'चौकीदार चोर है' से मात खाए राहुल गांधी सीखने को तैयार नहीं
राहुल गांधी का ताजा ट्वीट बता रहा है कि उन्हें BJP-RSS ने परेशान करने की नीयत से पटना कोर्ट में घसीटा है. लेकिन वे चालाकी से यह बात छुपा जाते हैं कि लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान मोदी सरनेम वालों को 'चोर' की संज्ञा दे डाली थी.
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आजकल राहुल गांधी कांग्रेस का अध्यक्ष पद त्यागने के बाद राजनीति से दूरी बनाए हुए दिख रहे हैं. हाल ही में उनका एक वीडियो भी वायरल हुआ जिसमें वो सिनेमा हॉल में आर्टिकल 15 देख रहे थे. वो कूल रहना चाहते हैं लेकिन सोशल मीडिया के जरिए सहानुभूति भी बटोरने की कोशिश कर रहे हैं.
राहुल गांधी का ताजा ट्वीट बता रहा है कि उन्हें BJP-RSS ने परेशान करने की नीयत से पटना कोर्ट में घसीटा है. ट्विटर पर राहुल का कहना है कि- 'मैं आज दोपहर 2 बजे पटना में सिविल कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होऊंगा. मेरे खिलाफ आरएसएस/भाजपा में मेरे राजनीतिक विरोधियों ने मुझे परेशान करने और डराने के लिए एक और मामला दायर किया है. सत्मेव जयते.'
I will appear in person at the Civil Court in Patna today at 2 PM, in yet another case filed against me by my political opponents in the RSS/ BJP to harass & intimidate me.
Satyameva Jayate ????
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 6, 2019
राहुल गांधी ने अपने ट्वीट के माध्यम से ये बताने की कोशिश की है कि बीजेपी और आरएसएस उन्हें लगातार परेशान करने और डराने के प्रयास करती है और इसी कड़ॉी में एक और मामला आ गया है. लेकिन यहां ये बताना जरूरी हो जाता है कि ये मामला अभी का नहीं है.
लोकसभा चुनावों के दौरान जब राहुल गांधी जगह-जगह जाकर लोकसभा चुनाव प्रचार कर रहे थे तो 13 अप्रेल 2019, उन्होंने कर्नाटक के कोलार में एक रैली की थी. अपने भाषण के दौरान उन्होंने मोदी नाम पर चुटकी ली थी.
रैली में राहुल गांधी ने कहा था, “एक छोटा सा सवाल है. इन सब चोरों के नाम में मोदी क्यों हैं. चाहे वह नीरव मोदी, ललित मोदी और नरेंद्र मोदी हों? अभी ढूंढेंगे तो न जाने और कितने मोदी निकलेंगे.”
राहुल गांधी के इस छोट से लेकिन वाहियात सवाल पर राहुल गांधी को भले ही शर्मिंदगी न हुई हो लेकिन मोदी समाज काफी आहत हुआ. और तभी बिहार के डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने इस बयान के लिए राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था. सुशील मोदी का कहना था कि "राहुल ने मोदी सरनेम वाले सभी की भावनाओं को ठेस पहुंचाई और आहत किया."
इसी संदर्भ में राहुल के खिलाफ दो और मामले दर्ज किए गए थे. 24 अप्रेल को बीजेपी नेता मनोज मोदी ने बिहार के पूर्णिया में मामला दर्ज करवाया था. तो वहीं 2 मई को गुजरात की अदालत ने बीजेपी एमएलए पूर्णेश मोदी की शिकायत पर राहुल गांधी को सम्मन भेजा गया था.
गौरतलब है कि 'चौकीदार चोर है' का नारा जोर-शोर से लगाने वाले राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से इसके लिए अच्छी खासी सुननी पड़ी. बाकायदा माफी भी मंगवाई गई थी. विपक्ष के तौर पर राहुल ने प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ काफी कुछ कहा, लेकिन प्रधानमंत्री को चोर कह देना उनके हित में नहीं था. लेकिन इस कड़ी में उन्होंने पूरे के पूरे मोदी समाज को भी लपेट लिया. उन्होंने देश में रहने वाले हर मोदी को नीरव मोदी और ललित मोदी की श्रेणी में खड़ा कर दिया. ऐसा कहकर वो कांग्रेस पार्टी की नजरों में एक आक्रामक नेता जरूर बन गए, लेकिन चुनाव में उन्हें ये दिखा दिया कि राजनीति में शिष्टता भी जरूरी होती है.
राहुल गांधी अपनी गलतियों से कुछ नहीं सीखते
लेकिन लगता है कि सुप्रीम कोर्ट की फटकार का राहुल गांधी पर कोई असर नहीं पड़ा. पटना की विशेष अदालत में पेश होते ही जज ने राहुल को उन पर लगे आरोप पढ़कर सुनाए. लेकिन राहुल ने सभी आरोपों को बेबुनियाद ठहरा दिया. कोर्ट ने उन्हें 10 हजार रुपए के निजी मुचलके पर जमानत दे दी. राहुल गांधी इन आरोपों को बेबुनियाद तब कह रहे हैं जब उनकी कही हुई बातें वीडियो के रूप में इटरनेट पर खूब चल रही हैं.
इतना ही नहीं राहुल ने कोर्ट के बाहर भी विक्टिम कार्ड खेलने की कोशिश की. अदालत के बाहर राहुल ने, ''जो भी संघ और नरेंद्र मोदी जी की विचारधारा के खिलाफ आवाज उठाता है उसपर हमला होता है और कोर्ट में घसीटा जाता है. मैं किसानों और मजदूरों के साथ खड़े होने के लिए आया हूं. जहां भी जाना होगा जाऊंगा. मेरी लड़ाई संविधान को बचाने के लिए है. हिन्दुस्तान की आवाज को दबाया जा रहा है. मैं कांग्रेस अध्यक्ष नहीं हूं तो भी लड़ाई जारी रखूंगा.''
यानी 'सारे मोदी चोर हैं' पर राहुल गांधी को जरा भी अफसोस नहीं. आज राहुल भले ही इस तरह का ट्वीट कर ये बताने की कोशिश कर रहे हैं कि वो पीड़ित प्रताड़ित हो रहे हैं. लेकिन असल में वो अपना बोया ही काट रहे हैं.
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