राहुल गांधी ने केरल में वही तो किया है जो उनको पसंद है - चापलूसी!
स्मृति ईरानी (Smriti Irani) के अनुसार राहुल गांधी (Rahul Gandhi) एहसान फरामोश होते तो कांग्रेस का ये हाल न हुआ रहता. ऐसा लगता है कांगेस नेता केरल के वोटर (Kerala Election) के साथ वही कर रहे हैं जो अपनी चौकड़ी में उनको ज्यादा पसंद है.
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जब छाछ फूंक कर पीने की आदत पड़ जाती है तो क्या होता है - केरल में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) का कार्यक्रम मिसाल है. पुदुचेरी में दूध के जले राहुल गांझी ने मलप्पुरम में इंडिपेंडेंट ट्रांसलेटर की मदद लेनी पड़ी क्योंकि कांग्रेस नेताओं की हरकतें अब उनको समझ में आने लगी हैं - ऐसा लगता है वी. नारायणसामी का ट्रांसलेशन सुनने के बाद राहुल गांधी को पहली बार लगा है कि कांग्रेस नेता कैसे अपने स्वार्थ के लिए उनकी आंखों में धूल झोंकने की कोशिश कर रहे हैं.
असल में कांग्रेस नेता तो झूठ और सच के फेर में भी नहीं फंसते - वे तो वही बोलते हैं जो राहुल गांधी को पसंद होता है. बरसों पहले कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी में चले गये असम के नेता हिमंता बिस्व सरमा की बातें याद करें तो तस्वीर काफी हद तक साफ हो जाएगी. कांग्रेस में राहुल गांधी की चौकड़ी के बाहर बचे खुचे नेता तो यही मान कर चलते होंगे जब उनको अपने पालतू पिडी से फुर्सत मिलेगी तभी तो मुखातिब होंगे - और मन से मुखातिब तो उनके करीबियों को तभी समझ में आता है जब वो कुछ अलग करने के बाद नजर मिलते ही आंख भी मार देते हैं.
विधानसभा चुनाव में जा रहे केरल (Kerala Election) के लोगों की तारीफ में कसीदे पढ़ते हुए राहुल गांधी ने 'अमेठी' के लोगों को लेकर जो कुछ भी कहा है, उनकी संसदीय प्रतिद्वंद्वी स्मृति ईरानी (Smriti Irani) ने उसके लिए कांग्रेस नेता को 'एहसान फरामोश' करार दिया है - लेकिन ऐसा नहीं लगता. अगर राहुल गांधी ऐसे होते तो कांग्रेस का ये हाल न हुआ होता - हो सकता है कांग्रेस में अपने पसंदीदा चौकड़ी के नेताओं से घिरे हुए जिन चीजों की आदत बन चुकी हो, केरल के मतदाताओं से उसी अंदाज में जुड़ने की कोशिश कर रहे हों - क्योंकि चापलूसी की लत ही ऐसी होती है.
अमेठी से इतनी भी क्या नाराजगी
उत्तर भारतीयों की राजनीतिक समझ और मुद्दों को लेकर राहुल गांधी की टिप्पणी आने के महज 24 घंटे पहले ही स्मृति ईरानी ने अमेठी में अपने जमीन की रजिस्ट्री का कागज शेयर किया था - और बताया था कि जल्द ही वो अपने संसदीय क्षेत्र में अपना मकान बनवाने जा रही हैं. ये भी बताया कि गृह प्रवेश के मौके पर सबको बुलाएंगी भी. स्मृति ईरानी ने घर बनवाने के लिए 15 हजार वर्ग मीटर जमीन खरीदी है और उसे अपना चुनावी वादा पूरा करना बता रही हैं.
अमेठी पहुंच कर जमीन का कागज लेने के बाद स्मृति ईरानी ने ये खुशखबरी शेयर की, जाहिर है निशाने पर तो राहुल गांधी होने ही थे. नाम नहीं लेने से क्या होता है - 'अमेठी की जनता के मन में हमेशा ये सवाल रहा कि क्या उनका सांसद यहां मकान बनाकर रहेगा? 2019 के चुनाव में मैंने क्षेत्र के लोगों से वादा किया था कि मैं अमेठी में अपना मकान बनाऊंगी और जनता के सारे काम यही से होंगे. उसी वादे को पूरा करने के लिए मैंने आज मकान की जमीन की रजिस्ट्री करायी है.'
