2022 के लिए प्रियंका गांधी ने अगले आम चुनाव की लॉन्ग-लिस्ट जारी की है!
प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) ने यूपी चुनाव (UP election 2022) के लिए कांग्रेस की पहली सूची (Congress Candidate List) जारी कर दी है - और वादे के मुताबिक, उम्मीदवारों में 40 फीसदी महिलाओं के साथ साथ बोनस में 40 फीसदी युवाओें को भी जगह मिली है.
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प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) के स्लोगन 'लड़की हूं... लड़ सकती हूं' का सैंपल यूपी चुनाव के लिए कांग्रेस उम्मीदवारों की पहली सूची (Congress Candidate List) में आ गया है. 40 फीसदी महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने के साथ ही, प्रियंका गांधी ने ऑनलाइन प्रेस कांफ्रेंस में बताया, 'पहली सूची में 40 फीसदी युवाओं को भी टिकट दिया गया है... हमारी कोशिश है कि हम इनके माध्यम से उत्तर प्रदेश की राजनीति को नई दिशा देने में कामयाब होंगे.'
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के अनुसार, 'लिस्ट में कुछ महिला पत्रकार हैं... एक अभिनेत्री हैं और बाकी संघर्षशील महिलाएं हैं, जिन्होंने कांग्रेस में रहते हुए कई साल संघर्ष किया है.'
यूपी विधानसभा चुनाव (UP election 2022) के लिए जारी की गयी कांग्रेस प्रत्याशियों की सूची को लेकर प्रियंका गांधी का कहना है, 'पार्टी ने जीतने और लड़ने की क्षमता देखकर महिला उम्मीदवारों को चुना है.'
कांग्रेस उम्मीदवारों की सूची में जिन चर्चित नामों को जगह मिली है, उनमें उन्नाव गैंगरेप पीड़ित की मां आशा सिंह, CAA विरोध प्रदर्शनों का चेहरा रहीं सदफ जफर, आशा वर्कर पूनम पांडेय के अलावा कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद की पत्नी लुईस खुर्शीद शुमार हैं.
प्रियंका गांधी ने चुनाव बाद भी यूपी में ही रहने का वादा किया है, लेकिन ये भी कहा है कि अगर पार्टी ने कहीं और जाने को कहा तो वो जरूर जाएंगी. यूपी सहित पांच राज्यों के चुनाव खत्म होने के बाद इसी साल के आखिर में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में भी विधानसभा के चुनाव होने हैं. गुजरात तो वैसे भी राहुल गांधी का फेवरेट इलेक्शन डेस्टिनेशन रहा है - और हिमाचल प्रदेश में शिमला से 13 किलोमीटर दूर छराबड़ा में तो प्रियंका गांधी का अपना घर है ही.
जिनका कोई नहीं, वे कांग्रेस उम्मीदवार बने
प्रियंका गांधी का कहना है कि जो महिलायें पहली बार चुनाव लड़ रही हैं, वे संघर्षशील और हिम्मती महिलायें हैं. प्रियंका गांधी ने भरोसा दिलाया है कि उनको कांग्रेस पार्टी का पूरा सहयोग मिलेगा - सहयोग से मतलब फंडिंग भी समझा जाना चाहिये.
1. आशा सिंह: कांग्रेस उम्मीदवारों की सूची में आशा सिंह का नाम है. आशा सिंह को उन्नाव सदर सीट से कांग्रेस का टिकट मिला है. आशा सिंह 2017 के चर्चित गैंगरेप पीड़ित की मां हैं.
प्रियंका गांधी वाड्रा का कहना है कि आशा सिंह अपनी लड़ाई लड़ सकें, इसलिए कांग्रेस का टिकट दिया गया है. बीजेपी के तत्कालीन विधायक कुलदीप सेंगर के खिलाफ लड़ाई में आशा सिंह अपने पति सहित परिवार के कई सदस्यों को गंवा चुकी हैं. बलात्कार का दोषी पाये जाने के बाद कुलदीप सेंगर जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है.
मेरे संघर्ष में और मेरी लड़ाई में मेरा साथ देने के लिये कांग्रेस पार्टी की आभारी हूँ।मुझे उन्नाव सदर से कांग्रेस प्रत्याशी घोषित करने के लिये कांग्रेस महासचिव श्रीमती @priyankagandhi जी का धन्यवाद। #LadkiHoonLadSaktiHoon @INCUttarPradesh @AjayLalluINC pic.twitter.com/rq38eQqZGt
— Asha Singh (@INCAshaSingh) January 13, 2022
आशा सिंह को कांग्रेस उम्मीदवार बनाये जाने पर राहुल गांधी ने भी अलग से ट्वीट किया है. लखीमपुर खीरी हिंसा के बाद से ही प्रियंका गांधी वाड्रा यूपी के पीड़ितों के लिए न्याय की लड़ाई लड़ने की बात कह रही हैं - और राहुल गांधी ने आशा सिंह को न्याय की लड़ाई में कांग्रेस के चेहरे के तौर पर पेश किया है.
