीं - जिसकी आवाज को दबाने की कोशिश हो रही है.
प्रियंका गांधी वाड्रा ने चंद्रशेखर से ऐसे वक्त मुलाकात की है जब वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं. चंद्रशेखर ने पहले कहा था कि मोदी के खिलाफ वो अपने संगठन से किसी मजबूत उम्मीदवार को मैदान में उतारेंगे और ऐसा नहीं हो पाया तो खुद ही चुनाव मैदान में उतर जाएंगे.
गुजरात में विधानसभा का चुनाव जीतने के बाद जिग्नेश मेवाणी ने दिल्ली में चंद्रशेखर की रिहाई के लिए आवाज उठायी थी. जिग्नेश विधायक तो निर्दलीय हैं लेकिन चुनाव में उन्हें कांग्रेस का समर्थन मिला था. देखा जाये तो इससे पहले कांग्रेस ने जिग्नेश के जरिये ही चंद्रशेखर को साधने की कोशिश की थी. जिग्नेश ने भी चंद्रशेखर से जेल में मुलाकात करनी चाही थी लेकिन संभव नहीं हो सका था.
अब भी अगर प्रियंका गांधी मुलाकात को राजनीति से न जोड़ने को कह रही हैं तो ये उनका हक है. वैसे चंद्रशेखर को भी उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए सपोर्ट की जरूरत है.
कांग्रेस के लिए बड़े काम के हैं चंद्रशेखर
सहारनपुर हिंसा के बाद मायावती ने इलाके का दौरा किया था. तब मायावती ने चंद्रशेखर या किसी का नाम तो नहीं लिया था लेकिन इतना जरूर कहा था कि ऐसे युवाओं को बीएसपी के बैनर तले आंदोलन करना चाहिये. मायावती ने इसका फायदा भी समझाया था कि ऐसा होने पर पुलिस उन्हें परेशान नहीं करेगी. तब भीम आर्मी की ओर से कोई रिएक्शन नहीं आया.
सितंबर, 2018 में जब चंद्रशेखर जेल से छूटे तो मायावती के बारे में पूछे गए सवाल पर कहा था, 'वो मेरे परिवार की सदस्य हैं. मेरी बुआ हैं. मैं उनका भतीजा हूं. हमारा उनका पारिवारिक रिश्ता है.'
मायावती ने इस रिश्ते को खारिज करने में जरा भी देर नहीं लगायी. बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर मायावती ने बगैर किसी का नाम लिये कहा, 'कुछ लोग अपने राजनीतिक स्वार्थ में, तो कुछ लोग अपने बचाव और कुछ लोग अपने आप को नौजवान दिखाने के लिए मेरे साथ कभी भाई-बहन का, तो कभी बुआ-भतीजे का रिश्ता बता रहे हैं. सहारनपुर के शब्बीरपुर में कराए गए जातीय उत्पीड़न कांड में अभी-अभी रिहा किया गया व्यक्ति भी मुझे अपनी बुआ बता रहा है. मेरा ऐसे लोगों से कोई रिश्ता नहीं है.'
बावजूद इसके चंद्रशेखर ने कभी मायावती की बुराई नहीं की है. उनके समर्थक मायावती को प्रधानमंत्री तक बनाने की बात करते हैं. प्रियंका गांधी को मालूम है कि मायावती द्वारा ठुकराये जाने के बाद चंद्रशेखर को सपोर्ट की कितनी जरूरत है. प्रियंका गांधी को ये भी मालूम है कि योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा जेल भेजे जाने के बाद रासुका लगाया जाना और फिर वक्त से पहले रिहा कर दिये जाने को लेकर चंद्रशेखर के मन में क्या चल रहा होगा. प्रियंका गांधी की लड़ाई बीजेपी के खिलाफ तो है ही, कांग्रेस ने उन्हें मोर्चे पर सपा-बसपा गठबंधन खड़ा होने के बाद ही मोर्चे पर उतारा है. ऊपर से मायावती ने कांग्रेस को फिर से नकार दिया है. राहुल गांधी लगातार मायावती और अखिलेश यादव के सम्मान की बातें करते रहे हैं. अखिलेश यादव भी बीजेपी के खिलाफ लड़ाई में और कांग्रेस के लिए सिर्फ दो सीटें छोड़ने के बावजूद साथ बताते रहे हैं - लेकिन मायावती ने दो टूक कह दिया है कि कांग्रेस के साथ कोई गठबंधन नहीं होने वाला.
चंद्रशेखर की भी स्थिति काफी हद तक हार्दिक पटेल जैसी ही है. गुजरात चुनाव के दौरान हार्दिक पटेल और कांग्रेस के बीच बातचीत के कई दौर हुए, लेकिन दोनों पक्षों की जिद के कारण बात नहीं बनी. तब हार्दिक पटेल के कई साथी भी छोड़कर बीजेपी में जा मिले थे. थक हार कर हार्दिक पटेल भी अब कांग्रेस में शामिल हो ही चुके हैं. हो सकता है चंद्रशेखर के मन में भी हार्दिक की ही तरह कोई और भी रणनीति हो - लेकिन कांग्रेस को वो बड़े काम के लग रहे होंगे.
प्रियंका गांधी वाड्रा ने चंद्रशेखर के घावों पर अस्पताल में सही जगह पर मरहम लगाने की कोशिश की है. चंद्रशेखर कांग्रेस के लिए फिलहाल बड़े उपयोगी साबित हो सकते हैं. अब ये कांग्रेस नेतृत्व और प्रियंका गांधी पर निर्भर करता है कि वो चंद्रशेखर का मोदी के खिलाफ इस्तेमाल करती हैं या मायावती के खिलाफ?
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