क्या राहुल गांधी को स्मृति ईरानी का ये एक्ट चुनावी हार के जख्मों को कुरेदने जैसा लगा होगा. 2019 के आम चुनाव में स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को करीब 55 हजार वोटों से हरा दिया था. स्मृति ईरानी 2014 में भी अमेठी से चुनाव लड़ी थीं, लेकिन राहुल गांधी से शिकस्त झेलनी पड़ी थी. आम चुनाव में राहुल गांधी अमेठी के साथ साथ वायनाड से भी मैदान में थे और फिलहाल केरल के संसदीय सीट से भी लोक सभा सांसद हैं. केरल में भी पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और पुदुचेरी के साथ ही विधानसभा चुनाव होने हैं - और राहुल गांधी फिलहाल चुनावी दौरे पर ही हैं.
बीजेपी पर बांटनेवाली राजनीति के आरोप लगाते लगाते राहुल गांधी खुद कैसे शिकार हो गये?
केरल के लोगों से कनेक्ट होने की कोशिश में राहुल गांधी बोल पड़े, 'पहले 15 साल तक मैं उत्तर से सांसद था. मुझे एक अलग तरह की राजनीति की आदत हो गई थी... मेरे लिए केरल आना बहुत नया था - क्योंकि मुझे अचानक लगा कि यहां के लोग मुद्दों को लेकर दिलचस्पी रखते हैं और सिर्फ सतही तौर पर नहीं बल्कि विस्तार से समझते हैं.'
ऐसी टिप्पणी तो नहीं, लेकिन राहुल गांधी ने वाडनाड से चुनाव जीतने के बाद भी केरल के लोगों की आत्मीयता की तारीफ की थी. राहुल गांधी की वो तारीफ भी अमेठी के लोगों से शिकायत जैसी ही समझ में आ रही थी, लेकिन चूंकि राहुल गांधी ने अभी की तरह खुल कर कुछ नहीं कहा था इसलिए ऐसे किसी ने रिएक्ट भी नहीं किया.
एहसान फरामोश!
इनके बारे में तो दुनिया कहती है -
थोथा चना बाजे घना। https://t.co/3jsNYn6IPq
— Smriti Z Irani (@smritiirani) February 23, 2021
उत्तर भारत के लोगों को लेकर राहुल गांधी की टिप्पणी बीजेपी ने घेर लिया है. स्मृति ईरानी का रिएक्शन तो स्वाभाविक है, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, विदेश मंत्री एस. जयशंकर और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कांग्रेस नेता पर जोरदार हमला बोला है. एस. जयशंकर ने बताया है कि कैसे दक्षिण के रहने वाले होकर वो पढ़े-लिखे और पले-बढ़े उत्तर में और सब कुछ उनको बराबर लगता है. जेपी नड्डा ने जहां राहुल गांधी पर बंटवारे की राजनीति करने का आरोप लगाया है वहीं योगी आदित्यनाथ ने अपने तरीके से नसीहत दे डाली है.
2019 के नतीजे आने के बाद राहुल गांधी सीधे वायनाड गये थे - और बोले ऐसा लगता है जैसे मैं बचपन से यहां का हूं - स्वाभाविक भी था. पहली बार उनको गोद में लेने वाली नर्स भी तो केरल से ही थी - कुछ ही दिन बाद जब राहुल गांधी कोझिकोड गये तो राजम्मा से भी मुलाकात की.
ജനനം മുതൽ @RahulGandhi ക്ക് വയനാടിനോടുള്ള സ്നേഹം ഓർത്തെടുത്ത് കൊണ്ട് മൂന്നാം ദിന പര്യടനത്തിന് ആരംഭം. തന്റെ ജനന സമയത്ത് ആശുപത്രിയിൽ നഴ്സായി സേവനം ചെയ്ത് വിരമിച്ച ശ്രീമതി രാജമ്മ രാജപ്പനോടൊപ്പം നന്ദിയുടെ നിമിഷങ്ങൾ പങ്കിട്ട് @RahulGandhi#RahulGandhiWayanad pic.twitter.com/HT95rO55Yx
— Rahul Gandhi - Wayanad (@RGWayanadOffice) June 9, 2019
पहले तो लगा कि राहुल गांधी भी अपनी दादी इंदिरा गांधी की तरह अमेठी से वैसे ही तौबा कर लेंगे जैसे वो रायबरेली से की थीं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इंदिरा गांधी 1977 में राज नारायण से अपनी सीट रायबरेली से हार गयीं तो दक्षिण का रुख कर लिया था. 1980 में वो आंध्र प्रदेश की मेडक (अब तेलंगाना में) लोक सभा सीट से संसद पहुंची, लेकिन रायबरेली से उनकी नाराजगी ताउम्र कायम रही.
