गुजरात के 'शिवभक्त-जनेऊधारी ब्राह्मण' राहुल कर्नाटक में सेक्युलर हो गए
राहुल गांधी का मंदिर दर्शन गुजरात की तरह कर्नाटक में भी जारी है, लेकिन वहां वो सॉफ्ट हिंदुत्व से शिफ्ट होकर सेक्युलर छवि दिखाने की कोशिश कर रहे हैं.
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राहुल गांधी ने कर्नाटक विधानसभा के लिए चुनाव प्रचार बेल्लारी से शुरू किया था. वहीं बेल्लारी जिसने 1999 में सोनिया गांधी को वोट देकर लोकसभा भेजा था. सोनिया ने बेल्लारी के साथ ही अमेठी से भी चुनाव लड़ा था और दोनों जगह से जीतीं. बाद में सोनिया ने बेल्लारी छोड़ दिया.
बेल्लारी से चुनाव प्रचार शुरू कर राहुल गांधी बेंगलुरू पहुंच रहे हैं जो उनका आखिरी पड़ाव बताया जा रहा है. बेंगलुरु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कर्नाटक चुनाव में प्रचार का पहला पड़ाव था.
दलितों के मुद्दे पर बीजेपी को घेरा
कांग्रेस नेताओं का दावा है कि राहुल गांधी कर्नाटक के 25 जिले घूम चुके हैं - और जल्द ही सभी 30 जिलों का दौरा पूरा कर लेंगे. चुनाव प्रचार के दौरान राहुल गांधी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह में मठों में पहुंचने को लेकर होड़ देखी गयी. कई बार तो ऐसा लगा जैसे अमित शाह लगातार राहुल गांधी का पीछा कर रहे हों. ये हाल मैसूर और पूर्वोत्तर कर्नाटक से लेकर उत्तरी कर्नाटक तक कई जगह देखने को मिला.
पूछे जाने पर बीजेपी के एक प्रवक्ता का कहना था, "हम झाडू लेकर जा रहे हैं. जो आप गंदा करके जाते हैं वो हम साफ करते हैं."
दलितों के बहाने बीजेपी को घेरने में कामयाबी
कर्नाटक चुनाव प्रचार में लिंगायत धर्म के अलावा जो मुद्दा जोर शोर से राहुल गांधी ने उठाया वो रहा - दलितों के बहाने बीजेपी पर जोरदार हमला. राहुल गांधी के चुनाव प्रचार के दौरान ही एससी-एसटी एक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर आया. राहुल गांधी ने फौरन ही स्टैंड लिया और कांग्रेस नेताओं को विरोध करने को कहा. कांग्रेस के विरोध जताते ही दलित समुदाय एकजुट होने लगा और फिर भारत बंद बुलाया गया जिसमें दर्जन भर लोगों को जान गंवानी पड़ी.
दलितों को भारतीय समाज के सबसे निचले पायदान पर रखना RSS/BJP के DNA में है। जो इस सोच को चुनौती देता है उसे वे हिंसा से दबाते हैं।
हजारों दलित भाई-बहन आज सड़कों पर उतरकर मोदी सरकार से अपने अधिकारों की रक्षा की माँग कर रहे हैं।
हम उनको सलाम करते हैं।#BharatBandh
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) April 2, 2018
गुजरात से तुलना करें तो कर्नाटक में राहुल गांधी का चुनाव प्रचार सिर्फ मंदिर दर्शन तक ही सीमित नहीं रहा. राहुल गांधी कर्नाटक के मंदिरों और मठों के साथ साथ दरगाहों पर भी पहुंचे देखे गये. इस हिसाब से देखें तो राहुल गांधी ने गुजरात में जो सॉफ्ट हिंदुत्व की छवि पेश की और खुद को शिव का भक्त बताया, कर्नाटक पहुंच कर सेक्युलर हो गये.
चुनावी छवि में बदलाव...
एक जनसभा में राहुल गांधी को खुद ही समाज को बांटने के आरोप भरे सवाल सुनने पड़े. राहुल गांधी से एक महिला ने पूछ लिया - 'आप लिंगायत समुदाय को विशेष दर्जा दिलवाकर समाज में असमानता को क्यों बढ़ावा दे रहे हैं?'
राहुल गांधी ने बड़ी ही सहजता से ये कहते हुए पल्ला झाड़ लिया - 'मुझे इस मुद्दे के बारे में आपसे ज्यादा जानकारी नहीं है. आप इसके बारे में सिद्धारमैया जी से बात कर सकती हैं.'
बीजेपी के अनशन से पहले कांग्रेस का अनशन
दलितों के मुद्दे पर कांग्रेस की राजनीति में फंसी बीजेपी ने उसे घेरने के लिए देशव्यापी मुहिम शुरू की है. खास बात ये है कि बीजेपी की ये मुहिम उन इलाकों में चलाने जा रही है जहां दलितों की आबादी आधे से ज्यादा है. बीजेपी ने इस मुहिम के तहत देश भर में सांसदों और पार्टी नेताओं को अनशन पर बैठने को कहा गया है.
कांग्रेस ने अब अनशन को अनशन से ही काउंटर करने का फैसला किया है. बीजेपी का अनशन कांग्रेस के खिलाफ तो है लेकिन मुद्दा संसद न चलने देने का है. कांग्रेस ने दलित उत्पीड़न के खिलाफ अनशन का फैसला किया है.
राहुल गांधी ने कांग्रेस के अनशन की तारीख भी बीजेपी से तीन दिन पहले रखी है - 9 अप्रैल. बीजेपी नेता 12 अप्रैल को अनशन पर बैठेंगे. बीजेपी नेता जहां संसद गतिरोध के मुद्दे को लेकर 20 हजार गांवों तक पहुंच रहे हैं वहीं कांग्रेस नेता सभी जिला मुख्यालयों पर अनशन पर बैठेंगे.
कांग्रेस महासचिव अशोक गहलोत द्वारा जारी पत्र में लिखा है, "दो अप्रैल की घटना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है. देश के सामाजिक ढांचे के लिए ये बेहद खतरनाक है. साफ है कि भाजपा की केंद्र सरकार और प्रदेश सरकारों ने हिंसा से निपटने के लिए उचित कदम नहीं उठाये... इस मुश्किल घड़ी में कांग्रेस द्वारा देश का नेतृत्व करना और भी जरूरी हो गया है."
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