अब तक भाजपा को नरेश अग्रवाल को टाटा, बाय-बाय कह देना चाहिए था
भाजपा लगातार महिलाओं के सम्मान की बात कर रही है और जिस तरह पार्टी ज्वाइन करने के बाद नरेश अग्रवाल ने जया बच्चन के खिलाफ बयान दिया है, पार्टी नरेश पर कार्यवाई करे ताकि लोगों को पता चले कि पार्टी अगर महिला सम्मान की बात करे उसपर अमल करना जानती है.
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जिस बात के कयास लगाए जा रहे थे वही हुआ. राज्यसभा सीट न मिलने के चलते सपा के पाले से निकलकर भाजपा के खेमे में पहुंचे राज्यसभा सांसद नरेश अग्रवाल ने एक ऐसा बयान दिया है जिसपर किसी भी सम्मानित व्यक्ति को ऐतराज होगा और वो उनके बयान की कड़ी निंदा करेगा. सपा से नाराज नरेश अग्रवाल को अभी इधर केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने सदस्यता दिलाई ही थी की उन्होंने जया बच्चन को लेकर टिप्पणी कर दी जिसके बाद बवाल मच गया.
सपा विशेषकर जया बच्चन को राज्यसभा का टिकट दिए जाने से आहत पूर्व समाजवादी नेता नरेश अग्रवाल ने कहा कि,' एसपी ने मुझे राज्यसभा का टिकट नहीं दिया. यह टिकट फिल्मों में नाचने वाली को दे दिया गया था. यह और कष्टदायक है. मैं नरेंद्र मोदी और अमित शाह को धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने मुझपर भरोसा दिखाया.'
भाजपा में आते ही विवादित बयान देकर नरेश अग्रवाल ने अपनी मंशा साफ कर दी है
जैसा नरेश अग्रवाल का इतिहास है. कह सकते हैं कि नरेश अग्रवाल का ये बयान पूर्व निर्धारित था और बयान देते वक़्त शायद वो ये सोच रहे हों कि पार्टी में मिली इस धमाकेदार एंट्री के बाद वो जया बच्चन के खिलाफ आपत्तिजनक बयान देकर कुछ ही पलों में स्टार बन जाएंगे. लेकिन हुआ इसका ठीक विपरीत. अग्रवाल के इस बयान के बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अपने अंदाज में इसपर अपनी आपत्ति जताई. शुष्मा ने ट्वीट किया कि, 'नरेश अग्रवाल का बीजेपी में स्वागत है. लेकिन जया बच्चन के बारे में उनकी टिप्पणी अनुचित और अस्वीकार्य है.'
श्री नरेश अग्रवाल भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए हैं. उनका स्वागत है. लेकिन जया बच्चन जी के विषय में उनकी टिप्पणी अनुचित एवं अस्वीकार्य है.
— Sushma Swaraj (@SushmaSwaraj) March 12, 2018
हो सकता है कि सुषमा ने बस मामला ठंडा करने के लिए नरेश अग्रवाल की टिप्पणी को अनुचित और अस्वीकार्य माना हो और हकीकत में उन्हें ज्यादा कुछ फर्क न पड़ा हो. ध्यान रहे कि यदि वाकई उनको या पार्टी को नरेश का ये स्टेटमेंट खराब लगा होता तो फौरन ही नरेश पर कार्यवाई होती और इनकी सदस्यता रद्द करके पार्टी द्वारा एक नई मिसाल पेश की जाती. जी हां बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप. एक ऐसे वक़्त में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं महिलाओं के अधिकारों और सम्मान की बात कर रहे हों उस वक़्त उन्हीं की पार्टी से जुड़ा व्यक्ति इस तरह का बेहूदा बयान दे ये अपने आप में दुर्भाग्यपूर्ण है.
कह सकते हैं कि इस पूरे मामले में भाजपा को समाजवादी पार्टी विशेषकर अखिलेश यादव से सबक लेना चाहिए था. हो सकता है इस बात को पढ़ाकर आप विचलित हुए हों और सोच रहे हों कि यहां अखिलेश यादव कहां से आ गए तो आपको बताते चलें कि बात तब की है, जब उत्तर प्रदेश के बाहुबली मुख्तार अंसारी ने घोषणा की थी कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों के मद्देनजर "कौमी एकता दल" का विलय सपा के साथ होगा और उनके भाई अफजाल अंसारी मऊ से समाजवादी के टिकट से चुनाव लड़ेंगे. तब इस विलय का कारण शिवपाल थे और इसपर मुलायम सिंह यादव ने भी अपनी सहमती दर्ज कर दी थी. उस वक़्त अखिलेश ने ये कहकर लोगों को हैरत में डाल दिया था कि वो इस विलय के खिलाफ है और किसी भी अपराधी को अपनी पार्टी में स्वीकार नहीं करेंगे.
आपको बताते चलें कि अपनी कही बात पर अखिलेश यादव अटल थे और इस बात के चलते पिता-पुत्र और चाचा-भतीजे के रिश्ते में भी कड़वाहट देखने को मिली थी. अंत में हम ये कहते हुए अपनी बात खत्म करेंगे कि एक सम्मानित महिला के खिलाफ इस्तेमाल किये गए इन शब्दों पर त्वरित कार्यवाई करते हुए भाजपा तत्काल प्रभाव से नरेश की पार्टी सदस्यता रद्द करे. साथ ही पार्टी लोगों को बताए कि उसकी कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं है. पार्टी यदि महिलाओं के सम्मान और अधिकारों की बात करती है तो उन्हें सम्मान देना और उनके अधिकारों के लिए लड़ना जानती है.
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