देर से ही सही, लेकिन राहुल गांधी अमेठी गये जरूर लेकिन काफी अनमने अंदाज में लोगों से बात की. राहुल गांधी ने अमेठी के लोगों को बात बात पर एहसास कराया कि वो बहुत बड़ी गलती कर चुके हैं और वो हमेशा ही उनसे नाराज रह सकते हैं. राहुल गांधी ने कहा कि वो उनके प्रतिनिधि नहीं रहे, इसलिए अब खुद उनको अपनी लड़ाई लड़नी होगी, लेकिन अगर वे उनकी किसी तरह की कोई मदद चाहते हैं तो मजह एक फोन कॉल दूर समझें.
एक तरीके से राहुल गांधी ने अमेठी के लोगों को संकेत दे दिया कि वो स्मृति ईरानी के खिलाफ नहीं बोलेंगे - क्योंकि वो तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ बोलते हैं और स्मृति ईरानी उनके मुकाबले बराबरी में नहीं आतीं. अमेठी के लोगों का ये सवाल हो सकता था कि मोदी से भी वो क्यों लड़ते हैं, वो कोई पूरे देश का प्रतिनिधित्व करते नहीं - वो तो सिर्फ वायनाड से सांसद हैं. कांग्रेस के अध्यक्ष जब थे तब थे.
केरल के लोगों की समझ की तारीफ करते हुए राहुल गांधी कहते हैं, 'हाल ही में, मैं अमेरिका में कुछ छात्रों से बात कर रहा था. मैंने कहा कि मुझे केरल जाना वाकई अच्छा लगता है - और मुझे वायनाड जाना काफी पसंद है.'
राहुल गांधी ने ये भी बताया कि ऐसा सिर्फ केरल और वायनाड के लोगों के प्यार के चलते नहीं बल्कि उनकी राजनीति के तौर तरीके भी उनको काफी पसंद आते हैं.
कहते हैं, 'अगर मैं कहूं तो आप जिस बुद्धिमत्ता के साथ राजनीति करते हैं... मेरे लिए, ये एक सीखने का अनुभव और आनंद है.'
अमेठी के लोगों से राहुल गांधी की नाराजगी स्वाभाविक है. जिन लोगों पर वो आंख मूंद कर भरोसा करते थे, उनको लगता है उन लोगों ने उनको धोखा दिया है. हालांकि, वो भूल जाते हैं कि अमेठी के लोगों को लगने लगा होगा कि राहुल गांधी ही उनकी तरफ से आंखें मूंद लिये हैं और फिर उन लोगों ने एक बार आईना दिखाने का फैसला कर लिया.
राजनीति विरोधी होने के नाते स्मृति ईरानी भले जो भी कहें, लेकिन राहुल गांधी अगर एहसान फरामोश होते तो क्या कांग्रेस का ये हाल हुआ होता. कांग्रेस के इस हाल में पहुंचने के पीछे क्या राहुल गांधी की अपनों के प्रति भलमनसाहत का हाथ नहीं है. अगर राहुल गांधी एहसान फरामोश होते तो अशोक गहलोत और कमलनाथ कितना भी दबाव बनाते वो उनके बेटों को टिकट देकर कांग्रेस की बर्बादी का रास्ता साफ नहीं करते. वो तो उनकी बातें सुनते हैं और तारीफ भरी बातें अच्छी लगती हैं - तभी तो अशोक गहलोत प्रिय हैं और सचिन पायलट निकम्मा और नकारा हो जाते हैं - पीठ में छुरा भोंकने वाले बन जाते हैं. निश्चित तौर पर ये सब तो इसीलिए होता होगा क्योंकि अशोक गहलोत के एहसान सचिन पायलट के मुकाबले ज्यादा होंगे!
