'आदिवासियों को गोली मारने का कानून': राहुल गांधी के झूठ कांग्रेस को न ले डूबें
शहडोल की चुनावी सभा में जो आधी अधूरी बातें राहुल गांधी ने की हैं और जिस तरह उन्होंने जनता को भटकाने का काम किया है. साफ बताता है कि उनपर मोदी विरोध इस हद तक हावी है कि अब वो अपना होम वर्क तक करना भूल जाते हैं.
-
Total Shares
राहुल गांधी का मोदी विरोध किसी से छुपा नहीं है. कई ऐसे मौके आए हैं जब प्रधानमंत्री या उनकी पार्टी की आलोचना में राहुल गांधी ऐसा बहुत कुछ बोल जाते हैं जिसका न सिर होता है न पैर. मध्यप्रदेश के शहडोल में भी कुछ ऐसा ही हुआ है. मध्यप्रदेश के शहडोल में चुनावी सभा में दिए गए अपने भाषण में राहुल गांधी ने कहा था कि रेंद्र मोदी सरकार ने एक नया कानून बनाया है जिसके तहत आदिवासियों की गोली मारकर हत्या की जा सकती है. क्योंकि राहुल ने देश के प्रधानमंत्री और उनकी सरकार पर गंभीर इल्जाम लगाए थे इस भाषण पर चुनाव आयोग भी सख्त होता दिखाई दे रहा है.
चुनाव आयोग ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को अपनी उस टिप्पणी के लिए कारण बताओ नोटिस भेजा है. आयोग ने गांधी को नोटिस का जवाब देने के लिए 48 घंटे का वक्त दिया है. इस अवधि में जवाब नहीं देने की सूरत में आयोग अपनी तरफ से कार्रवाई के लिए स्वतंत्र होगा.
शहडोल में जो बातें राहुल गांधी ने कहीं हैं साफ बता रही हैं कि मोदी विरोध में वो अपना होम वर्क करना भूल गए थे
ज्ञात हो कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शहडोल में गत 23 अप्रैल को कहा था कि पीएम नरेंद्र मोदी ऐसा कानून लाए हैं जिससे आदिवासियों को गोली मारी जा सकेगी. आदिवासियों से जंगल, जमीन, जल लेकर गोली तक मारी जा सकेगी. राहुल गांधी की इन बातों को भाजपा ने बहुत गंभीरता से लिया था और इसकी शिकायत चुनाव आयोग से की थी. बताया जा रहा है कि चुनाव आयोग ने मध्यप्रदेश के चुनाव अधिकारी से राहुल के उक्त भाषण की रिकॉर्डिंग और लिखित कॉपी भी मंगाई थी.
नरेंद्र मोदी ने कानून बनाया है उसमें लाइन लिखी है कि आदिवासियों को गोली से मारा जा सकेगा। कानून में लिखा है कि आदिवासियों पर आक्रमण होगा: 23 अप्रैल को शहडोल की रैली में राहुल गांधी
मतलब कुछ भी!! क्या कोई ऐसा कानून हो सकता है? क्या जनता को ऐसे गुमराह किया जा सकता है? pic.twitter.com/amOy2hkNQ0
— Akhilesh Sharma अखिलेश शर्मा (@akhileshsharma1) April 27, 2019
जैसा कि हम बता चुके हैं राहुल गांधी ने भाजपा पर गंभीर इल्जाम लगाए थे इसलिए राहुल को भाजपा ने भी करारा जवाब दिया. भाजपा के आईटी सेल के इंचार्ज अमित मालवीय ने राहुल गांधी का ये वीडियो ट्वीट किया और उन्हें झूठा बताया. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि कोई इस हद तक भी झूठ बोलेगा और बच के निकल जाएगा. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि राहुल गांधी के भाषणों का कोई फैक्ट चेक नहीं हुआ न ही लोगों ने इसका विरोध किया पर मुझे यकीन है कि भारत के नागरिक राहुल गांधी को उनकी इस बात का जवाब जरूर देंगे.