उन्नाव में जिनकी बेटी के साथ भाजपा ने अन्याय किया, अब वे न्याय का चेहरा बनेंगी- लड़ेंगी, जीतेंगी!#Election2022
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 13, 2022
कुलदीप सेंगर के इलाके में आशा सिंह चुनाव लड़ कर जीतें या हारें, लेकिन बीजेपी के लिए एक चैलेंज तो होगा ही. अब भी उन्नाव के बीजेपी सांसद साक्षी महाराज जेल जाकर कुलदीप सेंगर को बर्थडे विश करते हैं और अपनी जीत के लिए धन्यवाद देते हैं. पंजायत चुनाव के दौरान कुलदीप सेंगर की पत्नी को उम्मीदवार बनाये जाने पर जब बवाल होने लगा तो बीजेपी को पीछे हटना पड़ा था - विधायकों के विद्रोह से जूझ रही बीजेपी को कांग्रेस ने एडवांस में नया टेंशन दे दिया है.
2. पूनम पांडेय: कांग्रेस ने पूनम पांडेय को भी न्याय की आवाज के तौर पर पेश किया है. आशा वर्कर पूनम पांडेय का एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें पुलिस उनकी पिटाई कर रही थी.
पूनम पांडेय को कांग्रेस ने आशा वर्कर की आवाज के तौर पर पेश किया है
तभी प्रियंका गांधी ने पूनम पांडेय से से जाकर मुलाकात की थी. कहती हैं, 'आशा बहनों ने कोरोना में बहुत काम किया, लेकिन उन्हें पीटा गया... उन्हीं में से एक पूनम पांडेय को भी हमने टिकट दिया है.'
3. सदफ जफर: सीएए-एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की पोस्टर वूमन बनी सदफ जफर को भी कांग्रेस की पहली सूची में ही जगह मिली है.
सदफ जफर के जरिये प्रियंका गांधी सीएए विरोध प्रदर्शनों के दौरान योगी सरकार के रवैये को चुनावों में मुद्दा बनाना चाहती हैं.
प्रियंका गांधी कहती हैं, सदफ जाफर ने सीएए-एनआरसी आंदोलन के समय बहुत संघर्ष किया था... सरकार ने उनका फोटो पोस्टर में छपवाकर उन्हें प्रताड़ित किया... मेरा संदेश है कि अगर आपके साथ अत्याचार हुआ तो आप अपने हक के लिए लड़ें... कांग्रेस ऐसी महिलाओं के साथ है.
4. रामराज गोंड: 2019 के आम चुनाव में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के अमेठी तक गवां देने के बाद प्रियंका गांधी वाड्रा ने सोनभद्र के उभ्भा गांव का राजनीतिक लिहाज से सफल दौरा किया था. वो नरसंहार के पीड़ितों से मिलने जा रही थीं तो पुलिस ने रोक लिया और गेस्ट हाउस ले गयी. प्रियंका गांधी वहीं रात भर धरने पर बैठी रहीं - और थक हार कर योगी आदित्यनाथ सरकार के अफसरों को पीड़ितों को बुलाकर मिलवाना पड़ा था. बाद में भी वादे के मुताबिक प्रियंका गांधी उनसे मिलने गयी थीं.
रामराज गोंड को भी कांग्रेस की उभ्भा केस में एक चुनावी हथियार के तौर पर पेश करने की कांग्रेस की कोशिश है
कांग्रेस उम्मीदवार रामराज गोंड को प्रियंका गांधी आदिवासियों के संघर्ष की मजबूत आवाज मानती हैं - और योगी सरकार के खिलाफ मोर्चे पर कांग्रेस के एक सिपाही की तरह तैनात किया है.
5. ऋतु सिंह: ब्लॉक प्रमुख चुनाव के दौरान ऋतु सिंह के साथ सरेआम दुर्व्यवहार हुआ था. प्रियंका गांधी वाड्रा उनसे मिलने लखनऊ से सीधे लखीमपुर खीरी के पसगवां तक गयी थीं. हालांकि, ये लखीमपुर खीरी हिंसा से पहले का वाकया है. नामांकन के दौरान ऋतु सिंह की साड़ी तक खीचीं गयी थी और घटना का एक वीडियो वायरल हुआ तो काफी बवाल मचा था.
6. अल्पना निषाद: प्रयागराज में खनन माफिया के खिलाफ संघर्ष का चेहरा बनीं अल्पना निषाद भी ऐसी ही एक कांग्रेस उम्मीदवार हैं. अल्पना निषाद जब माफिया को नदियों से बालू लेने से रोकने की कोशिश करने लगीं तो पुलिस से भी जूझना पड़ा था - और पुलिस से जूझने का मतलब क्या होता है, बताने की जरूरत नहीं.
पहली सूची के अन्य प्रमुख चेहरे: पहली सूची में कुछ ऐसे चेहरे भी हैं जो चर्चित रहे हैं और उनको टिकट भी मिला है, लेकिन उनकी कोई ऐसी संघर्ष गाथा नहीं रही है जिसका विशेष तौर पर अलग से जिक्र जरूरी हो.