राहुल गांधी के बयान पर बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा कहते हैं, 'कुछ दिन पहले वो पूर्वोत्तर में थे, भारत के पश्चिमी हिस्से के खिलाफ जहर उगल रहे थे... आज दक्षिण में हैं - और उत्तर के खिलाफ जहर उगल रहे हैं... फूट डालो और राज करो की राजनीति से काम नहीं चलता है राहुल गांधी जी... लोगों ने इस राजनीति को खारिज कर दिया है - देखिए आज गुजरात में क्या हुआ!' हालांकि, नड्डा ये भूल जाते हैं कि गुजरात से ठीक पहले पंजाब में क्या हुआ है?
क्या एक दिन चौकड़ी का तिलिस्म भी टूट जाएगा
अपने संसदीय क्षेत्र वायनाड में राहुल गांधी छात्राओं से संवाद कर रहे थे. तभी राहुल गांधी ने छात्राओं से पूछा कि क्या अपनी इच्छा से किसी को उनके भाषण के मलयालम में अनुवाद में दिलचस्पी होगी, 'मैं जो कह रहा हूं - क्या यहां मौजूद कोई स्टूडेंट उसका अनुवाद करना चाहेगा?'
ये सुनते ही स्कूली छात्रा फातिमा सफा स्टेज पर चढ़ गयी और राहुल गांधी के भाषण का मलयालम में अनुवाद करने लगी. भाषण खत्म हुआ तो राहुल गांधी ने उसे धन्यवाद तो दिया ही, चॉकलेट भी दिया. वो छात्रा भी बेहद खुश थी और बोली कि उसने कभी सोचा न था कि उसे कभी ऐसा मौका मिलेगा. छात्रा तो खुश थी लेकिन राहुल गांधी के साथ मौजूद नेता काफी हैरान थे. अब तक उन नेताओं में से ही कोई न कोई राहुल गांधी के भाषणों का अनुवाद करता रहा.
समझना ज्यादा मुश्किल नहीं है कि राहुल गांधी ने ऐसा क्यों किया? केरल से पहले पुदुचेरी में जब सत्ता को लेकर उठापटक चल रही थी तभी राहुल गांधी दौरे पर गये थे. उसी दौरान राहुल गांधी से मिलने एक बुजुर्ग महिला पहुंची थी. राहुल गांधी के हाल चाल पूछने पर उसने अपनी पीड़ा बतायी, लेकिन भाषाई बाधा आड़े आ गयी और निवर्तमान मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी ने मौके का फायदा उठाने में जरा भी देर नहीं की.
महिला ने शिकायत की थी कि तूफान के दौरान मुख्यमंत्री उन लोगों से मिलने तक नहीं पहुंचे, लेकिन वी. नारायणसामी ने राहुल गांधी को इसका उलटा समझा दिया. वी. नारायणसामी ने राहुल गांधी को समझाया कि महिला बता रही है कि तूफान के दौरान वो उन लोगों से मिलने गये और राहत के सामान भी भिजवाये.
बीजेपी सांसद पीसी मोहन ने वीडियो शेयर करते हुए कांग्रेस पर हमला बोला है. कांग्रेस अब पुदुचेरी में सत्ता गंवा चुकी है. बाद में सफाई देते हुए वी. नारायणसामी का कहना रहा कि महिला की बातें उनको सुनाई नहीं पड़ी थी.
They bet big — and lost big! They lost #Puducherry!#Narayanasamy #PuducherryPoliticalCrisis pic.twitter.com/o2fMYyt9do
— P C Mohan (@PCMohanMP) February 22, 2021
अब अगर राहुल गांधी पुदुचेरी के वाकये से सबक लेते हैं और आगे भी ये समझने की कोशिश करते हैं कि उनके करीबी नेता वी. नारायणसामी की ही तरह झूठ तो नहीं बोल रहे हैं, तो कांग्रेस का काफी हद तक कल्याण हो सकता है, लेकिन अगर गुस्से में अमेठी के लोगों जैसा सलूक करते हैं और अपनी टिप्पणी को चुनावी जुमला नहीं साबित करते हैं तो लेने के देने पड़ने ही हैं.
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