Rahul Gandhi is a congenital LIAR! Can you imagine anyone else speaking such lies and getting away with it? No fact check on Rahul Gandhi’s speeches, no outrage either... This subservience to the family is frankly worrying. But trust the people of India to reject such bigotry. pic.twitter.com/W9sRj9wH9P
— Chowkidar Amit Malviya (@amitmalviya) April 27, 2019
क्या है राहुल गांधी की बातों का सच
हम ऐसा बिल्कुल नहीं कह रहे कि राहुल गांधी ने जो कहा है वो झूठ है. बात बस इतनी है कि राहुल गांधी को शायद मुद्दे की सही जानकारी नहीं थी. जिस कारण उन्होंने अपनी बातों से कहीं न कहीं देश की जनता को छलने और ठगने का काम किया. जिस नए नियम की बात राहुल गांधी कर रहे हैं और आदिवासियों को गोली मारने की बात कह रहे हैं वो दिग्भ्रमित करने वाली हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि जिस भारतीय वन अधिनियम, 1927 में संशोधन का प्रस्ताव केंद्र ने दिया है वो अभी केवल एक मसौदा है, कानून नहीं.
गौरतलब है कि पिछले महीने, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ और सीसी) के तहत वन नीति प्रभाग ने कोलोनियल एरा एक्ट में संशोधन करते हुए भारतीय वन (संशोधन) अधिनियम, 2019 का पहला मसौदा तैयार किया था. इस मसौदे को सरकार द्वारा सभी राज्य सरकारों/राज्य वन विभागों के साथ साझा किया गया था. केंद्र ने राज्य सरकारों को गैर-सरकारी संगठनों / नागरिक समाज सहित सभी हितधारकों के साथ राज्य-स्तरीय परामर्श करने और 7 जून, 2019 तक वापस लाने का निर्देश दिया.
जैसे ही राज्य सरकारें प्रतिक्रिया देती हैं, केंद्र पहले मसौदे को संशोधित कर सकता है या नहीं भी कर सकता है. बताते चलें कि इस बिल को संसद में पेश किया जाना है, दोनों सदनों में पास किया जाना है और फिर अंत में इसेराष्ट्रपति को उनकी सहमति के लिए भेजा जा है. पूरी प्रक्रिया बहुत लम्बी और समय लेने वाली है.
ध्यान रहे कि अपने वीडियो में राहुल इस बात को बल दे रहे हैं कि आदिवासियों को गोली मारी जाएगी. यानी राहुल ने जो बातें कहीं उसे सुनकर एक आम आदमी यही कहेगा कि सरकार आदिवासियों के खिलाफ हैं और उन्हें गोली मारने के लिए कानून लेकर आ रही है. जब बात संविधान या कानून की हो तो बोलने से पहले राहुल को समझना चाहिए था कि एक मसौदे और कानून में बहुत अंतर होता है.
क्या कहता है भारतीय वन (संशोधन) अधिनियम, 2019 का पहला मसौदा
इस नए संशोधन के अनुसार, कोई भी वन-अधिकारी, यदि आवश्यक हो, तो वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम के तहत किसी भी अपराध के कमीशन को रोक सकता है. 1972 या उक्त अधिनियमों के तहत अपराध करने वाले किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए, या जिसने ऐसा अपराध किया हो, उसपर हथियार का इस्तेमाल कर सकता है. बता दें कि इस संशोधन में हथियार चलाने का उद्देश्य मुजरिम और प्रॉपर्टी को कम चोट पहुंचाना होगा.
यानी सीधे शब्दों में कहें तो वन विभाग के अधिकारी हथियारों का इस्तेमाल कर सकते हैं और प्रॉपर्टी और व्यक्ति को हल्की फुल्की चोट पहुंचा सकते हैं.
राहुल गांधी का ये कहना कि, इस नए नियम के बाद वन विभाग के अधिकारियों को गोली चलाने और आदिवासियों को मारने की छूट मिल जाएगी एक गलत बयान है. राहुल गांधी को ऐसी बेतुकी बातें कहने से पहले सोचना चाहिए था कि ये फैसला उन पोचर्स के लिए किया गया है जो अपने पैसा कमाने की भूख के चलते हमारे जंगलों को तबाह कर रहे हैं और जानवरों को मार कर जंगल नष्ट कर रहे हैं. अंत में इतना ही कि यदि कानून बन जाता है तो इससे आम आदिवासी को फायदा ही मिलेगा और अगर गोली चली भी तो उसकी या फिर जंगल की रक्षा के लिए ही चलेगी
ये भी पढ़ें -
राहुल गांधी की ओर से 'नफरत के बदले प्यार' का दावा है अधूरा
Narendra Modi Interview: सबसे बड़े 4 सवालों पर मोदी के जवाब से कितना संतुष्ट हैं आप?
बदजुबान नवजोत सिंह सिद्धू बेवजह बेलगाम नहीं हुए...
आपकी राय