1. कांग्रेस विधायक आराधना मिश्रा को एक बार फिर रामपुर खास से टिकट मिला है. अजय कुमार लल्लू को यूपी कांग्रेस की कमान सौंपे जाने के बाद उनको यूपी में कांग्रेस विधानमंडल दल का नेता बनाया गया था - खास परिचय ये है कि वो यूपी कांग्रेस के सीनियर नेता प्रमोद तिवारी की बेटी हैं.
2. कभी अखिलेश यादव और डिंपल यादव की बेहद खास रहीं, पंखुड़ी पाठक को नोएडा से कांग्रेस उम्मीदवार बनाया गया है. अगर बीजेपी ने फिर से टिकट दिया तो वो रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह को चैलेंज करने जा रही हैं.
3. लुईस खुर्शीद को फर्रूखाबाद से कांग्रेस उम्मीदवार बनाया गया है - खास परिचय ये है कि वो कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद की पत्नी हैं.
हिंदुत्व पर राहुल गांधी ने जो नयी बहस शुरू की है, वो सलमान खुर्शीद की किताब के मार्केट में आने के बाद ही शुरू हुआ था. सलमान खुर्शीद ने किताब में हिंदुत्व की तुलना मुस्लिम जिहादी संगठनों ISIS और बोको हराम से की है.
4. बनारस के रहने वाले पूर्व विधायक अजय राय को कांग्रेस ने पिंडरा विधानसभा क्षेत्र से फिर उम्मीदवार बनाया है. 2017 में वो बीजेपी उम्मीदवार अवधेश सिंह से हार गये थे - अजय राय का खास परिचय ये है कि वो वाराणसी संसदीय सीट पर 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चैलेंज कर चुके हैं.
नहीं जीते तो भी सिकंदर
कांग्रेस के लिए चुनाव पूर्व गठबंधन ज्यादा सहूलियत भरा रहा होता. कम से कम उम्मीदवार जुटाने की फजीहत से तो बचा जा सकता था. जैसे 2017 में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन के चलते कांग्रेस के हिस्से में 114 सीटों पर ही उम्मीदवार उतारने पड़े थे. कांग्रेस के 7 विधायक चुन कर आये भी थे.
कांग्रेस को 2022 के लिए 403 उम्मीदवार जुटाने थे. पहली सूची तो अब जारी भी हो गयी है. पहली सूची में कुल 125 की उम्मीदवारों के नाम हैं. 40 फीसदी महिलाओं को कांग्रेस उम्मीदवार बनाने की पहले ही घोषणा कर चुकीं प्रियंका गांधी ने बताया कि पहली सूची में 40 फीसदी युवा भी हैं.
कांग्रेस की पहली सूची में कई ऐसे नाम हैं जिनके संघर्ष की अपनी कहानी है. छोटी ही सही. स्थानीय स्तर पर ही सही, लेकिन कहानी तो है. ये सभी किसी न किसी तरीके से समाज के तातकवर तबके के शिकार हुए हैं. सत्ता की ताकत भी उनमें से एक है - लेकिन सभी ने अपनी थोड़ी बहुत ताकत से ही लड़ाई लड़ी है.
हो सकता है ऐसे उम्मीदवारों में से कोई भी न जीत पाये. आखिर दुनिया भर में लंबे संघर्ष की मिसाल बनीं आयरन लेडी इरोम शर्मिला को भी तो बतौर विधानसभा उम्मीदवार 90 वोट ही मिल पाये थे. कांग्रेस उम्मीदवारों की स्थिति थोड़ी अलग समझी जा सकती है. इरोम शर्मिला अपने नाम पर चुनाव में खड़ी हुई थीं. लोगों ने इरोम के आंदोलन का तो दिल खोल कर सपोर्ट किया, लेकिन यू टर्न लेकर राजनीति में आने से नाराज हो गये.
कांग्रेस उम्मीदवारों की जीत की उम्मीद तो प्रियंका गांधी वाड्रा को भी नहीं है. ये बात भी कांग्रेस की ही एक बैठक से निकल कर आयी है. कांग्रेस की उस बैठक में ऐसी ही महिलाओं को टिकट देने पर माथापच्ची का दौर चल रहा था.
पद्म अवॉर्ड पाने वाले कुछ गुमनाम चेहरों का जिक्र हुआ तो प्रियंका गांधी का कहना रहा कि अगर ये महिलाएं चुनाव जीत भी नहीं पायीं तो कोई बात नहीं. फिर बोलीं, गारंटी तो उनकी भी नहीं जिन लोगों को टिकट दिये जा रहे हैं.
प्रियंका गांधी का कहना रहा कि राजनीति में भी ऐसे गुमनाम चेहरों को लेकर प्रयोग होना चाहिये - क्योंकि अगर ये आइडिया हिट हो गया तो देश की राजनीति में बड़ा बदलाव भी मुमकिन है.
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